अनियमित हृदय गति: कारण, लक्षण, प्रकार और उपचार
Cardiology |
by Dr. Madhumanti Panja | Published on 20/08/2024
वर्तमान में लोगों की जीवनशैली बहुत ज्यादा व्यस्त हो गई है, जिसके कारण कई सारी समस्याएं एक व्यक्ति को घेरती जा रही हैं, जिसमें से हृदय रोग एक मुख्य स्वास्थ्य समस्या है। इस स्थिति में रोगी को अनियमित हृदय गति या हृदय अतालता की समस्या सबसे अधिक होती है। अनियमित हृदय गति के कई कारण है, लेकिन सही समय पर उत्तम इलाज न मिलने पर कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। चलिए अनियमित हृदय गति के कारण, लक्षण, प्रकार और उपचार के बारे में जानते हैं। किसी भी प्रकार के हृदय संबंधित समस्या के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ हृदय विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है।
कार्डियक अतालता क्या है?
कार्डियक अतालता या अनियमित हृदय गति वह स्थिति है, जिसमें हृदय की विद्युत प्रणाली में गड़बड़ी के कारण हृदय की गति में अनिमितता आती है। हृदय की विद्युत प्रणाली का कार्य नियमित रूप से धड़कने के लिए संकेत भेजना है। जब इस पूरी प्रणाली में गड़बड़ी होती है, तो इसके कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसी प्रणाली की मदद से हृदय रक्त को पूरे शरीर में पंप करता है, जिससे ऑक्सीजन पूरे शरीर को मिलता है।
यही कारण है कि कार्डियक अतालता के कारण पूरे शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, जिससे कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
कार्डियक अतालता के कारण
कार्डियक अतालता के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि -
- हृदय रोग: अनियमित हृदय गति के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि हृदय की विफलता, कोरोनरी धमनी रोग और हृदय वाल्व रोग। यह सारे रोग एक व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं।
- उच्च रक्तचाप: हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं, जिसके कारण कार्डियक अतालता की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- थायरॉइड ग्लैंड की समस्या:थायरॉइड ग्लैंड हृदय गति को प्रभावित कर सकती है। थायरॉइड ग्लैंड की समस्याएं कार्डियक अतालता का कारण बन सकती हैं।
- मधुमेह: डायबिटीज के कारण हृदय रोग का खतरा कई गुना बढ़ा जाता है और यह अतालता का कारण भी बन सकता है।
- दवाएं: कुछ दवाएं हैं जिनके सेवन से हृदय की गति में उतार चढ़ाव देखा जा सकता है जैसे कि - अस्थमा और एलर्जी के लिए ली जाने वाली दवाएं, इत्यादि।
- कैफीन और निकोटीन: वहीं अधिक मात्रा में कैफीन और निकोटीन के सेवन के कारण हृदय की धड़कन तेज हो जाती है, जो हृदय अतालता का कारण बन सकता है।
- शराब और धूम्रपान: अत्यधिक शराब और धूम्रपान भी हृदय गति में अनियमितता का मुख्य कारण साबित हो सकता है।
- तनाव: तनाव दिल के तेज धड़कन का सबसे प्रमुख कारण है, जिसका प्रबंधन बहुत ज्यादा अनिवार्य है।
- आनुवंशिक कारक: कुछ लोगों के परिवार में ही हृदय रोग या फिर कार्डियक अतालता की संभावना होती है। ऐसे लोगों को थोड़ा सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।
कार्डियक अतालता के लक्षण
इस स्थिति के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में तो इस स्थिति के कोई भी लक्षण दिखते ही नहीं है। इस स्थिति के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार है -
- दिल की धड़कन महसूस होना: यह सबसे प्रमुख लक्षण है, जिसमें दिल की धड़कन अचानक से ही तेज महसूस होती है।
- सीने में दर्द: इस स्थिति में सीने में दर्द हल्के से गंभीर हो सकता है।
- सांस लेने में तकलीफ: कार्डियक अतालता के कारण हृदय रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करने में सक्षम नहीं हो पाता है, जिसके कारण सांस लेने में भी दिक्कत होती है।
- चक्कर आना: यह पूर्ण रूप से सत्य है कि अतालता के कारण मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है, जिसके कारण व्यक्ति को चक्कर आने जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- बेहोशी: कार्डियक अतालता के गंभीर मामलों में बेहोशी तक की संभावना लगतार बनी रहती है।
- थकान: थकान और कमजोरी महसूस होना भी इस स्थिति का एक मुख्य लक्षण माना जाता है।
कार्डियक अतालता के प्रकार
अतालता के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि -
- टैचीकार्डिया: इस स्थिति में हृदय की धड़कन सामान्य से अधिक होती है।
- ब्रैडीकार्डिया: इस प्रकार के कार्डियक अतालता में हृदय की धड़कन सामान्य से धीमी होती है।
- एट्रियल फाइब्रिलेशन: यह सबसे आम प्रकार की अतालता है, जिसमें हृदय के ऊपरी भाग अनियमित रूप से धड़कती है। इस प्रकार के अतालता से बहुत सारे रोगी प्रभावित होते हैं।
- वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन: यह एक गंभीर प्रकार की अतालता है, जिसमें हृदय का निचला भाग अनियमित रूप से धड़कता है।
यह कार्डियक अतालता के मुख्य प्रकार हैं। इसके अतिरिक्त भी कई अन्य प्रकार के कार्डियक अतालता हैं जैसे कि -
- प्रीमेच्योर एट्रियल कॉन्ट्रेक्शन (Premature Atrial Contractions)
- प्रीमेच्योर वेंट्रिकुलर कॉन्ट्रेक्शन (Premature Ventricular Contractions)
- एट्रियल फलट्टर (Atrial flutter)
- वेंट्रिकुलर टेककार्डिया (वी-टाक; V-tach)
- वेंट्रिक्युलर फिब्रिलेशन (Ventricular fibrilation)
- लॉंग क्यूटी सिंड्रोम (Long QT syndrome)
- ब्रैडी एरिथमिया (Bradyarrhythmias)
- साइनस नोड डिसफंक्शन (Sinus node dysfunction)
- पैरक्सिज़म सूप्रविंट्रिक्यूलर टेकीकार्डिया (पीएसवीटी; PSVT)
कार्डियक अतालता के लिए उपचार विकल्प
कार्डियक अतालता का उपचार मुख्य रूप से इसके प्रकार पर निर्भर करता है। हालांकि इलाज के लिए कई विकल्प मौजूद है जैसे कि -
- दवाएं: कुछ दवाओं की मदद से हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने और लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
- कैथेटर एब्लेशन: इस प्रक्रिया में एक पतली ट्यूब का उपयोग होता है, जिसकी मदद से हृदय के प्रभावित भाग को नष्ट कर दिया जाता है, जिससे दिल की धड़कन में उतार-चढ़ाव बंद हो जाता है।
- पेसमेकर: पेसमेकर एक छोटा सा आधुनिक उपकरण है, जिसे हृदय में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है और दिल में होने वाली अनिमितता को फिर से दुरुस्त किया जाता है।
- इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफाइब्रिलेटर (ICD): यह एक और आधुनिक एवं छोटा सा उपकरण है, जिसे हृदय में ट्रांसप्लांट किया जाता है और दिल की धड़कन को नियंत्रित किया जाता है। इसकी मदद से कार्डियक अतालता के गंभीर मामलों का इलाज आसानी से संभव हो सकता है।
हृदय में होने वाली अनिमितता से बचाव के लिए कुछ जीवनशैली में बदलाव बहुत ज्यादा आवश्यक है। इनकी मदद से हृदय रोग के जोखिम को भी कम करने में मदद मिलती है। निम्न स्वस्थ आदतों को अपनाने से आपको बहुत लाभ मिलने वाला है -
- ह्रदय को स्वस्थ रखने वाले आहार का सेवन करें।
- शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएं।
- धूम्रपान से दूरी बनाएं।
- स्वस्थ एवं संतुलित वजन बनाए रखें।
- कैफीन और शराब के सेवन को सीमित करें।
- तनाव कम करें।
- किसी भी दवाओं के उपयोग से पहले डॉक्टरी सलाह ज़रूर लें।
- नियमित व्यायाम करें।
निष्कर्ष
कार्डियक अतालता एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इसका इलाज संभव है। यदि आपको अपने शरीर में अतालता के कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें। जितनी जल्दी अतालता का निदान और इलाज होगा, भविष्य में उतने ही बेहतर परिणाम मिलने की संभावना होगी।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
हार्ट अटैक कितनी बार आता है?
हार्ट अटैक के आने की गितनी कोई स्पष्ट नहीं है। यदि पहले हार्ट अटैक आ चुका है, तो फिर से हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है। नियमित जांच और सही उपचार से इस स्थिति का इलाज संभव है।
साइलेंट अटैक कैसे आता है?
साइलेंट हार्ट अटैक में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं आते है। हालांकि कुछ मामलों में हल्का दर्द (सीने में), थकान, सांस लेने में तकलीफ, या पसीना आना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसे नजरअंदाज करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है।
हार्ट अटैक का कैसे पता चलता है?
हार्ट अटैक के लक्षणों में सीने में तेज दर्द, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, ठंडा पसीना होना, और बाजुओं या गर्दन में दर्द शामिल है। यदि इनमें से कोई लक्षण हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ईसीजी और खून की जांच से इस स्थिति की पुष्टि हो सकती है।