कोलेस्ट्रॉल क्या है? समझें और स्वस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ाएं
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कोलेस्ट्रॉल क्या है? समझें और स्वस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ाएं

Summary

इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी एक सामान्य जानकारी है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप हमारे विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं और दिल के रोगों से दूरी बना सकते हैं।

कोलेस्ट्रॉल को अक्सर हार्ट का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। पिछले कुछ सालों में हार्ट पेशेंट की संख्या में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हृदय रोग दुनियाभर में लोगों की मौत का प्रमुख कारण बन गया है। सभी हृदय रोग का मुख्य कारण कोलेस्ट्रॉल है। 

क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर में अच्छे और बुरे दो कोलेस्ट्रॉल होते हैं। यदि नहीं तो हम इस ब्लॉग में आपको कोलेस्ट्रॉल से संबंधित सारी जानकारी देने वाले हैं जैसे - हाई कोलेस्ट्रॉल होता क्या है? इसके लक्षण क्या है? इसका स्तर कितना होना चाहिए? और कैसे आप स्वस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं?

नोट: इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी एक सामान्य जानकारी है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप हमारे कार्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं और दिल के रोगों से दूरी बना सकते हैं। 

कोलेस्ट्रॉल किसे कहते हैं?

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि कोलेस्ट्रॉल को अक्सर हार्ट का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। चलिए सबसे पहले समझते हैं कि कोलेस्ट्रॉल क्या है। कोलेस्ट्रॉल एक वसा जैसा पदार्थ है, जो शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को करने के लिए जाना जाता है। कोलेस्ट्रॉल का कार्य हमारे शरीर में विटामिन डी, हार्मोन और पित्त का निर्माण करना है। यह सभी हमारे शरीर में पाए जाने वाले अतिरिक्त वसा को पचाने में मदद करते हैं। 

कोलेस्ट्रॉल की एक खासियत होती है कि वह अपने आप पानी में नहीं घुलता है। यह वसा स्वतंत्र रूप से पानी में नहीं बहती है। शरीर के दूसरे भाग में वसा को पहुंचाने के लिए लिपोप्रोटीन नामक विशेष वाहक की आवश्यकता होती है। लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल है और मुख्यतः यह दो प्रकार के होते हैं - 

  • लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL): एलडीएल को "खराब" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह नसों में जमा हो जाता है, जिसके कारण रक्त प्रवाह में समस्या आती है और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL): एचडीएल को "अच्छा" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह LDL कोलेस्ट्रॉल को लिवर में वापस ले जाता है, जहां से इसे शरीर से बाहर निकाला जाता है।

क्या है गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल?

जैसा कि हमने आपको पहले बताया था कि कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं - गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल। गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) का कार्य रक्त में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल वसा को जमने न देना है और उसे लिवर तक ले जाना है। इसके बाद लिवर इस पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करता है। लिवर का मुख्य कार्य ऐसे कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालना है, जिसकी आवश्यकता शरीर को नहीं होती है।

वहीं दूसरी तरफ बढ़ते बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) का अर्थ है आर्टरी में प्लाक का जमा होना। इसके कारण आर्टरी संकुचित हो जाती है, जिसे चिकित्सा भाषा में अथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। ऐसे में ऑक्सिजनेटेड रक्त हृदय में पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है। इसके कारण स्ट्रोक या हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।

कोलेस्ट्रॉल नार्मल रेंज क्या है?

कोलेस्ट्रॉल की जांच के बाद डॉक्टर रोगी के शरीर में इस पदार्थ के स्तर का पता लगाते हैं। अलग-अलग स्तर स्वास्थ्य के अलग-अलग स्थिति को दर्शाता है। चलिए सबसे पहले कोलेस्ट्रॉल नार्मल रेंज को जानते हैं -

  • एचडीएल: 40 मिलीग्राम/डीएल या उससे अधिक
  • एलडीएल: 130 मिलीग्राम/डीएल या उससे कम
  • टोटल कोलेस्ट्रॉल: 200 मिलीग्राम/डीएल या उससे कम

कोलेस्ट्रॉल का स्तर भिन्न कारणों से प्रभावित होता है जैसे आहार, व्यायाम, आनुवंशिकी और स्वास्थ्य समस्याएं। 

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण

सामान्य तौर पर कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के बहुत सारे लक्षण होते हैं। बल्कि कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि दूसरी बीमारियों के कारण भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। चलिए सबसे पहले समझते हैं कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण क्या है -

  • वजन बढ़ना: लगातार वजन में वृद्धि संकेत देता है कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी वृद्धि हुई है। अचानक मोटापा आना या वजन बढ़ना संकेत देता है कि आप हाई कोलेस्ट्रॉल के खतरे के दायरे में हैं
  • पैरों में लगातार दर्द: बिना कारण पैरों में दर्द हाई कोलेस्ट्रॉल का लक्षण है। इस स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।
  • ज्यादा पसीना आना: पसीना आना कोई बीमारी का संकेत नहीं है, लेकिन आवश्यकता से अधिक और बिना कारण पसीना आना कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर का संकेत देता है।
  • त्वचा के रंग में बदलाव: शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर के कारण त्वचा के रंगों में बदलाव होता है। ऐसे में हाथों और पैरों का रंग पीला होने लगते है। यदि ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। 
  • सीने में दर्द होना: सीने में लगातार दर्द का बना रहना दर्शाता है कि रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ गया है। यदि यह स्तर बहुत ज्यादा हो जाता है,तो हृदय संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सीने में दर्द हार्ट अटैक का भी लक्षण है।
  • क्रैंप्स: ऐसा कई बार देखा जाता है कि कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर के कारण रोगी को पैरों, जांघों, कूल्हों और तलवों में ऐंठन महसूस होती है। यही कारण है कि शरीर के किसी भी भाग में लगातार दर्द या फिर मांसपेशियों में अकड़न होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए और जांच करवानी चाहिए।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के निम्नलिखित कारण है -

  • शराब का अधिक सेवन
  • असंतुलित आहार
  • जेनेटिक कारण 
  • लगातार तनाव का बना रहना
  • अस्वस्थ जीवनशैली

कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज क्या है?

कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर हर व्यक्ति के लिए एक हानिकारक स्थिति है। इसके कारण हार्ट की बीमारी रोगी को परेशान कर सकती है। कई मामलों में रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। चलिए सबसे पहले समझते हैं कि कोलेस्ट्रॉल को कैसे कम किया जा सकता है - 

  • लहसुन: नियमित रूप से सुबह-शाम लहसुन के सेवन से रोगी को बहुत लाभ मिलता है। लहसुन में कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले लाभकारी गुण पाए जाते हैं। 
  • नींबू: नींबू वजन के साथ-साथ वजन भी कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए जाना जाता है। यदि आप भी कोलेस्ट्रॉल कम करने के इच्छुक हैं, तो सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर पीने से लाभ मिलेगा। 
  • मेथी: मेथी कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। यह भी वेट लॉस के साथ कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सक्षम है। 
  • फिश ऑयल: यह प्रमाणित है कि कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में फिश ऑयल बहुत मददगार साबित हो सकता है। फिश ऑयल में मुख्य रूप से ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद करता है। 
  • स्वस्थ फाइबर: ऐसे फाइबर का सेवन करें जो शरीर में जल्दी घुल जाए। जौ, ओट्स और होल ग्रेन आदी ऐसे फाइबर हैं, जो शरीर में जल्दी घुल जाते हैं। 
  • हल्दी और करी पत्ते: खाना बनाते समय इन दोनों चीजों का प्रयोग अवश्य करें। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत मदद कर सकता है। 

निष्कर्ष

इस ब्लॉग में आपने जाना कि कि कोलेस्ट्रॉल क्या है, कितने प्रकार के हैं (गुड और बैड), और इसका स्तर कितना होना चाहिए। इसके अलावा हमने आपको बताया है कि हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण क्या है और इसे कम करने के उपाय क्या है। इसके अतिरिक्त डॉक्टर कुछ दवाएं देते हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कुछ समय के लिए नियंत्रित हो जाता है। हम दवा का नाम नहीं बता रहे हैं, क्योंकि बिना डॉक्टर के अनुमति के कोलेस्ट्रॉल की दवा बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। 

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपका कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा हुआ है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और उनके द्वारा बताए गए उपायों का पालन करना चाहिए।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

कोलेस्ट्रॉल में क्या खाना चाहिए?

कोलेस्ट्रॉल में निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है -

  • फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, और फलियां
  • कम वसा वाले डेयरी उत्पाद
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ
  • ऐसे फाइबर जो शरीर में जल्दी घुल जाए
  • मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट

अच्छा कोलेस्ट्रॉल और बुरा कोलेस्ट्रॉल क्या है?

कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल को लीवर वापस ले जाता है। "बुरा" कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) धमनियों में जमा होकर रक्त प्रवाह को बाधित करता है।

सीरम कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए?

सीरम कोलेस्ट्रॉल की नार्मल रेंज के बारे में नीचे समझाया गया है -

  • एचडीएल: 40 mg/dL से अधिक
  • एलडीएल: 130 mg/dL से कम
  • कुल कोलेस्ट्रॉल: 200 mg/dL से कम

कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें?

निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करके कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है -

  • स्वस्थ आहार लें
  • नियमित व्यायाम करें
  • वजन कम करें
  • धूम्रपान न करें
  • तनाव को कम करें
  • डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब्ड दवाएं ही लें

कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए?

इस प्रश्न का उत्तर व्यक्ति के उम्र और लिंग पर निर्भर करता है। इस प्रश्न का उत्तर आपके डॉक्टर बेहतर तरीके से दे पाएंगे। 

कोलेस्ट्रॉल कितने दिन में ठीक होता है?

इस प्रश्न का उत्तर इलाज की योजना और आपके जीवनशैली में बदलाव पर निर्भर करता है। डॉक्टर से सलाह लें और जल्द से जल्द दुरुस्त हो जाएं।

कोलेस्ट्रॉल में कौन सा तेल खाना चाहिए?

कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए निम्नलिखित खाद्य तेल लाभकारी होंगे -

  • जैतून का तेल
  • कैनोला तेल
  • सूरजमुखी तेल
  • मूंगफली का तेल

Written and Verified by:

Dr. Ashok B Malpani

Dr. Ashok B Malpani

Senior Consultant Exp: 34 Yr

Cardiology

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