उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और हृदय रोग: क्या संबंध है?

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और हृदय रोग: क्या संबंध है?

Cardiology |by Dr. Anjan Siotia| Published on 03/03/2025

उच्च रक्तचाप, हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर एक एसी स्वास्थ्य समस्या है, जिससे दुनिया भर के लाखों लोग प्रभावित होते हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जो बिना किसी स्पष्ट लक्षण के एक व्यक्ति को प्रभावित करता है। यही कारण है, इस रोग को "साइलेंट किलर" के नाम से भी जाना जाता है। 

उच्च रक्तचाप के शुरुआती मामलों में कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह स्थिति आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे यह हृदय पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकती है। स्वयं को स्वस्थ रखने और गंभीर जटिलताओं को रोकने के लिए हृदय के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है। इस ब्लॉग की मदद से आपको हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग के बीच के संबंध के बारे में पूर्ण जानकारी मिल जाएगी। हालांकि हृदय रोग के संबंध में पूर्ण जानकारी के लिए हम आपको सलाह देंगे कि तुरंत एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।

उच्च रक्तचाप क्या है?

सरल शब्दों में कहा जाए तो ब्लड प्रेशर रक्त का एक ऐसा प्रेशर है, जो सीधे धमनियों की दीवारों पर पड़ता है। आप इस प्रेशर को दो भाग में विभाजित कर सकते हैं - सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर। सिस्टोलिक प्रेशर वह होता है, जब आपका हृदय धड़कता है, और डायस्टोलिक प्रेशर वह है जब आपका हृदय धड़कनों के बीच आराम करता है।

ब्लड प्रेशर एक सीमित स्तर तक ही नॉर्मल रहता है। आमतौर पर 130/80 mmHg से ऊपर की रीडिंग को हाई ब्लड प्रेशर की सूची में गिना जाता है। लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति हमारे शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है, जिसकी वजह से हृदय रोगस्ट्रोक, किडनी फेलियर और दृष्टि हानि जैसी गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

उच्च रक्तचाप और हृदय रोग के बीच संबंध

उच्च रक्तचाप और हृदय रोग के बीच एक मजबूत एवं गहरा संबंध है। चलिए इसे समझते हैं। जब किसी भी व्यक्ति को लंबे समय तक ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, तो धमनियों में मौजूद रक्त का तेज प्रेशर उन धमनियों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके कारण धमनियां कठोर और संकीर्ण हो जाती है, जिससे हृदय में मौजूद ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। 

यह क्षति हृदय रोग का कारण बन सकता है, जैसे कि कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी), दिल की विफलता (हार्ट फेल्योर) और दिल का दौरा (हार्ट अटैक)। हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण हृदय की मांसपेशियां मोटी हो जाती है, जिससे वह अपना सामान्य काम भी नहीं कर पाती हैं। इस स्थिति को चिकित्सा भाषा में हाइपरट्रॉफी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल के कारण धमनियों में प्लाक का निर्माण होता है, जिससे वह संकरी हो जाती है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस के नाम से जाना जाता है। इससे रक्त की पूर्ति नहीं होती है, जो स्ट्रोक या दिल के दौरे जैसी समस्या का कारण भी बन सकता है। 

उच्च रक्तचाप के कारण और जोखिम कारक

हाई ब्लड प्रेशर को दो प्रकारों में बांटा गया है जैसे कि - प्राइमरी और सेकेंडरी हाई ब्लड प्रेशर। प्राइमरी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या कई वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होती है और यह उच्च रक्तचाप का आम प्रकार है। मुख्य रूप से इस प्रकार के रक्तचाप का कारण जेनेटिक्स, पर्यावरण और जीवन शैली कारक का संयोजन होता है। वहीं दूसरी तरफ सेकेंडरी ब्लड प्रेशर, गुर्दे की बीमारी, हार्मोनल विकार या अत्यधिक शराब के सेवन जैसी स्थितियों के कारण उत्पन्न होती है। हाई ब्लड प्रेशर के कई जोखिम कारक होते हैं जैसे कि - 

  • मोटापा हाई ब्लड प्रेशर का एक मुख्य जोखिम कारक है।
  • गतिहीन जीवनशैली के कारण रक्त प्रवाह बहुत तेज हो जाता है, जिससे ब्लड प्रेशर में उतार चढ़ाव आता रहता है।
  • धूम्रपान भी उच्च रक्तचाप का एक मुख्य जोखिम कारक है, क्योंकि धूम्रपान के कारण धमनियों में प्लाक का निर्माण होने लगता है। 
  • आहार में अत्यधिक सोडियम भी शरीर में तरल पदार्थ को बढ़ाता है, जिससे ब्लड प्रेशर भी बहुत बढ़ जाता है।
  • बहुत अधिक शराब का सेवन रक्तचाप को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • बढ़ती उम्र के साथ उच्च रक्तचाप की समस्या विकसित हो सकती है।

उच्च रक्तचाप और हृदय रोग की रोकथाम

उच्च रक्तचाप और हृदय रोग की रोकथाम के लिए आपको कुछ चीजों में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। उच्च रक्तचाप और हृदय रोग की रोकथाम के लिए निम्न उपायों का पालन आप कर सकते हैं - 

  • प्रयास करें कि संतुलित आहार का सेवन करें, और अपने आहार में फल, सब्जियां और होल ग्रेन्स की मात्रा को बढ़ाएं।
  • शारीरिक गतिविधि को बढ़ाएं, वजन कम करें और स्वस्थ रहें। इसके अतिरिक्त अपने तनाव को कम करने का भी नियंत्रित प्रयास करें। इसके लिए आप मेडिटेशन और योग का भी सहारा ले सकते हैं।
  • शराब और धूम्रपान का सेवन सीमित करने से हृदय स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिल सकता है।
  • हर कुछ समय में अपने रक्तचाप की जांच कराते रहें। ऐसा करने से हाई बीपी पर निरंतर निगरानी की जा सकती है।

उच्च रक्तचाप के लिए घरेलू उपचार

हालांकि ऊपर बताए गए टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं, लेकिन कुछ घरेलू उपायों की मदद से आप हाई ब्लड प्रेशर को आसानी से मैनेज कर सकते हैं - 

  • लहसुन: लहसुन रक्त वाहिकाओं में मौजूद ब्लॉकेज को खत्म कर सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाएगा।
  • हिबिस्कस टी: हिबिस्कस टी पीने से रक्तचाप स्वाभाविक रूप से कम होता है।
  • जैतून का तेल: यह तेल हेल्दी फैट से भरपूर है, जिससे आपका हृदय स्वस्थ रहता है और रक्तचाप भी सामान्य रहता है। 
  • पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थ: केले, शकरकंद और पालक जैसे खाद्य पदार्थ की मदद से शरीर में सोडियम के स्तर को आसानी से संतुलित करने में मदद मिल सकती है। 

निष्कर्ष

इस बात में कोई संशय नहीं है कि रक्तचाप हृदय रोग का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, जिसे मैनेज करने से हृदय भी स्वस्थ रह सकता है। इसके कारणों, जोखिम कारकों और लक्षणों की पहचान करके आप इस स्थिति को आसानी से संतुलित कर सकते हैं। हाई बीपी को मैनेज करने के लिए आपको कुछ बातों का खास ख्याल रखना होगा जैसे कि - नियमित निगरानी, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और चिकित्सा मार्गदर्शन प्राप्त करना। हृदय रोग के इलाज में एक अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट आपकी मदद कर सकते हैं, इसलिए बिना देर किए परामर्श लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए आप निम्न कार्यों को कर सकते हैं - 

  • संतुलित आहार अपनाएं
  • जीवनशैली में बदलाव
  • नियमित शारीरिक गतिविधि करें
  • तनाव का प्रबंधन करें
  • शराब का सेवन सीमित करें 
  • धूम्रपान छोड़ें
  • नियमित जांच कराएं

क्या उच्च रक्तचाप का इलाज संभव है?

उच्च रक्तचाप का इलाज संभव नहीं है, लेकिन ऊपर बताए गए उपायों की मदद से इसे आसानी से मैनेज किया जा सकता है।

उच्च रक्तचाप से बचने के लिए क्या आहार लेना चाहिए?

उच्च रक्तचाप से बचने के लिए आपको अपने आहार में फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, लीन प्रोटीन और कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट को शामिल करना चाहिए। 

उच्च रक्तचाप के कारण कौन सी हृदय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं?

उच्च रक्तचाप की स्थिति के कारण कई प्रकार के हृदय रोग की संभावना बनी रहती है जैसे कि - 

  • कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी)
  • हृदय गति का रुकना
  • अतालता (हृदय गति में बदलाव)
  • दिल का दौरा 
  • स्ट्रोक
NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now