महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग और अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। इस ब्लॉग की मदद से आप इसके कारण, जोखिम, छिपे लक्षण और बचाव के उपायों को समझ पाएंगे, और समय पर सही कदम उठा कर अपने आप को बचा पाएंगे।
अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलता है कि महिलाओं को तो हार्ट अटैक होता ही नहीं है और कई लोग मानते भी हैं कि महिलाओं हार्ट अटैक के रिस्क के दायरे में बिल्कुल नहीं आती हैं। लेकिन असल ज़िंदगी में कहानी कहीं अधिक जटिल और संवेदनशील है।
लोगों में कुछ प्रश्न भी उठते हैं जैसे कि क्या सचमुच महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं? और क्या ये लक्षण इतने छिपे और नम्र होते हैं कि न तो वे खुद को पहचाना जा पाते हैं और न ही डॉक्टर उन्हें समय पर समझ पाते हैं। यदि आपके भी मन में ऐसे ही कुछ प्रश्न हैं, तो हम इस प्रश्न के उत्तर को खोजने में आपकी मदद इस ब्लॉग से करने वाले हैं। हार्ट अटैक की स्थिति में एक अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट आपकी मदद कर सकते हैं।
हर साल लाखों महिलाएं दिल की बीमारी की समस्या से जूझती हैं, लेकिन 50% से अधिक महिलाएं अपने दिल की बीमारी के लक्षणों को पहचानने में असमर्थ रहती हैं, जिससे उनके इलाज में देरी होती है और उनकी जान खतरे में भी पड़ जाती है। हार्ट अटैक महिलाओं के लिए केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी और परिवार की खुशहाली के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस लेख के जरिए हम महिलाओं में हार्ट अटैक के विभिन्न लक्षणों को समझेंगे, जानेंगे कि क्यों यह अक्सर अनदेखे रह जाते हैं, और जानेंगे कैसे समय रहते सावधानी बरतकर आप या आपके प्रियजन इस खतरे से बच सकते हैं।
हार्ट अटैक के लक्षणों में महिलाओं और पुरुषों के बीच भिन्नता कई स्तरों पर होती है। सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि महिलाओं में हार्मोनल प्रोफाइल, हृदय का आकार और रक्त वाहिका प्रणाली पुरुषों से अलग होती है। एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन महिलाओं के दिल की सुरक्षा करते हैं, लेकिन मेनोपॉज के बाद इनका स्तर गिर जाता है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, महिलाओं में हार्ट अटैक के दौरान रक्त नलिकाओं की सूजन और संकुचन अधिक होता है, जिससे उनके लक्षण थोड़े से अलग ही होते हैं।
भारत में हर साल लगभग 30 से 40 लाख लोग हार्ट अटैक का सामना करते हैं और उनमें से भी 20-25 प्रतिशत मामले महिलाओं के होते हैं। महिलाओं में यह समस्या अधिक गंभीर है क्योंकि महिलाओं में हार्ट अटैक के बाद मृत्यु दर अधिक है और उन्हें इसके लक्षण भी स्पष्ट नहीं होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों की तुलना में कम स्पष्ट और ज्यादा खतरनाक होते हैं, यानी वह ऐसे लक्षण होते हैं, जिन्हें रोजमर्रा की थकान या किसी अन्य हल्की बीमारी का हिस्सा समझा जा सकता है। इसलिए महिलाओं के लिए अपने शरीर के संकेतों को गहराई से समझना बेहद जरूरी है।
बहुत बार महिलाओं को हार्ट अटैक का संकेत केवल छाती में दर्द के तौर पर नहीं मिलता है। इसके बजाय वे कई बार निम्न लक्षणों का अनुभव करती हैं -
इन लक्षणों का समूह महिलाओं में हार्ट अटैक के शुरुआती संकेत हो सकते हैं, परन्तु वह अक्सर सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि तनाव या फ्लू के लक्षण जैसे लग सकते हैं, जिसके कारण रोग की पुष्टि नहीं होती है और इलाज में भी देरी होती जाती है। इसी के कारण महिलाओं में हार्ट अटैक के बाद मृत्यु दर भी पुरुषों से अधिक होती है।
हार्ट अटैक की घटनाओं के पीछे कई प्रमुख कारण होते हैं, जिनमे हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापा और निष्क्रिय जीवन शैली प्रमुख कारक है। महिलाओं के लिए कुछ अतिरिक्त जोखिम कारक भी होते हैं, जो उनकी दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ाते हैं जैसे कि -
एक रिसर्च के अनुसार, भारत में लगभग 23% महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है, जो दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ाता है। यही कारण है कि हमें हृदय रोग के बारे में वह सारी जानकारी होनी चाहिए, जिसकी मदद से हम अपने घर में और आसपास किसी की भी जान बचा सकते हैं।
महिलाएं अपने शरीर के असामान्य बदलावों को अक्सर तनाव, थकान या हार्मोनल बदलाव समझते हुए नजरअंदाज कर देते हैं। सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वह अपनी सेहत की अनदेखी कर देते हैं। साथ ही, कुछ चिकित्सक भी महिलाओं के लक्षणों को पुरुषों वाले सामान्य लक्षणों जैसा नहीं समझ पाते, जिससे जांच में देरी हो जाती है।
यह स्थिति और भी अधिक खतरनाक तब हो जाती है, जब महिलाओं को सही समय पर उचित जांच और उपचार नहीं मिल पाता है। रिसर्च के अनुसार, महिलाओं को दिल की जांच में भी पुरुषों के मुकाबले लगभग 5% कम प्राथमिकता मिलती है। यह लक्षणों में असमानता महिलाओं की जान को गंभीर खतरे में डालती है।
हार्ट अटैक से बचाव के लिए आप निम्न उपायों का पालन कर सकते हैं -
इन आसान लेकिन प्रभावी उपायों से महिलाएं अपने दिल की सेहत को मजबूत बना सकती हैं।
यदि आप निम्न लक्षणों को अनुभव करते हैं, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें -
समय पर इलाज से दिल के दौरे के गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
हमारी सांसों की गहराई, दिल की धड़कन, और हमारे परिवार के लिए हमारी जिम्मेदारी से बढ़कर कुछ नहीं है। महिलाओं को चाहिए कि वह अपने शरीर की आवाज़ को सुनें, समय रहते जांच कराएं और अपने व अपने परिवार की खुशहाली के लिए बेहतर कदम उठाए। हार्ट अटैक की जागरूकता और सही इलाज ही इसे मात देने की कुंजी है।
यदि आपके पास या आपके परिवार में कोई महिला ऐसा अनुभव कर रही है, तो आज ही अपना अपॉइंटमेंट बुक करें, क्योंकि हर दिल को धड़कने की आजादी है। हृदय रोग के इलाज में हमारे अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं।
हाँ, महिलाओं में हार्ट अटैक का अनुभव पुरुषों की तुलना में ज्यादा भिन्न होता है। उनमें अनियमित, धीमे और कभी-कभी छिपे हुए लक्षण दिखते हैं।
नहीं, कुछ महिलाओं को हार्ट अटैक के दौरान भी सीने में दर्द नहीं होता है। उनके लक्षण सांस फूलना, थकान, या पीठ और कंधे में दर्द हो सकते हैं।
जी हाँ, विशेषकर मेनोपॉज, प्रेगनेंसी के दौरान और PCOS जैसी अवस्थाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
ECG, इकोकार्डियोग्राफी, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, और ब्लड प्रेशर की जांच नियमित रूप से करानी चाहिए क्योंकि इससे महिलाओं के हार्ट हेल्थ की जांच आसानी से की जा सकती है।
हालांकि संभावना कम होती है, लेकिन यदि आप में हार्ट अटैक के जोखिम कारक मौजूद हैं, तो किसी भी उम्र पर यह संभव है।
Written and Verified by:
Dr. Dhiman Kahali is the Director of Interventional Cardiology Dept. at BM Birla Heart Hospital, Kolkata, with over 37 years of experience. He specializes in angioplasty, mitral balloon dilation, and peripheral vascular interventions, and has been honored with the Gandhi Centenary and Mother Teresa International Awards.
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