महिलाओं में हार्ट अटैक: क्यों लक्षण अलग होते हैं और अक्सर नज़रअंदाज़ हो जाते हैं
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महिलाओं में हार्ट अटैक: क्यों लक्षण अलग होते हैं और अक्सर नज़रअंदाज़ हो जाते हैं

Cardiology | by Dr. Dhiman Kahali on 12/09/2025

Table of Contents
  1. महिलाओं में हार्ट अटैक कितना गंभीर है?
  2. महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण क्यों अलग होते हैं?
  3. महिलाओं में हार्ट अटैक के आम और छिपे संकेत
  4. हार्ट अटैक के प्रमुख कारण और रिस्क फैक्टर
  5. क्यों महिलाओं के लक्षण अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं?
  6. हार्ट अटैक से बचाव के लिए ज़रूरी कदम/टिप्स/उपाय
  7. कब डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें?
  8. निष्कर्ष
  9. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
    1. क्या महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं?
    2. महिलाओं में हार्ट अटैक के दौरान सीने में दर्द जरूरी है क्या?
    3. क्या तनाव और हार्मोनल बदलाव से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है?
    4. महिलाओं को हार्ट हेल्थ के लिए कौन से टेस्ट कराना चाहिए?
    5. क्या 30 की उम्र में भी महिलाओं को हार्ट अटैक हो सकता है?

Summary

महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग और अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। इस ब्लॉग की मदद से आप इसके कारण, जोखिम, छिपे लक्षण और बचाव के उपायों को समझ पाएंगे, और समय पर सही कदम उठा कर अपने आप को बचा पाएंगे।

अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलता है कि महिलाओं को तो हार्ट अटैक होता ही नहीं है और कई लोग मानते भी हैं कि महिलाओं हार्ट अटैक के रिस्क के दायरे में बिल्कुल नहीं आती हैं। लेकिन असल ज़िंदगी में कहानी कहीं अधिक जटिल और संवेदनशील है। 

लोगों में कुछ प्रश्न भी उठते हैं जैसे कि क्या सचमुच महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं? और क्या ये लक्षण इतने छिपे और नम्र होते हैं कि न तो वे खुद को पहचाना जा पाते हैं और न ही डॉक्टर उन्हें समय पर समझ पाते हैं। यदि आपके भी मन में ऐसे ही कुछ प्रश्न हैं, तो हम इस प्रश्न के उत्तर को खोजने में आपकी मदद इस ब्लॉग से करने वाले हैं। हार्ट अटैक की स्थिति में एक अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट आपकी मदद कर सकते हैं।

महिलाओं में हार्ट अटैक कितना गंभीर है?

हर साल लाखों महिलाएं दिल की बीमारी की समस्या से जूझती हैं, लेकिन 50% से अधिक महिलाएं अपने दिल की बीमारी के लक्षणों को पहचानने में असमर्थ रहती हैं, जिससे उनके इलाज में देरी होती है और उनकी जान खतरे में भी पड़ जाती है। हार्ट अटैक महिलाओं के लिए केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी और परिवार की खुशहाली के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस लेख के जरिए हम महिलाओं में हार्ट अटैक के विभिन्न लक्षणों को समझेंगे, जानेंगे कि क्यों यह अक्सर अनदेखे रह जाते हैं, और जानेंगे कैसे समय रहते सावधानी बरतकर आप या आपके प्रियजन इस खतरे से बच सकते हैं।

महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण क्यों अलग होते हैं?

हार्ट अटैक के लक्षणों में महिलाओं और पुरुषों के बीच भिन्नता कई स्तरों पर होती है। सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि महिलाओं में हार्मोनल प्रोफाइल, हृदय का आकार और रक्त वाहिका प्रणाली पुरुषों से अलग होती है। एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन महिलाओं के दिल की सुरक्षा करते हैं, लेकिन मेनोपॉज के बाद इनका स्तर गिर जाता है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, महिलाओं में हार्ट अटैक के दौरान रक्त नलिकाओं की सूजन और संकुचन अधिक होता है, जिससे उनके लक्षण थोड़े से अलग ही होते हैं। 

भारत में हर साल लगभग 30 से 40 लाख लोग हार्ट अटैक का सामना करते हैं और उनमें से भी 20-25 प्रतिशत मामले महिलाओं के होते हैं। महिलाओं में यह समस्या अधिक गंभीर है क्योंकि महिलाओं में हार्ट अटैक के बाद मृत्यु दर अधिक है और उन्हें इसके लक्षण भी स्पष्ट नहीं होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों की तुलना में कम स्पष्ट और ज्यादा खतरनाक होते हैं, यानी वह ऐसे लक्षण होते हैं, जिन्हें रोजमर्रा की थकान या किसी अन्य हल्की बीमारी का हिस्सा समझा जा सकता है। इसलिए महिलाओं के लिए अपने शरीर के संकेतों को गहराई से समझना बेहद जरूरी है।

महिलाओं में हार्ट अटैक के आम और छिपे संकेत

बहुत बार महिलाओं को हार्ट अटैक का संकेत केवल छाती में दर्द के तौर पर नहीं मिलता है। इसके बजाय वे कई बार निम्न लक्षणों का अनुभव करती हैं - 

  • सीने में हल्का या अनियमित दबाव या बेचैनी, जो कभी-कभी गर्दन, कंधे, जबड़े या पीठ तक फैल जाता है।
  • सांस लेने में तकलीफ, जो सांस फूलना या अन्य सामान्य समस्या जैसा लगता है।
  • अत्यधिक थकान और कमजोरी, जो आराम करने पर भी नहीं हटती।
  • मतली, उल्टी या पेट में एसिडिटी की भावना होना।
  • अनियमित दिल की धड़कन या तेज धड़कन उत्पन्न होना।
  • अचानक पसीना या ठंडा पसीना आना।
  • चक्कर आना या बेहोशी की भावना उत्पन्न होना।

इन लक्षणों का समूह महिलाओं में हार्ट अटैक के शुरुआती संकेत हो सकते हैं, परन्तु वह अक्सर सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि तनाव या फ्लू के लक्षण जैसे लग सकते हैं, जिसके कारण रोग की पुष्टि नहीं होती है और इलाज में भी देरी होती जाती है। इसी के कारण महिलाओं में हार्ट अटैक के बाद मृत्यु दर भी पुरुषों से अधिक होती है।

हार्ट अटैक के प्रमुख कारण और रिस्क फैक्टर

हार्ट अटैक की घटनाओं के पीछे कई प्रमुख कारण होते हैं, जिनमे हाई ब्लड प्रेशरहाई कोलेस्ट्रॉलडायबिटीज, मोटापा और निष्क्रिय जीवन शैली प्रमुख कारक है। महिलाओं के लिए कुछ अतिरिक्त जोखिम कारक भी होते हैं, जो उनकी दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ाते हैं जैसे कि - 

  • हार्मोनल बदलाव: मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का कम होना महिलाओं में दिल की बीमारी के खतरे को बढ़ाता है।
  • प्रेगनेंसी की जटिलताएं: प्रीक्लेम्पसियागेस्टेशनल डायबिटीज जैसी स्थितियां महिलाओं में बाद में हार्ट डिजीज के खतरे को दोगुना कर देते हैं।
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS): इसे हृदय रोग का एक अप्रत्यक्ष जोखिम कारक माना जाता है, क्योंकि यह मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की ओर ले जाता है।
  • तनाव और डिप्रेशन: महिलाओं में अधिक प्रभावी मानसिक तनाव और डिप्रेशन भी दिल की बीमारी बढ़ाने वाले कारक हैं।
  • धूम्रपान और शराब: इन आदतों का हृदय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, विशेषकर महिलाओं में यह जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

एक रिसर्च के अनुसार, भारत में लगभग 23% महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है, जो दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ाता है। यही कारण है कि हमें हृदय रोग के बारे में वह सारी जानकारी होनी चाहिए, जिसकी मदद से हम अपने घर में और आसपास किसी की भी जान बचा सकते हैं।

क्यों महिलाओं के लक्षण अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं?

महिलाएं अपने शरीर के असामान्य बदलावों को अक्सर तनाव, थकान या हार्मोनल बदलाव समझते हुए नजरअंदाज कर देते हैं। सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वह अपनी सेहत की अनदेखी कर देते हैं। साथ ही, कुछ चिकित्सक भी महिलाओं के लक्षणों को पुरुषों वाले सामान्य लक्षणों जैसा नहीं समझ पाते, जिससे जांच में देरी हो जाती है।

यह स्थिति और भी अधिक खतरनाक तब हो जाती है, जब महिलाओं को सही समय पर उचित जांच और उपचार नहीं मिल पाता है। रिसर्च के अनुसार, महिलाओं को दिल की जांच में भी पुरुषों के मुकाबले लगभग 5% कम प्राथमिकता मिलती है। यह लक्षणों में असमानता महिलाओं की जान को गंभीर खतरे में डालती है।

हार्ट अटैक से बचाव के लिए ज़रूरी कदम/टिप्स/उपाय

हार्ट अटैक से बचाव के लिए आप निम्न उपायों का पालन कर सकते हैं - 

  • नियमित स्वास्थ्य जांच: ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर विभिन्न कार्डियोलॉजिकल टेस्ट होते हैं, जिन्हें नियमित कराने से बहुत मदद मिल सकती है।
  • स्वस्थ आहार: ताजे फल, सब्जियां, कम फैट तथा कम नमक वाला भोजन लें। फास्ट फूड और रेड मीट का सेवन कम करें।
  • व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट हल्की एक्सरसाइज करें, जैसे कि तेजी से चलना, योग या तैराकी करना। प्रयास करें कि इनकी तीव्रता अधिक न हो।
  • तनाव प्रबंधन: ध्यान, मेडिटेशन और पर्याप्त नींद लें।
  • धूम्रपान और शराब से बचाव: इन आदतों से पूरी तरह बचें।
  • हार्ट हेल्थ पर जागरूकता: अपने परिवार और दोस्तों को भी हार्ट अटैक के लक्षणों और बचाव के उपायों के बारे में बताएं।

इन आसान लेकिन प्रभावी उपायों से महिलाएं अपने दिल की सेहत को मजबूत बना सकती हैं।

कब डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें?

यदि आप निम्न लक्षणों को अनुभव करते हैं, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें - 

  • लगातार या बार-बार होने वाला सीने में दर्द या दबाव।
  • सांस फूलना, खासकर आराम करते समय।
  • अचानक हुई अत्यधिक कमजोरी, बेहोशी या चक्कर आना।
  • तीव्र पसीना आना और उल्टी या मतली।

समय पर इलाज से दिल के दौरे के गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।

निष्कर्ष

हमारी सांसों की गहराई, दिल की धड़कन, और हमारे परिवार के लिए हमारी जिम्मेदारी से बढ़कर कुछ नहीं है। महिलाओं को चाहिए कि वह अपने शरीर की आवाज़ को सुनें, समय रहते जांच कराएं और अपने व अपने परिवार की खुशहाली के लिए बेहतर कदम उठाए। हार्ट अटैक की जागरूकता और सही इलाज ही इसे मात देने की कुंजी है।

यदि आपके पास या आपके परिवार में कोई महिला ऐसा अनुभव कर रही है, तो आज ही अपना अपॉइंटमेंट बुक करें, क्योंकि हर दिल को धड़कने की आजादी है। हृदय रोग के इलाज में हमारे अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं?

हाँ, महिलाओं में हार्ट अटैक का अनुभव पुरुषों की तुलना में ज्यादा भिन्न होता है। उनमें अनियमित, धीमे और कभी-कभी छिपे हुए लक्षण दिखते हैं।

महिलाओं में हार्ट अटैक के दौरान सीने में दर्द जरूरी है क्या?

नहीं, कुछ महिलाओं को हार्ट अटैक के दौरान भी सीने में दर्द नहीं होता है। उनके लक्षण सांस फूलना, थकान, या पीठ और कंधे में दर्द हो सकते हैं।

क्या तनाव और हार्मोनल बदलाव से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है?

जी हाँ, विशेषकर मेनोपॉज, प्रेगनेंसी के दौरान और PCOS जैसी अवस्थाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

महिलाओं को हार्ट हेल्थ के लिए कौन से टेस्ट कराना चाहिए?

ECG, इकोकार्डियोग्राफी, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, और ब्लड प्रेशर की जांच नियमित रूप से करानी चाहिए क्योंकि इससे महिलाओं के हार्ट हेल्थ की जांच आसानी से की जा सकती है।

क्या 30 की उम्र में भी महिलाओं को हार्ट अटैक हो सकता है?

हालांकि संभावना कम होती है, लेकिन यदि आप में हार्ट अटैक के जोखिम कारक मौजूद हैं, तो किसी भी उम्र पर यह संभव है।

Written and Verified by:

Dr. Dhiman Kahali

Dr. Dhiman Kahali

Director Exp: 37 Yr

Interventional Cardiology

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Dr Dhiman Kahali is associated with BM Birla Heart Research Centre as the Director of Interventional cardiology. With a total experience of 37 years, he is known as an expert in performing Angioplasties, Mitral Balloon Dilations, Peripheral Vascular and Carotid Interventions. Dr Kahali is the Ex Chairman of National Intervention Council, CSI, Ex Convenor of STEMI Council, CSI and Vice President of CSI. Being a National Scholar, he has several publications in National and International Journals and delivers more than 125 lectures every year in various forums across the globe.

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