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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम क्या है और क्यों किया जाता है?

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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम क्या है और क्यों किया जाता है?

Cardiology | by Dr. Ashok B Malpani | Published on 22/08/2024


जब भी किसी व्यक्ति को हृदय संबंधी समस्या का निदान होता है, तो स्वाभाविक रूप से उस व्यक्ति एवं उसके घर में चिंता और भय का माहौल बन जाता है। लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है। जैसे ही आप हृदय से संबंधित लक्षणों के साथ डॉक्टर के पास जाते हैं, डॉक्टर कई टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं, जिनमें से सबसे आम होते हैं ईसीजी और इलैक्ट्रोकार्डियोग्राम। इन दोनों ही टेस्ट की मदद से हृदय की वर्तमान स्थिति का पता लगाना और रोग की पुष्टि करना बहुत आसान हो जाता है। 

चलिए ईसीजी टेस्ट के बारे में विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं। यदि आपको किसी भी हृदय संबंधी समस्या का संदेह हो, तो एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना आपके लिए उचित साबित होगा।

ईसीजी टेस्ट क्या है?

ईसीजी या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) टेस्ट एक साधारण सा टेस्ट है, जिसकी मदद से डॉक्टर दिल की लय (Heart rhythm) और विद्युत गतिविधि (electric signal) की जांच कर सकते हैं। ईसीजी (ECG) या ईकेजी (EKG) में इलेक्ट्रोड नाम के एक सेंसर का उपयोग होता है। इस सेंसर को छाती और हाथ के आस-पास के क्षेत्र पर लगाया जाता है, जिसकी मदद से दिल की धड़कन पर उत्पन्न होने वाले विद्युत संकेतों का पता चल पाता है। इन सभी संकेतों को एक मशीन रिकॉर्ड करती है। यह पूरा टेस्ट कार्डियोलॉजिस्ट की निगरानी में होता है 

यह सारे संकेत एक मशीन के द्वारा किए जाते हैं, और डॉक्टर इस प्रक्रिया को अपनी निगरानी में करते हैं। वह यह भी पुष्टि करते हैं कि इस टेस्ट से पेशेंट को कोई भी समस्या न हो। 

हृदय रोग विशेषज्ञ (Cardiologist) या किसी भी डॉक्टर को यदि हृदय रोग की संभावना नजर आती है, तो वह ईसीजी टेस्ट का सुझाव देते हैं। ईसीजी टेस्ट नॉर्मल रेंज दर्शाता है कि आपके हृदय में कोई भी समस्या नहीं है। इस प्रक्रिया को अस्पताल, क्लिनिक या आपकी जीपी सर्जरी में किया जाता है। 

ईसीजी के प्रकार

मुख्य रूप से ईसीजी 3 प्रकार के होते हैं - 

  • रेस्टिंग ईसीजी: इसके करने के लिए पेशेंट को आरामदायक स्थिति में लिटाया जाता है।
  • तनाव या व्यायाम ईसीजी: इस टेस्ट को करने के लिए पेशेंट से व्यायाम कराया जाता है या फिर ट्रेडमिल का उपयोग कराया जाता है। 
  • एक एम्बुलेटरी ईसीजी (कभी-कभी होल्टर मॉनिटर कहा जाता है): इस टेस्ट में एक इलेक्ट्रोड को पेशेंट की कमर पर पहनाया जाता है, जिससे दिल की एक या अधिक दिनों तक घर पर निगरानी की जा सकती है।

इन सभी टेस्ट से कई हृदय रोग जैसे कि एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) की पुष्टि आराम से हो सकती है। 

ईकेजी कब करवाना चाहिए?

यदि आप ऐसे लक्षणों या संकेतों का अनुभव कर रहे हैं, जो हृदय की समस्या की तरफ इशारा करते हैं, तो एक अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट हमेशा ईकेजी टेस्ट का सुझाव देते हैं। निम्न लक्षणों के उत्पन्न होने के बाद टेस्ट की आवश्यकता पड़ती है - 

हृदय की विद्युत गतिविधि को मापने से डॉक्टर यह निर्धारित कर सकते हैं कि क्या हृदय के वेंट्रिकल्स में कोई समस्या है या नहीं। इसके अतिरिक्त हृदय रोग की कोई फैमिली हिस्ट्री होने और हृदय रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत एक अच्छे डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है। 

ईसीजी के साइड इफेक्ट

ईकेजी से संबंधित कुछ जोखिम भी है, जिसके बारे में बात करना बहुत ज्यादा आवश्यक है। इस टेस्ट के बाद कुछ लोगों को जहां इलेक्ट्रोड लगाए गए थे, उस त्वचा पर दाने हो सकते हैं। हालांकि यह अपने आप ठीक भी हो जाते हैं। आमतौर पर यह टेस्ट एक सुरक्षित टेस्ट है, लेकिन प्रेगनेंसी के मामले में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। हालांकि इस टेस्ट में हल्का दर्द, मामूली खरोंच या संक्रमण की भी संभावना बनी रहती है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


नॉर्मल ईसीजी कितना होना चाहिए?

अगर आपके दिल की धड़कन 60 से 100 बीट प्रति मिनट है, तो इसे सामान्य माना जाता है। एक सामान्य ईसीजी रिपोर्ट बताती है कि आपके दिल की धड़कन सामान्य है और आपका हृदय सही से काम कर रहा है। अधिक जानकारी के लिए एक विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें।

ईसीजी के दुष्प्रभाव क्या हैं?

ईसीजी सामान्यतः सुरक्षित है। कुछ लोगों को इलेक्ट्रोड के कारण त्वचा में हल्की समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन यह जल्दी ठीक हो जाती हैं।

ईसीजी कैसे होती है?

इस परीक्षण में शरीर के कुछ हिस्सों पर छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, जो दिल की विद्युत गतिविधि को मापते हैं। यह प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में पूरी हो जाती है।

ईसीजी का उपयोग क्यों किया जाता है?

ईसीजी का उपयोग दिल की गति और लय की जांच करने के लिए किया जाता है। यह दिल की बीमारियों जैसे दिल का दौरा, हृदय गति में बदलाव, और दिल की संरचना में दोष की पुष्टि कर सकता है।