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एथेरोस्क्लेरोसिस: कारण, लक्षण और जोखिम कारक

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एथेरोस्क्लेरोसिस: कारण, लक्षण और जोखिम कारक

Cardiology | by Dr. Anil Mishra | Published on 01/05/2024


एथेरोस्क्लेरोसिस वह स्थिति है, जिसमें शरीर की धमनी (Artery) प्लाक के जमने के कारण सख्त हो जाती हैं या सिकुड़ जाती हैं। इसके कारण रक्त के प्रवाह में ब्लॉकेज आ जाती है और हृदय संबंधित बीमारियां जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज (Peripheral Vascular disease) परेशान करती है। हाई कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड लेवल, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, डायबिटीज, मोटापा, गतिहीन जीवनशैली और सैचुरेटेड फैट (Saturated Fat) का अधिक सेवन एथेरोस्क्लेरोसिस के मुख्य जोखिम कारक है। इससे बचने के लिए एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षणों (Symptoms of Atherosclerosis) को पहचान कर तुरंत एक अच्छे कार्डियोलॉजी डॉक्टर से मिलना चाहिए और इलाज की योजना पर विचार करना चाहिए। 

एथेरोस्क्लेरोसिस क्या है?

एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर की धमनियों या आर्टरी में फैट, कोलेस्ट्रॉल और अन्य रसायन जमा हो जाते हैं। इस रसायनों के जमाव को प्लाक (Plaque) कहा जाता है। इस जमे हुए प्लाक के कारण धमनियां पतली हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। एथेरोस्क्लेरोसिस हृदय से संबंधित रोग है, लेकिन इस रोग के कारण पूरे शरीर की धमनियां प्रभावित हो सकती हैं। 

एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण -

शुरुआत में एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण बहुत कम दिखते हैं। लेकिन मुख्य रूप से इस स्थिति के लक्षण तब दिखते हैं, जब व्यक्ति की उम्र 10-19 साल के बीच हो जाती है। जब धमनियों की जांच होती है, तो यह प्लाक सफ़ेद रंग का दिखता है। आमतौर पर धमनियों में प्लाक का निर्माण धीरे-धीरे होता है, जिसके कारण कई वर्षों के बाद ही इस स्थिति का निदान हो पाता है।

एथेरोस्क्लेरोसिस की स्थिति में कई लक्षण उत्पन्न होते हैं, लेकिन लक्षण प्रभावित हुई धमनियों के आधार पर निर्भर करते हैं जैसे - 

  • कैरोटिड धमनी (Carotid Arteries): जब कैरोटिड धमनी प्रभावित होती है, तो रोगी को स्ट्रोक का सामना करना पड़ता है। इसके साथ-साथ शरीर में कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, चेहरे का सुन्न होना, लकवा जैसे स्थिति का भी अनुभव होता है। 
  • कोरोनरी धमनियां (Coronary Arteries): इसके कारण व्यक्ति को एनजाइना (Angina) या सीने में दर्द और दिल के दौरे जैसी स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण रोगी को सीने में दर्द, उल्टी, अत्यधिक चिंता, खांसी, बेहोशी जैसे लक्षणों का भी सामना करना पड़ता है।
  • गुर्दे की धमनी (Renal Artery): जब यह धमनी प्रभावित होती है, तो मरीज को भूख की कमी, हाथों और पैरों में सूजन और इसके साथ-साथ एक चीज पर फोकस करने में समस्या आती है। 
  • परिधीय (पेरीफेरल) धमनी रोग (Peripheral Artery Disease): इस धमनी के प्रभावित होने पर पैरों की मांसपेशियों में भारीपन के साथ ऐंठन की समस्या होती है। अधिकतर लोगों में इन लक्षणों के साथ दर्द भी होता है।

ऐथिरोस्क्लेरोसिस के कारण -

यह रोग एक व्यक्ति को धीरे-धीरे समय के साथ प्रभावित करती है। एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या के निम्न कारण हो सकते हैं - 

  • हाई कोलेस्ट्रॉल
  • हाई ब्लड प्रेशर 
  • सूजन (आर्थराइटिस या लुपस)
  • धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन
  • मोटापा या डायबिटीज

एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम कारक -

एथेरोस्क्लेरोसिस स्वयं एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। लेकिन कुछ जोखिम कारक हैं, जो इस स्थिति को और भी ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं जैसे - 

  • हाई ब्लड प्रेशर
  • हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
  • हाई सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी)
  • डायबिटीज
  • मोटापा
  • नींद की कमी
  • धूम्रपान और तंबाकू का उपयोग
  • हृदय रोग की फैमिली हिस्ट्री
  • गतिहीन जीवनशैली और खाने की खराब आदत

यदि किसी भी कारणवश एथेरोस्क्लेरोसिस का सही समय पर इलाज नहीं होता है, तो यह धमनियां सख्त हो जाती हैं और कुछ स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे - 

यदि कोई भी इन स्थितियों से बचना चाहता है, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत इलाज के बारे में विचार करें और परामर्श लें

ऐथिरोस्क्लेरोसिस के उपचार -

इलाज से पहले कुछ टेस्ट किए जाते हैं, जिसकी वजह से इलाज की सटीक योजना पर विचार किया जा सकता है। इलाज से पहले निम्न परीक्षण करवाए जाते हैं - 

  • रक्त परीक्षण
  • ईसीजी या ईकेजी
  • स्ट्रेस टेस्ट
  • इकोकार्डियोग्राम
  • डॉपलर अल्ट्रासाउंड
  • सिंगल-ब्राचियल इंडेक्स (एबीआई)
  • हृदय का कैथीटेराइजेशन और एंजियोग्राफी
  • कोरोनरी धमनियों का कैल्शियम स्कैन

इन टेस्ट के रिपोर्ट की मदद से इलाज की योजना बनाने में मदद मिलती है। शुरुआती मामलों में इलाज के लिए निम्न दवाओं का सुझाव दिया जाता है - 

  • कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं
  • बीटा ब्लॉकर्स 
  • कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स 
  • बीपी कम करने की दवा
  • खून पतला करने वाली दवाएं जिससे खून के थक्के जमने की समस्या कम हो जाती है। 

यदि स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाए या फिर जान का खतरा लगातार बना रहे, तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। दिल की बीमारी के गंभीर मामलों में सर्जरी को ही प्राथमिकता दी जाती है। एथेरोस्क्लेरोसिस के इलाज के लिए बाईपास सर्जरी को सबसे उत्तम विकल्प माना जाता है। वहीं कुछ मामलों में थ्रांबोलिटिक थेरेपी का भी उपयोग हो सकता है। लक्षण दिखने पर तुरंत हमसे बात करें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें।

एथेरोस्क्लेरोसिस से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

एथेरोस्क्लेरोसिस का निदान कैसे होता है?

एथेरोस्क्लेरोसिस का निदान फिजिकल एग्जामिनेशन, ब्लड टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट के माध्यम से संभव है। सबसे पहले एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें और इलाज की योजना पर विचार करें। 

एथेरोस्क्लेरोसिस का इलाज कैसे किया जाता है?

एथेरोस्क्लेरोसिस के इलाज के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा जैसे - 

  • जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान छोड़ना, वजन कम करना, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का प्रबंधन करें।
  • दवाएं: एथेरोस्क्लेरोसिस के इलाज के लिए कुछ दवाएं उपलब्ध हैं जैसे - कोलेस्ट्रॉल को कम करने की दवा, ब्लड प्रेशर को कम करने की दवा, इत्यादि।
  • सर्जरी: दवाएं और जीवनशैली जब प्रभावी नहीं होते हैं, तो सर्जरी का विकल्प मौजूद होता है।

एथेरोस्क्लेरोसिस को कैसे रोका जा सकता है?

एथेरोस्क्लेरोसिस को रोकने के लिए निम्न चीजों का पालन करना चाहिए - 

  • स्वस्थ आहार
  • नियमित व्यायाम
  • धूम्रपान से दूरी बनाएं
  • वजन कम करें
  • मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर का प्रबंधन
  • नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं