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हृदय रोग के लक्षण और प्रारंभिक पहचान

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हृदय रोग के लक्षण और प्रारंभिक पहचान

Cardiac Sciences | Posted on 07/18/2024 by Dr. Sanjeeb Roy



हृदय रोग, जिसे कार्डियो वैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) भी कहा जाता है। यह भारत में मृत्यु का एक मुख्य कारण है जसमें हृदय और रक्त वाहिकाएं प्रभावित होती हैं। कई प्रकार के हृदय रोग होते हैं - 

  • कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी): इसमें हृदय की धमनियों में संकुचन और रुकावट आती है। 
  • स्ट्रोक: यह समस्या तब उत्पन्न होत है, जब दिमाग के एक भाग में रक्त प्रवाह अवरुद्द हो जाता है। 
  • पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पीएडी): पैरों के रक्त प्रवाह में किसी भी प्रकार की कमी के कारण यह समस्या उन्हें परेशान करती है। 

हृदय रोग का कारण क्या है?

हृदय रोग के अधिक्तर कारण व्यक्ति के अस्वस्थ जीवनशैली से संबंध रखते हैं। हृदय रोग के निम्न कारण हो सकते हैं - 

कुछ मामलों में यह समस्या व्यक्ति को उसके जीन्स से मिलती है।

प्रारंभिक लक्षणों की पहचान महत्वपूर्ण क्यों?

कई बार हृदय रोग के शुरुआत में कोई भी लक्षण नहीं दिखते हैं और भविष्य में चलकर यह मृत्यु का कारण भी बन सकते हैं। यही कारण है कि हृदय रोग को शुरुआती चरण में पहचानना आवश्यक होता है। जितनी जल्दी इस स्थिति की पहचान होगी, उतनी ही जल्दी इस स्थिति का निदान और इलाज भी संभव हो पाएगा। कई बार हृदय रोग के शुरुआती लक्षण अस्पष्ट होते हैं और लोग इन्हें दूसरी स्थिति के साथ भी जोड़कर देखते हैं। यही कारण है कि नियमित जांच और असुविधा होने पर तुरंत में हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। 

हृदय रोग की शिकायत होने पर निम्न जांच का सुझाव दिया जाता है - 

हृदय रोग के लक्षण 

हृदय रोग की पुष्टि निम्न लक्षणों से हो सकती है - 

  • सांस फूलना: जब हृदय कमजोर होता है, तो आपको चलने फिरने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। सीढी चढते समय बहुत ज्यादा हाफना या सांस फूलना हृदय रोग का संकेत देता है। 
  • सीने में दर्द या बेचैनी: दिल का दौरा पड़ने के कारण पेशेंट को सीने में दर्द या असुविधा का सामना करना पड़ता है। दर्द के साथ पेशेंट अक्सर सीने में जकड़न या दबाव महसूस कर सकते हैं। यह दर्द संकेत देता है कि हृदय की मांसपेशियों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं जा रहा है।
  • अनियमित दिल की धड़कन:दिल की धड़कन में अनियमितता एक और गंभीर समस्या है, जो हार्ट की समस्या का संकेत देता है। 
  • सूजन: पैरों, या टखनों में सूजन हृदय की समस्या का एक और संकेत है। हृदय के ठीक से काम न करने के कारण रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है, जिसके कारण पैरों की नसों में सूजन देखने को मिलती है। इसके कारण पेट में सूजन और वजन में वृद्धि भी देखने को मिल सकती है। 
  • अन्य लक्षण: इन सबके अतिरिक्त थकान, बेहोशी, मतली, उल्टी, चक्कर आना, अत्यधिक पसीना आना और खांसी या घरघराहट भी हृदय रोग के मुख्य लक्षण है। 

इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत मेडिकल सहायता लें और स्थिति को गंभीर होने से बचाएं। हृदय रोग के शुरुआती लक्षणों को पहचानना और उनसे बचना दिल को गंभीर क्षति से बचा सकता है।

हृदय रोग की रोकथाम

हृदय रोग को रोकना आसान नहीं है, लेकिन कुछ तरीकों से इस स्थिति का मैनेजमेंट संभव है जैसे - 

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार इसमें एक अहम भूमिका निभाते हैं। धूम्रपान और तनाव से दूरी बनाएं। इसके अतिरिक्त अपने वजन पर भी ध्यान रखें। 
  • फैमिली हिस्ट्री का ध्यान दें: घर परिवार में किसी को भी यदि हृदय रोग है, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को सूचित करें। 
  • डॉक्टर से परामर्श लें: नियमित जांच और लक्षण दिखने पर जयपुर में हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें। इससे संभावित जटिलताओं से निपटने में मदद मिल सकती है। 

निष्कर्ष

हृदय रोगों से अपनी जान गंवाने वाले लोगों की सूची बहुत लंबी है। धूम्रपान, खराब आहार, शारीरिक निष्क्रियता और मोटापा हृदय रोग के कुछ मुख्य कारण है, जिनका प्रबंधन आवश्यक है। इसके अतिरिक्त हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा सकता है। यही कारण है कि इस रोग की प्रारंभिक पहचान महत्वपूर्ण है क्योंकि हृदय रोग के लक्षण शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। जितनी जल्दी इसकी पहचान होगी, जटिलताओं को रोकने की संभावना उतनी ही बेहतर होगी।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

हृदय रोग के लक्षण क्या है?

हृदय रोग की स्थिति में रोगी को निम्न लक्षणों का अनुभव हो सकता है - 

  • सीने में दर्द, दबाव या भारीपन महसूस होना। 
  • सांस लेने में तकलीफ।
  • थकान और चक्कर आना
  • दिल की धड़कन में अनियमितता
  • पैरों, या टखनों में सूजन

किसकी अधिकता के कारण हृदय रोग होता है?

किसी एक कारक की अधिकता के कारण हृदय रोग नहीं होता है। जीवनशैली में निम्न कारकों की अधिकता के कारण हृदय रोग का खतरा लगातार बना रहता है - 

  • हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज
  • हाई कोलेस्ट्रॉल लेवन
  • धूम्रपान
  • निष्क्रिय जीवनशैली
  • मोटापा और अत्यधिक तनाव
  • शराब का अधिक सेवन