
हालिया रिसर्च के अनुसार, हार्ट अटैक के बाद सामान्य हृदय फंक्शन वाली महिलाओं में बीटा-ब्लॉकर्स से मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है। दवा से जुड़ी जटिलताएं से बचने के लिए समय पर हृदय की जांच और दवाओं की डोज को लेकर आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
अक्सर हम दवाओं का सेवन इसलिए करते हैं ताकि जो समस्या अभी आपको है, वह खत्म हो जाए, लेकिन क्या आप जानती हैं कि जो दवाएं दशकों से हार्ट अटैक के बाद जीवन रक्षक मानी जाती रही है, वही कुछ महिलाओं में हार्ट अटैक के बाद मौत के जोखिम को तीन गुना तक बढ़ा सकती है? यह सवाल डराने वाला है, लेकिन हाल ही में हुए एक बड़े अंतरराष्ट्रीय अध्ययन (REBOOT Trial) ने इस चौंकाने वाली सच्चाई को सामने ला दिया है। हम भारतीय महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण को अक्सर थकान या तनाव मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि हम अपनी दवाओं के बारे में भी गंभीर सवाल पूछें और जानें कि आप कौन सी दवा खा रहे हैं।
यदि आप या आपके परिवार में कोई महिला हार्ट अटैक के बाद नियमित रूप से हार्ट अटैक की दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो आपको यह समझना होगा कि वह गोली आपकी हर मर्ज की दवा नहीं है। हमारे CK Birla Hospital (BMB) में, हम समझते हैं कि महिला का शरीर, उसके हार्मोन, रक्त वाहिकाएं और दवा के प्रति प्रतिक्रिया, पुरुषों से पूरी तरह अलग होती है। यदि आप अपनी या अपनी मां/बहन की हृदय स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी दवा के बारे में चिंतित हैं, तो तुरंत हमारे विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट से परामर्श लें। आपकी सक्रियता ही आपकी जान बचा सकती है।
हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फार्क्शन) के बाद, मरीजों को दोबारा दौरा पड़ने और हृदय स्वास्थ्य में सुधार के लिए कई तरह की दवाएं दी जाती हैं। इनमें सबसे आम और लंबे समय से इस्तेमाल होने वाला दवा वर्ग है बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-blockers), जो कई मरीजों की दी जाती है।
बीटा-ब्लॉकर्स तनाव हार्मोन जैसे कि एड्रेनालाईन के प्रभाव को ब्लॉक करता है। यह दवा दिल की धड़कन को धीमा करती है, ब्लड प्रेशर को कम करती है, और हृदय की मांसपेशियों के संकुचन की शक्ति को घटाती है। इससे दिल पर दबाव पड़ता है और हृदय कमजोर होने लग जाता है। हम समझते हैं कि बीटा-ब्लॉकर्स हार्ट अटैक के बाद एक मानक उपचार है, लेकिन हर कुछ समय में इस दवा के लिए भी शरीर की जांच कराई जानी चाहिए, ऐसा हमारे डॉक्टरों का मानना है।
इस आधुनिक युग में हार्ट अटैक के इलाज के लिए एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग जैसे एडवांस तकनीक का उपयोग होता आया है, जिसके बाद बीटा-ब्लॉकर्स के लाभ के ऊपर भी अब संशय बन गया है। REBOOT परीक्षण के निष्कर्ष के बाद एक बात तो तय है कि दवा का सेवन इलाज की अंतिम पंक्ति नहीं है, इसका भी रिव्यू समय समय पर किया जाना चाहिए।
हाल ही में आई इस नई रिपोर्ट से पता चला है कि जिन महिलाओं को हार्ट अटैक के बाद बीटा-ब्लॉकर्स दवा दी गई, उनमें मरने, दोबारा हार्ट अटैक आने या हार्ट फेलियर के कारण अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बढ़ जाता है। यह चौंकाने वाला जोखिम पुरुषों में नहीं दिखे है, जिसके कारण पुरुषों के लिए डरने वाली स्थिति वर्तमान में नहीं है। चलिए उन सभी जोखिम कारकों को समझते हैं -
बीटा-ब्लॉकर्स अभी भी उन महिलाओं के लिए जीवन रक्षक हैं, जिनकी पम्पिंग क्षमता (Ejection Fraction) हार्ट अटैक के बाद कम हो गई है या जिन्हें हृदय की धड़कन से जुड़ी जटिलताएं (Arrhythmias) हैं। यह दवा उन महिलाओं के लिए खतरनाक है, जिनकी हार्ट अटैक के बाद फंक्शनिंग सामान्य है।
चूँकि महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण अक्सर अस्पष्ट होते हैं और दवा के साइड इफेक्ट्स (जैसे थकान) के साथ मिल सकते हैं, इसलिए दोनों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है -
| लक्षण / चेतावनी संकेत | पुरुषों की तुलना में महिलाएं |
| सीने में बेचैनी/दर्द | अक्सर दबाव, भारीपन या जकड़न के रूप में महसूस होना। यह कंधों, गर्दन, या जबड़े में फैल सकता है। |
| सांस फूलना | अक्सर प्रमुख लक्षण, बिना किसी सीने के दर्द के भी हो सकता है। |
| अत्यधिक थकान | अचानक और बिना कारण अत्यधिक कमजोरी या थकान होना। |
| जी मिचलाना (Nausea) या उल्टी | अपच या पेट दर्द जैसा महसूस होना। |
| चक्कर आना या बेहोशी | खासकर जब हार्ट अटैक दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण रक्तचाप बहुत कम हो गया हो। |
यदि आप बीटा-ब्लॉकर्स ले रही हैं और आपको अत्यधिक थकान, बहुत धीमी धड़कन, बार-बार चक्कर आना, या साँस लेने में दिक्कत महसूस होती है, तो यह दवा से जुड़ी जटिलताएं और हार्ट फेलियर दोनों का संकेत हो सकता है।
हार्ट अटैक प्रिवेंशन और उपचार के लिए दवाएं लेना महत्वपूर्ण है, लेकिन महिलाओं को अपने डॉक्टर के साथ मिलकर व्यक्तिगत उपचार योजना विकसित करनी चाहिए। इलाज के लिए निम्न बातों का खास ख्याल रखना होता है -
CK Birla Hospital (BMB) के विशेषज्ञ हमेशा तत्काल परामर्श की सलाह देते हैं यदि:
हार्ट अटैक दवाओं के साइड इफेक्ट्स महिलाओं के लिए अलग हो सकते हैं। एक महिला के रूप में, यह आपका अधिकार है कि आप अपने उपचार के बारे में अपने डॉक्टर से विस्तार से चर्चा करें। CK Birla Hospital (BMB) में हम महिलाओं में हार्ट अटैक के उपचार में सबसे आधुनिक और व्यक्तिगत उपचार योजना का दृष्टिकोण अपनाते हैं, जो आपकी सुरक्षा और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करता है। इसलिए हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे अनुभवी डॉक्टरों के साथ मिलकर अपने इलाज की योजना बनाएं और स्वस्थ जीवन जीएं।
हाल के रिसर्च के अनुसार, बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-blockers), ख़ासकर मेटोप्रोलोल और एटेनोलोल जैसी दवाएं, कुछ महिलाओं (जिनकी पम्पिंग क्षमता सामान्य है) में दवा से जुड़ी जटिलताएं जैसे मृत्यु दर और हार्ट फेलियर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
हां, मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट, महिलाओं में हार्ट अटैक के कारण को प्रभावित करती है और यह शरीर के दवा को मेटाबोलाइट करने के तरीके को बदल सकती है, जिससे हार्ट अटैक दवाओं के साइड इफेक्ट्स का जोखिम बढ़ जाता है।
दवाएं उन महिलाओं के लिए अधिक खतरनाक हो सकती हैं, जिनकी हार्ट अटैक के बाद पम्पिंग क्षमता (LVEF) सामान्य बनी हुई है। इसके अतिरिक्त, अस्थमा, डायबिटीज और बहुत धीमी हृदय गति (Bradycardia) वाली महिलाओं को भी बीटा-ब्लॉकर्स से अधिक जोखिम हो सकता है।
तुरंत ध्यान देने योग्य लक्षण हैं: लगातार अत्यधिक थकान, चक्कर आना, बेहोशी, बीट्स प्रति मिनट से कम हृदय गति, और सांस फूलना या पैरों में अचानक सूजन आना।
नहीं, जोखिम दवा के प्रकार और मरीज की हृदय स्थिति पर निर्भर करता है। REBOOT अध्ययन ने केवल बीटा-ब्लॉकर्स पर ध्यान केंद्रित किया। अन्य दवाएं जैसे स्टैटिन्स (Statins) और एस्पिरिन (Aspirin) महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण रूप से फायदेमंद मानी जाती हैं।
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Dr. Shuvo Dutta is a Senior Consultant in Cardiology Dep. at BM Birla Heart Hospital, Kolkata, with over 34 years of experience. He specializes in radial and femoral angioplasty, complex cardiac interventions, and was the first in India to perform carotid artery stenting to prevent brain stroke.
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