महिलाओं में हृदय रोग: लक्षण और जोखिम कारक
Home >Blogs >महिलाओं में हृदय रोग: लक्षण और जोखिम कारक

महिलाओं में हृदय रोग: लक्षण और जोखिम कारक

Summary

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में लगभग हर साल 1 करोड़ 75 लाख लोग हृदय रोग के कारण अपनी जान गवांते हैं। यह एक चौंका देने वाला आंकड़ा है, लेकिन फिर भी केवल 44% महिलाएं ही इस बात से अवगत होती हैं कि वह हृदय रोग के दायरे में हैं। जागरूकता में यह अंतर ही मृत्यु दर के बढ़ने का कारण होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में लगभग हर साल 1 करोड़ 75 लाख लोग हृदय रोग के कारण अपनी जान गवांते हैं। यह एक चौंका देने वाला आंकड़ा है, लेकिन फिर भी केवल 44% महिलाएं ही इस बात से अवगत होती हैं कि वह हृदय रोग के दायरे में हैं। जागरूकता में यह अंतर ही मृत्यु दर के बढ़ने का कारण होता है।

आपको यह समझना होगा कि विशिष्ट लक्षणों को समझने से जीवन को आसानी से बचाया जा सकता है। नीचे हम आवश्यक लक्षणों, जोखिम कारकों और रोकथाम के लिए कुछ टिप्स के बारे में बात करने वाले हैं, जो हर महिला को पता होना चाहिए। हृदय रोग के संबंध में किसी भी प्रकार की समस्या के इलाज के लिए हम आपको सलाह देंगे कि तुरंत हमारे हृदय रोग विशेषज्ञों से संपर्क करें और इलाज के सभी विकल्पों पर बात करें। 

महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण

महिलाओं में हृदय रोग की समस्या कई अलग-अलग तरह से उत्पन्न हो सकती है, जिसके कारण इस स्थिति को पहचान पाना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है। हालांकि महिलाओं में हृदय रोग के 10 ऐसे लक्षणों के बारे में हम बताने वाले हैं, जिससे महिलाओं में हृदय रोग की पुष्टि आसानी से हो सकती है - 

  1. सीने में दर्द या बेचैनी: यह हार्ट अटैक का सबसे सामान्य लक्षण है, लेकिन हृदय रोग की स्थिति में महिलाओं को दबाव या जकड़न जैसा महसूस हो सकता है।
  2. सांस फूलना: किसी भी शारीरिक गतिविधि को करते समय या आराम करते समय सांस फूलना हृदय रोग का संकेत है। 
  3. थकान: कम से कम मेहनत करना या बिना मेहनत के थकान होना दर्शाता है कि आप हृदय संबंधित समस्याओं की चपेट में आ रहे हैं। 
  4. जबड़े, गर्दन या पीठ में दर्द: आपको यह पता होना चाहिए कि हृदय रोग की स्थिति में दर्द केवल छाती तक ही सीमित नहीं रहता है। यह जबड़े, गर्दन, ऊपरी पीठ या बाहों तक भी फैल सकता है।
  5. मतली और उल्टी होना: हार्ट अटैक की स्थिति में पेट में दर्द महसूस होता है। कई बार कुछ महिलाएं इस स्थिति को अपच समझ लेती हैं। इस लक्षण को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। 
  6. चक्कर आना या हल्का सिर दर्द होना: बेहोशी या चक्कर आना, खासकर शारीरिक गतिविधि के दौरान हृदय रोग का एक गंभीर लक्षण है। 
  7. टखनों या पैरों में सूजन: हृदय की कमजोर कार्यक्षमता के कारण रक्त संचार बाधित होता है, जिसके कारण टखनों या पैरों में सूजन आ जाती है। 
  8. दिल की धड़कन तेज होना: अनियमित या तेज धड़कन दर्शाता है कि आप हृदय संबंधित समस्याओं के दायरे में आते हैं। 
  9. ठंडा पसीना आना: बिना किसी शारीरिक गतिविधि या बिना किसी कारण ठंडा पसीना आना दिल के दौरे का संकेत हो सकता है।
  10. चिंता या विनाश की भावना: बिना किसी स्पष्ट कारण के अचानक चिंता होना दिल की परेशानी का संकेत हो सकता है। 

इन लक्षणों का अनुभव करने वाली महिलाओं को तुरंत एक अच्छे दिल के डॉक्टर से मिलना चाहिए और ध्यान से इलाज की योजना को समझ कर उनकी सारी बातों को मानना चाहिए। 

महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम कारक

कई जोखिम कारक हैं, जो महिलाओं में हृदय रोग के कारण हो सकते हैं। निम्न जोखिम कारक की जानकारी होने से आप हार्ट अटैक या हृदय रोग के जोखिम को आसानी से कम कर सकते हैं - 

  • हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल: दोनों का ही उच्च स्तर हृदय की कार्यक्षमता को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा सकता है। 
  • मधुमेह: डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हृदय रोग का जोखिम अधिक होता है। 
  • धूम्रपान: धूम्रपान के कारण शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान हो सकता है और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को कम करने में भी मदद मिलती है। 
  • मोटापा: अधिक वजन होने से हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यह और गंभीर हो जाता है जब महिला को हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल हो।
  • गतिहीन जीवन शैली: शारीरिक गतिविधि की कमी भी हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • हार्मोनल परिवर्तन: मेनोपॉज के बाद शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट होती है, जिसके कारण महिलाएं हृदय रोग के दायरे में आती हैं। 
  • फैमिली हिस्ट्री: यदि आपके परिवार में किसी को भी हृदय रोग का खतरा है, तो आप भी इस रोग के जोखिम के दायरे में आते हैं। 

हार्ट अटैक की रोकथाम के लिए सुझाव

हृदय रोग की रोकथाम करना कोई मुश्किल कार्य नहीं है। लेकिन इसके लिए आपको सबसे पहले हृदय रोग के जोखिम कारकों को समझना होगा। महिलाएं अपने जीवन में निम्न बदलाव कर हृदय रोग और हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थिति से बच सकती हैं - 

  • स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम को अपनाएं।
  • शराब का सेवन सीमित करें
  • हर रात 7-9 घंटे की नींद लें।
  • स्ट्रेस को मैनेज करें।
  • डॉक्टर से नियमित जांच कराएं।

महिलाओं में हृदय रोग का इलाज

यहां आपको एक बात समझनी पड़ेगी कि महिलाओं में हृदय रोग का उपचार पुरुषों के समान ही होता है, लेकिन इलाज के सभी विकल्पों में हल्के बदलाव हो सकते हैं। यह बदलाव भी महिलाओं के वर्तमान स्वास्थ्य के आधार पर ही निर्भर करते हैं। महिलाओं में हृदय रोग का इलाज निम्न विकल्पों से संभव हो सकता है - 

  • दवाएं: ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और रक्त को पतला करने वाली दवाएं दी जा सकती है। 
  • सर्जिकल हस्तक्षेप: गंभीर मामलों में एंजियोप्लास्टी, स्टेंटिंग या कोरोनरी बाईपास सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। 
  • कार्यडियेक रिहैबिलेशन: इसमें महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिलता है। हालांकि, बहुत ही कम मामलों में महिलाओं को कार्डियक रिहैबिलेशन के लिए रेफर किया जाता है। 

इसके अतिरिक्त भी इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं, जिसके बारे में आपको अपने डॉक्टर से ही पता चल सकता है। वह कुछ जांच करते हैं और परिणाम के आधार पर इलाज का सुझाव देते हैं।

निष्कर्ष

यदि आप जानकारी प्राप्त कर लेती हैं और सक्रिय जीवन शैली को अपनाती हैं, तो हृदय रोग के जोखिम कारक को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जीवन बचाने के लिए लक्षणों की शुरुआती पहचान और त्वरित उपचार बहुत आवश्यक है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महिलाओं को हृदय रोग से बचने के लिए क्या खाना चाहिए?

महिलाओं को हृदय रोग से बचने के लिए ताजे फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स और मछली जैसे लीन प्रोटीन को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। 

एक महिला के हृदय का वजन कितना होता है?

महिलाओं के हृदय का औसत वजन लगभग 250-300 ग्राम होता है, जो पुरुषों के हृदय से थोड़ा कम होता है।

क्या हार्मोन आपके दिल के दौरे के जोखिम को प्रभावित करते हैं?

हां, महिलाओं में हार्मोन में बदलाव दिल के दौरे का एक जोखिम कारक है। 

Written and Verified by:

Dr. Ashok B Malpani

Dr. Ashok B Malpani

Senior Consultant Exp: 34 Yr

Cardiology

Book an Appointment

Similar Blogs

युवा और उच्च कोलेस्ट्रॉल: 30 की उम्र में छिपा ख़तरा

युवा और उच्च कोलेस्ट्रॉल: 30 की उम्र में छिपा ख़तरा

read more
बिना सीने में दर्द के हार्ट अटैक कैसे पहचानें? जानें जरूरी संकेत और बचाव

बिना सीने में दर्द के हार्ट अटैक कैसे पहचानें? जानें जरूरी संकेत और बचाव

read more
Blood Oxygen Levels: Normal Range, Causes of Low SpO₂ & Tips to Improve

Blood Oxygen Levels: Normal Range, Causes of Low SpO₂ & Tips to Improve

read more
Vasoconstriction: How It Affects Blood Flow, Causes & Treatment

Vasoconstriction: How It Affects Blood Flow, Causes & Treatment

read more

View more

Book Your Appointment TODAY

Treatments in Kolkata

Cardiology Doctors in Kolkata

NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now