कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज क्या है?
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कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज क्या है?

Summary

वर्तमान में हृदयवाहिका रोग या कार्डियोवैस्कुलर डिजीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभर के सामने आई है। इस बदलते दौर में खराब जीवनशैली, काम का अत्यधिक तनाव, रिश्तों में तनाव, बाहर का खाना-पीना, निष्क्रिय जीवन शैली, इत्यादि दिल के स्वास्थ्य को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं।

वर्तमान में हृदयवाहिका रोग या कार्डियोवैस्कुलर डिजीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभर के सामने आई है। इस बदलते दौर में खराब जीवनशैली, काम का अत्यधिक तनाव, रिश्तों में तनाव, बाहर का खाना-पीना, निष्क्रिय जीवन शैली, इत्यादि दिल के स्वास्थ्य को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। दिल की समस्या के कारण न केवल जीवन की गुणवत्ता खराब हो रही है, इसके साथ-साथ यह व्यक्ति के जीवन को भी खतरे के दायरे में डालता है। इस ब्लॉग में हम कार्डियोवैस्कुलर हृदय रोग, इसके कारण, लक्षण, और इससे बचाव के उपायों पर भी बात करेंगे। किसी भी प्रकार के हृदय संबंधित समस्या के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ हृदय विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है।

हृदय-संवहनी या कार्डियोवैस्कुलर रोग क्या है?

कार्डियोवैस्कुलर हृदय रोग एक मेडिकल स्थिति है, जिसमें हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे कि - हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज, ब्लड प्रेशर में वृद्धि, या हृदय की मांसपेशियों की कमजोरी। हृदयवाहिका रोगों में मुख्यतः कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD), हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, और एरिथमिया जैसी बीमारियां शामिल है। यह सभी स्थितियां हृदय और रक्त संचार तंत्र को प्रभावित कर सकती हैं, जिसके कारण रक्त संचार प्रभावित होती है। इससे शरीर के दूसरे अंगों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं। 

कार्डियोवैस्कुलर हृदय रोग के लक्षण

कार्डियोवैस्कुलर हृदय रोग के लक्षण हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग होते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं - 

  • सीने में दर्द या दबाव जिसे चिकित्सा भाषा में एंजाइना कहा जाता है। इस दर्द की तीव्रता कम या अधिक हो सकती है। 
  • सांस लेने में कठिनाई होना, जिससे शरीर को ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। 
  • अत्यधिक थकान होना, जो कि एक हृदयवाहिका रोग का एक मुख्य लक्षण है। 
  • अनियमित धड़कन होना एरिथमिया कहलाता है, जो कि हृदयवाहिका रोग का एक मुख्य लक्षण है। 
  • सिरदर्द और चक्कर आना दर्शाता है कि ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी हो सकती है, जो कि हृदयवाहिका रोग का लक्षण है। 

कार्डियो-वैस्कुलर रोग के जोखिम कारक

कार्डियोवैस्कुलर हृदय रोग का यदि सही समय पर उचित इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण व्यक्ति को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कुछ ऐसे जोखिम कारक भी हैं, जो इस रोग के जोखिम कारक को कई गुना बढ़ा सकते हैं जैसे कि - 

  • उम्र: बढ़ती उम्र के साथ दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ रक्त वाहिकाएं भी कठोर हो जाती हैं, जिससे हृदय के आसपास की रक्त वाहिकाएं ब्लॉक होने लगती हैं। 
  • फैमिली हिस्ट्री: यदि आपके घर-परिवार में किसी को भी दिल की समस्या है, तो आप भी इस रोग से प्रभावित होने के खतरे के दायरे में आते हैं।
  • धूम्रपान और शराब: धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन भी हृदय और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे हृदय रोग का खतरा भी कम हो सकता है। 
  • अस्वस्थ खान-पान: अधिक वसा, नमक, और शक्कर के सेवन से हृदय रोग का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इन सभी खराब आदतों के कारण व्यक्ति ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और वजन को बढ़ाता है।
  • तनाव और डिप्रेशन: मानसिक तनाव और डिप्रेशन हृदय के साथ पूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है और कार्डियोवैस्कुलर रोगों का कारण भी बन सकता है।
  • शारीरिक निष्क्रियता: नियमित व्यायाम की कमी या निष्क्रिय जीवन शैली वजन बढ़ाने के मुख्य कारण है, जिसकी वजह से हृदय की कार्यक्षमता में कमी देखी जाती है। इससे हृदयवाहिका रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • डायबिटीज और ब्लड प्रेशर: इन दोनों स्थितियों में हृदय की रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे दिल की समस्या होने का खतरा भी बढ़ जाता है। 

कार्डियोवैस्कुलर रोग से बचाव

कार्डियोवैस्कुलर हृदय रोग से बचाव के लिए जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने की आवश्यकता होती है। निम्नलिखित उपाय अपनाकर हृदयवाहिका रोगों के खतरे को आसानी से कम किया जा सकता है - 

  • स्वस्थ आहार का सेवन करें और अपने आहार में फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, और मछली को शामिल करें। 
  • नमक, चीनी, और संतृप्त वसा का सेवन कम करें।
  • नियमित व्यायाम करें और हर दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करने का लक्ष्य रखें। 
  • धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। 
  • वजन को नियंत्रित करें। अतिरिक्त वजन हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे हृदयवाहिका रोगों का खतरा लगातार बना रहता है।
  • तनाव का प्रबंधन करें। इसके लिए योग, मेडिटेशन, और अनुलोम विलोम का अभ्यास करें।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच बहुत ज्यादा जरूरी है। इसकी मदद से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रोल के स्तर की आसानी से जांच हो सकती है। 
  • डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का नियंत्रण बहुत ज्यादा आवश्यक है। इसके लिए एक अनुभवी डॉक्टर की सलाह आपकी मदद कर सकती है। 

निष्कर्ष

कार्डियोवैस्कुलर हृदय रोग आज के समय की एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन सही समय पर उपचार और जीवनशैली में सुधार के माध्यम से इसे रोका जा सकता है। हृदय की सेहत को बनाए रखने के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन बहुत ज्यादा आवश्यक है। यदि आप हृदयवाहिका रोग के किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत एक अनुभवी और अच्छे हृदय के डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर सही कदम उठाकर आप न केवल अपने हृदय को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए किस प्रकार का आहार सबसे उपयुक्त है?

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए आपको अपने आहार में फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, और मछली जैसी स्वस्थ खाद्य पदार्थों को शामिल करें। नमक, चीनी, और सैचुरेटेड फैट से दूरी बनाएं। 

क्या मानसिक तनाव हृदय रोगों का कारण बन सकता है?

हां, मानसिक तनाव हृदय रोगों का एक प्रमुख कारण है। तनाव से हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे ब्लड प्रेशर के बढ़ने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इससे रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है। तनाव को नियंत्रित करने के लिए योग, मेडिटेशन, और नियमित व्यायाम जैसे उपाय अपनाएं।

नियमित स्वास्थ्य जांच क्यों महत्वपूर्ण है?

नियमित स्वास्थ्य जांच इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आपको समय पर हृदय रोगों के जोखिम कारकों का पता लगाने में मदद करती है। ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, और ब्लड शुगर की नियमित जांच से किसी भी असामान्यता का समय रहते पता लगाया जा सकता है। इसकी मदद से सही उपचार सही समय पर शुरू हो सकता है। 

Written and Verified by:

Dr. Madhumanti Panja

Dr. Madhumanti Panja

Visiting Consultant Exp: 10 Yr

Cardiology

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