ब्रैडीकार्डिया (Bradycardia): जब दिल की धड़कन धीमी हो जाए, लक्षण और इलाज
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ब्रैडीकार्डिया (Bradycardia): जब दिल की धड़कन धीमी हो जाए, लक्षण और इलाज

Cardiology | by Dr. Shuvo Dutta on 01/04/2025

Summary

ब्रैडीकार्डिया वह स्थिति है, जिसमें दिल के धड़कने की गति धीमी हो जाती है और यह सामान्य दर से बहुत नीचे गिर जाती है। वयस्कों में सामान्य हृदय गति की दर लगभग 60 से 100 धड़कन प्रति मिनट होती है। यदि यह दर 60 से नीचे गिर जाती है, और इसके साथ मुख्य रूप से थकान या चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो यह आपके लिए चिंता का एक विषय साबित हो सकता है। तुरंत अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट से मिलें और इलाज लें।

ब्रैडीकार्डिया एक ऐसी मेडिकल स्थिति है, जिसमें दिल सामान्य से धीमी रफ्तार से धड़कता है। आमतौर पर इस स्थिति में वयस्कों की धड़कन में प्रति मिनट 60 बीट से कम होती है। हालांकि कभी-कभी दिल का धीमा धड़कना खतरनाक नहीं होता है। अक्सर कुछ मामलों में देखा गया है कि एथलीटों में या नींद के दौरान दिल की धड़कन धीमी हो जाती है। यह स्थिति इतनी खतरनाक नहीं है, लेकिन यह दूसरे कारणों के कारण उत्पन्न होती है। चलिए इस ब्लॉग की मदद से इसके लक्षण, कारण और उपचार को समझते हैं। हृदय संबंधित किसी भी समस्या के इलाज के लिए तुरंत हमारे अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।

ब्रैडीकार्डिया क्या है?

ब्रैडीकार्डिया वह स्थिति है, जिसमें दिल के धड़कने की गति धीमी हो जाती है और यह सामान्य दर से बहुत नीचे गिर जाती है। वयस्कों में सामान्य हृदय गति की दर लगभग 60 से 100 धड़कन प्रति मिनट होती है। यदि यह दर 60 से नीचे गिर जाती है, और इसके साथ मुख्य रूप से थकान या चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो यह आपके लिए चिंता का एक विषय साबित हो सकता है। तुरंत अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट से मिलें और इलाज लें।

ब्रैडीकार्डिया की स्थिति में हृदय की प्रणाली में दिल की धड़कन की सामान्य गति न होने के पीछे का कारण सामान्य विद्युत प्रणाली में गड़बड़ी हो सकती है। यदि आप फिट हैं, तो इससे आपको कोई खास समस्या नहीं होगी, अन्यथा इसका प्रभाव आपको अपने दूसरे अंगों पर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि इस रोग के कारण हृदय तंत्र सही से काम नहीं कर पाता है, जिसके कारण शरीर को ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिल पाता है।

दिल की धड़कन धीमी क्यों हो जाती है?

कई कारक है, ब्रैडीकार्डिया जो बताते हैं कि दिल की धड़कन धीमी क्यों हो जाती है, जैसे कि - 

यदि यह स्थिति किसी खिलाड़ी या फिर फिट व्यक्ति में उत्पन्न हुई है, तो उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन फिर भी एक परामर्श के लिए डॉक्टर से ज़रूर मिलें।

ब्रैडीकार्डिया के लक्षण

ब्रैडीकार्डिया के लक्षणों वाले कुछ लोगों को कुछ भी असामान्य महसूस नहीं हो सकता है। हालांकि, यदि धीमी हृदय गति रक्त प्रवाह को प्रभावित करती है, तो निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • थकान या कमजोरी महसूस होना।
  • चक्कर आना या हल्का सिरदर्द होना।
  • सांस की तकलीफ होना
  • बेहोशी या बेहोशी जैसा महसूस होना। 
  • सीने में दर्द होना।
  • भ्रम या याददाश्त की समस्याएं होना।

अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं और साथ ही दिल की धड़कन भी धीमी है, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

ब्रैडीकार्डिया की जांच कैसे किया जाता है?

इस स्थिति के निदान के लिए निम्न तरीकों का उपयोग किया जा सकता है - 

  • शारीरिक परीक्षण और हृदय गति की जांच 
  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम(ईसीजी) की मदद से दिल की अनियमितताओं का पता चल सकता है।
  • समय के साथ हृदय गति को ट्रैक करने के लिए होल्टर मॉनिटर का उपयोग होता है।
  • थायरॉयड, इलेक्ट्रोलाइट या अन्य समस्याओं की जांच के लिए रक्त परीक्षण
  • हृदय के स्थिति के आकलन के लिए इकोकार्डियोग्राम जैसे इमेजिंग परीक्षण

इन परीक्षण की मदद से रोग के कारण और गंभीरता का पता लगाने में मदद मिल सकती है, जिसके आधार पर इलाज की योजना भी बनाई जा सकती है।

ब्रैडीकार्डिया का इलाज

ब्रैडीकार्डिया का इलाज कई कारण और गंभीरता के आधार पर निर्भर करता है। डॉक्टर निदान के परिणाम के आधार पर ही इलाज की योजना बनाते हैं। इलाज के लिए निम्न विकल्प शामिल होते हैं - 

  • ऐसी दवाओं के सेवन न करें जो दिल की धड़कन को धीमा कर सकते हैं।
  • थायराइड विकार या स्लीप एपनिया जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का इलाज कराएं।
  • गंभीर मामलों में, पेसमेकर लगाया जाता है, जो कि एक छोटा उपकरण है, जो दिल की धड़कन को अनियमित कर सकता है। 
  • धूम्रपान छोड़ना, तनाव को मैनेज करना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना और ब्लड प्रेशर की निगरानी जैसे जीवनशैली में बदलाव हृदय स्वास्थ्य का समर्थन कर सकते हैं और लक्षणों को कम कर सकते हैं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष के तौर पर, ब्रैडीकार्डिया हमेशा हानिकारक नहीं होता है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। यदि आपको लक्षण महसूस हो रहे हैं या आपको अपने दिल की धड़कन के बारे में चिंता है, तो इसे नजरअंदाज न करें - जल्दी निदान और उपचार से बहुत फर्क पड़ सकता है।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

ब्रैडीकार्डिया कब खतरनाक होता है?

ब्रैडीकार्डिया एक खतरनाक स्थिति है, खासतौर पर तब जब ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने के कारण थकान, बेहोशी या दिल की विफलता की समस्या उत्पन्न होती है।

क्या ब्रैडीकार्डिया दिल का दौरा पड़ने का कारण बन सकता है?

हालांकि यह सीधे कारण नहीं है, लेकिन यदि यह रक्त प्रवाह को काफी कम कर देता है, तो ब्रैडीकार्डिया जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है।

क्या हर ब्रैडीकार्डिया रोगी के लिए पेसमेकर आवश्यक है?

नहीं, केवल जिन स्थिति में लक्षण उत्पन्न होते हैं उस स्थिति में पेसमेकर लगाने की आवश्यकता पड़ती है। इसके अतिरिक्त यदि लक्षणों से राहत जीवनशैली में बदलाव से नहीं हो रहा है, तो भी पेसमेकर को लगाने का सुझाव हम देते हैं।

धीमी हृदय गति के बारे में कब चिंता करनी चाहिए?

यदि आपको धीमी हृदय गति के साथ चक्कर आता है, बेहोशी या थकान का अनुभव होता है, तो डॉक्टर से परामर्श करें। यह एक चिंता का विषय साबित हो सकता है।

क्या जीवनशैली में बदलाव ब्रैडीकार्डिया को ठीक कर सकते हैं?

कुछ मामलों में, जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है। स्लीप एपनिया या तनाव जैसे योगदान देने वाले कारकों को मैनेज करने से हृदय गति में सुधार हो सकता है।

Written and Verified by:

Dr. Shuvo Dutta

Dr. Shuvo Dutta

Senior Consultant Exp: 34 Yr

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Dr Shuvo Dutta is a full time Senior Cardiologist in BM Birla Heart Research Centre. He has completed his MD from Calcutta National Medical College in Kolkata and is a Fellow of the Royal College of Physicians in the UK and Fellow of American College of Cardiology.

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