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हाइपरटेंशन और हृदय रोग: क्या है संबंध?

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हाइपरटेंशन और हृदय रोग: क्या है संबंध?

Cardiology | by Dr. Shuvo Dutta | Published on 20/09/2024


Table of Contents

हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप हृदय रोग का एक प्रमुख जोखिम कारक है। यह इतना खतरनाक है कि इसे "साइलेंट किलर" के नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे का कारण हाइपरटेंशन के शुरुआती लक्षणों का पता ही नहीं चलना है और यदि इस स्थिति को अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो इसके कारण गंभीर नुकसान होने की संभावना भी प्रबल होती है।

इस ब्लॉग में हम हाइपरटेंशन और हृदय रोग के बीच के 7 महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि कैसे इसका इलाज किया जाए। हृदय रोग से बचने का सबसे अच्छा विकल्प है हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना।

उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन क्या है?

हाई ब्लड प्रेशर की समस्या तब होती है, जब हमारे शरीर की धमनियों में रक्त लगातार धमनी की दीवारों पर बहुत अधिक दबाव डालता है। जब ब्लड प्रेशर की रीडिंग 130/80 mm Hg या उससे अधिक होती है, तो उसे हाइपरटेंशन के नाम से जाना जाता है। अक्सर यह स्थिति लंबे समय तक अनुपचारित रह जाती है, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं और हृदय को लगातार नुकसान होता रहता है, जिसके कारण बहुत सारी जटिलताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। 

हाइपरटेंशन और हृदय रोग के बारे में 7 तथ्य

हाइपरटेंशन और हृदय रोग के संबंध में कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिनके बारे में लोगों को अवश्य पता होना चाहिए जैसे कि - 

तथ्य 1: हाई ब्लड प्रेशर हृदय रोग के जोखिम को दोगुना कर देता है।

हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय के आसपास की रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिसके कारण हृदय रोग के होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। 

तथ्य 2: धमनी को नुकसान पहुंचाता है।

यह सत्य है कि हाई ब्लड प्रेशर के कारण रक्त की धमनियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे धमनी की परतों को नुकसान पहुंचाता है, जिसे चिकित्सा भाषा में एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। इसमें धमनियां संकीर्ण हो जाती है, जो हृदय में रक्त के प्रवाह को प्रतिबंधित करता है।

तथ्य 3: हाई ब्लड प्रेशर हृदय विफलता की ओर ले जाता है।

लंबे समय से होने वाले हाइपरटेंशन के कारण हृदय को रक्त के सही प्रवाह को बनाए रखने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हृदय की कार्यक्षमता को अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ता है। इसके कारण हृदय समय के साथ कमजोर हो जाता है और हृदय विफलता या हार्ट फेल्योर की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। 

तथ्य 4: हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है।

स्ट्रोक के सभी जोखिम कारकों में हाई ब्लड प्रेशर एक प्रमुख जोखिम कारक है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण दिमाग की रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती है, जिसके वह कारण टूटने लगते हैं या इनमें रुकावट आने लगती है। 

तथ्य 5: हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग के शुरुआती लक्षण नहीं दिखते हैं।

यह सत्य है कि हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग के लक्षण शुरुआत में विकसित नहीं होते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि लक्षण उत्पन्न ही नहीं होते हैं। हृदय रोग की स्थिति में कुछ लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे कि - सीने में दर्द, सांस की तकलीफ और थकान। 

तथ्य 6: हाई ब्लड प्रेशर के कारण गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है?

उच्च रक्तचाप गुर्दे की रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे उनकी फ़िल्टरिंग क्षमता को नुकसान होता है और हृदय रोग के साथ-साथ गुर्दे की समस्या के जोखिम को भी बढ़ाता है। 

तथ्य 7: जीवनशैली में बदलाव हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है।

स्वस्थ जीवनशैली विकल्प, जैसे कि DASH डाइट, नियमित व्यायाम और स्ट्रेस मैनेजमेंट, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।

उच्च रक्तचाप हृदय रोग का कारण कैसे बनता है?

उच्च रक्तचाप के कारण हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि - 

  • कोरोनरी धमनी रोग: हाई ब्लड प्रेशर के कारण धमनियां संकीर्ण और क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस स्थिति को कोरोनरी धमनी रोग कहा जाता है। इसके कारण हृदय तक रक्त का संचार नहीं होता है, जिससे सीने में दर्द होता है, जिसे एनजाइना कहा जाता है। इससे हृदय की गति में अनियमितता आती है, जो हृदय रोग का मुख्य कारण है। 
  • दिल का दौरा: हाई ब्लड प्रेशर हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है। समय के साथ, यह हृदय की मांसपेशियों को कमजोर या कठोर बनाने लगता है और ठीक से काम नहीं करता है। इसके कारण धीरे-धीरे हृदय विफल होने लगता है।
  • हृदय के बाएं भाग का बढ़ना: हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में हृदय को शरीर के बाकी के हिस्से तक रक्त को पंप करने का कार्य करता है, जिससे हृदय के निचले बाएं हृदय का कक्ष (वेंट्रिकल) मोटे और बड़े हो जाते हैं। हृदय के आकार में बदलाव मृत्यु के जोखिम को बढ़ाता है।
  • मेटाबोलिक सिंड्रोम: यह प्रमाणित है कि हाई ब्लड प्रेशर के कारण मेटाबोलिक सिंड्रोम का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम बढ़ने से हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा भी लगातार बना रहता है। ब्लड प्रेशर के अतिरिक्त ब्लड शुगर, और ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर के कारण भी मेटाबोलिक सिंड्रोम बढ़ सकता है। 

हृदय रोग के लक्षण और चेतावनी संकेत

हालांकि हाई ब्लड प्रेशर में अक्सर कोई लक्षण उत्पन्न नहीं होता है, लेकिन हृदय रोग के कारण कुछ लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि - 

  • सांस की तकलीफ
  • अनियमित दिल की धड़कन
  • सीने में दर्द, दबाव, भारीपन, या बेचैनी
  • चक्कर आना या बेहोशी
  • गर्दन में दर्द
  • मतली या उल्टी के साथ घुटन महसूस होना
  • शरीर के निचले हिस्से में सूजन
  • सोने में कठिनाई

इन लक्षणों के उत्पन्न होते ही हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत एक अच्छे एवं अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

हाइपरटेंशन का उपचार

हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन का इलाज करना बहुत सरल है। लेकिन यह इलाज तभी कारगर साबित होगा, जब आप इसका प्रबंधन शुरुआती चरण में ही कर दें। जीवनशैली में बदलाव करने से हाई ब्लड प्रेशर को आसानी से नियंत्रित और प्रबंधित किया जा सकता है। हाई बीपी से बचने के लिए आप निम्न बदलावों को अपनी जीवनशैली में अपना सकते हैं - 

  • नमक के सेवन को कम करें।
  • शारीरिक गतिविधि को बढ़ाएं।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें या वजन कम करें।
  • शराब सीमित करें।
  • धूम्रपान न करें।
  • प्रतिदिन 7 से 9 घंटे की नींद लें।

कुछ मामलों में जीवनशैली में बदलाव हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं। यदि इससे कोई भी लाभ नहीं मिलता है, तो हाई बीपी के इलाज के लिए दवा की आवश्यकता पड़ती है। 

हाइपरटेंशन के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली दवा के प्रकार आपके समग्र स्वास्थ्य और हाई ब्लड प्रेशर के रीडिंग के आधार पर निर्भर करते हैं। यदि ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा है, तो अक्सर दो दवाओं की आवश्यकता पड़ती है। किस दवा से आपको लाभ मिलेगा, इसका उत्तर आपके डॉक्टर ही दे सकते हैं। एसीई अवरोधक, बीटा-ब्लॉकर्स, मूत्रवर्धक दवाएं आपके लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। बिना डॉक्टरी सलाह के दवा न लें।

निष्कर्ष

हाई ब्लड प्रेशर हृदय रोग का एक प्रमुख जोखिम कारक है, लेकिन सही एवं सटीक जानकारी और जीवनशैली में बदलाव के साथ आप हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। नियमित निगरानी, हृदय-स्वस्थ आहार और तनाव प्रबंधन से स्वस्थ हृदय को बनाए रखने में कुशल हो सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाएं?

हाइपरटेंशन की स्थिति में हमेशा DASH डाइट का पालन करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है - 

  • फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स को अपने आहार में शामिल करें। 
  • लीन प्रोटीन से होगा लाभ।
  • कम वसा वाले डेयरी उत्पाद के सेवन को बढ़ाएं। 
  • नमक का सेवन कम करें।

मुझे अपना रक्तचाप कितनी बार जांचना चाहिए?

यदि आप घर पर ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं, तो प्रयास करें कि हर दो या तीन दिन में ऐसा करें। हर रोज बीपी की जांच करने से आपको स्ट्रेस भी अधिक होगा। इसके अतिरिक्त ब्लड प्रेशर की जांच के लिए हर कुछ समय (3-6 महीने) में डॉक्टर से सलाह लें। 

जीवनशैली में क्या बदलाव मदद कर सकते हैं?

निम्न जीवनशैली में बदलाव करने से आपको बहुत लाभ मिल सकता है जैसे कि - 

  • एक दिन में कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करें। 
  • स्वस्थ आहार जैसे फल, सब्जियां और होल ग्रेन्स को अपने आहार में शामिल करें। 
  • शराब का सेवन सीमित करें और धूम्रपान छोड़ें
  • तनाव कम करें