हृदय रोग का कारण, लक्षण और इलाज
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हृदय रोग का कारण, लक्षण और इलाज

Cardiology | by Dr. Rakesh Sarkar on 30/04/2024

Summary

हृदय रोग का प्राथमिक कारण एथेरोस्क्लेरोसिस है, यह एक ऐसी स्थिति जिसमें धमनियां अपनी आंतरिक दीवारों पर प्लाक (कोलेस्ट्रॉल, वसा, कैल्शियम और अन्य पदार्थ) के निर्माण के कारण संकीर्ण और कठोर हो जाती हैं।

हृदय हमारे शरीर का वह इंजन है, जो हर पल हमें जिंदा रखने के लिए लगातार काम करता है। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और अस्वस्थ आदतों के कारण हृदय रोग तेजी से बढ़ रहा है। यह बीमारी न केवल बड़े वयस्कों, बल्कि युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। अगर आप भी हृदय रोग को लेकर चिंतित हैं, तो हम आपकी मदद कर सकते हैं। चलिए सबसे पहले समझते हैं कि हृदय रोग के क्या कारण है और इसको कैसे पहचाना जा सकता है। इन दोनों कारकों के जानने के बाद ही इलाज के सही विकल्प का चुनाव संभव हो पाता है। 

हृदय रोग का कारण -

ह्रदय रोग के मुख्य कारणों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है - 

  • एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis): इस स्थिति में नसों की आंतरिक दीवारों पर प्लाक (कोलेस्ट्रॉल, वसा, कैल्शियम और अन्य पदार्थ) का निर्माण हो जाता है, जिससे वह नसें संकीर्ण और कठोर हो जाती हैं। इससे रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने लगती है।
  • उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर): हाई ब्लड प्रेशर के कारण हमारे दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिसके कारण शरीर की नसें कमजोर होने लगती है जिससे अंततः हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। 
  • धूम्रपान: तम्बाकू और धूम्रपान हृदय रोग के लिए एक जोखिम कारक है। इसके कारण नसें को नुकसान होता है, जिससे रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और नसों में प्लाक के निर्माण को बढ़ाता है।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल: एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDL Cholesterol or Bad Cholesterol) के उच्च स्तर से नसों में प्लाक का निर्माण हो सकता है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) का खतरा बढ़ जाता है।
  • मधुमेह (Diabetes): डायबिटीज हृदय रोग के मुख्य कारणों में से एक है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें हाई ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने वाली नसों और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचता है।
  • मोटापा: शरीर का अतिरिक्त वजन, विशेष रूप से पेट के आसपास जमा मोटापा, हृदय रोग से जुड़ा होता है। मोटापा मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी स्थितियों को जन्म देता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
  • अनहेल्दी डाइट: ट्रांस फैट, सैचुरेटिड फैट, और सोडियम की अधिकता दिल की बीमारी के मुख्य कारणों में से एक है। इसके अतिरिक्त डाइट में फल, सब्जियां और फाइबर युक्त आहार की गैरमौजूदगी हृदय रोग के जोखिम को बढ़ावा देता है।
  • अत्यधिक शराब का सेवन: अधिक मात्रा में शराब का सेवन कई बीमारियों का कारण होता है जैसे - हाई ब्लड प्रेशर, दिल की मांसपेशियों को नुकसान और दिल की धड़कन में उतार चढ़ाव आना इत्यादि। यह सारे कारक दिल की बीमारी के कारक हैं। 
  • तनाव: लंबे समय से यदि आप तनाव का सामना कर रहे हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव आपके ऊपर पड़ सकता है। इससे ब्लड प्रेशर में वृद्धि तो होती ही है, इसके साथ-साथ व्यक्ति को सूजन का भी सामना करना पड़ता है। 

हृदय रोग के लक्षण -

हृदय रोग के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि किस प्रकार का रोग व्यक्ति को परेशान कर रहा है जैसे - 

  • सीने में दर्द या बेचैनी: इसे हम एनजाइना (Angina) के रूप में भी जानते हैं। यह स्थिति दिल में रोग का संकेत देता है। 
  • सांस लेने में तकलीफ: सांस लेने में कठिनाई या सांस की तकलीफ दिल की बीमारी का संकेत देता है। यह तकलीफ एक्सर्साइज या फिर सीढियां चढ़ते समय अधिक परेशान करती है। 
  • थकान: कम मेहनत के बाद भी थकान या कमजोरी महसूस होना दिल के रोग की तरफ इशारा करता है। 
  • दिल की धड़कन में उतार चढ़ाव: दिल का तेज या फिर धीरे धड़कना हृदय रोग का लक्षण है। 
  • चक्कर आना या बेहोशी: मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम होने से चक्कर या बेहोशी आने की समस्या बनी रहती है।
  • सूजन: तरल पदार्थ जमा होने से पैरों, टखनों, या पेट में सूजन हो सकती है।

हृदय रोग का निदान और उपचार -

दिल की बीमारियों के इलाज से पहले कुछ जांच आवश्यक है जैसे - 

इन सभी टेस्ट के परिणाम के आधार पर इलाज की योजना बनाई जाती है। इलाज के लिए निम्न विकल्पों का प्रयोग किया जाता है - 

  • जीवनशैली में बदलाव: हृदय रोग से पीड़ित कई व्यक्तियों को आहार में बदलाव के साथ व्यायाम को अपने दैनिक जीवन में जोड़ने की सलाह दी जाती है। इसके साथ धूम्रपान बंद करने की भी सलाह दी जाती है। 
  • दवाएं: हृदय रोग के जोखिम कारकों और लक्षणों के इलाज के लिए स्टैटिन (कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं), एंटीप्लेटलेट एजेंट (Antiplatelet Agent), बीटा-ब्लॉकर्स (Beta blockers) और एसीई इनहिबिटर सहित विभिन्न दवाएं दी जा सकती है। 
  • हृदय की प्रक्रियाएं: अधिक गंभीर मामलों में आक्रामक प्रक्रियाएं आवश्यक होती हैं, जिसमें ब्लॉक्ड नसों को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी और स्टेंट लगाना या ब्लॉक नसों के चारों ओर रक्त को फिर से प्रवाहित करने के लिए कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (Coronary Artery Bypass Grafting) शामिल है।
  • इंप्लांटेबल डिवाईस: यदि दिल की धड़कन में लगातार उतार चढ़ाव आता है, तो पेसमेकर या इंप्लांटेबल डिवाईस लगाया जाता है। 

निष्कर्ष -

हृदय रोग पूरे विश्व की एक बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। लेकिन इसके प्रति जागरूकता और सही समय पर उत्तम इलाज इसके प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। स्वस्थ जीवनशैली और समय पर चिकित्सा देखभाल हृदय रोग को गंभीर होने से बचा सकता है और हृदय रोग से संबंधित जटिलताओं को भी खत्म कर सकता है। 

हृदय रोग से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न -

 

हृदय रोग किसके कारण होता है?

हृदय रोग अनेक कारण हैं जैसे - 

  • निष्क्रीय जीवनशैली
  • हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज
  • फैमिली हिस्ट्री
  • जन्म से मौजूद समस्याएं

किसकी अधिकता के कारण हृदय रोग होता है?

कोलेस्ट्रोल, ब्लड प्रेशर और ग्लूकोज लेवल की अधिकता के कारण हृदय रोग की समस्या होती है। 

कोरोनरी हृदय रोग क्या है?

कोरोनरी हृदय रोग दिल की बीमारी का सबसे आम प्रकार है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी आर्टरी (नसें) क्षतिग्रस्त या ब्लॉक हो जाती हैं। आमतौर पर क्षति या रुकावट का कारण प्लाक का जमा होना होता है।

हृदय रोग कितने प्रकार के होते हैं?

हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं, जैसे - 

  • कोरोनरी हृदय रोग - Coronary Heart Disease
  • वाल्वुलर हृदय रोग - Valvular Heart Disease
  • जन्मजात हृदय रोग - Congenital Heart Disease
  • अतालता या दिल की धड़कन में उतार चढ़ाव - Arrhythmia
  • कार्डियोमायोपैथी - Cardiomyopathy

हृदय रोग की रोकथाम कैसे संभव है?

निम्नलिखित उपायों से हृदय रोग की रोकथाम संभव है - 

  • स्वस्थ आहार का सेवन करें
  • नियमित व्यायाम
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
  • धूम्रपान छोड़ें
  • शराब के सेवन को सीमित करें
  • तनाव का प्रबंधन करें
  • ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का प्रबंधन करें

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Sarkar

Dr. Rakesh Sarkar

Senior Consultant Exp: 11 Yr

Cardiology & Electrophysiology

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Dr Rakesh Sarkar is an experienced cardiologist and electrophysiologist associated with BM Birla Heart Research Centre. His expertise lies in doing complex arrhythmia procedures and novel pacing techniques as management of heart failure and arrhythmia. He is a specialist in Atrial Fibrillation, Atrial Flutter, Ventricular Tachycardia, CRT-D, and conduction system pacing in novel pacing techniques.

Dr Rakesh Sarkar has completed his MD in General Medicine from Bankura Sammilani Medical College and DM Cardiology from RG Kar Medical College. He completed his Post Doctoral Fellowship in Cardiac Electrophysiology from Care Hospital.

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