कोलेस्ट्रॉल और डिमेंशिया का संबंध: क्या है जोखिम?
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कोलेस्ट्रॉल और डिमेंशिया का संबंध: क्या है जोखिम?

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Summary

हाई कोलेस्ट्रॉल मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित कर डिमेंशिया का खतरा बढ़ा सकता है। इसलिए स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और डॉक्टर से परामर्श जरूरी है।

कभी-कभी कोई सामान रख कर भूल जाना शायद एक सामान्य स्थिति हो सकती है, लेकिन कमजोर याददाश्त होना आपके दिल को कमजोर कर सकता है। डिमेंशिया जैसी स्वास्थ्य समस्या धीरे-धीरे जीवन की खुशियों को खत्म करती है। 

वहीं दूसरी तरफ कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना भी सिर्फ हृदय रोग ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क की गंभीर बीमारियों का भी संकेत देता है। आज हम इस ब्लॉग की मदद से समझेंगे कि कोलेस्ट्रॉल और डिमेंशिया कैसे जुड़े हैं, और किस तरह आप अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं। यदि आप या फिर आपके परिवार में से किसी को कोलेस्ट्रॉल या फिर डिमेंशिया की समस्या है, तो अभी हमारे अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ या न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें। 

Key takeaway

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 55 मिलियन से ज्यादा लोग डिमेंशिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं। भारत में यह संख्या हर वर्ष बढ़ रही है। 

कोलेस्ट्रॉल क्या होता है?

कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में बनने वाला एक प्राकृतिक फैट है, जिसका निर्माण हमारे शरीर के टिश्यू में होता है। कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता हमारे शरीर को होती है। भारत सरकार के द्वारा चलाए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission (NHM)) के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होते हैं - 

  • एलडीएल (LDL): यह बैड कोलेस्ट्रॉल है, जो हमारे शरीर की धमनियों में जम जाता है, जिससे रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। 
  • एचडीएल (HDL): यह गुड कोलेस्ट्रॉल है जो शरीर में हर प्रकार के कोलेस्ट्रॉल के बैलेंस बनाने में मदद करता है और बैड कोलेस्ट्रॉल को शरीर से बाहर करने में मदद करता है।

जब हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, तो यह हृदय रोग के साथ-साथ मस्तिष्क की धमनियों को भी प्रभावित करता है।

डिमेंशिया क्या है? - Dementia In Hindi

डिमेंशिया एक ऐसा रोग है, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे प्रभावित होती हैं। इसके कारण याददाश्त, सोचने-समझने और दैनिक जीवन के काम करने में परेशानी होती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस {National Institute of Mental Health and Neurosciences (NIMHANS)} के अनुसार, भारत में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 7 लाख या इससे अधिक है। यह संख्या लगातार बढ़ रही है, जो कि एक चिंता का विषय बना हुआ है। आयु, आनुवंशिकता (जेनेटिक), अस्वस्थ जीवनशैली और हाई कोलेस्ट्रॉल इस स्वास्थ्य समस्या के कुछ प्रमुख कारण है। इसके सटीक कारण की पहचान के लिए टेस्ट और डॉक्टर से परामर्श बहुत ज्यादा जरूरी है। 

डिमेंशिया की स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • लगातार कोई चीज भूल जाना
  • निर्णय लेने में समस्या
  • बातचीत में परेशानी
  • व्यक्तित्व या पर्सनैलिटी में बदलाव

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण कुछ खास लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि - 

इन लक्षणों के दिखने पर आप निम्न कार्यों को करके अपने कोलेस्ट्रॉल को आसानी से मैनेज करने पर अपना ध्यान देना चाहिए - 

  • तला-भुना भोजन और जंक फूड से बचें।
  • रोजाना 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करें।
  • फल, सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले भोजन का सेवन करें।
  • धूम्रपान और शराब से दूर रहें

कोलेस्ट्रॉल और डिमेंशिया: क्या है संबंध?

2024 में WHO की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि हाई कोलेस्ट्रॉल मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर डिमेंशिया का खतरा बढ़ा सकता है। हाई LDL कोलेस्ट्रॉल मस्तिष्क में सूजन और अमाइलॉइड प्रोटीन की बढ़ोतरी का कारण हो सकता है, जो कि अल्जाइमर और अन्य डिमेंशिया का कारण भी बनता है।

इन्डियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार, हाई कोलेस्ट्रॉल वाले मरीजों में डिमेंशिया के जोखिम में 20-30% तक की वृद्धि देखी गई है, जो कि स्वयं एक बहुत बड़ी संख्या है।

हाई कोलेस्ट्रॉल कैसे बढ़ाता है डिमेंशिया का खतरा?

हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण डिमेंशिया का खतरा हो सकता है, जिसके स्वयं कई कारण है जैसे कि - 

  • मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज: हाई कोलेस्ट्रॉल धमनियों में ब्लॉकेज का कारण होता है, जिससे मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होती है, जो कि दिमाग में कई समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • मस्तिष्क की कोशिकाओं की मृत्यु: ऑक्सीजन की कमी से न्यूरॉन्स (मस्तिष्क की कोशिकाएं) मरने लगती हैं, जिससे सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
  • अमाइलॉइड प्लाक निर्माण: हाई कोलेस्ट्रॉल अमाइलॉइड प्रोटीन के जमाव को बढ़ावा देते हैं, जो अल्जाइमर रोग का मुख्य कारण है, जो कि एक मानसिक रोग है।

कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवाएं और डिमेंशिया से बचाव

कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं। मुख्य रूप से स्टैटिनदवाएं कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। कई रिसर्च में यह सामने आया है कि स्टैटिन का सेवन करने वाले लोगों में डिमेंशिया का खतरा भी कई गुना कम हो जाता है। हालांकि यह दवा इस स्थिति के इलाज का अंतिम विकल्प नहीं है। यह एक सहायक उपाय है, जिसका उपयोग डॉक्टर कभी-कभी ही करते हैं। स्वस्थ जीवन शैली अपनाना—जैसे संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन—अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोलेस्ट्रॉल को कम करने में आपकी जीवनशैली बहुत महत्वपूर्ण योगदान देती है। चलिए कुछ उपायों को समझते हैं, जिससे डिमेंशिया से आप आसानी से बच सकते हैं- 

  • संतुलित आहार लें: ताजे फल, सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि मछली को अपने आहार में शामिल करें।
  • नियमित व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करने से आपको बहुत लाभ मिल सकता है।
  • स्ट्रेस मैनेजमेंट का खास ख्याल रखें: ध्यान, योग, या मेडिटेशन करने से आपको बहुत मदद मिल सकती है।
  • धूम्रपान और शराब से बचें: यह मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए इनसे दूरी बनाएं।
  • मस्तिष्क को सक्रिय रखें: कुछ न कुछ पढ़ते रहें, क्विज सॉल्व करें और नई-नई चीजें सीखते रहें।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं: कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए नियमित जांच बहुत ज्यादा जरूरी है।
  • पर्याप्त नींद लें: नींद की कमी मस्तिष्क स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद ज़रूर लें।

निष्कर्ष

डिमेंशिया और कोलेस्ट्रॉल के बीच का कनेक्शन समझकर आप न केवल अपने दिल की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि अपनी याददाश्त और मानसिक स्वास्थ्य की भी सुरक्षा कर सकते हैं। WHO और भारत सरकार के स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करें, समय-समय पर जांच करवाएं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

आपके और आपके परिवार के लिए सही कदम उठाने का यही सही वक्त है। अगर आप डिमेंशिया या कोलेस्ट्रॉल को लेकर चिंतित हैं, तो विशेषज्ञ की सलाह लेना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कोलेस्ट्रॉल को कैसे कम करें?

कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप निम्न बातों का पालन करें - 

  • संतुलित आहार लें
  • नियमित व्यायाम करें
  • धूम्रपान छोड़ना
  • डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवाएं लें

टोटल कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए?

कोलेस्ट्रॉल के टेस्ट में कई पैरामीटर होते हैं। टोटल कोलेस्ट्रॉल या TC लगभग 200 mg/dL से कम होना चाहिए। इससे अधिक होना खतरे की घंटी साबित हो सकती है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने आपको निम्न खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है -

  • तली-भुनी चीजें।
  • फैटी भोजन।
  • प्रोसेस्ड फूड्स

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं?

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से आपको निम्न बीमारियां हो सकती हैं -

  • हृदय रोग
  • स्ट्रोक
  • डिमेंशिया
  • उच्च रक्तचाप

किसी व्यक्ति को डिमेंशिया होने का क्या कारण है?

डिमेंशिया होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि - 

  • आयु
  • आनुवंशिकता
  • अस्वस्थ जीवनशैली
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल

क्या डिमेंशिया वाले व्यक्ति को अकेला छोड़ना ठीक है?

डिमेंशिया वाले व्यक्ति कभी भी अकेले नहीं रह सकता है, क्योंकि उन्हें खास देखभाल की आवश्यकता होती है। इसलिए सहारे और देखभाल के लिए उनके साथ कोई न कोई ज़रूर होना चाहिए।

अल्जाइमर किस उम्र में जल्दी शुरू होता है?

अधिकतम 65 वर्ष के बाद अल्जाइमर की समस्या उत्पन्न हो सकती है, लेकिन कभी-कभी 40-50 वर्ष की उम्र में भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।

Written and Verified by:

Dr. Mohammad Hafiz

Dr. Mohammad Hafiz

Associate Consultant Exp: 3 Yr

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