मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल, यह दोनों ऐसी बीमारियां है, जो वर्तमान में बहुत लोगों को परेशान कर रही है। इसके कारण शरीर खोखला हो रहा है, जिससे कई गंभीर बीमारी एक व्यक्ति को परेशान कर रही है। मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के बीच का संबंध बहुत स्पष्ट है, जिसे हम इस ब्लॉग की मदद से समझने वाले हैं।
मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर ग्लूकोज को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। ग्लूकोज का कार्य शरीर में ऊर्जा प्रदान करना है, लेकिन जब इसका स्तर एक लिमिट से ज्यादा या कम होता है. तो इसके कारण मधुमेह की समस्या होती है।
वहीं दूसरी तरफ कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का फैट है, जो हमारे शरीर में ही मौजूद होता है। यह हमारे शरीर के लिए जरूरी है, लेकिन बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है। इन दोनों के बीच एक गहरा संबंध है, जिसके बारे में हमने इस ब्लॉग में बात भी की है।
मुख्य रूप से मधुमेह दो प्रकार के होते हैं -
मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं -
इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल के अन्य प्रकार भी होते हैं जैसे ट्राइग्लिसराइड्स और वीएलडीएल (बहुत कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन) जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी प्रभावित करते हैं।
मधुमेह के रोगियों में अक्सर हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने का खतरा लगातार बना रहता है। इसके पीछे का संभावित कारण है शारीरिक बदलाव। हाई ब्लड शुगर के कारण शरीर में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं, जिसमें कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर एक सामान्य बदलाव है।
जैसा कि हम आपको शुरू से ही बोलते आ रहे हैं कि मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल का संबंध बहुत गहरा है। चलिए इसे समझते हैं। मधुमेह के कारण शरीर में इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता है, जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। वहीं दूसरी तरफ हाई ब्लड शुगर का स्तर 'बैड' कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाता है और 'गुड' कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को कम करता है, जो कि एक हानिकारक स्थिति है।
हाई कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमने लगता है, जिसके कारण धमनियां संकरी हो जाती है। अंततः इसके कारण रक्त प्रवाह में भी बाधा उत्पन्न होती है। वहीं दूसरी तरफ मधुमेह धमनियों को नुकसान पहुंचाती है। इन दोनों के कारण हृदय तक रक्त और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है। यह दिल का दौरा, स्ट्रोक और अन्य हृदय रोग के खतरे को भी बढ़ा सकता है।
निम्न जीवनशैली में बदलाव की मदद से इन दोनों ही कारकों को नियंत्रित किया जा सकता है -
चिकित्सा प्रबंधन
दोनों ही कारकों में जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ कुछ चिकित्सा प्रबंधन टिप्स भी कारगर साबित होते हैं जैसे कि -
मधुमेह और हाई कोलेस्ट्रॉल अक्सर एक साथ हो सकते हैं, लेकिन दोनों स्थितियों को आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। मधुमेह होने पर स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें और अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर की निगरानी भी करें। इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह के लक्षणों पर नजर रखें। यदि आप किसी भी लक्षण का सामना कर रहे हैं तो कोलकाता में कार्डियोलॉजी डॉक्टर से परामर्श करना सुनिश्चित करें और उपचार के बारे में बात करें।
मधुमेह होने पर शरीर में इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता, जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। यह 'बैड' कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकता है और गुड़' कोलेस्ट्रॉल कम कर सकता है।
जी हां, मधुमेह के मरीजों को नियमित रूप से कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए क्योंकि मधुमेह होने पर हृदय रोग का खतरा लगातार बना रहता है।
आमतौर पर हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए नियमित जांच कराना जरूरी है। हालांकि, कुछ मामलों में सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
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