कार्डियक अरेस्ट क्या है? - कारण और लक्षण
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कार्डियक अरेस्ट क्या है? - कारण और लक्षण

Cardiology | by Dr. Rakesh Sarkar on 22/05/2024

Summary

कार्डियक अरेस्ट एक जानलेवा स्थिति है जिसमें हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है, जिससे मिनटों में मृत्यु हो सकती है। समय पर CPR, हेल्दी लाइफस्टाइल और नियमित जांच से इस घातक स्थिति से बचाव संभव है।

इस बात में दो राय नहीं है कि कार्डियक अरेस्ट, या हृदय गति का रुकना, एक जानलेवा स्थिति है। कार्डियक अरेस्ट वह स्थिति है, जिसमें हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है। इस स्थिति में मस्तिष्क के साथ शरीर के अन्य अंगों को भी भारी नुकसान पहुंचता है और मिनटों में ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इस स्थिति के कई लक्षण होते हैं, जो दूसरी समस्याओं की तरफ भी संकेत कर सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली और कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर के निर्देशों का पालन करके इस स्थिति से आसानी से बचा जा सकता है। चलिए सबसे पहले समझते हैं कि कार्डियक अरेस्ट क्या है और फिर जानते हैं कि इस स्थिति के कारण और लक्षण क्या है।

कार्डियक अरेस्ट क्या है? -

कार्डियक अरेस्ट वह स्थिति है, जिसमें हृदय गति रुक जाती है। यह एक गंभीर स्थिति है, जिसमें मृत्यु होने की संभावना सबसे अधिक होती है। हमारे हृदय में विद्युत तरंग होती है, जिसकी मदद से हृदय की गति सामान्य रफ्तार से चलने लगती है। कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में इन विद्युत तरंगों में गड़बड़ी होती है, जिसके कारण रक्त और ऑक्सीजन पूरे शरीर में प्रवाहित नहीं हो पाते हैं, जो अंततः हृदय और मस्तिष्क समेत शरीर के कई अंगों को प्रभावित करते हैं। समय पर इलाज न मिल पाने के कारण पेशेंट की मृत्यु कुछ ही मिनटों में हो सकती है। 

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण -

हालांकि कार्डियक अरेस्ट की स्थिति एक त्वरित चिकित्सा स्थिति है, इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेने की सलाह दी जाती है। कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में सामान्य तौर पर निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव हो सकता है - 

  • अचानक मृत्यु
  • पल्स का न चलना
  • सांस न आना
  • होश में न रहना

यह कार्डियक के कुछ मुख्य लक्षण है। इसके अतिरिक्त अन्य लक्षण भी होते हैं, जो इस स्थिति की तरफ संकेत कर सकते हैं जैसे - 

  • सीने में बेचैनी और सांस लेने में कठिनाई
  • कमजोरी आना।
  • दिल का तेज धड़कना, या फड़फड़ाना

कार्डियक अरेस्ट के कारण -

कार्डियक अरेस्ट का सबसे आम कारण दिल की धड़कन की अनियमितता है। इसे चिकित्सा भाषा में "वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन" (ventricular fibrillation) कहा जाता है। इस स्थिति में दिल के निचले भाग या वेंट्रिकल में रक्त का संचार रुक जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य समस्याएं भी कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है जैसे - 

  • कोरोनरी धमनी रोग (Coronary artery disease): इस रोग में धमनियां कोलेस्ट्रॉल और अन्य तरल पदार्थ से भर जाती हैं, जिसके कारण रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। इसके कारण अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा भी बढ़ सकता है।
  • दिल का दौरा (Heart attack)क्रोनिक कोरोनरी धमनी रोग दिल के दौरे का प्रमुख कारण होता है। दिल का दौरा पड़ने पर दिल की धड़कन में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव आता है, जिसके कारण कार्डियक अरेस्ट के मामले सामने आते हैं।
  • दिल का आकार बढ़ना (Cardiomyopathy)इस स्थिति में हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और इसका आकार असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जो कार्डियक अरेस्ट का मुख्य कारण बनता है। 
  • हृदय वाल्व रोग (Heart valve disease)हृदय वाल्व में खराबी के कारण मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं, जिसकी वजह से दिल की धड़कन में अनियमितता बढ़ सकती है।
  • जन्मजात हृदय दोष (Congenital heart defect)बच्चों में भी कार्डियक अरेस्ट की समस्या देखने को मिल रही है। यह बताता है कि जन्म से भी कुछ हृदय समस्याएं होती हैं, जिसके कारण बच्चों और युवाओं में अचानक कार्डियक अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। 
  • लंबे QT सिंड्रोम (Long QT syndrome) और अन्य हृदय संकेत समस्याएं: यह एक स्वास्थ्य समस्या है जो दिल की धड़कन को असामान्य बनाती है। यदि इस स्थिति का इलाज सही समय पर नहीं होता है तो व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो सकती है। खासकर युवाओं में इस प्रकार के सिंड्रोम के कारण अचानक मृत्यु का खतरा सबसे अधिक होता है।

कार्डियक अरेस्ट से बचाव -

कार्डियक अरेस्ट से बचाव के लिए कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करने से मदद मिल सकती है जैसे - 

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान से दूरी, और स्वस्थ वजन बनाए रखने से एक व्यक्ति को बहुत मिल सकती है। यह सारी आदतें एक व्यक्ति को स्वस्थ शरीर के साथ स्वस्थ हृदय के निर्माण में मदद करती है। 
  • नियमित जांच: हृदय रोग या इसके अन्य जोखिम कारक की स्थिति में नियमित जांच और परामर्श एक व्यक्ति को कई गंभीर समस्याओं से बचा सकता है। 
  • CPR सीखें: कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) एक ऐसा कौशल है, जिससे कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में एक व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर हर व्यक्ति को सीखना चाहिए। 
  • दवाओं का सही सेवन करें: हृदय रोग के कारकों को नियंत्रित करने के लिए अक्सर कुछ पेशेंट्स की दवाएं चलती है, जिसके सभी डोज को सही समय पर पूरा ज़रूर करना चाहिए। 

कार्डियक अरेस्ट एक गंभीर स्थिति है, लेकिन यह कुछ उपाय आपकी मदद कर सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली लगभग सभी स्वास्थ्य समस्याओं का एक सुदृढ़ इलाज है। 

कार्डियक अरेस्ट से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) -

 

कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में क्या अंतर है?

कार्डियक अरेस्ट में दिल तुरंत काम करना बंद कर देता है, जबकि हार्ट अटैक में दिल कमजोर पड़ जाता है, जिसके कारण लक्षण उत्पन्न होते हैं। कार्डियक अरेस्ट के कारण व्यक्ति की मृत्यु तुरंत होती है, जबकि हार्ट अटैक में समय रहते इलाज से जान बचाई जा सकती है।

सीपीआर कैसे करें?

सबसे पहले प्रयास करें कि पेशेंट होश में हो और उसकी पल्स चल रही हो। इस स्थिति में आप तुरंत सीपीआर देना शुरू कर सकते हैं। 

  • सीधे हाथ को छाती के बीच में रखें और दूसरे हाथ को उसके ऊपर रखें।
  • सीधे हाथों से 30 बार तेजी से छाती को दबाए।
  • सिर को थोड़ा पीछे झुकाए, नाक-मुंह को ढके और तेज सांस दे।
  • 30 बार छाती दबाने और 2 बार सांस देने का चक्र दोहराएं। 
  • जब तक कोई भी सहायता नहीं आती है तब तक इस प्रक्रिया को दोहराएं। 

यदि आप नहीं कर पा रहे हैं, तो तुरंत एंबुलेंस को कॉल करें और जल्द से जल्द पेशेंट को अस्पताल ले जाएं। 

हृदय रोगों से बचाव कैसे करें?

हृदय रोग से बचाव के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा जैसे - 

  • धूम्रपान छोड़ें, संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • तनाव कम करें, क्योंकि इससे बीपी बढ़ सकता है। 
  • नियमित जांच करवाएं
  • सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मतली या चक्कर आने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
  • स्वस्थ रहकर और डॉक्टरी सलाह का पालन करके हृदय रोगों से बचा जा सकता है!

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Sarkar

Dr. Rakesh Sarkar

Senior Consultant Exp: 11 Yr

Cardiology & Electrophysiology

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Dr Rakesh Sarkar is an experienced cardiologist and electrophysiologist associated with BM Birla Heart Research Centre. His expertise lies in doing complex arrhythmia procedures and novel pacing techniques as management of heart failure and arrhythmia. He is a specialist in Atrial Fibrillation, Atrial Flutter, Ventricular Tachycardia, CRT-D, and conduction system pacing in novel pacing techniques.

Dr Rakesh Sarkar has completed his MD in General Medicine from Bankura Sammilani Medical College and DM Cardiology from RG Kar Medical College. He completed his Post Doctoral Fellowship in Cardiac Electrophysiology from Care Hospital.

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