आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं, लोग अब अपने हार्ट हेल्थ पर नजर रखने के लिए स्मार्टवॉच, फिटनेस ट्रैकर और हार्ट मॉनिटर जैसे पहनने योग्य डिवाइसेज को अपना रहे हैं। यह डिवाइसेज हार्ट बीट, बीपी, नींद और फिजिकल एक्टिविटी को ट्रैक करने में मदद करते हैं।
आजकल कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पहले जमाने में लोगों को 50 की उम्र के बाद हार्ट डिजीज होती थी, लेकिन आज के समय में जवान से लेकर बूढ़े तक में हृदय रोग एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। हाई ब्लड प्रेशर, तेज दिल की धड़कन, स्ट्रेस और फिजिकल एक्टिविटी कम करना दिल से जुड़ी बीमारियों की वजह बन रहा है। वहीं, अब लोग मॉर्डन टेक्नोलॉजी की मदद से अपनी हार्ट हेल्थ का ध्यान रखने की कोशिश कर रहे हैं।
लोगों ने स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर जैसे पहनने योग्य डिवाइस (wearable devices) की मदद से अपने दिल की सेहत पर हर दिन ध्यान देना शुरू कर दिया है। लेकिन, अभी भी मन में कई बार सवाल आता है कि क्या ये डिवाइस असल में काम करती हैं, क्या इनके द्वारा दिया गया डेटा सही होता है और क्या हम इन पर पूरी तरह से निर्भर हो सकते हैं?
इस तरह के सवालों के जवाब पाने के लिए आप हमारे कार्डियोलॉजिस्ट से बात करके उनसे सलाह ले सकते हैं और जान सकते हैं कि कौन-सी डिवाइस पहनकर आप अपनी हार्ट हेल्थ का ध्यान अच्छी तरह से रख सकते हैं।
आज के डिजिटल युग में लोग सबसे ज्यादा स्मार्टवॉच, फिटनेस बैंड या फिटनेस ट्रैकर पहनना पसंद करते हैं। इन डिवाइसेज में छोटे-छोटे सेंसर लगे होते हैं, जो आपकी हेल्थ से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियों को रिकॉर्ड करते हैं, जैसे कि-
स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर आपके स्मार्टफोन से कनेक्ट हो जाते हैं। आपको स्मार्टफोन में ऐप्स को डाउनलोड करना होता है और फिर आप अपने हेल्थ डेटा को रोजाना, साप्ताहिक और मासिक आधार पर चेक कर सकते हैं। इससे आपको यह समझने में मदद मिलती है कि आपका हार्ट कैसे काम कर रहा है, आपकी नींद पूरी हो रही है या नहीं, आप रोजाना कितनी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं।
स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर के अलावा बीपी मॉनिटर और दूसरी डिजिटल हेल्थ डिवाइसेज आपकी हार्ट हेल्थ की निगरानी के लिए एक आसान तरीका बन गए है। हम आपको कुछ वियरेबल डिवाइसेज के बारे में बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप हार्ट के साथ-साथ हेल्थ पर भी रोजाना नजर रख सकते हैं।
अब स्मार्टवॉच केवल टाइम देखने के लिए नहीं, बल्कि एक मिनी हेल्थ मॉनिटर बन चुकी है और लगातार उसमें नये-नये सेंसर्स को जोड़ा जा रहा है, ताकि आपके शरीर से जुड़ी सभी जानकारियों को वह उपलब्ध करा सकें। अभी तक स्मार्टवॉच के सेंसर हार्ट बीट, स्लीप साइकिल और फिजिकल एक्टिविटी को ट्रैक करती हैं।
स्मार्टवॉच पहनने के फायदे
हार्ट रेट मॉनिटर डिवाइस खास तौर पर दिल की धड़कन यानी हार्ट बीट की स्पीड को मापने के लिए होता है। आमतौर पर यह एक ब्रेसलेट, बेल्ट या घड़ी के रूप में मार्केट में उपलब्ध है। इसे एथलीट्स और हाई ब्लड प्रेशर वाले लोग वर्कआउट करने के दौरान पहनते हैं। यह डिवाइस एक्सरसाइज करते समय आपके हार्ट जोन को ट्रैक करने में मदद करती है।
हार्ट रेट मॉनिटर डिवाइस पहनने के फायदे
फिटनेस ट्रैकर का काम आपके दिनभर की फिजिकल एक्टिविटीज पर नजर रखना होता है। यह डिवाइस बताती है कि आपने दिनभर में कितने कदम चले, कितनी कैलोरी बर्न की और आपने कितनी नींद ली।
फिटनेस ट्रैकर पहनने के फायदे
मार्केट में आजकल दिल की सेहत को गहराई से जांचने के लिए कुछ खास कंपनियां स्मार्टवॉच के साथ हार्ट मॉनिटरिंग फीचर्स भी दे रही हैं। जिसकी मदद से आप ECG रिपोर्ट, SpO₂(ब्लड ऑक्सीजन) और इरेगुलर हार्टबीट को चेक कर सकते हैं।
अधिकतर घरों में ब्लड प्रेशर नापने के लिए ब्लड प्रेशर मॉनिटर का इस्तेमाल किया जाता है। जिन लोगों को हाइपरटेंशन या हाई बीपी की शिकायत होती है, उन्हें सुबह-शाम इस डिवाइस की मदद से बीपी को चेक करने में आसानी हो जाती है।
बीपी मॉनिटर के फायदे
इस डिवाइस का इस्तेमाल करके स्ट्रोक या हार्ट अटैक का खतरा कम किया जा सकता है।
यह एक स्पेशल डिवाइस है, जो 24 घंटे लगातार आपकी हार्ट एक्टिविटीज को रिकॉर्ड करती है। वहीं, कुछ डिवाइसेज डॉक्टर्स द्वारा दी जाती है, जिसकी मदद से आप स्ट्रोक, हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट जैसे संकेतों को जान सकते हैं।
आजकल स्मार्टवॉच, फिटनेस ट्रैकर और हार्ट मॉनिटर जैसे पहनने योग्य डिवाइस आपकी हार्ट हेल्थ की देखभाल में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। ये डिवाइसेज न केवल आपकी दिनभर की फिजिकल एक्टिविटी को ट्रैक करती हैं, बल्कि कई मायनों में फायदेमंद हो सकती हैं।
हालांकि स्मार्टवॉच, फिटनेस ट्रैकर और हार्ट मॉनिटर जैसी पहनने योग्य डिवाइस भले ही आपकी हार्ट हेल्थ की निगरानी के लिए फायेदमंद होती हैं, लेकिन इनकी कुछ कमियां भी हैं। इनका इस्तेमाल सोच-समझकर और कुछ मामलों में डॉक्टर्स की सलाह के साथ करना जरूरी है।
अगर आप स्मार्टवॉच, फिटनेस ट्रैकर जैसी वियरेबल डिवाइसेज को ढीला पहनते हैं, तो इनमें लगे सेंसर कई बार गलत रीडिंग भी दे सकते हैं। कई बार ये डिवाइस बहुत ज्यादा पसीना आने या तेज वर्कआउट करने पर गलत रीडिंग भी दे सकते हैं। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि अगर आपको किसी तरह की समस्या लग रही है, तो डॉक्टर के पास जाकर चेकअप जरूर कराएं।
अगर आपकी स्मार्टवॉच बार-बार आपको अलर्ट भेजती है, तो इससे आपको घबराहट भी हो सकती है। कई बार लगातार हेल्थ रिपोर्ट चेक करना भी चिंता का कारण बन सकता है। इसलिए, इन डिवाइसेज पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करें।
आप जो स्मार्टवॉच या फिटनेस ट्रैकर जैसी वियरेबल डिवाइसेज पहनते हैं उनके डेटा इंटरनेट या क्लाउड पर स्टोर होता है, जिससे डेटा लीक होने का खतरा भी पैदा हो सकता है।
इन पहनने योग्य डिवाइसेज को बार-बार चार्ज करना पड़ता है और कई डिवाइस तभी काम करते हैं, जब आप उन्हें स्मार्टफोन से कनेक्ट करते हैं। कई बार इंटरनेट या ऐप की खराबी की वजह से डेटा सही नहीं दिखाई देता है। ऐसे में कई कार्डियोलॉजिस्ट पहले ही कह चुके हैं कि पहनने योग्य डिवाइस मददगार जरूर हैं, लेकिन इनकी लिमिटेशन समझना भी जरूरी है। इन्हें एक सहायक डिवाइस की तरह इस्तेमाल करें, न कि इलाज के विकल्प के रूप में।
स्मार्टवॉच, फिटनेस बैंड और हार्ट मॉनिटर जैसे पहनने योग्य डिवाइस (wearable devices)आजकल हार्ट हेल्थ पर नजर रखने के लिए खूब इस्तेमाल किए जा रहे हैं। लेकिन, कई बार हमारे मन में सवाल आता है कि क्या इनका डेटा सही होता है? इसका जवाब है कि कई बार काफी सटकी होता है लेकिन 100 फीसदी आप भरोसा नहीं कर सकते हैं। वियरेबल डिवाइसेज की सटीकता कुछ बातों पर निर्भर करती है, जैसे कि आपने डिवाइस कौन-सा ब्रांड का पहना हुआ है और कैसे पहना है। इसके अलावा डिवाइस में लगे सेंसर कितने अच्छे हैं।
आजकल लोग अपने घरों में अपनी सेहत पर नजर रखने के लिए कुछ डिवाइसेज रखते हैं, जिसकी मदद से वे हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट हेल्थ चेक कर पाते हैं। आइए जानते हैं कि घर पर किन डिवाइसेज को रखना सही रहता है।
डिजिटल ब्लड प्रेशर मॉनिटर : यह डिवाइस आपके ब्लड प्रेशर और पल्स रेट को चेक करती है। इसका इस्तेमाल करना बहुत आसना है, बस आपको मशीन का कफ हाथ पप बांधकर बटन को दबाना है और रिजल्ट स्क्रीन पर दिखाई दे जाएगा।
पोर्टेबल ECG मशीन : यह छोटी-सी मशीन होती है और आपको अपनी उंगलियों को मशीन के सेंसर पर रखना होता है और 30 सेकेंड में ECG रिपोर्ट मिल जाती है। इस रिपोर्ट को आप डॉक्टर को भेज सकते हैं।
पल्स ऑक्सीमीटर : इस छोटी-सी डिवाइस को उंगली पर लगाया जाता है, जो ब्लड में ऑक्सीजन लेवल और पल्स रेट को दिखाता है।
वियरेबल डिवाइसेज भले ही आपकी मदद कर सकती हैं, लेकिन जब डिवाइस पर कुछ संकेत ऐसे दिखाई देने लगे जैसे किअगर आपको डिवाइस पर बार-बार अनियमित हार्टबीट दिखाई दे, आपके दिल की धड़कन तेज और धीमी बार-बार होने लगे। अगर आपको सीने में दर्द, सांस फूलना, चक्कर आना और बार-बार थकान महसूस हो, तब आपका डॉक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है।
पूरी तरह से नहीं, स्मार्टवॉच आपको सीधे तौर पर हार्ट अटैक का अलर्ट नहीं दे सकती हैं। लेकिन यह डिवाइस आपको कुछ संकेत देकर दिल की तकलीफ की ओर इशारा कर सकती है।
किसी भी उम्र में आप हार्ट हेल्थ डिवाइस का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन, 30 साल की उम्र के बाद दिल की सेहत का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है।
कोई ऐसा ऐप नहीं है जो 100 फीसदी सही डेटा प्रदान करता हो, लेकिन आप कार्डियोस्मार्ट360, मेडीसेफ , कार्डियामोबाइल, पेसर, फूडुकेट, ध्यान ऐप्स, फ्रीसीबीटी, पल्सपॉइंट जैसे ऐप्स की मदद से हार्ट हेल्थ पर नजर रख सकते हैं।
दिन में कम से कम 2 बार ब्लड प्रेशर चेक करना सही रहता है। आप सुबह खाने या दवाई लेने से पहले बीपी माप सकते हैं और फिर शाम को दोबारा माप सकते हैं। हर बार बीपी मॉनिटर से ब्लड प्रेशर चेक करते समय दो से तीन बार मापें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रिजल्ट एक जैसे हैं।
स्मार्टवॉच से लेकर फिटनेस ट्रैकर तर पहनने योग्य डिवाइस आपकी हेल्थ पर नजर रखने का बढ़िया ऑप्शन हैं। लेकिन, ये कभी भी डॉक्टर या मेडिकल टेस्ट की जगह नहीं ले सकते हैं। अगर आपको लगातार कोई शारीरिक दिक्कत महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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