कोरोनरी एंजियोग्राफी (Coronary Angiography) एक नॉन-इनवेसिव इमेजिंग टेस्ट है, जिसकी मदद से कोरोनरी धमनी में रुकावट का पता चल सकता है। आइये जानते हैं कि यह टेस्ट क्या है, इसकी तैयारी कैसे होती है, इसकी प्रक्रिया क्या है?
कोरोनरी एंजियोग्राफी (Coronary Angiography) एक नॉन-इनवेसिव इमेजिंग टेस्ट है, जिसकी मदद से कोरोनरी धमनी में रुकावट का पता चल सकता है। इस टेस्ट में एक कंट्रास्ट डाई (Contrast Dye) का उपयोग होता है, जिसका कार्य ब्लॉकेज वाली धमनियों की स्पष्ट जानकारी प्रदान करना है। चलिए सबसे पहले जानते हैं कि यह टेस्ट क्या है, इसकी तैयारी कैसे होती है, इसकी प्रक्रिया क्या है और परिणाम क्या बताते हैं।
कार्डियक एंजियोग्राम या कोरोनरी एंजीग्राफी एक प्रकार का एक्स-रे है, जिससे मुख्य रूप से हृदय की मांसपेशियों तक पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं की जांच की जाती है। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क या हाथ की भी रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज का भी पता इस टेस्ट से चल सकता है।
सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या बेचैनी की शिकायत होने पर एंजियोग्राफी की सलाह दी जाती है। मेडिकल भाषा में कहा जाए तो आर्टरी और वीन्स में ब्लॉकेज की संभावना होने पर इस टेस्ट को कराया जाता है। इसके अतिरिक्त दिल के दौरे की संभावना होना, अस्थिर एनजाइना, एओर्टिक स्टेनोसिस, या हृदय विफलता की संभावना होने पर भी कोरोनरी एंजियोग्राफी की आवश्यकता होती है।
हृदय की समस्याओं का पता लगाने के लिए कोरोनरी एंजियोग्राफी टेस्ट से पहले एमआरआई या सीटी स्कैन जैसे टेस्ट का सुझाव सबसे पहले दिया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ और बातों का खास ख्याल रखना चाहिए जैसे -
परीक्षण से पहले पेशेंट को माइल्ड सिडेटिव दिया जाता है, जिससे पेशेंट टेस्ट के दौरान जगा रहता है। कितना सिडेटिव दिया जाएगा, इसका निर्णय इस बात पर होता है कि किस भाग की जांच हो रही है और पेशेंट का वर्तमान स्वास्थ्य कैसा है। इसके पश्चात कमर के एक भाग को एनेस्थेटिक से साफ और सुन्न कर दिया जाता है और आर्टरी में एक कैथर्टर को डाला जाता है। इसके कारण हल्का दबाव महसूस हो सकता है।
जैसे ही कैथेटर सही स्थान पर चला जाता है, उसके बाद डाई ट्यूब के माध्यम से हृदय की रक्त वाहिकाओं में डाला जाता है। डाई अपने सही स्थान पर जा रहा है या नहीं इसकी पुष्टि के लिए एक्स-रे का प्रयोग किया जाता है। डाई के साथ एक्स-रे का प्रयोग एंजियोग्राफी के नाम से जाना जाता है। यदि एक्स-रे में पता चलता है कि डाई रक्त वाहिका से नहीं गुजर रही है, तो इसका अर्थ यह है कि उस क्षेत्र में ब्लॉकेज है।
सामान्य तौर पर इस टेस्ट को पूरा होने में एक घंटा या उससे ज्यादा का समय लग सकता है। कुछ मामलों में एंजियोग्राफी का उपयोग इलाज से तुरंत पहले होता है। इस स्थिति में ब्लॉकेज मिलने पर तुरंत टेस्ट के परिणाम के आधार पर स्टेंट या बलून को कैथर्टर के द्वारा उस रक्त वाहिका में प्रवेश कराते हैं। टेस्ट या इलाज के हो जाने के बाद कैथेटर को शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है और चीरे को बंद कर दिया जाता है।
इस टेस्ट के परिणाम दर्शाते हैं कि हृदय तक रक्त का बहाव सही है या नहीं या फिर कहीं कोई रुकावट तो नहीं है। यदि रिपोर्ट के परिणाम असमान्य है तो इसका अर्थ यह है कि एक या उससे अधिक धमनियों में ब्लॉकेज है। ऐसे मामलों में एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) के विकल्प का चुनाव किया जाता है। इससे रक्त प्रवाह में सुधार तो होता ही है। इसके साथ एक इंट्राकोरोनरी स्टेंट भी डाला जा सकता है, जिससे परिणाम और भी ज्यादा सटीक आते हैं। कई बार एंजियोप्लास्टी और कोरोनरी एंजियोग्राफी की प्रक्रिया को एक साथ किया जाता है।
आप सभी को समझना होगा कि एंजियोग्राफी एक सुरक्षित प्रक्रिया है। हालांकि बाकि प्रक्रियाओं की तरह ही इस टेस्ट के भी कुछ संभावित जोखिम और जटिलताएं होती हैं जैसे -
कोरोनरी एंजियोग्राफी का मुख्य कार्य हृदय रोग का पता लगाना है। यदि किसी भी कारणवश सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या अन्य हृदय संबंधित समस्या का अनुभव होता है, तो स्थिति की जांच के लिए कार्डियोलॉजिस्ट एंजियोग्राफी का ही सुझाव देते हैं ।
एंजियोग्राफी का सुझाव अक्सर सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या दिल के दौरे के कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है। जो व्यक्ति हृदय रोग के दायरे में होता है, उन्हें इस टेस्ट का सुझाव अक्सर दिया जाता है।
एंजियोग्राफी के बाद, पेशेंट को कुछ देर आराम करना चाहिए क्योंकि पेशेंट को चक्कर आ सकता है। टेस्ट की रिपोर्ट के आकलन के बाद इलाज के विकल्प पर विचार किया जा सकता है।
कुछ मामलों में, सीटी स्कैन को एंजियोग्राफी के विकल्प के तौर पर देखा जाता है। पेशेंट के स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर ही विभिन्न टेस्ट के विकल्पों पर विचार किया जाता है।
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Dr. Ratan Kumar Das is the Director of Cardiothoracic & Vascular Surgery Dept. at BM Birla Heart Hospital, Kolkata, with over 20 years of experience. He specializes in off-pump CABG with LIMA-RIMA Y, minimally invasive valve surgery, mitral valve repair, and pediatric cardiac surgery.
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