कोरोनरी धमनी रोग के कारण, लक्षण और उपचार
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कोरोनरी धमनी रोग के कारण, लक्षण और उपचार

Cardiology | by Dr. Rakesh Sarkar on 29/05/2023

Summary

कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) हृदय रोग का सबसे आम प्रकार है। इसे कभी-कभी कोरोनरी हृदय रोग या इस्केमिक हृदय रोग कहा जाता है। कुछ लोगों के लिए सीएडी का पहला संकेत दिल का दौरा होता है। आप और आपकी स्वास्थ्य देखभाल टीम सीएडी के लिए आपके जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।

हृदय हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यदि हृदय की कार्यक्षमता में किसी भी प्रकार का नुकसान होता है, तो इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) हृदय रोग का सबसे आम प्रकार है। अकेले कोलकाता में ही हर 16 महिलाओं में से एक महिला हृदय रोग से पीड़ित होती है। इस रोग को कोरोनरी आर्टरी डिजीज या इस्केमिक हृदय डिजीज भी कहा जाता है। सीएडी से दिल का दौरा, असामान्य हृदय दर या दिल की विफलता की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस स्थिति के कई उपचार उपलब्ध हैं, जिसके लिए हम आपको एक अच्छे हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह देंगे। 

इस ब्लॉग में कोरोनरी धमनी रोग से संबंधित सभी सामान्य एवं आवश्यक जानकारी मिल जाएगी है, जिसके बारे में हर व्यक्ति को अवश्य पता होना चाहिए। यदि आप हृदय संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या से परेशान हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।

कोरोनरी धमनी रोग क्या है?

कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) दिल के पास की नसों में संकुचन या रुकावट है, जो हमारे हृदय को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि समय के साथ, इन नसों में प्लाक (कोलेस्ट्रॉल सहित) का निर्माण हृदय की मांसपेशियों तक पहुंचने वाले रक्त संचार को बाधित कर देता है।

यहां एक बात समझने वाली है कि कई वर्षों तक सीएडी की समस्या रह सकती है और जब तक आपको दिल का दौरा नहीं पड़ता तब तक इस रोग के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। इसलिए CAD को साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। 

कोरोनरी धमनी रोग के लक्षण

जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि कोरोनरी धमनी रोग एक साइलेंट किलर है और यह एक क्रॉनिक डिजीज भी है, जो धीरे धीरे रोगी के स्वास्थ्य स्थिति को खराब करती है। प्लाक बनने में कई साल, यहां तक कि दशक भी लग जाते हैं। लेकिन जैसे-जैसे धमनियां संकरी होती है, रोगी को हल्के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यह लक्षण दर्शाते हैं कि रोगी का दिल उसके शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अतिरिक्त मेहनत कर रहा है। 

क्रोनिक कोरोनरी धमनी रोग की स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • स्थिर एनजाइना: यह सबसे आम लक्षण है। स्थिर एनजाइना एक प्रकार का सीने में दर्द है, जो तब उत्पन्न होता है, जब आपके हृदय की मांसपेशियों को सामान्य से अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है लेकिन हृदय रोग के कारण उस समय ऑक्सीजन हृदय तक नहीं पहुंच पाता है। 
  • सांस की तकलीफ (डिस्पनिया): कुछ लोगों को हल्की शारीरिक गतिविधि के दौरान सांस लेने में तकलीफ महसूस हो सकती है।
  • दिल का दौरा: कुछ मामलों में सीएडी का पहला लक्षण दिल का दौरा पड़ना भी होता है। 

इन लक्षणों के साथ सीने पर भारीपन, जकड़न, दबाव, दर्द, जलन, सुन्नता, या धीरे-धीरे दर्द होना जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं। बेचैनी कंधे, बांह, गर्दन, पीठ या जबड़े तक भी फैल सकती है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं जैसे - 

  • सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ होना
  • चक्कर आना
  • घबराहट महसूस होना
  • कमजोरी आना
  • थकान महसूस होना
  • मतली, पेट में परेशानी या उल्टी होना
  • अपच जैसा महसूस होना

कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम

अधिक वजन, शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर भोजन, तंबाकू और धूम्रपान सीएडी के जोखिम कारक है। हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास भी सीएडी के लिए जोखिम को बढ़ाता है। विशेष रूप से कम उम्र (50 या उससे कम) में हृदय रोग होने का पारिवारिक इतिहास बहुत अहम कारक साबित होता है।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज के जोखिम कारक का पता लगाने के लिए, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अक्सर रक्तचाप, रक्त कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को मापते हैं।

कोरोनरी धमनी रोग कैसे होता है?

सीएडी धमनियों की दीवारों में प्लाक बिल्डअप के कारण होता है, जो हृदय (मुख्य रूप से) और शरीर के अन्य भागों में रक्त की आपूर्ति करता है। धमनी में कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों के जमा होने से प्लाक का निर्माण होता है। प्लाक के निर्माण के कारण समय के साथ धमनियों का अंदरूनी भाग संकीर्ण हो जाता है, जो आंशिक या पूरी तरह से रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है। इस प्रक्रिया को एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है।

कई स्थितियां या जीवनशैली की आदतें प्लाक के निर्माण का कारण बन सकती हैं जैसे - 

कुछ लोगों में कोरोनरी धमनी रोग के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। सीएडी के निम्नलिखित जोखिम कारक होते हैं - 

  • पुरुषों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।
  • 65 या उससे अधिक उम्र के लोग इस रोग से अधिक पीड़ित होते हैं।
  • नींद की लगातार कमी
  • कोरोनरी धमनी रोग का पारिवारिक इतिहास
  • लंबे समय तक तनाव की समस्या
  • नींद में समस्या

कोरोनरी धमनी रोग शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

कोरोनरी धमनी रोग की मुख्य जटिलता दिल का दौरा है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिससे जान का खतरा अधिक होता है। इसमें हृदय की मांसपेशियां धीरे-धीरे मरने लगती हैं, क्योंकि उसे पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है। अपने हृदय में रक्त के प्रवाह को बहाल करने और अपने जीवन को बचाने के लिए आपको तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

क्रॉनिक कोरोनरी धमनी रोग दिल को कमजोर कर सकता है और बहुत सारी जटिलताओं को जन्म दे सकता है। निम्न जटिलताएं अनुपचारित सीएडी या फिर क्रॉनिक कोरोनरी धमनी रोग के कारण उत्पन्न हो सकती हैं - 

कोरोनरी धमनी की बीमारी की रोकथाम

यदि कोरोनरी धमनी रोग का निदान हुआ है, तो रोगी को सबसे पहले जोखिम कारकों को कम करने या स्थिति नियंत्रित करने के लिए कोरोनरी धमनी की बीमारी की रोकथाम पर विचार करना चाहिए। 

रोकथाम रोगी के वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति, जोखिम कारकों और समग्र स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए यदि रोगी उच्च कोलेस्ट्रॉल या उच्च रक्तचाप की समस्या से पीड़ित है, तो सबसे पहले उनके स्तर को नियंत्रित करने का प्रयास करें। यदि आप डॉक्टर के पास जाते हैं, तो वह कुछ दवाओं का सुझाव दे सकते हैं जिससे आपको बहुत लाभ मिलेगा। इसके साथ मधुमेह का होना एक हानिकारक स्थिति बन जाएगी, जिसके लिए आपको उचित उपचार की आवश्यकता है। 

कोरोनरी धमनी रोग के लिए दवाएं सबसे आम उपचार है। जीवनशैली में बदलाव आपके हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को भी कम कर सकते हैं। निम्नलिखित स्वस्थ आदतों को अपनाने से सीएडी की रोकथाम में बहुत लाभ मिलेगा - 

  • धूम्रपान और तंबाकू छोड़ें
  • शराब का सेवन कम करें या बंद करें
  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • प्राकृतिक रूप से वजन कम करें
  • स्वस्थ आहार का सेवन करना

कोरोनरी धमनी रोग का उपचार

यदि जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो डॉक्टर आपके हृदय में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए निम्न में से किसी एक प्रक्रिया का सुझाव दे सकते हैं - 

  • बैलून एंजियोप्लास्टी: अवरुद्ध नसों को चौड़ा करने और जमे हुए प्लाक को हटाने के लिए स्टेंट डाला जाता है। इसमें कैथेटर नामक एक लंबी, पतली ट्यूब का उपयोग किया जाता है, जिसके सिरे पर एक छोटा गुब्बारा होता है। इससे नसों में ब्लॉकेज को खोलने में मदद मिलती है। 
  • कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट सर्जरी: ओपन चेस्ट सर्जरी में हृदय में रक्त के प्रवाह को बहाल करने के लिए इस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।

इन दो सर्जरी के बाद डॉक्टर कार्डियक रिहैब या रिकवरी का सुझाव देते हैं। सर्जरी के बाद रिकवरी की गतिविधि शुरू होती है और जैसे ही रोगी चलने फिरने लगता है, तो उसके बाद रिहैब की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या कोरोनरी हृदय रोग ठीक हो सकता है?

कोरोनरी हृदय रोग को हमेशा के लिए ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन उपचार की मदद से लक्षणों को प्रबंधित करने और दिल के दौरे जैसी समस्याओं की संभावना को कम किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव, जैसे नियमित व्यायाम और धूम्रपान बंद करने से लंबे समय तक आप स्वस्थ रह सकते हैं।

कोरोनरी धमनी रोग सबसे ज्यादा किसे होती है?

अधिक वजन, शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर भोजन, तंबाकू और धूम्रपान कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम कारक हैं। 

आप कब तक कोरोनरी हृदय रोग के साथ जीवित रह सकते हैं?

कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) का इलाज संभव है, लेकिन इसका कोई स्थाई इलाज नहीं है। इसका मतलब है कि एक बार सीएडी का निदान हो जाने के बाद, आपको इसके साथ जीना सीखना होगा। अपने जोखिम कारकों को कम करके आप इस समस्या के होने के बावजूद भी एक पूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं। इसके लिए आप हमारे हृदय रोग विशेषज्ञ से भी मिल सकते हैं।

क्या सीएडी अनुवांशिक है?

आंशिक रूप से सीएडी एक ऐसा रोग है, जिसका जोखिम कारक इस रोग की फैमिली हिस्ट्री है। हालांकि कई मामलों में देखा गया है कि सीएडी की फैमिली हिस्ट्री होने के बावजूद भी लोगों को यह समस्या नहीं होती है।

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Sarkar

Dr. Rakesh Sarkar

Senior Consultant Exp: 11 Yr

Cardiology & Electrophysiology

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Dr Rakesh Sarkar is an experienced cardiologist and electrophysiologist associated with BM Birla Heart Research Centre. His expertise lies in doing complex arrhythmia procedures and novel pacing techniques as management of heart failure and arrhythmia. He is a specialist in Atrial Fibrillation, Atrial Flutter, Ventricular Tachycardia, CRT-D, and conduction system pacing in novel pacing techniques.

Dr Rakesh Sarkar has completed his MD in General Medicine from Bankura Sammilani Medical College and DM Cardiology from RG Kar Medical College. He completed his Post Doctoral Fellowship in Cardiac Electrophysiology from Care Hospital.

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