हार्ट अटैक का खतरा केवल नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल से नहीं जुड़ा है, बल्कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, तनाव, मोटापा और जेनेटिक कारण भी इसके प्रमुख छिपे फैक्टर हैं, जो जोखिम को करीब 50% तक बढ़ा देते हैं।
सिर्फ नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल नहीं, छिपे कारणों से भी बढ़ता है हार्ट अटैक का 50% खतरा। आज की तनावपूर्ण और तेज रफ्तार जिंदगी में कई ऐसे फैक्टर्स हैं, जो हार्ट हेल्थ को छुपकर नुकसान पहुंचाते हैं। कई मरीज सोचते हैं कि अगर कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल है, तो अब चिंता की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन रिसर्च और हृदय रोग विशेषज्ञ की मानें तो रोजमर्रा की आदतें, जेनेटिक्स और अनदेखा किया गया ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, तनाव व मोटापा भी हार्ट अटैक के बड़े दोषी हैं। हम यह जानते हैं और यह मानते भी हैं कि हार्ट अटैक की स्थिति को आसानी से मैनेज किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए सही जानकारी आवश्यक है।
कोलेस्ट्रॉल को वर्षों तक हार्ट अटैक का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर माना गया है, लेकिन खास बात यह है कि कई मामलों में मरीज का कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल होने के बावजूद हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। उदाहरण के लिए, UCLA के एक नेशनल स्टडी में पाया गया कि 75% हार्ट अटैक मरीजों का कोलेस्ट्रॉल लेवल नॉर्मल या बॉर्डरलाइन था। इसका कारण यह है कि दिल की बीमारियों के और भी कई छुपे रिस्क फैक्टर्स होते हैं, जिन पर गौर करना बेहद जरूरी होता है।
हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज, दोनों ही हार्ट अटैक का रिस्क कई गुना बढ़ा देते हैं। भारत में करीब 30% वयस्कों को हाई ब्लड प्रेशर और 25% से ज्यादा युवाओं को डायबिटीज है, जो बड़ी चिंता का विषय है। इन बीमारियों के कारण ब्लड वेसल्स कमजोर और संकरी होकर ब्लड फ्लो बाधित करती हैं, जिससे दिल तक ऑक्सीजन कम पहुंचती है और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
तीनों मिलकर निम्न तरीके से हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाते हैं -
यदि परिवार में किसी सदस्य को हार्ट डिजीज़ है, तो अगली पीढ़ी में भी यह रिस्क 2 से 3 गुना बढ़ जाता है। जेनेटिक म्यूटेशन, फैमिली हिस्ट्री और पैदा होते समय के हार्मोनल स्तर भी हार्ट अटैक के रिस्क को प्रभावित करते हैं। कई बार ये फैक्टर कोलेस्ट्रॉल का लेवल नॉर्मल होने पर भी दिल की सुरक्षा की “इनविजिबल चेन” बन जाते हैं।
हार्ट डिजीज़ की सही समय पर जांच और नियमित मेडिकल फॉलोअप जिंदगी बचा सकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, भारत में हर साल करीब 28 लाख लोगों की मौत हार्ट डिजीज से होती है। इसमें से 50% मामलों में लोग समय पर जांच नहीं करवाते या लक्षण नजरअंदाज कर देते हैं।
हार्ट अटैक का खतरा सिर्फ "नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल" रिपोर्ट देखकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लाइफस्टाइल, फैमिली हिस्ट्री, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और मेंटल स्ट्रेस भी दिल के छुपे दुश्मन है, जिसका समय रहते समाधान जरूरी है। नई रिसर्च और डॉक्टरों की राय का अनुसरण करके और समय-समय पर टेस्ट कराकर दिल को बेवजह की मुसीबत से बचाया जा सकता है।
जी हां, रिसर्च से पता चला है कि करीब 50-75% हार्ट अटैक केस में मरीज का कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल या बॉर्डरलाइन होता है। वजह—हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, जेनेटिक्स, तनाव, मोटापा आदि, जो नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल के बावजूद हार्ट हेल्थ के लिए जोखिम पैदा करते हैं।
जी हां, ये दोनों हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक के सबसे अहम रिस्क फैक्टर्स हैं। भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों में करीब 60% मरीज डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित पाए गए हैं।
तनाव से कोर्टिसोल व एड्रेनालाईन बढ़ जाते हैं, जिससे ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं, रक्तचाप बढ़ता है और दिल पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। क्लिनिकल डेटा के अनुसार, लंबे समय तक तनाव में रहने वालों में हार्ट अटैक का जोखिम कम से कम दोगुना तक बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक से बचाव के लिए हेल्दी डाइट फायदेमंद है। इसमें शामिल है - सब्जियां, फल, ड्राई फ्रूट्स, बीन्स, ओमेगा-3 युक्त फिश, ऑलिव ऑयल, होल ग्रेन्स, इत्यादि। इनका सेवन फायदेमंद माना गया है। इसके अतिरिक्त प्रोसेस्ड, तला-भुना खाने से बचें और रोजाना 30-45 मिनट तेज चलना/कार्डियो एक्सरसाइज करना आपके लिए लाभकारी होगा। योग और मेडिटेशन तनाव घटाकर हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाते हैं।
Written and Verified by:
Dr Shuvo Dutta is a full time Senior Cardiologist in BM Birla Heart Research Centre. He has completed his MD from Calcutta National Medical College in Kolkata and is a Fellow of the Royal College of Physicians in the UK and Fellow of American College of Cardiology.
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