सीने में जलन आपकी छाती के बीच में एक दर्दनाक जलन का अनुभव है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका संबंध दिल से होता है। लेकिन वास्तव में इसका संबंध आपके दिल से नहीं होता है।
सीने में जलन असहजता और दर्द का मुख्य कारण होता है। यदि आपको सीने में जलन है, तो कुछ प्रकार के भोजन और पेय पदार्थ इनके लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। लेकिन एक प्रश्न का उत्तर खोजना बहुत ज्यादा अनिवार्य है और वह यह है कि क्या सीने में जलन का संबंध हृदय रोग से है या नहीं। बहुत लोग मानते हैं कि सीने में जलन हृदय रोग का लक्षण है। इस विषय पर हम इस ब्लॉग के द्वारा प्रकाश अवश्य डालेंगे, लेकिन यदि आप किसी भी हृदय रोग से पीड़ित हैं या फिर पीड़ित होने की संभावना है, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप जल्द से जल्द हमारे कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें। चलिए सबसे पहले जानते हैं कि सीने में जलन क्या है।
सीने में जलन आपकी छाती के बीच में एक दर्दनाक जलन का अनुभव है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका संबंध दिल से होता है। लेकिन वास्तव में इसका संबंध आपके दिल से नहीं होता है। इसके कारण दर्द छाती से होकर दिल के पास तक जाता है। जब यह समस्या लंबे समय तक आपको परेशान करे, तो इसे जीईआरडी या फिर गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग कहा जाता है।
सामान्य तौर पर, घर पर ही हार्टबर्न के लक्षणों का इलाज किया जा सकता है। लेकिन इन लक्षणों का लंबे समय तक बने रहना एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति की तरफ इशारा करता है। इस संबंध में हम आपको कोलकाता में एक अच्छे हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह देंगे।
सामान्यतः खानपान में गड़बड़ी सीने में जलन का मुख्य कारण है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी होते हैं जो हार्टबर्न या सीने में दर्द का कारण बन सकते हैं जैसे -
सीने में जलन या दर्द का सबसे सामान्य लक्षण छाती और गले में दर्द, जलन या गर्म महसूस होना है। सीने में जलन या दर्द के कारण बहुत सारे लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे -
यदि कोई व्यक्ति लगातार एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों का अनुभव करता है, तो उन्हें तुरंत एक अच्छे गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट या फिर आंत चिकित्सा के विशेषज्ञ से मिलने की आवश्यकता है।
सीने में जलन या दर्द के इलाज के लिए कुछ दवाएं कारगर साबित हो सकती हैं। सीने में जलन के इलाज के विकल्पों को नीचे दिया गया है -
दवाओं के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव भी बहुत ज्यादा जरूरी है, जिससे सीने में जलन से बचने में राहत मिलती है।
सीने में जलन एक आम समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है। सीने में जलन होने पर अक्सर हृदय रोग की आशंका को लेकर भ्रम होते हैं। चलिए सीने में जलन के संबंध में कुछ मिथक बनाम तथ्य पर विचार करते हैं -
मिथक |
तथ्य |
सीने में जलन हमेशा हृदय रोग का संकेत है। |
सीने में जलन का सबसे आम कारण अपच या गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) है। GERD की समस्या तब होती है, जब पेट का एसिड वापस फूड पाइप में आ जाता है। यह जलन, कड़वाहट और छाती में दर्द का कारण बन सकता है। |
सीने में जलन की तीव्रता बहुत ज्यादा होती है |
सीने में जलन की तीव्रता अलग-अलग होती है। कुछ लोगों को केवल हल्का जलन का अनुभव होता है, वहीं दूसरे लोगों को अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है। |
सीने में जलन हमेशा खाने के बाद होती है। |
सीने में जलन कभी भी हो सकता है। यह झुकने, लेटने या व्यायाम करने से भी ट्रिगर हो सकता है। |
सीने में जलन केवल वयस्कों को प्रभावित करती है। |
सीने में जलन किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। यहां तक की बच्चों को भी यह रोग प्रभावित कर सकता है। |
सीने में जलन एक गंभीर बीमारी का संकेत देता है। |
ज्यादातर मामलों में, सीने में जलन एक मामूली समस्या है, जिसका इलाज घरेलू उपचार या ओवर-द-काउंटर दवाओं से किया जा सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में, सीने में जलन एक अधिक गंभीर स्थिति, जैसे कि पेट के अल्सर या एसिड रिफ्लक्स रोग का संकेत हो सकती है। |
नहीं! इस रोग का संबंध हृदय रोग से नहीं है। सीने में जलन एसिड या अपच से संबंधित होता है। अन्नप्रणाली (इसोफेगस) और हृदय एक दूसरे के पास स्थित होते हैं, जिसके कारण सीने में होने वाला दर्द हृदय रोग की तरफ इशारा करता है, जो कि सत्य नहीं है। इसी कारण लोग सीने में दर्द को एनजाइना की स्थिति समझ लेते हैं।
हां, गैस के कारण व्यक्ति को सीने में जलन या दर्द का सामना करना पड़ता है। जब पेट में गैस बनती है, तो यह एसिड के साथ मिलकर पेट से ऊपर भाग में जाता है और फूड पाइप पर चला जाता है, जिससे सीने में दर्द होता है।
प्रेगनेंसी में सीने में जलन होना एक आम समस्या है। यह बच्चेदानी के बढ़ने के कारण होता है, जो पेट और फूड पाइप पर अतिरिक्त दबाव डालता है। इससे एसिड के पेट से ऊपर उठने की संभावना बढ़ जाती है और सीने में जलन होती है।
निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन से आपको लाभ हो सकता है -
Written and Verified by:
Dr Rakesh Sarkar is an experienced cardiologist and electrophysiologist associated with BM Birla Heart Research Centre. His expertise lies in doing complex arrhythmia procedures and novel pacing techniques as management of heart failure and arrhythmia. He is a specialist in Atrial Fibrillation, Atrial Flutter, Ventricular Tachycardia, CRT-D, and conduction system pacing in novel pacing techniques.
Dr Rakesh Sarkar has completed his MD in General Medicine from Bankura Sammilani Medical College and DM Cardiology from RG Kar Medical College. He completed his Post Doctoral Fellowship in Cardiac Electrophysiology from Care Hospital.
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