क्या आपको पता है, हर साल दुनिया में होने वाली 20% हार्ट अटैक की मौतें सिर्फ भारत में होती हैं? इससे खतरनाक बात यह है कि यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के एक अध्ययन के मुताबिक, 73.9% आउट-ऑफ-हॉस्पिटल कार्डियक अरेस्ट (अस्पताल से बाहर होने वाले दिल के दौरे) घर पर होते हैं। इसका मतलब है कि आपातकालीन स्थिति में आप और आपके आस-पास के लोग ही सबसे पहले मददगार हो सकते हैं।
पहला मिनट ही फैसला करता है। अगर आपको या आपके सामने किसी को हार्ट अटैक के लक्षण दिखें जैसे कि सीने में दबाव/जलन, सांस फूलना, ठंडा पसीना, उलझन, जबड़े/बाँह/पीठ में दर्द हो, तो हर सेकंड की कीमत समझें और तुरंत सहायता लें। इस स्थिति में तुरंत इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें (भारत में 112; एम्बुलेंस सेवा 108/102), मरीज को आरामदायक पोजीशन में रखें, और जरूरत पड़े तो एस्पिरिन चबाकर दें (कब, कैसे—नीचे विस्तार से)। सही कदम समय पर उठेंगे तो जान बच सकती है और दिल की स्थायी क्षति कम हो सकती है। इमरजेंसी की स्थिति में आप पेशेंट को हमारे अस्पताल में भी ला सकते हैं और हमारे अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं।
हार्ट अटैक की पहचान कैसे करें?
हार्ट अटैक कोई अचानक होने वाली घटना नहीं है; इसके कुछ चेतावनी भरे लक्षण होते हैं, जिन्हें पहचानना बेहद ज़रूरी है। इसे अक्सर लोग गैस या बदहजमी समझकर अनदेखा कर दिया जाता है, जो बहुत बड़ी गलती है। चलिए हार्ट अटैक के मुख्य लक्षण को समझते हैं -
- सीने में दर्द या दबाव: यह सबसे आम लक्षण है। अक्सर इसे सीने के बीच या बाईं ओर एक भारीपन, जकड़न या निचोड़ने वाले दर्द के रूप में महसूस किया जाता है। ऐसा लग सकता है कि जैसे सीने पर कोई भारी सामान रख दिया हो।
- शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द: यह दर्द सीने से फैलकर एक या दोनों हाथों (आमतौर पर बाईं भुजा), जबड़े, गर्दन, पीठ या पेट तक जा सकता है।
- सांस लेने में तकलीफ: सांस फूलना या सांस लेने में बहुत कठिनाई महसूस होना भी इसका एक मुख्य लक्षण है।
- पसीना और बेचैनी: अचानक से बहुत ज्यादा ठंडा पसीना आना और साथ में चक्कर आना या बेहोशी जैसा महसूस होना भी इसके मुख्य लक्षणों की सूची में है।
- मतली या उल्टी: कुछ लोगों को सीने में दर्द के साथ मतली, उल्टी या एसिडिटी जैसा महसूस हो सकता है।
महिलाओं में यह लक्षण थोड़े अलग भी हो सकते हैं। उन्हें सीने में तेज दर्द के बजाय गर्दन, पीठ या पेट में हल्की बेचैनी, थकान या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं।
हार्ट अटैक आते ही सबसे पहले क्या करना चाहिए?
जब आपको ऊपर बताए गए लक्षण किसी में दिखे, तो सबसे पहला कदम घबराहट को दूर करके तुरंत कार्रवाई करना है। हार्ट अटैक फर्स्ट एड में हर सेकंड मायने रखता है, इसलिए इस स्थिति में निम्न चीजों का ख्याल रखें -
- शांत रहें और मरीज को शांत रखें: सबसे पहले खुद को और मरीज को शांत करने का प्रयास करें। घबराहट से दिल की धड़कन और तनाव बढ़ सकता है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। मरीज को किसी आरामदायक जगह पर बैठाएं या लिटा दें।
- तुरंत आपातकालीन नंबर पर कॉल करें: बिना देर किए सबसे पहले हार्ट अटैक इमरजेंसी नंबर 108 या 1298 पर कॉल करें। स्पष्ट रूप से अपनी लोकेशन बताएं और स्थिति के बारे में जानकारी दें। उन्हें यह भी बताएं कि आप हार्ट अटैक इमरजेंसी टिप्स का पालन कर रहे हैं।
- मरीज को आरामदायक स्थिति में बैठाएं: मरीज को सहारा देकर आरामदायक स्थिति में बैठा दें। उन्हें झुक कर बैठने या खड़े होने से रोकें। पीठ को सहारा मिले और घुटने मुड़े हुए हों, वह स्थिति हार्ट अटैक के पेशेंट्स के लिए सबसे बेहतर होती है। इससे दिल पर दबाव कम पड़ता है।
- टाइट कपड़े ढीले करें: मरीज के गले के आसपास और कमर के कपड़े ढीले कर दें ताकि उन्हें सांस लेने में आसानी हो।
- एस्पिरिन दें (अगर सही हो): क्या हार्ट अटैक में एस्पिरिन देना सही है? यह प्रश्न लोगों के सामने आता है, लेकिन इस प्रश्न के उत्तर से पहले आपको यह देखना होगा कि मरीज को एस्पिरिन से एलर्जी तो नहीं है और उसे पेट का अल्सर या कोई रक्तस्राव की समस्या नहीं है। यदि नहीं तो तुरंत 325 mg या दो 80mg की एस्पिरिन की गोलियां दें, जिसे वह चबाएंगे। इस दवा को चबाकर खाने से जल्दी राहत मिलती है। एस्पिरिन खून को पतला करके खून के थक्कों को जमने से रोकता है, जिससे दिल में खून का प्रवाह बना रहता है। यह एक महत्वपूर्ण प्री-हॉस्पिटल केयर टिप है।
एम्बुलेंस आने तक मरीज की देखभाल कैसे करें?
जब तक एम्बुलेंस आती है, तब तक मरीज को अकेला न छोड़ें। उनके साथ रहें और उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखें और निम्न सुझावों का पालन करें -
- बातचीत जारी रखें: मरीज से बात करते रहें और उन्हें भरोसा दिलाएं कि सब ठीक है। इससे उनका मनोबल बढ़ेगा और तनाव कम होगा, जिससे दिल पर दबाव भी कम पड़ेगा।
- वातावरण को ठंडा रखें: अगर संभव हो तो कमरे की खिड़कियां खोल दें या हवा का प्रबंध करें ताकि मरीज को घुटन महसूस न हो।
- क्या हार्ट अटैक आने पर मरीज को पानी देना चाहिए या नहीं? मरीज को कोई भी तरल पदार्थ या खाना न दें, क्योंकि इससे गला घुटने का खतरा हो सकता है, खासकर अगर मरीज को उल्टी आ रही हो। केवल एस्पिरिन ही दें और वह भी उन्हें चबाकर खाने को कहें।
क्या हार्ट अटैक में तुरंत एस्पिरिन देना सही है?
हां, यह एक बहुत ही ज़रूरी कदम है, लेकिन इसमें भी कुछ सावधानियां हैं जैसे कि -
- क्यों ज़रूरी है: एस्पिरिन एक एंटी-प्लेटलेट दवा है, जो खून के थक्कों को बनने से रोकती है। हार्ट अटैक का मुख्य कारण दिल की धमनियों में खून का थक्का जमना ही होता है। एस्पिरिन इस थक्के को बढ़ने से रोककर दिल को होने वाले नुकसान को कम कर सकता है।
- किसे नहीं देना चाहिए: यदि मरीज को पहले से ही पेट में अल्सर या किसी भी तरह की ऐसी समस्या है, जिसमें अधिक रक्त हानि की समस्या हो सकती है, तो उसे एस्पिरिन से एलर्जी हो सकती है, तो उसे एस्पिरिन बिल्कुल न दें। यदि आप निश्चित नहीं है, तो न देना ही बेहतर है और उन्हें तुरंत अस्पताल में ले जाने का प्रयास करें।
CPR कब और कैसे करना चाहिए?
सीपीआर (CPR) एक जीवन रक्षक तकनीक है, जो तब इस्तेमाल की जाती है जब मरीज बेहोश हो जाए और उसकी सांस और नाड़ी दोनों रुक जाए। यह दिल और दिमाग में खून का प्रवाह बनाए रखने में मदद करता है। यह तभी शुरू करना चाहिए जब आप जानते हों कि इसे कैसे करना है।
- मरीज को देखें: सबसे पहले मरीज को पीठ के बल सख्त सतह पर लिटाएं। देखें कि क्या वह सांस ले रहा है। उसकी छाती की हलचल और नाड़ी की जांच करें।
- अगर सांस नहीं ले रहा: यदि मरीज सांस नहीं ले रहा है, तो तुरंत 108 पर कॉल करें और उन्हें बताएं कि मरीज बेहोश है।
- छाती पर दबाव (Chest Compressions):
- अपने हाथों को मरीज की छाती के बीच/स्तन के निप्पल के बीचों बीच रखें।
- अपने एक हाथ को दूसरे के ऊपर रखें और उंगलियों को आपस में फंसा लें।
- अपनी कोहनी सीधी रखें और अपने शरीर का वजन इस्तेमाल करते हुए छाती पर तेज़ और लगातार दबाव डालें।
- लगभग 5-6 सेंटीमीटर गहरा दबाव डालें और इस प्रक्रिया को कम से कम प्रति मिनट 100-120 की गति से (तेज गति से) दोहराएं।
- हार्ट अटैक में सीपीआर कितने समय तक करना चाहिए?: यह एक मुख्य प्रश्न है कि कितने समय तक इस प्रक्रिया को करना चाहिए। जब तक एम्बुलेंस नहीं आ जाती या मरीज की सांस वापस नहीं आ जाती, तब तक सीपीआर करते रहें। यदि आप थक जाते हैं तो किसी और से मदद लें।
हार्ट अटैक से बचने के उपाय क्या है?
यह सच है कि हार्ट अटैक का इलाज तभी संभव है जब इसे समय पर पहचान लिया जाए, लेकिन इलाज से बेहतर बचाव ही है। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप दिल के दौरे के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। निम्न उपायों की मदद से आप एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं -
- स्वस्थ आहार: अपनी डाइट में हरी सब्ज़ियां, फल, होल ग्रेन्स और कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट शामिल करें। बहुत ज़्यादा नमक, चीनी और सैचुरेटेड फैट वाले खाने से बचें।
- नियमित व्यायाम: रोज़ाना 30 मिनट की हल्की-फुल्की कसरत, जैसे कि तेज चलना, जॉगिंग, तैराकी या साइकिल चलाना दिल को स्वस्थ रखता है।
- तनाव प्रबंधन: तनाव दिल की बीमारियों का एक प्रमुख कारण है। ध्यान, योग, ब्रीदिंग एक्सर्साइज या अपने पसंद की कोई हॉबी अपनाकर तनाव कम करें। इससे हार्ट अटैक का खतरा कई गुना कम हो जाता है।
- नियमित स्वास्थ्य जांच: 30 साल की उम्र के बाद से ही नियमित रूप से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर की जांच करवाते रहें।
- धूम्रपान और शराब से दूरी: धूम्रपान और शराब का सेवन दिल की बीमारियों के जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है।
निष्कर्ष
हार्ट अटैक के दौरान हर पल कीमती होता है। सही समय पर लक्षणों को पहचानना और तुरंत, बिना घबराए हुए कदम उठाना ही जान बचाने का सबसे बड़ा हथियार है। CPR, एस्पिरिन का सही इस्तेमाल और मरीज को आरामदायक स्थिति में रखना, ये कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कदम है जो अस्पताल पहुंचने से पहले ही मरीज के बचने की संभावना को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। याद रखें, आप सिर्फ एक मददगार नहीं, बल्कि एक जीवन रक्षक भी बन सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या हार्ट अटैक में तुरंत एस्पिरिन देना सही है?
हां, अगर मरीज को एस्पिरिन से एलर्जी या रक्तस्राव की समस्या नहीं है, तो तुरंत 325 mg की एस्पिरिन चबाने के लिए देना सही है। यह खून के थक्के को बनने से रोकता है और जान बचा सकती है।
हार्ट अटैक आने पर मरीज को पानी देना चाहिए या नहीं?
नहीं, हार्ट अटैक के मरीज को पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे गला घुटने का खतरा हो सकता है।
क्या घर पर हार्ट अटैक का इलाज संभव है?
नहीं, घर पर हार्ट अटैक का पूर्ण इलाज संभव नहीं है। यह एक इमरजेंसी मेडिकल कंडीशन है जिसका इलाज केवल अस्पताल में ही हो सकता है। आप सिर्फ हार्ट अटैक फर्स्ट एड देकर मरीज को अस्पताल पहुंचने तक की मदद कर सकते हैं।
हार्ट अटैक इमरजेंसी में सबसे पहले किसे कॉल करें?
हार्ट अटैक इमरजेंसी में सबसे पहले 108 या 1298 जैसे आपातकालीन नंबर पर कॉल करना चाहिए।
हार्ट अटैक में CPR कितने समय तक करना चाहिए?
सीपीआर तब तक करना चाहिए जब तक कि आपातकालीन चिकित्सा सेवा नहीं आ जाती या मरीज की सांस वापस नहीं आ जाती।