बार-बार CABG और एंजियोप्लास्टी: जोखिम और वास्तविकताएं
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बार-बार CABG और एंजियोप्लास्टी: जोखिम और वास्तविकताएं

Cardiology | by Dr. Rakesh Sarkar on 12/12/2024

Summary

कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग या CABG एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें ब्लॉक धमनियों में बाईपास सर्जरी करके ग्राफ्ट लगाया जाता है, जिसकी मदद से हृदय में रक्त के प्रवाह के लिए एक नया मार्ग बन जाता है। कई बार यह सर्जरी किसी दूसरी सर्जरी के लिए की जाती है। 

वहीं दूसरी तरफ एंजियोप्लास्टी एक मिनिमल इनवेसिव तकनीक है, जिसमें ब्लॉक धमनियों को खोलने के लिए एक कैथेटर डाला जाता है और उसे गुब्बारे की तरह फुलाया जाता है। जैसे ही धमनी खुल जाती है, इसके बाद स्टेंट लगाने की प्रक्रिया को किया जाता है।

हम सभी जानते हैं कि दुनिया भर में हृदय रोग मृत्यु का एक मुख्य कारण है, लेकिन उसमें से कोरोनरी धमनी रोग (CAD) से जान गंवाने वाले पेशेंट की संख्या बहुत ज्यादा है। वहीं दूसरी तरफ CABG (कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग) और एंजियोप्लास्टी (परक्यूटीनियस कोरोनरी इंटरवेंशन) जैसे आधुनिक उपचार ने कई लोगों की जान भी बचाई है। लेकिन एक सवाल अक्सर पूछा जाता है कि इस प्रक्रिया का बार-बार होना क्या आपके लिए सही है? क्या बार-बार CABG और एंजियोप्लास्टी होना आपके लिए सुरक्षित है?

चलिए जानते हैं! लेकिन हृदय संबंधित किसी भी समस्या के इलाज के लिए हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे या किसी भी अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें। 

CABG और एंजियोप्लास्टी: क्या अंतर है?

कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग या CABG एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें ब्लॉक धमनियों में बाईपास सर्जरी करके ग्राफ्ट लगाया जाता है, जिसकी मदद से हृदय में रक्त के प्रवाह के लिए एक नया मार्ग बन जाता है। कई बार यह सर्जरी किसी दूसरी सर्जरी के लिए की जाती है। 

वहीं दूसरी तरफ एंजियोप्लास्टी एक मिनिमल इनवेसिव तकनीक है, जिसमें ब्लॉक धमनियों को खोलने के लिए एक कैथेटर डाला जाता है और उसे गुब्बारे की तरह फुलाया जाता है। जैसे ही धमनी खुल जाती है, इसके बाद स्टेंट लगाने की प्रक्रिया को किया जाता है।

दोनों ही प्रक्रिया कोरोनरी धमनी रोग (CAD) के इलाज में सक्षम है। लेकिन दोनों में ही कुछ बातें अलग है जैसे कि सर्जरी करने के तरीके, कितना कट लगाया जाता है, रिकवरी में लगने वाला समय और लंबे समय तक दिखने वाले परिणाम।

बार-बार CABG और एंजियोप्लास्टी कितनी आम है?

यदि किसी भी रोगी को बार-बार CABG और एंजियोप्लास्टी का सुझाव दिया जा रहा है, तो यह कोई आम स्थिति नहीं है। कुछ मामलों में यह सामने आया है कि कुछ विशेष कारणों से ही इन दोनों प्रक्रियाओं को बार-बार करने की आवश्यकता पड़ती है। 

विशेषज्ञों की मानें तो सभी मामलों में से लगभग 10-20% रोगियों को बार-बार एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता पड़ती है और वहीं दूसरी तरफ लगभग 5-10% लोगों को अगले दस वर्षों के भीतर दूसरी CABG सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। 

दोहराए गए CABG या एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता कब होती है?

CABG या एंजियोप्लास्टी की फिर से आवश्यकता कई मामलों में पड़ती है जैसे कि - 

  • बार-बार छाती में दर्द (एनजाइना):यदि सर्जरी के बाद भी बार-बार सीने में दर्द हो रहा है, तो हो सकता है कि हृदय तक रक्त पहुंचने में अभी भी बाधा उत्पन्न हो रही है। इसके लिए हम स्थिति के आधार पर CABG या एंजियोप्लास्टी का सुझाव देते हैं। 
  • कोरोनरी धमनी रोग की प्रगति: हो सकता है कि जिस धमनी की सर्जरी पहले हो गई हो, उसके बाद दूसरी धमनियों में रुकावट आ जाए। इसके लिए फिर से सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ सकती है। 
  • रेस्टेनोसिस (उपचारित धमनियों का संकुचित होना): यह CABG या एंजियोप्लास्टी की एक जटिलता है। मुख्य रूप से एंजियोप्लास्टी में यह समस्या फिर से उत्पन्न हो सकती है। इससे बचने के लिए एंजियोप्लास्टी के वैकल्पिक उपचार की आवश्यकता होती है। 
  • सीएबीजी के बाद ग्राफ्ट विफलता: कई बार देखा गया है कि CABG के बाद लगाए गए ग्राफ्ट विफल हो जाते हैं। ऐसा होने के पीछे का मुख्य कारण है, ग्राफ्ट में समय के साथ रक्त के थक्के, निशान या फैट का जमा हो जाना। 
  • हार्ट अटैक या एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (ACS): कुछ मामलों में पहली सर्जरी के तुरंत बाद ही पेशेंट को हार्ट अटैक या एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (ACS) के लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जो कि एक और मुख्य जटिलता है। इस स्थिति में रक्त प्रवाह को फिर से बहाल करने के लिए एंजियोप्लास्टी या CABG को फिर से दोहराया जाता है।
  • सर्जरी से सकारात्मक परिणाम न आना: ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखा गया है कि सर्जरी के बाद स्थिति में सुधार न हो। ऐसा हो सकता है कि जिस सर्जन ने सर्जरी की, उसने सभी ब्लॉकेज को न खोला हो इस स्थिति में भी सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। 
  • स्टेंट की जटिलताएं: बहुत ही कम मामलों में ऐसा देखा गया है कि एंजियोप्लास्टी के बाद स्टेंट माइग्रेशन, फ्रैक्चर या गलत स्थिति जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह एक आम जटिलता है, जिसके लिए फिर से सर्जरी की आवश्यकता होती है। 
  • अन्य हृदय समस्याएं: हो सकता है कि कोरोनरी धमनी रोग ठीक हो जाए, लेकिन किसी दूसरी समस्या के कारण अन्य धमनियां भी ब्लॉक हो सकती हैं, जिससे रक्त प्रवाह में बाधा आ जाएगी। 

इन सभी कारणों से इस सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। इस स्थिति में सबसे जरूरी है कि आप अपने सर्जन की बात माने और उनके दिए गए निर्देशों का सही से पालन करें। 

बार-बार प्रक्रियाओं की जटिलताएं और जोखिम

सभी सर्जरी में किसी न किसी प्रकार का जोखिम और जटिलता होती ही है। वहीं जब CABG और एंजियोप्लास्टी को फिर से दोहराया जाता है, तो यह कुछ जोखिम और जटिलताओं के साथ आता है, जिसको निर्णय लेते समय जरूर ध्यान में रखना चाहिए जैसे कि - 

CABG के जोखिम:

  • रिकवरी में अधिक समय का लगना।
  • संक्रमण होने की अधिक संभावना होना।
  • वृद्ध लोगों को अधिक समस्या होना।
  • सर्जरी के दौरान स्ट्रोक या दिल के दौरा जैसी जटिलताएं होना।

एंजियोप्लास्टी के जोखिम:

  • स्टेंट थ्रोम्बोसिस या रेस्टेनोसिस।
  • कैथेटर लगाने वाले क्षेत्र से रक्त हानि।
  • कोरोनरी धमनी को किसी भी प्रकार का नुकसान होना।

इस बात में कोई संक्षय नहीं है कि दोहराई जाने वाली प्रक्रियाओं में जटिलता बढ़ जाती है, क्योंकि जब यह सर्जरी पहली बार की जाती होगी, तो इसमें ही कई जटिलताएं उत्पन्न हो जाती है। 

CABG और एंजियोप्लास्टी के बाद जीवन पर प्रभाव

CABG और एंजियोप्लास्टी चाहे पहली बार हो या बार-बार, सर्जरी के बाद के जीवन में कई बदलाव आते हैं। सर्जरी के बाद नियमित परामर्श, जीवनशैली और दैनिक जीवन में बदलाव जैसे कई पहलुओं का खास ध्यान रखना होगा। CABG और एंजियोप्लास्टी के बाद जीवन पर निम्न प्रभाव आएंगे - 

  • रिकवरी के समय के दौरान अपना ख्याल अच्छे से रखें और सिर्फ आराम करें। 
  • हो सकता है कि इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़े, लेकिन इससे बचने के लिए विशेषज्ञों की सहायता ज़रूर लें। 
  • कुछ दवाएं आपको पहले से ही दी जाएगी, जिसको समय पर खाएं।

जीवनशैली में बदलाव के साथ रोकथाम

आपको अपने जीवन में निम्न बदलाव लाने होंगे - 

  • अपने आहार में ताजे फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन और होल ग्रेन्स को शामिल करें और एक हृदय स्वस्थ आहार का पालन करें।
  • इसमें नियमित व्यायाम आपकी मदद कर सकते हैं और हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट का व्यायाम करने का लक्ष्य बनाएं। 
  • धूम्रपान और शराब के कारण कोरोनरी धमनी रोग हो सकता है, इसलिए इसे बिल्कुल बंद कर दें। 
  • तनाव को कम करें। इसे करने में योग, मेडिटेशन और हैप्पीनेस प्रोग्राम आपकी मदद कर सकते हैं। 
  • कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और ग्लूकोज के स्तर की नियमित जांच बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। 

निष्कर्ष

यदि रोगी को किसी भी प्रकार के लक्षण जैसे कि एनजाइना या सांस की तकलीफ हो या फिर मधुमेह का कंट्रोल में न होना या किडनी का सही से कार्य न करना, तो तुरंत एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज के विकल्पों पर बात करें। इसलिए बिना किसी भी स्थिति को नजरअंदाज किए, लक्षण दिखने पर तुरंत एक अच्छे एवं अनुभवी डॉक्टर से परामर्श लें और इलाज के सभी विकल्पों पर बात करें। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न


क्या दोहराए गए एंजियोप्लास्टी या CABG सुरक्षित हैं?

हां, अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा किए जाने पर दोनों सर्जरी आम तौर पर सुरक्षित होते हैं, हालांकि प्रारंभिक प्रक्रियाओं की तुलना में जोखिम अधिक होता है।

मैं दोहराए गए प्रक्रियाओं से कैसे बच सकता हूं?

जीवनशैली में बदलाव, समय पर दवा खाना और CAD के प्रति नियमित निगरानी आपको फिर से होने वाली सर्जरी से बचने में मदद मिलेगी।

CABG या एंजियोप्लास्टी में से कौन बेहतर है?

इस प्रश्न का उत्तर रुकावटों की सीमा, आयु और स्वास्थ्य स्थिति जैसे व्यक्तिगत कारकों पर निर्भर करता है। व्यक्तिगत सलाह के लिए अपने हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Sarkar

Dr. Rakesh Sarkar

Senior Consultant Exp: 11 Yr

Cardiology & Electrophysiology

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Dr Rakesh Sarkar is an experienced cardiologist and electrophysiologist associated with BM Birla Heart Research Centre. His expertise lies in doing complex arrhythmia procedures and novel pacing techniques as management of heart failure and arrhythmia. He is a specialist in Atrial Fibrillation, Atrial Flutter, Ventricular Tachycardia, CRT-D, and conduction system pacing in novel pacing techniques.

Dr Rakesh Sarkar has completed his MD in General Medicine from Bankura Sammilani Medical College and DM Cardiology from RG Kar Medical College. He completed his Post Doctoral Fellowship in Cardiac Electrophysiology from Care Hospital.

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