आसान भाषा में कहा जाए तो कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर का एक फैट है, जिसका कार्य हमारे शरीर में सेल्स एवं हार्मोन के निर्माण और पाचन क्रिया को दुरुस्त करना है। ट्राइग्लिसराइड फैट का एक और रूप है, जो मुख्य रूप से भोजन के द्वारा हमारे शरीर में आता है। जब भी आप कार्ब्स और शुगर का अतिरिक्त सेवन करते हैं, तो हमारा शरीर उन अतिरिक्त कैलोरी को ट्राइग्लिसराइड्स में बदल कर एक फैट के रूप में जमा करता है, जिससे शरीर को धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान होती है।
बीते कुछ वर्षों में हृदय रोग की समस्या का प्रसार कई गुना बढ़ गया है। हमारे साथ विश्व के कई डॉक्टरों का मानना है कि इलाज से बेहतर रोकथाम है। ऐसे में कई हृदय रोगों का संबंध दो शब्दों से बहुत ज्यादा होता है और वह है कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड।
यह दोनों ही हमारे रक्त में मौजूद एक लाभकारी फैट है, जिसकी अधिकता के कारण हृदय रोग का खतरा बना रहता है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स में अंतर को लेकर कई भ्रम उत्पन्न होते हैं, जिनको हम इस ब्लॉग की सहायता से दूर करने वाले हैं। चलिए दोनों के बीच के अंतर को समझते हैं, जिससे इन्हें नियंत्रित कर हृदय रोग से बचा जा सके। हृदय रोग के संबंध में आप तुरंत हमारे हृदय रोग विशेषज्ञों से भी बात कर सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के बीच के अंतर को समझने से पहले दोनों के बारे में कुछ बातों को जान लेना बहुत ज्यादा आवश्यक है। चलिए सबसे पहले जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल क्या है?
आसान भाषा में कहा जाए तो कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर का एक फैट है, जिसका कार्य हमारे शरीर में सेल्स एवं हार्मोन के निर्माण और पाचन क्रिया को दुरुस्त करना है। यह एक प्रकार का मौम जैसा पदार्थ होता है, जो पानी में घुलता नहीं है, इसलिए यह हमारे रक्त में लिपोप्रोटीन नाम के प्रोटीन के रूप में मौजूद होता है।
लीवर हमारे शरीर के लिए आवश्यक कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ के सेवन से भी कोलेस्ट्रॉल शरीर में अवशोषित होता है, जैसे कि मीट, हाई फैट डेयरी उत्पाद और तैलीय भोजन। मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं - एचडीएल (HDL Cholestrol) और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDL Cholesterol)।
कोलेस्ट्रॉल की नार्मल रेंज हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। हालांकि सभी पैथ लैब्स एक सामान्य मानक का पालन करते हैं, जिससे ब्लड टेस्ट के बाद कोलेस्ट्रॉल के नॉर्मल रेंज की पुष्टि हो पाती है -
ट्राइग्लिसराइड फैट का एक और रूप है, जो मुख्य रूप से भोजन के द्वारा हमारे शरीर में आता है। जब भी आप कार्ब्स और शुगर का अतिरिक्त सेवन करते हैं, तो हमारा शरीर उन अतिरिक्त कैलोरी को ट्राइग्लिसराइड्स में बदल कर एक फैट के रूप में जमा करता है, जिससे शरीर को धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान होती है। जब यह कैलोरी शरीर में अतिरिक्त रह जाती है, तो ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ने लगता है, जिसके कारण दिल की समस्या उत्पन्न होने लगती है।
ट्राइग्लिसराइड्स के सामान्य स्तर के बारे में जानकारी को नीचे बताया है -
चलिए अब समझते हैं कि ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल में क्या अंतर है? दोनों के बीच के अंतर को नीचे दिए गए टेबल की सहायता से आसान भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है -
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कोलेस्ट्रॉल |
ट्राइग्लिसराइड्स |
परिभाषा |
कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का लिपिड है, जिसका कार्य शरीर की कोशिकाओं को रिपेयर करना और हार्मोन में बदलाव करना है। |
ट्राइग्लिसराइड्स का कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। इसका एक और कार्य है और वह है कैलोरी को इकट्ठा करना। |
मुख्य कार्य |
कोलेस्ट्रॉल का कार्य शरीर की कोशिकाओं की दीवारों को रिपेयर करना और कुछ हार्मोन का निर्माण करना है। |
ट्राइग्लिसराइड्स का का कार्य हमारे शरीर को दैनिक कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करना और भविष्य के लिए ऊर्जा को स्टोर करना। |
शरीर में प्रसार |
कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में लिपोप्रोटीन के हमारे रक्त में आता है। |
ट्राइग्लिसराइड्स हमारे शरीर में भोजन के सहारे फैलता है। |
स्वास्थ्य पर प्रभाव |
कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर बहुत सारे हृदय रोगों के खतरे को बढ़ाता है। |
ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर के कारण मोटापा, हृदय रोग, और डायबिटीज की समस्या का जोखिम बढ़ जाता है। |
आहार का सुझाव |
सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट के सेवन को कम करने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। |
यदि आप अपने आहार में अधिक कार्ब्स और अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करते हैं तो ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ना निश्चित है। |
सबसे पहले तो कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर के कुछ लक्षण होते हैं, जिनके उत्पन्न होती है सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श लें और उनसे स्थिति की जांच कराएं। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रित करने के लिए आप निम्न निर्देशों का पालन भी कर सकते हैं -
हमारे शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स दोनों ही बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। लेकिन इन दोनों फैट का उच्च स्तर आपके सेहत के लिए गंभीर हो सकता है, इसलिए अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाएं और नियमित व्यायाम और समय-समय पर स्वास्थ्य की जांच कराएं।
हमारे विशेषज्ञों के अनुसार, ट्राइग्लिसराइड का स्तर 150 mg/dL से कम होना चाहिए। इससे अधिक ट्राइग्लिसराइड का स्तर आपके सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
LDL को खराब या बैड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। इसका स्तर लगभद 100 mg/dL से कम होना चाहिए।
ट्राइग्लिसराइड की स्थिति में कुछ खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल अवश्य करना चाहिए जैसे कि मछली, नट्स, बीज, फल, सब्जियां और होल ग्रेन्स।
सेब, नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, और संतरे जैसे फल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं। इन्हें अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।
ट्राइग्लिसराइड को कम करने के लिए आपको सिर्फ अपने आहार और दैनिक जीवन में बदलाव करना होगा जैसे कि नियमित व्यायाम करें, धूम्रपान छोड़ें और शराब के सेवन को सीमित करें।
Written and Verified by:
Dr Shuvo Dutta is a full time Senior Cardiologist in BM Birla Heart Research Centre. He has completed his MD from Calcutta National Medical College in Kolkata and is a Fellow of the Royal College of Physicians in the UK and Fellow of American College of Cardiology.
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