दिल का दौरा,हार्ट अटैक, हृदयाघात या मायोकार्डियल इंफार्क्शन (myocardial infarction) हृदय संंबंधित समस्या है, जिसमें रक्त का प्रवाह रुक जाता है, जिसके कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है जैसे कि हृदय गति का रुकना, हृदय गति का अनियमित होना, इत्यादि।
आपने कभी न कभी हार्ट अटैक के बारे में सुना ही होगा। आप इसे ऐसा समझ सकते हैं कि आपके शरीर के सबसे महत्वपूर्ण मांसपेशियों में अचानक बिजली चली जाए। कल्पना कीजिए कि आपका दिल, जो एक पंप है, अचानक उसे अपना ईंधन न मिले तो इसका परिणाम क्या होगा? दिल की गति रुक जाएगी और अगर इलाज न किया जाए, तो यह पूरी तरह से रुक भी सकता है।
चलिए इस ब्लॉग की मदद से जानते हैं कि हृदयाघात के खतरा को कैसे पहचानें और इससे कैसे बचें। हृदय से संबंधित किसी भी समस्या को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके लिए एक अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ से जरूर मिलें और इलाज लें।
दिल का दौरा,हार्ट अटैक, हृदयाघात या मायोकार्डियल इंफार्क्शन (myocardial infarction) हृदय संंबंधित समस्या है, जिसमें रक्त का प्रवाह रुक जाता है, जिसके कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है जैसे कि हृदय गति का रुकना, हृदय गति का अनियमित होना, इत्यादि।
इस ब्लॉकेज या रुकावट के कारण कोरोनरी धमनियों में रक्त का थक्का जम जाता है। इस रुकावट के कारण हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन वाला रक्त नहीं पहुंच पाता है, जिससे ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है या उनकी मृत्यु हो जाती है।
हाल के वर्षों में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जो कोविड-19 महामारी के बाद और भी ज्यादा बढ़ी है। 2022 में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या में लगभग 12.5% की वृद्धि हुई, जिसमें कुल 32,457 लोगों की जान चली गई। ऐसे में हार्ट अटैक के लक्षणों और उपचार को समझना और भी ज़रूरी हो जाता है।
यदि इस स्थिति का तुरंत इलाज नहीं होता है, तो हार्ट अटैक की वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिसमें अंततः मृत्यु की भी संभावना बनी रहती है।
हृदयाघात के लक्षण को समय पर पहचानने और त्वरित इलाज प्राप्त करने से सेहत में काफी सुधार हो सकता है, लेकिन इससे व्यक्ति की जान भी बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं -
यह लक्षण अचानक दिखाई दे सकते हैं, इसलिए इनके होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेना बहुत ज्यादा जरूरी है।
अचानक दिल का दौरा आना बहुत ज्यादा भयावह हो सकता है, जिसे कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यदि आपने नजरअंदाज किया तो यह आपके पूरे जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। हृदयाघात के लक्षणों के बारे में आपको ऊपर बताया गया है, लेकिन निम्न लक्षणों का अतिरिक्त ध्यान रखें -
इन चेतावनी के संकेतों को पहचानें और समय पर खुद का या अपने जानने वाले लोगों के जीवन की रक्षा करें।
दिल के दौरे के कारणों और संबंधित जोखिम कारकों को समझने से दिल के दौरे के जोखिम को अच्छे से समझने में बहुत मदद मिल सकती है, जिससे आप हार्ट अटैक के प्रति अधिक जागरुक रहेंगे। अचानक आने वाले दिल के दौरे के जोखिम कारक इस प्रकार हैं -
दिल से जुड़ी जटिलताओं को रोकने के लिए जीवनशैली में बदलाव और नियमित स्वास्थ्य जांच बहुत अनिवार्य है।
अचानक हार्ट अटैक को रोकने का सबसे उत्तम उपाय यही है कि आप एक स्वस्थ आदत अपनाएं और
दिल के दौरे को रोकने के लिए जीवनशैली में बदलाव और नियमित स्वास्थ्य जांच के संयोजन को शामिल करें। यहां कुछ उपाय दिए गए हैं, जिससे आपको काफी हद तक मदद मिल सकती है जैसे कि -
स्वस्थ दिल की शुरुआत तभी संभव है, जब आप स्वयं ही अपनी सेहत को लेकर सोचें और स्वस्थ आदतों को अपनाएं।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि दिल के दौरे के जानलेवा परिणाम होते हैं, लेकिन लक्षणों को समझना और सही समय पर निवारक कदम उठाना, आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। दिल के दौरे के लक्षणों और उपचार के बारे में जागरूकता और दिल को स्वस्थ रखने वाली जीवनशैली अपनाना अचानक होने वाली हृदय संबंधी घटनाओं से आपको बचा सकता है।
हृदय संबंधित किसी भी समस्या या उसके इलाज के लिए हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत हमारे हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें या उनसे इलाज लें। हार्ट अटैक की स्थिति में इमरजेंसी सेवाओं पर कॉल करें और सहायता लें।
यदि आपको दिल का दौरा पड़ने का संदेह है, तो तुरंत आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें। इस दौरान एस्पिरिन (अगर एलर्जी नहीं है) खाएं और मन को शांत रखें।
आमतौर पर उम्र हार्ट अटैक का एक मुख्य जोखिम कारक है, लेकिन वर्तमान में किसी भी उम्र के बच्चे इस समस्या का सामना कर रहे हैं। धूम्रपान, मोटापा या दिल की अन्य बीमारी की फैमिली हिस्ट्री इस रोग का एक मुख्य जोखिम कारक है।
दिल का दौरा तब पड़ता है, जब हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, जबकि अचानक हार्ट अटैक की स्थिति में हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है, जो कई बार मृत्यु का भी कारण बनता है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी), इकोकार्डियोग्राम, स्ट्रेस टेस्ट और ब्लड टेस्ट जैसे परीक्षण हृदय के स्वास्थ्य का आकलन करने में मदद कर सकते हैं। नियमित जांच से हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं का जल्द पता लगाने में मदद भी मिल सकती है।
Written and Verified by:
Dr. Ashok B. Malpani is a Senior Consultant in Cardiology Dept. at BM Birla Heart Hospital, Kolkata, with over 34 years of experience. He specializes in complex angioplasty, primary angioplasty, and pacemaker implantation.
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