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कैसे पता चलेगा कि हार्ट में ब्लॉकेज है

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कैसे पता चलेगा कि हार्ट में ब्लॉकेज है

Cardiology | by Dr. Ashok B Malpani | Published on 11/12/2023


हमारा दिल शरीर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जिसका कार्य हमारे शरीर को जीवित रखना है। क्या आप जानते हैं कि एक स्वस्थ दिल हर मिनट में लगभग 5 लीटर रक्त पंप करता है! यह रक्त पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का वितरण करता है, जिससे हमारे शरीर के सभी अंग ठीक से कार्य करते हैं। क्या होगा यदि दिल की धड़कन रुक जाए या धीरे चले? इस स्थिति को हर्ट ब्लॉकेज कहा जाता है। दिल से संबंधित इलाज के लिए आप हमारे विशेषज्ञों से परामर्श कर सकते हैं। चलिए इस ब्लॉग के माध्यम से हार्ट में ब्लॉकेज के संबंध में पूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं। 

हार्ट ब्लॉकेज क्या है

हार्ट ब्लॉकेज या दिल की धड़कन का रुकना एक गंभीर रोग है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब रक्त वाहिकाओं में प्लाक नामक चिपचिपा पदार्थ जम जाता है और रक्त के बहाव को रोकता है, जिसके कारण एक व्यक्ति को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह प्लाक वसा, कोलेस्ट्रॉल, सेलुलर अपशिष्ट उत्पादों, कैल्शियम और फाइब्रिन नामक एक पदार्थ से बनता है।

किसी भी कारणवश जब नसों में प्लाक जम जाता है, तो उन्हें संकुचन का सामना करना पड़ता है, जो एक स्थिति का निर्माण करता है, जिसे मेडिकल भाषा में एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। इस स्थिति में संकुचन के कारण रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। हार्ट ब्लॉकेज के इलाज के लिए हमें यह जानना होगा कि हार्ट में ब्लॉकेज के लक्षण, कारण और इलाज क्या है। 

हार्ट में ब्लॉकेज के लक्षण

हार्ट ब्लॉकेज की स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न होते हैं - 

  • लगातार और बार-बार सिरदर्द होना
  • चक्कर आना या बेहोश होना
  • छाती में दर्द
  • सांस फूलना या सांस की अन्य समस्या
  • थोड़ा काम करने पर अधिक थकान महसूस होना
  • बेहोश होना
  • गर्दन, ऊपरी पेट, जबड़े, गले या पीठ में दर्द 
  • पैरों या हाथों में दर्द के साथ उन अंगों का सुन्न हो जाना
  • कमजोरी या ठंड लगना

हार्ट में ब्लॉकेज के इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं, तो यह लक्षण भविष्य में हार्ट अटैक का रूप ले सकते हैं।

हार्ट ब्लॉकेज के कारण

हार्ट ब्लॉकेज के कारण की बात करें, तो उनकी सूची बहुत बड़ी है। अलग-अलग कारक हार्ट ब्लॉकेज के लिए जिम्मेदार होते हैं। उनमें से कुछ को नीचे विस्तार से बताया गया है - 

  • हाई ब्लड प्रेशर: अनियंत्रित उच्च रक्तचाप आपकी नसों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे नसों में संकुचन की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और रक्त के बहाव में रुकावट आती है। 
  • हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल: एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर को "खराब" कोलेस्ट्रॉल के रूप में भी जाना जाता है। यदि यह समस्या आपको परेशान कर रही है, तो आपकी नसों में प्लाक का गठन होता है, जिससे धमनियों में रुकावट आती है।
  • धूम्रपान और तंबाकू का सेवन: धूम्रपान और तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह रक्त वाहिकाओं को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है, जिसमें वह सिकुड जाते हैं। 
  • मोटापा और गतिहीन जीवन शैली: अधिक वजन, मोटापा और गतिहीन जीवन शैली हृदय की रुकावट के लिए जिम्मेदार होते हैं। 

हार्ट ब्लॉकेज कैसे पता करे

यदि आपको हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण दिखते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है। मेडिकल टीम आपकी स्थिति के आधार पर कुछ टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं। निम्नलिखित परीक्षण आपके डॉक्टर करवा सकते हैं - 

  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या ईसीजी में विद्युत का प्रयोग होता है, जिससे हृदय की गति की जांच हो पाती है। 
  • इसके अतिरिक्त एमआरआई का प्रयोग कर हृदय के आसपास की रक्त प्रवाह की गति की पहचान होती है। 
  • कार्डियक कैथीटेराइजेशन के द्वारा डॉक्टर आपके दिल के आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण करते हैं और प्लाक के स्थान या संभावित स्थान का पता लगाते हैं। 
  • कोरोनरी कैल्शियम स्कैन के द्वारा नसों में कैल्शियम या कैल्शियम कैल्सीफिकेशन को मापा जाता है। 
  • कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, और लिपोप्रोटीन की जांच के लिए रक्त परीक्षण का सुझाव दिया जाता है। 
  • नसों में रक्त के प्रवाह की पहचान के लिए स्ट्रेस टेस्ट का भी सुझाव दिया जा सकता है।

हार्ट ब्लॉकेज का इलाज

यदि आपके दिल में किसी भी प्रकार की रुकावट है, तो डॉक्टर कुछ जीवनशैली में बदलाव के साथ दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। वहीं कुछ मामलों में सर्जरी की सलाह भी डॉक्टर देते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर निम्नलिखित बदलाव का सुझाव देते हैं - 

  • स्वस्थ आहार लें
  • नियमित व्यायाम करें
  • धूम्रपान छोड़ दें और इससे दूरी बनाएं
  • शराब का सेवन सीमित करें 
  • तनाव को कम करने का प्रयास करें
  • अच्छी गुणवत्ता वाली नींद लें

इसके अतिरिक्त कुछ दवाओं का सुझाव डॉक्टर देते हैं

  • ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए बीटा-ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, या एसीई ब्लॉकर्स का सुझाव दिया जाता है।
  • एंटी क्लोटिंग और एंटीप्लेटलेट दवाएं डॉक्टर देते हैं।
  • सीने में दर्द के इलाज के लिए नाइट्रेट दवाएं।
  • स्टैटिन और अन्य कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाएं।
  • रक्त के थक्कों को घोलने की दवाएं।

कुछ प्रकार के ब्लॉकेज बहुत ज्यादा गंभीर होते हैं और उनको ठीक करने के लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है। इस संबंध में डॉक्टर एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट का विचार कर सकते हैं। बाईपास सर्जरी भी हार्ट ब्लॉकेज के इलाज का एक विकल्प है।

हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए क्या खाएं

हार्ट ब्लॉकेज की स्थिति से निपटने के लिए आपका आहार और दैनिक जीवन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होता है। हार्ट ब्लॉकेज खोलने में निम्नलिखित खाद्य पदार्थ बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होतै हैं - 

  • अनार से हार्ट ब्लॉकेज की स्थिति में सुधार होता है।
  • दालचीनी है आपके लिए लाभदायक।
  • लहसुन रक्त के बहाव को तेज करता है, जिससे हार्ट ब्लॉकेज को खोलने में मदद मिलती है।
  • हल्दी दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
  • तुलसी के औषधीय गुणों के कारण इसके सेवन से लाभ मिलता है।
  • खाने में अदरक का सेवन हार्ट ब्लॉकेज की स्थिति को ठीक करने में लाभकारी साबित होगा।

हार्ट ब्लॉकेज के संबंध में अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

हार्ट ब्लॉकेज क्यों होता है?

हार्ट ब्लॉकेज की समस्या तब होती है, जब हृदय की धमनियों में वसा, कोलेस्ट्रॉल, और अन्य पदार्थ जम जाते हैं। इससे धमनियां संकुचित हो जाती हैं और रक्त का प्रवाह भी कम हो जाता है। इससे हृदय में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी आती है, जिससे सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, और यहां तक ​​कि दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

हार्ट ब्लॉकेज में क्या नहीं खाना चाहिए?

हार्ट ब्लॉकेज में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए:

  • तला हुआ भोजन
  • मीठे पेय पदार्थ
  • पैकेटबंद खाद्य पदार्थ
  • प्रोसेस्ड मीट
  • फास्ट फूड

इन खाद्य पदार्थों में फैट, कोलेस्ट्रॉल, और अन्य तत्व होते हैं, जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

हार्ट में ब्लॉकेज के कितने स्टेज होते हैं?

हार्ट ब्लॉकेज के अलग-अलग स्टेज होते हैं। शुरुआती चरण में लक्षण नहीं होते हैं। दूसरे स्टेज में दिल की धड़कन असामान्य रहती है। तीसरे स्टेज में हृदय रुक-रुक कर कार्य करता है। दूसरे या तीसरे चरण में दिल का दौरा भी आ सकता है। यही कारण है कि दूसरे चरण से ही इलाज की आवश्यकता होती है।