मौसम में बदलाव आना प्रकृति का एक अहम् हिस्सा है। आज गर्मी तो कुछ महीनों के बाद बरसात और सर्दी का आना जाना ही इस दुनिया और जीवन को खूबसूरत बनाता है। जैसे-जैसे मौसम में बदलाव आता है – वैसे-वैसे हमारे शरीर के काम करने के तरीकों में भी बदलाव आता है।
सर्दी के मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं होती हैं, हार्ट अटैक भी उन्हीं में से एक है। काफी लोगों के मन में यह प्रश्न आता है कि सर्दी के मौसम में ही हार्ट अटैक का खतरा क्यों होता है। इसका सबसे आसान जवाब यह है कि सर्दी के मौसम में ठंड के कारण नसें सिकुड़कर सख्त बन जाती हैं।
हालाँकि, इन्हें सक्रिय यानी एक्टिव करने के लिए ब्लड फ्लो बढ़ता है। ब्लड फ्लो बढ़ने पर ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। इसके कारण दिल पर दबाव पड़ता है जिससे हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है।
पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, जिस व्यक्ति को पहले से हार्ट डिजीज यानी दिल से संबंधित बीमारियां होती हैं, उन्हें सर्दी में हार्ट अटैक आने का खतरा 31% अधिक होता है।
हृदय रोग विशषज्ञों का कहना है कि रात में सोते समय शरीर की गतिविधि धीमी हो जाती है। साथ ही, ब्लड प्रेशर और शुगर का स्तर भी कम हो जाता है। लेकिन सुबह उठने से पहले ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम उसे सामान्य स्तर पर लाने का काम करता है।
ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम हर मौसम में काम करता है, लेकिन सर्दी के मौसम में इस सिस्टम के लिए दिल को सामान्य की तुलना में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से जिन्हें पहले से दिल की बीमारी होती हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
ह्रदय रोग यानी दिल से संबंधित बीमारी होने पर आप खुद में अनेक लक्षणों को अनुभव कर सकते हैं जैसे कि:
अगर आपको दिल की बीमारी है तो इन लक्षणों के अनुभव होने पर तुरंत ह्रदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। साथ ही, अगर आपको पहले से हार्ट डिजीज नहीं है तो ये लक्षण होने पर आपको ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करके अनुभव हो रहे लक्षण के सटीक कारण की पुष्टि करनी चाहिए।
अगर आपको दिल की बीमारी है तो सर्दी में हार्ट अटैक का खतरा ख़त्म करने के लिए आप निम्न बातों का पालन कर सकते हैं:
अनेक कामों के साथ-साथ दिल का एक काम शरीर में मौजूद रक्त यानी खून के साथ लिक्विड (Liquid) को पम्प करना भी है। अगर आप अधिक मात्रा में पानी पीते हैं तो आपके दिल को पम्प करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।
दिन भर में आपको कितनी मात्रा में पानी पीनी चाहिए – इस बात को लेकर अगर कोई डाउट यानी संदेह है तो अपने डॉक्टर से मिलकर बात करें।
अधिक नमक का सेवन करने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है यह सबको मालूम है, लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए कि नमक आपके शरीर में पानी को रोकता है। अगर शरीर में पानी रूक जाएगा तो दिल को अधिक मात्रा में लिक्विड (Liquid) को पम्प करना पड़ेगा।
इस स्थिति में दिल को अधिक मेहनत करना पड़ेगा जिससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए कम से कम मात्रा में नमक का सेवन करें।
अगर आपको पहले ही हार्ट अटैक आ चूका है या दिल की बीमारी है तो आपको सर्दी के मौसम में सुबह नहीं उठना चाहिए यानी सुबह जल्दी बिस्तर नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि सर्दी के मौसम में नसें पहले ही सिकुड़ी हुई होती हैं।
ऐसी स्थिति में अगर आप सुबह जल्दी बिस्तर से उठते हैं या उठकर बाहर यानी ठंडे वातावरण में टहलने जाते हैं तो खुद को गर्म बनाए रखने के लिए शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। साथ ही, दिल को अधिक मेहनत करना पड़ता है।
इन सबके अलावा, सर्दी का मौसम हो या गर्मी का, खुद को तनाव से बचाकर रखने की कोशिश करें। अगर किसी बात की चिंता है तो दिल में रखने के बजाय अपने परिवार वालों और डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
अगर आपको दिल की बीमारी है तो सर्दी का मौसम शुरू होने से पहले ही आपको अपने डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए कि ठंड के समय आपका डाइट और लाइफस्टाइल कैसा होना चाहिए। साथ ही, आपको खान-पान या अन्य किन बातों का ख़ास ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से आप सर्दी में होने वाले हार्ट अटैक के खतरे को दूर कर सकते हैं।
ह्रदय रोग विशेषज्ञ के अनुसार हार्ट पम्पिंग रेट 45% से ऊपर होने पर इसे माइल्ड या माइनर हार्ट अटैक की श्रेणी में रखा जाता है।
इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर आपकी उम्र, दिल की बीमारी, पहले से चल रहे इलाज आदि को ध्यान में रखते हुए कुछ खास व्यायाम करने का सुझाव देते हैं। आमतौर पर दिल के मरीज को धीमी गति में टहलने (Slow walk) का सुझाव दिया जाता है।
दिन की तुलना में सुबह के समय शरीर में डेड मसल्स सेल 20% अधिक होते हैं। दिल का काम पूरी बॉडी में खून सप्लाई करना है। साथ ही, दिल डेड सेल्स को हटाने का काम भी करता है। इन वजह से सुबह के दौरान दिल पर अधिक दबाव पड़ता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
विशेषज्ञ डॉक्टर के अनुसार हार्ट अटैक आने से पहले एक व्यक्ति खुद में कुछ लक्षणों को अनुभव कर सकता है जैसे कि थकान, नींद में गड़बड़ी, सांस लेने में तकलीफ, कमजोरी, चिपचिपाहट वाला पसीना होना, चक्कर और मतली आना आदि।
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