अच्छी आदतें, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, स्ट्रेस-कंट्रोल और समय-समय पर चेकअप कुछ ऐसी चीजें हैं, जो 40 की उम्र के बाद आपको आपके दिल की देखभाल में बहुत मदद करते हैं। स्वस्थ दिल लंबी जिंदगी का ज़रिया है।
40 की उम्र होते ही हमारे मन में अक्सर यह ख्याल उठता है कि अब हमें अपने दिल का ख्याल रखना होगा और यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर के साथ-साथ दिल की धमनियां और मांसपेशियां भी बदलती हैं। रिसर्च के अनुसार, भारत में हर 4 में से 1 व्यक्ति हृदय रोग की चपेट में आता है और यह खतरा 40 के बाद लगभग दोगुना हो जाता है।
इस उम्र के बाद शरीर में कोलेस्ट्रॉल का प्लाक जमना तेज़ हो जाता है, ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की अनियमितताएं उत्पन्न हो सकती हैं और तनाव (स्ट्रेस) व मोटापा जैसे फैक्टर्स भी बढ़ जाते हैं। कई बार लोग दिल की बीमारियों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ये “साइलेंट किलर” जैसी होते हैं। ऐसे में हृदय स्वास्थ्य के लिए सही जानकारी, दिल की देखभाल के उपाय और समय-समय पर चेकअप ही आपकी सुरक्षा का पहला डिफेंस है। दिल के स्वास्थ्य के लिए सबसे आवश्यक है एक अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट से परामर्श लेना और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करना।
40 की उम्र के बाद दिल के सेल्स और धमनियों में बदलाव शुरू हो जाता है। हार्मोनल बदलाव, स्ट्रेस, लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों के कारण धमनियां सख्त और संकरी होती जाती हैं और हृदय का पम्पिंग इफिशिएंसी धीरे-धीरे घटने लगता है।
इसलिए, इस उम्र में समय-समय पर दिल की सेहत का रूटीन चेकअप, लाइफस्टाइल बदलाव और सही खानपान बेहद जरूरी है।
यदि आप अपने दिल को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो सबसे पहला कदम हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना होता है। निम्न आदतों को अपनाकर आप एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन व्यतीत कर सकते हैं -
हेल्दी लाइफस्टाइल के बाद दूसरे नंबर पर सबसे अधिक महत्वपूर्ण है आपका खान-पान। यदि आप हार्ट-फ्रेंडली डाइट का पालन करते हैं, तो भी आप अपने दिल का ख्याल अच्छे से रख पाएंगे। आपको अपने दैनिक खानपान में इन निम्न बातों का खास ख्याल रखना चाहिए -
इन आसान बदलावों को अपनी डाइट में शामिल करें और दिल की बीमारी से बचाव करें। यदि कोई नई डाइट प्लान फॉलो करने जा रहे हैं (जैसे कीटो), तो डॉक्टर से सलाह करना ज़रूरी है क्योंकि बिना निगरानी के शारीरिक हानि हो सकती है।
दिल की स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने की कड़ी में तीसरे नंबर का महत्वपूर्ण कदम है नियमित व्यायाम और फिजिकल एक्टिविटी। चलिए इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातों को समझते हैं।
दिल की सेहत के लिए व्यायाम सबसे अहम है। यह ना सिर्फ हार्ट को एक्टिव बनाता है, बल्कि ब्लड प्रेशर व शुगर लेवल को भी कंट्रोल करता है।
स्ट्रेस मैनेजमेंट और नींद को हम इस सूची में अंत में ज़रूर लिख रहे हैं, लेकिन इसकी महत्वता और भी ज्यादा है क्योंकि क्रोनिक स्ट्रेस कार्डियक डिजीज की संभावना को डेढ़ गुना तक बढ़ा सकता है। निम्न तरीकों से आप स्ट्रेस को मैनेज कर अच्छी नींद ले सकते हैं -
इन उपायों की मदद से आप एक अच्छी गुणवत्ता वाली नींद ले सकते हैं।
40 के बाद निम्न स्वास्थ्य जांच जरूर कराएं -
यदि फैमिली हिस्ट्री या कोई अन्य रिस्क है, तो “ASCVD रिस्क एस्टिमेटर” जैसे टूल्स या कोरोनरी कैल्शियम स्कैन कराने की भी सलाह दी जाती है। सभी रिपोर्ट्स नियमित डॉक्टरी सलाह के साथ शेयर करें और किसी भी तरह के सीने में दर्द, थकान, सांस फूलना या असामान्य लक्षण हो तो तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें। इन सभी टेस्ट में हाई बीपी और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच मुख्य रूप से होती है, क्योंकि यह हार्ट डिजीज के मुख्य जोखिम कारक हैं।
40 के बाद दिल की सेहत के लिए यह सारे टिप्स आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं। आज ही अपने दिल की देखभाल को अपनी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बनाएं, क्योंकि स्वस्थ दिल ही जीवन की असली दौलत है। यदि आप इन टिप्स का पालन पहले से करते आ रहे हैं और फिर भी आपको हृदय की समस्याएं परेशान कर रही हैं, तो यह संकेत देता है कि आप सबसे पहले हमारे कार्डियोलॉजिस्ट से मिलें और अपने दिल की जांच कराएं।
जी हां, 40 के बाद दिल की धमनियों में कैल्शियम और फैट जमा होने की प्रक्रिया बढ़ जाती है, जिससे खतरा लगभग दोगुना हो जाता है।
ब्लड प्रेशर, लिपिड प्रोफाइल, ब्लड शुगर (FBS/PP/HbA1c), ECG, 2D Echo और BMI चेकअप वह कुछ आवश्यक टेस्ट है, जो आपको कराने चाहिए।
ऑलिव ऑयल, नट्स, दालें, हरी सब्जियां, फल, मछली, ओट्स, और लो-फैट डेयरी आपके लिए लाभकारी हो सकते हैं।
बिल्कुल! रोजाना 30 मिनट वॉक हार्ट हेल्थ के लिए अमृत समान है और दिल की बीमारी का रिस्क भी कम करता है।
धूम्रपान, अधिक शराब, जंक फूड, मोटापा, तनाव, और बैठे रहना वह कुछ आदतें हैं, जो दिल के लिए खतरे की घंटी है।
हां, रोजाना वॉक करने से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और वजन नियंत्रित रहता है, जिससे दिल की बीमारी के रिस्क में कमी आती है।
Written and Verified by:
Dr. Anil Mishra is the Director of Cardiology Dept. at BM Birla Heart Hospital, Kolkata, with over 33 years of experience. He specializes in complex angioplasties, pacemaker & AICD implantation, CRT-D, TAVI, and was the first in Eastern India to perform rotablation and implant leadless pacemakers.
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