
पैरों की सूजन अक्सर हार्ट फेलियर के शुरुआती संकेत के रूप में देखी जाती है। लगातार या दोनों पैरों में सूजन को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। नमक नियंत्रण, सक्रिय जीवन शैली और समय पर विशेषज्ञ से जांच ही दिल की बीमारी के खतरे से बचने का सबसे अच्छा उपाय है।
क्या आपके पैरों में अचानक भारीपन आया है? इसे नजरअंदाज करने की भूल कहीं जानलेवा न हो जाए! इसे आप एक गंभीर चेतावनी ही समझें? हममें से ज्यादातर लोग पैरों की सूजन को काम की भागदौड़ या लंबे समय तक खड़े रहने का नतीजा मानकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन, यदि यह सूजन लगातार बनी रहे, खास तौर पर अगर यह दोनों पैरों में सूजन के कारण हो, तो यह सीधा संकेत हो सकता है कि आपका दिल अपनी क्षमता से कमजोर पड़ रहा है, जिसे मेडिकल भाषा में हार्ट फेलियर (Heart Failure) कहा जाता है।
CK Birla Hospital (BMB) में हमारे विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करते हैं कि आप इस महत्वपूर्ण संकेत को सही समय पर पहचान पाएं। याद रखें, दिल की बीमारी से जुड़ी हर मिनट की देरी आपके जीवन पर भारी पड़ सकती है। यदि आप इन लक्षणों से जूझ रहे हैं, तो तुरंत हमारे कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लें। आपका एक फैसला, आपका जीवन बचा सकता है। यह ब्लॉग सिर्फ़ जानकारी नहीं है, यह आपके लिए जीवन बचाने वाला एक तत्काल अलर्ट है।
पैरों में सूजन आने के कारण कई हो सकते हैं। इस स्थिति को एडिमा (Edema) कहते हैं, जो तब होता है जब रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) से तरल पदार्थ रिसकर आस-पास के ऊतकों (Tissues) में जमा हो जाता है। यह स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है। चलिए सभी कारणों को एक-एक करके समझते हैं -
यदि सूजन सुबह कम न हो, लगातार बनी रहे, या अन्य लक्षणों (जैसे सांस फूलना, थकान) के साथ हो, तो यह निम्न गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकता है -
वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (World Heart Federation) के अनुसार, विश्व भर में लगभग 6.2 मिलियन लोग हार्ट फेलियर से प्रभावित हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि एक बड़ी संख्या में मरीजों ने शुरुआत में केवल पैरों में सूजन आने के कारण ही इस गंभीर स्थिति को अनदेखा किया, जिसे आप बिल्कुल न करें।
हार्ट फेलियर वह स्थिति है जब दिल, शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त बल से रक्त पंप करने में असमर्थ होता है। यह एक क्रोनिक और प्रगतिशील बीमारी है, और पैरों की सूजन इसका सबसे क्लासिक और शुरुआती संकेत है।
हार्ट फेलियर कैसे सूजन पैदा करता है?
हार्ट फेलियर के कारण निम्न तरीकों से शरीर में सूजन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है -
यही कारण है कि हार्ट फेलियर के कारण होने वाली पैरों की सूजन अक्सर दोनों पैरों में सूजन के रूप में दिखाई देती है। यदि आपका काम लंबे समय तक बैठना या खड़ा होना है, तो यह लक्षण अधिक गंभीर लग सकते हैं।
पैरों की सूजन हर बार दिल का खतरा नहीं होती है, लेकिन कुछ संकेत ऐसे हैं जिनके दिखते ही आपको बिना देर किए CK Birla Hospital (BMB) के कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। यह लक्षण हार्ट फेलियर के बिगड़ने या एक्यूट कार्डियक इवेंट की ओर इशारा कर सकते हैं जैसे कि -
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गंभीर चेतावनी के संकेत |
दिल की समस्या से संबंध |
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सांस फूलना या लेटने पर सांस लेने में कठिनाई होना (Dyspnea) |
फेफड़ों में तरल पदार्थ का जमा होना (Pulmonary Edema)— यह हार्ट फेलियर का सबसे खतरनाक संकेत है। |
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सूजन का अचानक बढ़ना या तेजी से वजन बढ़ना |
शरीर में तरल पदार्थ का तेज़ी से जमा होना (Fluid Overload), जो दिल पर अतिरिक्त दबाव डालता है। |
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छाती में भारीपन या दर्द |
दिल का दौरा (Heart Attack) या एनजाइना (Angina) का लक्षण हो सकता है। |
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सूजन केवल एक पैर में होना, साथ में दर्द, लालिमा या गर्माहट |
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT)—एक जानलेवा ख़ून का थक्का। |
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रात में खांसी आना या घरघराहट |
जब आप लेटते हैं, तो फेफड़ों में फ्लूड का वापस प्रवाहित होना। |
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बेहोशी या चक्कर आना (Fainting or Dizziness) |
दिल की धड़कन का अनियमित होना (Arrhythmia) या मस्तिष्क को रक्त की कम आपूर्ति। |
जब आप बीएम बिरला अस्पताल (BMB) में विशेषज्ञ से मिलते हैं, तो वह आपकी संपूर्ण जांच करेंगे और यह निर्धारित करने के लिए कुछ विशिष्ट टेस्ट की सलाह दे सकते हैं कि आपकी पैरों की सूजन का कारण हार्ट फेलियर, किडनी, या लिवर की समस्या तो नहीं है जैसे कि -
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टेस्ट का नाम |
उद्देश्य (क्या पता चलता है) |
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ईसीजी (ECG/EKG) |
यह टेस्ट दिल की विद्युत गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है और अनियमित धड़कन (Arrhythmia) या पिछली क्षति की पहचान करता है। |
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इकोकार्डियोग्राम (Echo) |
यह दिल का अल्ट्रासाउंड है, जो दिल की पम्पिंग क्षमता को मापता है और वाल्व (Valves) की समस्याओं को दिखाता है। हार्ट फेलियर के निदान में यह मुख्य टेस्ट है। |
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एनटी-प्रोबीएनपी (NT-proBNP) ब्लड टेस्ट |
यह रक्त में एक हार्मोन के स्तर को मापता है जो दिल पर तनाव या खिंचाव होने पर रिलीज होता है। उच्च स्तर के हार्ट फेलियर का यह स्पष्ट संकेत है। |
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चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) |
इस टेस्ट की मदद फेफड़ों में तरल पदार्थ (फ्लूड) के जमाव और दिल के आकार (Enlarged Heart) की जांच होती है। |
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कार्डियक सीटी/एमआरआई (Cardiac CT/MRI) |
दिल की मांसपेशियों की विस्तृत संरचना और क्षति की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए इन जांच को कराया जाता है। |
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किडनी और लिवर फंक्शन टेस्ट |
यह पता लगाने के लिए कि सूजन का कारण दिल, किडनी, या लिवर में से कौन है, या तीनों आपस में जुड़े हुए हैं। |
सही निदान ही सही इलाज की नींव है। इन टेस्ट से डॉक्टर को यह तय करने में मदद मिलती है कि आपको डाइयुरेटिक्स (Diuretics-पानी निकालने वाली दवाएं), ब्लड प्रेशर की दवाएं, या अन्य विशेष उपचार की आवश्यकता है या नहीं।
हार्ट फेलियर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन जीवन शैली में सही बदलाव लाकर इसके लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है और पैरों की सूजन को कम किया जा सकता है। यह हार्ट हेल्थ टिप्स न केवल मरीजों के लिए, बल्कि सभी के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
यदि आपकी पैरों की सूजन गंभीर नहीं है और डॉक्टर ने आपको हरी झंडी दी है, तो यह पैरों की सूजन का घरेलू उपचार सूजन कम करने में मदद कर सकता है -
यदि इन उपायों से भी आपको कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं मिलते हैं और स्थिति ज्यों के त्यों बनी रहती है, तो आपको बिना देर किए एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए और परामर्श लेना चाहिए।
हार्ट फेलियर की चेतावनी देने वाले प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं - सांस का फूलना (ख़ासकर मेहनत करते समय या लेटने पर), रात में लगातार खांसी आना, अत्यधिक थकान और कमजोरी, अचानक वजन बढ़ना, और दिल की धड़कन का तेज या अनियमित होना।
घर पर आप नमक कम खाएं, पैरों को दिल के स्तर से ऊँचा रखकर आराम करें, नियमित रूप से हल्की वॉक करें, और कंप्रेशन सॉक्स पहनें। ठंडा सेक (Ice Pack) भी थोड़ी राहत दे सकता है।
हाँ, बिल्कुल। यह पैरों की सूजन को कम करने वाले सबसे प्रभावी घरेलू उपाय हैं। पैरों को दिल के स्तर से ऊपर तकिए या कुशन पर रखने से गुरुत्वाकर्षण की सहायता से अतिरिक्त तरल पदार्थ वापस प्रवाहित होता है, जिससे सूजन में काफी राहत मिलती है।
लंबे समय तक पैरों की सूजन को नज़रअंदाज़ करना हार्ट फेलियर, गंभीर किडनी या लिवर रोग का लक्षण हो सकता है। अनदेखी से शरीर में फ्लूड ओवरलोड हो सकता है, जिससे फेफड़ों में पानी भर सकता है, और आपकी जान को भी खतरा हो सकता है।
हां, इनका गहरा संबंध है। जब दिल ठीक से रक्त पंप नहीं कर पाता, तो न केवल पैरों में, बल्कि फेफड़ों में भी तरल पदार्थ (फ्लूड) जमा होने लगता है। इस स्थिति को पलमोनरी एडिमा कहते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।
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Dr. Rakesh Sarkar is a Senior Consultant in Cardiology & Electrophysiology at BM Birla Heart Hospital, Kolkata, with over 11 years of experience. He specializes in complex arrhythmia management, including atrial fibrillation, ventricular tachycardia, CRT-D, and conduction system pacing.
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