एथेरोस्क्लेरोसिस में धमनियों में कोलेस्ट्रॉल और फैट जमने से रक्त प्रवाह बाधित होता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। समय पर निदान, स्वस्थ जीवनशैली और उचित इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या आप या आपके कोई प्रियजन दिल की बीमारी की चपेट में हैं? एथेरोस्क्लेरोसिस एक खतरनाक स्थिति है, जिसमें आपकी धमनी (Artery) धीरे-धीरे सख्त और संकरी हो जाती हैं, जिससे दिल को जरूरी खून और ऑक्सीजन मिलने में बाधा आती है। यह सिर्फ दिल की बीमारी नहीं, बल्कि आपके पूरे शरीर की सेहत पर गहरा असर डालती है।
इस रोग के कारण रक्त के प्रवाह में ब्लॉकेज आ जाती है और हृदय संबंधित बीमारियां जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज (Peripheral Vascular disease) परेशान करती है। हाई कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड लेवल, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, डायबिटीज, मोटापा, गतिहीन जीवनशैली और सैचुरेटेड फैट (Saturated Fat) का अधिक सेवन एथेरोस्क्लेरोसिस के मुख्य जोखिम कारक है। दिल की बीमारी में सही समय पर सही इलाज न मिलना बहुत ज्यादा जरूरी है। इसलिए किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर तुरंत हमारे अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।
एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आपकी धमनियों की दीवारों में फैट, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिन्हें प्लाक कहा जाता है। यह प्लाक धमनियों को कठोर और संकुचित कर देता है, जिससे रक्त का प्रवाह धीमा या बंद हो जाता है। परिणामस्वरूप, हृदय, मस्तिष्क और अन्य अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है, जिससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दिल की बीमारियों में से लगभग 50% मामले इसी कारण से होते हैं।
शुरुआती दौर में एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण सामान्यतः स्पष्ट नहीं होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, यह लक्षण दिखने लगते हैं -
शुरुआत में एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण बहुत कम दिखते हैं। लेकिन मुख्य रूप से इस स्थिति के लक्षण तब दिखते हैं, जब व्यक्ति की उम्र 10-19 साल के बीच हो जाती है। जब धमनियों की जांच होती है, तो यह प्लाक सफ़ेद रंग का दिखता है। आमतौर पर धमनियों में प्लाक का निर्माण धीरे-धीरे होता है, जिसके कारण कई वर्षों के बाद ही इस स्थिति का निदान हो पाता है।
एथेरोस्क्लेरोसिस की स्थिति में कई लक्षण उत्पन्न होते हैं, लेकिन लक्षण प्रभावित हुई धमनियों के आधार पर निर्भर करते हैं जैसे कि -
एथेरोस्क्लेरोसिस धीरे-धीरे विकसित होते हैं और इसके मुख्य कारण निम्न हैं -
यह सभी कारक मिलकर धमनियों की दीवारों को नुकसान पहुंचाते हैं और प्लाक जमने का खतरा बढ़ाते हैं। भारत में, लगभग 20% वयस्कों में हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या देखी गई है, जो इस रोग की बढ़ती तीव्रता को दर्शाता है।
यदि समय रहते एथेरोस्क्लेरोसिस का उपचार न किया जाए, तो यह निम्न गंभीर स्थितियों को जन्म दे सकती हैं -
इन जटिलताओं से बचने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच और उचित इलाज बेहद जरूरी है।
डॉक्टर निदान के लिए निम्न जांच करते हैं -
इन टेस्ट की मदद से डॉक्टर उपचार की सबसे उपयुक्त योजना बनाते हैं।
इलाज में मुख्य रूप से तीन पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है:
जीवनशैली में बदलाव:
दवाओं का सेवन:
सर्जिकल उपचार:
यदि स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाए या फिर जान का खतरा लगातार बना रहे, तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। दिल की बीमारी के गंभीर मामलों में सर्जरी को ही प्राथमिकता दी जाती है। एथेरोस्क्लेरोसिस के इलाज के लिए बाईपास सर्जरी को सबसे उत्तम विकल्प माना जाता है। वहीं कुछ मामलों में थ्रांबोलिटिक थेरेपी का भी उपयोग हो सकता है। लक्षण दिखने पर तुरंत हमसे बात करें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें।
समय पर सही उपचार से एथेरोस्क्लेरोसिस को नियंत्रित किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनायी जा सकती है।
अगर आपको एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण महसूस हों या जोखिम कारक आपके जीवन में मौजूद हों, तो आज ही विशेषज्ञ से संपर्क करें और अपनी सेहत को सुरक्षित बनाएं।
स्टेटिन्स, बीटा ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और रक्त पतला करने वाली दवाएं आमतौर पर दी जाती हैं। यह दवाएं कोलेस्ट्रॉल कम करके और रक्त प्रवाह सुधारकर मदद करती हैं।
तला हुआ, सैचुरेटेड और ट्रांस फैट वाला खाना, ज्यादा नमक और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए। ये पदार्थ धमनियों में प्लाक बढ़ा सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल, खासकर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, धमनी की दीवारों पर जमकर प्लाक बनाता है। यह स्थिति रक्त प्रवाह को बाधित करती है।
एथेरोस्क्लेरोसिस की स्थिति में सेब, नींबू और बेरीज जैसे फल कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं और हृदय को स्वस्थ रखते हैं।
जीवन शैली सुधार से बीमारी की प्रगति धीमी हो सकती है और हृदय की सेहत बेहतर हो सकती है। यह उपचार के साथ सहायक होता है।
हार्ट अटैक, एंजाइना और हार्ट फेलियर जैसी गंभीर स्थितियां हो सकती हैं। यही कारण है कि इस स्थिति में सही इलाज जरूरी है।
सीने में दर्द, सांस फूलना या कमजोरी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जोखिम कारक मौजूद हों तो नियमित जांच कराएं।
Written and Verified by:
Dr. Anil Mishra is the Director of Cardiology Dept. at BM Birla Heart Research Centre, Kolkata, with over 33 years of experience. He specializes in complex angioplasties, pacemaker & AICD implantation, CRT-D, TAVI, and was the first in Eastern India to perform rotablation and implant leadless pacemakers.
Similar Cardiology Blogs
Book Your Appointment TODAY
© 2024 BMB Kolkata. All Rights Reserved.