मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के बीच का संबंध
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मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के बीच का संबंध

Cardiology | by Dr. Rakesh Sarkar on 29/07/2024

Summary

मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल, यह दोनों ऐसी बीमारियां है, जो वर्तमान में बहुत लोगों को परेशान कर रही है। इसके कारण शरीर खोखला हो रहा है, जिससे कई गंभीर बीमारी एक व्यक्ति को परेशान कर रही है। मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के बीच का संबंध बहुत स्पष्ट है, जिसे हम इस ब्लॉग की मदद से समझने वाले हैं।

मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल, यह दोनों ऐसी बीमारियां है, जो वर्तमान में बहुत लोगों को परेशान कर रही है। इसके कारण शरीर खोखला हो रहा है, जिससे कई गंभीर बीमारी एक व्यक्ति को परेशान कर रही है। मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के बीच का संबंध बहुत स्पष्ट है, जिसे हम इस ब्लॉग की मदद से समझने वाले हैं। 

मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल क्या है?

मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर ग्लूकोज को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। ग्लूकोज का कार्य शरीर में ऊर्जा प्रदान करना है, लेकिन जब इसका स्तर एक लिमिट से ज्यादा या कम होता है. तो इसके कारण मधुमेह की समस्या होती है। 

वहीं दूसरी तरफ कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का फैट है, जो हमारे शरीर में ही मौजूद होता है। यह हमारे शरीर के लिए जरूरी है, लेकिन बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है। इन दोनों के बीच एक गहरा संबंध है, जिसके बारे में हमने इस ब्लॉग में बात भी की है। 

मधुमेह के प्रकार

मुख्य रूप से मधुमेह दो प्रकार के होते हैं - 

  • टाइप 1 मधुमेह: इस प्रकार के मधुमेह में शरीर बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बना पाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जिसकी मदद से ग्लूकोज हमारे शरीर के कार्य आता है। 
  • टाइप 2 मधुमेह: इस प्रकार के मधुमेह में शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाती हैं।

कोलेस्ट्रॉल के प्रकार?

मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं - 

  • एचडीएल (HDL) कोलेस्ट्रॉल: इसे आप गुड कोलेस्ट्रॉल भी कह सकते हैं, जिससे शरीर में मौजूद अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल शरीर से बाहर निकल जाता है। 
  • एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल: इसे 'बैड' कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह धमनियों में जमने लग जाता है और इसी के कारण हृदय रोग का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।

इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल के अन्य प्रकार भी होते हैं जैसे ट्राइग्लिसराइड्स और वीएलडीएल (बहुत कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन) जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी प्रभावित करते हैं।

मधुमेह का कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर प्रभाव

मधुमेह के रोगियों में अक्सर हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने का खतरा लगातार बना रहता है। इसके पीछे का संभावित कारण है शारीरिक बदलाव। हाई ब्लड शुगर के कारण शरीर में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं, जिसमें कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर एक सामान्य बदलाव है।

मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के बीच संबंध और उनका हृदय पर प्रभाव

जैसा कि हम आपको शुरू से ही बोलते आ रहे हैं कि मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल का संबंध बहुत गहरा है। चलिए इसे समझते हैं। मधुमेह के कारण शरीर में इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता है, जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। वहीं दूसरी तरफ हाई ब्लड शुगर का स्तर 'बैड' कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाता है और 'गुड' कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को कम करता है, जो कि एक हानिकारक स्थिति है। 

हाई कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमने लगता है, जिसके कारण धमनियां संकरी हो जाती है। अंततः इसके कारण रक्त प्रवाह में भी बाधा उत्पन्न होती है। वहीं दूसरी तरफ मधुमेह धमनियों को नुकसान पहुंचाती है। इन दोनों के कारण हृदय तक रक्त और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है। यह दिल का दौरा, स्ट्रोक और अन्य हृदय रोग के खतरे को भी बढ़ा सकता है।

मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन के लिए जीवनशैली में बदलाव

निम्न जीवनशैली में बदलाव की मदद से इन दोनों ही कारकों को नियंत्रित किया जा सकता है - 

  • अपने आहार में फाइबर की मात्रा को बढ़ाएं जैसे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज। इसके अतिरिक्त सैचुरेटेड और ट्रांस फैट को अपने आहार से दूर रखें। 
  • नियमित व्यायाम ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का व्यायाम आपके सेहत में सुधार कर सकता है। 
  • वजन को नियंत्रित करें और एक स्वस्थ बीएमआई को बनाए रखें। इससे मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्या से बचने में मदद मिलती है। 
  • धूम्रपान हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है, इसलिए इससे दूरी बनाएं। 
  • तनाव को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन या स्ट्रेस बस्टर का उपयोग करें।
  • खाना खाने के तुरंत बाद सोने से बचें। प्रयास करें कि आप रोजाना सुबह और शाम वॉक पर जाएं। 

चिकित्सा प्रबंधन

दोनों ही कारकों में जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ कुछ चिकित्सा प्रबंधन टिप्स भी कारगर साबित होते हैं जैसे कि - 

  • ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं भी दी जा सकती हैं।
  • टाइप 1 मधुमेह के इंसुलिन लेना पड़ता है।

निष्कर्ष

मधुमेह और हाई कोलेस्ट्रॉल अक्सर एक साथ हो सकते हैं, लेकिन दोनों स्थितियों को आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। मधुमेह होने पर स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें और अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर की निगरानी भी करें। इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह के लक्षणों पर नजर रखें। यदि आप किसी भी लक्षण का सामना कर रहे हैं तो कोलकाता में कार्डियोलॉजी डॉक्टर से परामर्श करना सुनिश्चित करें और उपचार के बारे में बात करें।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के बीच क्या संबंध है? 

मधुमेह होने पर शरीर में इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता, जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। यह 'बैड' कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकता है और गुड़' कोलेस्ट्रॉल कम कर सकता है।

क्या मधुमेह के मरीजों को कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए? 

जी हां, मधुमेह के मरीजों को नियमित रूप से कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए क्योंकि मधुमेह होने पर हृदय रोग का खतरा लगातार बना रहता है।

मधुमेह में उच्च कोलेस्ट्रॉल के लक्षण क्या है?

आमतौर पर हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए नियमित जांच कराना जरूरी है। हालांकि, कुछ मामलों में सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Sarkar

Dr. Rakesh Sarkar

Senior Consultant Exp: 4 Yr

Cardiology & Electrophysiology

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