डब्ल्यूएचओ या विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की आधिकारिक वेबसाइट के आधार पर यह पुष्टि होती है कि भारत की युवा आबादी हृदय संबंधी रोग (CVD) के प्रति तेजी से आगे बढ़ रही है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार देश में 40-69 वर्ष आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 45% मौतें हृदय संबंधी रोगों के कारण होती है। युवाओं में हृदय रोग का प्रसार धीरे-धीरे बढ़ने लगा है, जो कि एक चिंता का विषय बना हुआ है।
डब्ल्यूएचओ या विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की आधिकारिक वेबसाइट के आधार पर यह पुष्टि होती है कि भारत की युवा आबादी हृदय संबंधी रोग (CVD) के प्रति तेजी से आगे बढ़ रही है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार देश में 40-69 वर्ष आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 45% मौतें हृदय संबंधी रोगों के कारण होती है। युवाओं में हृदय रोग का प्रसार धीरे-धीरे बढ़ने लगा है, जो कि एक चिंता का विषय बना हुआ है।
मैं डॉ. अशोक बी मालपानी, अपने 34 वर्षों के अनुभव से यह बता सकता हूं कि आधुनिक जीवनशैली, तनाव और अन्य स्वास्थ्य समस्या युवाओं में बढ़ते हृदय रोग का कारण बनते जा रहा है। चलिए इस ब्लॉग से युवाओं में बढ़ते हृदय रोग के सभी कारण और समाधान को जानते हैं। हृदय रोग का इलाज किसी भी घरेलू उपाय से स्वयं करने का प्रयास न करें। लक्षण दिखने पर तुरंत एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।
हृदय रोग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय की सामान्य संरचना और कार्य प्रभावित होता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो इसके प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं जैसे कि -
वर्तमान में बहुत सारे युवा हृदय रोग जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें से मुख्य कारणों को नीचे विस्तार से बताया गया है -
युवाओं में हृदय रोग के लक्षण सामान्य लक्षण के समान ही होते हैं। इस स्थिति में रोगी को निम्न लक्षणों का अनुभव हो सकता है -
यदि आपको भी ऐसे लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें और इलाज लें।
युवाओं में हृदय रोग के इलाज के लिए कुछ बातों का सख्ती से पालन करना होगा जैसे कि -
कई बड़े सितारों ने भी अपने युवा उम्र में हार्ट अटैक का सामना किया है और कुछ ने तो हाल फिलहाल में अपनी जान भी गवाई है। इसलिए हृदय रोग को हल्के में न लें और सही जागरूकता के साथ इस रोग का इलाज कराएं। इसके अतिरिक्त भी आप इस वीडियो को देखकर भी अपने हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं।
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, स्ट्रेस मैनेजमेंट और हानिकारक आदतों से बचाव इस ब्लॉग के मुख्य बिंदु है। नियमित जांच और नियमित व्यायाम आपके स्वस्थ हृदय का सार है। अधिक समस्या दिखने पर तुरंत अपने पास के हार्ट स्पेशलिस्ट से मिलें या फिर हमसे संपर्क करें।
जीवन के सभी पहलुओं में संयम और संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अधिक वजन दर्शाता है कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल और अन्य हानिकारक पदार्थ जम रहा है, जो हृदय रोग का एक मुख्य जोखिम कारक है।
अनुलोम विलोम (नासिका से सांस लेना) और भ्रामरी (मधुमक्खी की सांस लेना) हृदय को स्वस्थ बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
हृदय रोग की स्थिति में निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है -
हृदय रोग की स्थिति में निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है -
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