क्या है कार्डियोमायोपैथी? कारण, लक्षण और उपचार की जानकारी
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क्या है कार्डियोमायोपैथी? कारण, लक्षण और उपचार की जानकारी

Cardiology | by Dr. Rakesh Sarkar on 11/11/2024

Summary

कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) मांसपेशियों की एक बीमारी है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां बढ़ जाती है, मोटी हो जाती है या इसके आकार में बदलाव आ जाता है। इस विकृति के कारण हृदय अपना सामान्य काम करने में सक्षम नहीं हो पाता है, जिसके कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

यदि आपके घर में या आपके आस-पास कोई भी हृदय रोगी है तो आपने कभी न कभी कार्डियोमायोपैथी नाम का शब्द सुना ही होगा। यह एक विशेष मेडिकल स्थिति है, जिसमें हृदय की एक विशेष मांसपेशी प्रभावित होती है। 

कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) मांसपेशियों की एक बीमारी है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां बढ़ जाती है, मोटी हो जाती है या इसके आकार में बदलाव आ जाता है। इस विकृति के कारण हृदय अपना सामान्य काम करने में सक्षम नहीं हो पाता है, जिसके कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

यदि यह स्थिति अनुपचारित रह जाए, तो इसके कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए इस स्थिति का इलाज बहुत ज्यादा आवश्यक है। हृदय संबंधित किसी भी समस्या के इलाज के लिए तुरंत एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से इलाज लें, क्योंकि हृदय संबंधित समस्या के इलाज में बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए। 

कार्डियोमायोपैथी क्या है?

हमारे हृदय को परेशान करने वाली कई बीमारियों में से एक है कार्डियोमायोपैथी, जिसमें मायोकार्डियम (हृदय की मांसपेशी) प्रभावित होती है। इस रोग के कारण हमारे हृदय की मांसपेशियां कठोर, बड़ी और मोटी हो जाती हैं, जिसके कारण स्कार टिश्यू भी बन जाते हैं। इसके कारण हमारा हृदय शरीर की बाकी हिस्सों तक प्रभावी ढंग से रक्त संचार नहीं कर पाता है। 

यदि यह स्थिति अनुपचारित रहती है, तो समय के साथ आपका हृदय भी कमजोर हो सकता है, जिसके बाद कार्डियोमायोपैथी हृदय विफलता का कारण बन सकता है। इस स्थिति में सही समय पर उत्तम इलाज मिलना बहुत ज्यादा जरूरी है। कार्डियोमायोपैथी के गंभीर मामलों में तो हार्ट ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ सकती है। 

कार्डियोमायोपैथी के कारण:

कार्डियोमायोपैथी के बारे में जानकारी आपको दे दी गई है। चलिए समझते हैं कि कार्डियोमायोपैथी के मुख्य कारण क्या हैं - 

  • जेनेटिक कारक: कई मामलों में देखा गया है कि रोगी को यह रोग जीन्स के द्वारा मिलता हैं। हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HCM) एक जेनेटिक रोग है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं।
  • वायरल संक्रमण: कुछ प्रकार के वायरस हमारे शरीर पर हमला कर सकते हैं, जो हृदय के आकार और कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। कॉक्ससैकी वायरस एक ऐसा वायरस है, जो संक्रामक है और मानव पाचन तंत्र में ही रह सकता है। 
  • ऑटोइम्यून रोग: ल्यूपस जैसी कुछ स्वास्थ्य स्थितियां होती हैं, जो हमारे हृदय की मांसपेशियों पर हमला कर देती हैं। इसके अतिरिक्त रुमेटीइड गठिया भी हमारे शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को ट्रिगर करके हृदय की मांसपेशियों पर हमला कर सकते हैं। 
  • उच्च रक्तचाप: लंबे समय से उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर का होना कार्डियोमायोपैथी का एक मुख्य कारण साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लगातार ब्लड प्रेशर का बने रहने के कारण हृदय की मांसपेशियों को अतिरिक्त तनाव का सामना करना पड़ता है। 

कार्डियोमायोपैथी के लक्षण:

कार्डियोमायोपैथी की स्थिति में पेशेंट को निम्न लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है - 

कुछ लोगों में कार्डियोमायोपैथी की स्थिति में कोई भी लक्षण उत्पन्न नहीं होता है, लेकिन जब यह स्थिति बिना इलाज के आगे बढ़ती है, तो गंभीर लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। 

कार्डियोमायोपैथी के प्रकार

कई प्रकार के कार्डियोमायोपैथी एक व्यक्ति को परेशान कर सकते हैं और प्रत्येक प्रकार अनेक कारणों से उत्पन्न होते हैं। कार्डियोमायोपैथी के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं - 

  • हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी: इस प्रकार की कार्डियोमायोपैथी जेनेटिक होती है और इसमें मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं, जिससे हृदय अपना सामान्य काम नहीं कर पाता है। 
  • डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी: इसमें बायाँ वेंट्रिकल, जो हृदय का मुख्य पंपिंग कक्ष होता है, वह बड़ा हो जाता है। इसके कारण हृदय की मांसपेशियां पतली और खिची हुई महसूस होती है। इसके कारण हृदय ऑक्सीजन युक्त रक्त पंप नहीं कर पाता है, जिससे शरीर में पानी जमा हो जाता है, जो अंततः स्ट्रोक और हार्ट फेल्योर का कारण बनता है।
  • रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी: रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी (RCM) में, हृदय की मांसपेशियां अपना लचीलापन खो देती हैं, जिससे वह सख्त हो जाती है। इसके कारण हृदय की कार्यक्षमता में भारी गिरावट आती है, जो हृदय की विफलता का कारण भी बनती है।
  • एराइथमॉजेनिक राइट वेंट्रिकुलर डिसप्लासिया: एराइथमॉजेनिक राइट वेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी (ARVC) या डिस्प्लेसिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय में फैट जमा होने लग जाता है। इसमें मुख्य रूप से दाएं वेंट्रिकल प्रभावित होता है। इसके कारण हृदय की धड़कन भी प्रभावित होती है, जो अंततः हृदय की विफलता में परिवर्तित हो सकती है। 

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य प्रकार भी हैं जैसे कि - 

  • इस्केमिक कार्डियोमायोपैथी
  • ट्रांसथायरेटिन एमायलॉइडोसिस कार्डियोमायोपैथी (ATTR-CM)
  • ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (तनाव-प्रेरित या ताकोट्सुबो कार्डियोमायोपैथी)
  • कीमोथेरेपी-प्रेरित कार्डियोमायोपैथी
  • अल्कोहल-प्रेरित कार्डियोमायोपैथी
  • लेफ्ट वेंट्रिकुलर नॉन-कम्पैक्शन (LVNC)
  • पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी

कार्डियोमायोपैथी का इलाज कैसे किया जाता है?

कार्डियोमायोपैथी का इलाज करना थोड़ा सा मुश्किल कार्य साबित हो सकता है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस स्थिति का मुख्य इलाज इसके लक्षणों को मैनेज करके इस रोग की प्रगति को धीमा करना है। हालांकि इस रोग के इलाज के लिए हम भी अपने रोगियों को सबसे पहले जीवनशैली में बदलाव और दवाओं का सुझाव देते हैं। 

हालांकि इलाज के लिए किस प्रक्रिया का प्रयोग होगा, इसका निर्णय रोगी के स्वास्थ्य और रोग के प्रकार के आधार पर ही लिया जाता है। कार्डियोमायोपैथी के इलाज में निम्न विकल्प आपकी मदद कर सकते हैं - 

जीवनशैली में बदलाव

  • कम वसा और नमक वाले खाद्य पदार्थ खाएं।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • पूरी नींद लें।
  • तनाव के स्तर को कम करें।
  • तम्बाकू, शराब और धूम्रपान से बचें।

दवाएँ

कुछ मामलों में दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है। स्वास्थ्य स्थिति और रक्त के प्रवाह के आधार पर हम या कोई भी डॉक्टर निम्न में से कोई एक या इनके कॉबिनेशन की दवा का सुझाव दे सकते हैं - 

  • एंटीहाइपरटेन्सिव
  • रक्त पतला करने वाली दवाएं (एंटीकोएगुलंट्स)
  • एंटीअर्थमिक
  • कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स

दिल की तेज धड़कन को ठीक करने वाले उपकरण

इस स्थिति में दिल की धड़कन तेज हो जाती है, जिसे ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ उपकरण लगाते हैं, जैसे कि - 

इसकी मदद से दिल की धड़कन की लय बनी रहती है और व्यक्ति को कोई भी स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है। 

रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए उपकरण

दिल की धड़कन के साथ रक्त प्रवाह को भी मैनेज करना होगा। इसके लिए कई उपकरण लगाए जाते हैं जैसे कि - 

प्रक्रिया

यदि लक्षण गंभीर है, और ऊपर बताए गए सभी विकल्प कारगर साबित नहीं होते हैं, तो डॉक्टर इसके पश्चात कुछ अन्य सर्जिकल विकल्प या प्रोसीजर का सुझाव दे सकते हैं जैसे कि - 

बहुत ही कम मामलों में इन प्रक्रियाओं की आवश्यकता पड़ती है। आमतौर पर ओपन-हार्ट सर्जरी या हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह तब दी जाती है, जब सारे सर्जिकल विकल्प विफल हो जाते हैं। 

तो हृदय संबंधित जरा सी भी लापरवाही आपके या आपके करीबी के जान को खतरे में डाल सकती है। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत हमसे या फिर किसी भी अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ से बात करें।

कार्डियोमायोपैथी से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

कार्डियोमायोपैथी कितने समय तक रहती है?

कार्डियोमायोपैथी एक क्रोनिक रोग है, जो पूरे जीवन एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है। हालांकि जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है, लेकिन यह समस्या कितने समय कर रह सकती है, इसका कोई निश्चित उत्तर नहीं है। 

कार्डियोमायोपैथी और हार्ट फेलियर में क्या अंतर है?

कार्डियोमायोपैथी हृदय की मांसपेशियों की एक बीमारी है, जो हृदय की मांसपेशियों की विकृति के कारण उत्पन्न होती है, वहीं दूसरी तरफ हार्ट फेलियर कार्डियोमायोपैथी का एक संभावित परिणाम है।

कार्डियोमायोपैथी किस उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है?

यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि यह रोग बुजुर्गों में अधिक आम है, लेकिन जेनेटिक्स की समस्या के कारण यह किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है।

कार्डियोमायोपैथी कितनी आम है?

यह रोग किसी भी उम्र या लिंग के लोगों को प्रभावित कर सकता है। आंकड़ों की मानें तो दुनिया में लगभग 500 में से 1 व्यक्ति जेनेटिक कार्डियोमायोपैथी और हाइपरट्रॉफिक से प्रभावित होता है। 

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Sarkar

Dr. Rakesh Sarkar

Senior Consultant Exp: 4 Yr

Cardiology & Electrophysiology

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