कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) हृदय रोग का सबसे आम प्रकार है। इसे कभी-कभी कोरोनरी हृदय रोग या इस्केमिक हृदय रोग कहा जाता है। कुछ लोगों के लिए सीएडी का पहला संकेत दिल का दौरा होता है। आप और आपकी स्वास्थ्य देखभाल टीम सीएडी के लिए आपके जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।
हृदय हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यदि हृदय की कार्यक्षमता में किसी भी प्रकार का नुकसान होता है, तो इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) हृदय रोग का सबसे आम प्रकार है। अकेले कोलकाता में ही हर 16 महिलाओं में से एक महिला हृदय रोग से पीड़ित होती है। इस रोग को कोरोनरी आर्टरी डिजीज या इस्केमिक हृदय डिजीज भी कहा जाता है। सीएडी से दिल का दौरा, असामान्य हृदय दर या दिल की विफलता की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस स्थिति के कई उपचार उपलब्ध हैं, जिसके लिए हम आपको एक अच्छे हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह देंगे।
इस ब्लॉग में कोरोनरी धमनी रोग से संबंधित सभी सामान्य एवं आवश्यक जानकारी मिल जाएगी है, जिसके बारे में हर व्यक्ति को अवश्य पता होना चाहिए। यदि आप हृदय संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या से परेशान हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।
कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) दिल के पास की नसों में संकुचन या रुकावट है, जो हमारे हृदय को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि समय के साथ, इन नसों में प्लाक (कोलेस्ट्रॉल सहित) का निर्माण हृदय की मांसपेशियों तक पहुंचने वाले रक्त संचार को बाधित कर देता है।
यहां एक बात समझने वाली है कि कई वर्षों तक सीएडी की समस्या रह सकती है और जब तक आपको दिल का दौरा नहीं पड़ता तब तक इस रोग के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। इसलिए CAD को साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है।
जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि कोरोनरी धमनी रोग एक साइलेंट किलर है और यह एक क्रॉनिक डिजीज भी है, जो धीरे धीरे रोगी के स्वास्थ्य स्थिति को खराब करती है। प्लाक बनने में कई साल, यहां तक कि दशक भी लग जाते हैं। लेकिन जैसे-जैसे धमनियां संकरी होती है, रोगी को हल्के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यह लक्षण दर्शाते हैं कि रोगी का दिल उसके शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अतिरिक्त मेहनत कर रहा है।
क्रोनिक कोरोनरी धमनी रोग की स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं -
इन लक्षणों के साथ सीने पर भारीपन, जकड़न, दबाव, दर्द, जलन, सुन्नता, या धीरे-धीरे दर्द होना जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं। बेचैनी कंधे, बांह, गर्दन, पीठ या जबड़े तक भी फैल सकती है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं जैसे -
अधिक वजन, शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर भोजन, तंबाकू और धूम्रपान सीएडी के जोखिम कारक है। हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास भी सीएडी के लिए जोखिम को बढ़ाता है। विशेष रूप से कम उम्र (50 या उससे कम) में हृदय रोग होने का पारिवारिक इतिहास बहुत अहम कारक साबित होता है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज के जोखिम कारक का पता लगाने के लिए, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अक्सर रक्तचाप, रक्त कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को मापते हैं।
सीएडी धमनियों की दीवारों में प्लाक बिल्डअप के कारण होता है, जो हृदय (मुख्य रूप से) और शरीर के अन्य भागों में रक्त की आपूर्ति करता है। धमनी में कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों के जमा होने से प्लाक का निर्माण होता है। प्लाक के निर्माण के कारण समय के साथ धमनियों का अंदरूनी भाग संकीर्ण हो जाता है, जो आंशिक या पूरी तरह से रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है। इस प्रक्रिया को एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है।
कई स्थितियां या जीवनशैली की आदतें प्लाक के निर्माण का कारण बन सकती हैं जैसे -
कुछ लोगों में कोरोनरी धमनी रोग के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। सीएडी के निम्नलिखित जोखिम कारक होते हैं -
कोरोनरी धमनी रोग की मुख्य जटिलता दिल का दौरा है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिससे जान का खतरा अधिक होता है। इसमें हृदय की मांसपेशियां धीरे-धीरे मरने लगती हैं, क्योंकि उसे पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है। अपने हृदय में रक्त के प्रवाह को बहाल करने और अपने जीवन को बचाने के लिए आपको तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
क्रॉनिक कोरोनरी धमनी रोग दिल को कमजोर कर सकता है और बहुत सारी जटिलताओं को जन्म दे सकता है। निम्न जटिलताएं अनुपचारित सीएडी या फिर क्रॉनिक कोरोनरी धमनी रोग के कारण उत्पन्न हो सकती हैं -
यदि कोरोनरी धमनी रोग का निदान हुआ है, तो रोगी को सबसे पहले जोखिम कारकों को कम करने या स्थिति नियंत्रित करने के लिए कोरोनरी धमनी की बीमारी की रोकथाम पर विचार करना चाहिए।
रोकथाम रोगी के वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति, जोखिम कारकों और समग्र स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए यदि रोगी उच्च कोलेस्ट्रॉल या उच्च रक्तचाप की समस्या से पीड़ित है, तो सबसे पहले उनके स्तर को नियंत्रित करने का प्रयास करें। यदि आप डॉक्टर के पास जाते हैं, तो वह कुछ दवाओं का सुझाव दे सकते हैं जिससे आपको बहुत लाभ मिलेगा। इसके साथ मधुमेह का होना एक हानिकारक स्थिति बन जाएगी, जिसके लिए आपको उचित उपचार की आवश्यकता है।
कोरोनरी धमनी रोग के लिए दवाएं सबसे आम उपचार है। जीवनशैली में बदलाव आपके हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को भी कम कर सकते हैं। निम्नलिखित स्वस्थ आदतों को अपनाने से सीएडी की रोकथाम में बहुत लाभ मिलेगा -
यदि जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो डॉक्टर आपके हृदय में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए निम्न में से किसी एक प्रक्रिया का सुझाव दे सकते हैं -
इन दो सर्जरी के बाद डॉक्टर कार्डियक रिहैब या रिकवरी का सुझाव देते हैं। सर्जरी के बाद रिकवरी की गतिविधि शुरू होती है और जैसे ही रोगी चलने फिरने लगता है, तो उसके बाद रिहैब की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
कोरोनरी हृदय रोग को हमेशा के लिए ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन उपचार की मदद से लक्षणों को प्रबंधित करने और दिल के दौरे जैसी समस्याओं की संभावना को कम किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव, जैसे नियमित व्यायाम और धूम्रपान बंद करने से लंबे समय तक आप स्वस्थ रह सकते हैं।
अधिक वजन, शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर भोजन, तंबाकू और धूम्रपान कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम कारक हैं।
कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) का इलाज संभव है, लेकिन इसका कोई स्थाई इलाज नहीं है। इसका मतलब है कि एक बार सीएडी का निदान हो जाने के बाद, आपको इसके साथ जीना सीखना होगा। अपने जोखिम कारकों को कम करके आप इस समस्या के होने के बावजूद भी एक पूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं। इसके लिए आप हमारे हृदय रोग विशेषज्ञ से भी मिल सकते हैं।
आंशिक रूप से सीएडी एक ऐसा रोग है, जिसका जोखिम कारक इस रोग की फैमिली हिस्ट्री है। हालांकि कई मामलों में देखा गया है कि सीएडी की फैमिली हिस्ट्री होने के बावजूद भी लोगों को यह समस्या नहीं होती है।
Written and Verified by:
Dr Rakesh Sarkar is an experienced cardiologist and electrophysiologist associated with BM Birla Heart Research Centre. His expertise lies in doing complex arrhythmia procedures and novel pacing techniques as management of heart failure and arrhythmia. He is a specialist in Atrial Fibrillation, Atrial Flutter, Ventricular Tachycardia, CRT-D, and conduction system pacing in novel pacing techniques.
Dr Rakesh Sarkar has completed his MD in General Medicine from Bankura Sammilani Medical College and DM Cardiology from RG Kar Medical College. He completed his Post Doctoral Fellowship in Cardiac Electrophysiology from Care Hospital.
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