पेसमेकर कब और क्यों लगाया जाता है? प्रक्रिया और देखभाल के टिप्स
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पेसमेकर कब और क्यों लगाया जाता है? प्रक्रिया और देखभाल के टिप्स

Summary

पेसमेकर एक छोटा एवं इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसे त्वचा के नीचे छाती के पास सर्जरी की सहायता से इंप्लांट किया जाता है। इस उपकरण की मदद से सर्जन अपने क्लीनिक में बैठकर आपके हृदय की गतिविधि को आसानी से ट्रैक और नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह उपकरण आपके हृदय की धड़कन को सामान्य बनाए रखने में मदद कर सकता है।

पेसमेकर एक आधुनिक उपकरण है, जिसका कार्य हमारे दिल की धड़कन को नियंत्रित करके हमारे जीवन को बचाना है। दुनिया भर में दिल की समस्या से लाखों लोग प्रभावित होते हैं, और पेसमेकर उन्हीं लाखों लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण साबित होती है। मैं एक कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में अनियमित दिल की धड़कन के इलाज के लिए पेसमेकर के विकल्प का ही सुझाव देता हूं। लेकिन यह विकल्प सबके लिए नहीं होता है। 

चलिए समझते हैं कि पेसमेकर की आवश्यकता कब और क्यों होती है और इस स्थिति में आप खुद की देखभाल कैसे कर सकते हैं। हृदय संबंधी समस्या के इलाज के लिए बिना झिझक हमारे अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और परामर्श लें।

पेसमेकर क्या है?

पेसमेकर एक छोटा एवं इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसे त्वचा के नीचे छाती के पास सर्जरी की सहायता से इंप्लांट किया जाता है। इस उपकरण की मदद से सर्जन अपने क्लीनिक में बैठकर आपके हृदय की गतिविधि को आसानी से ट्रैक और नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह उपकरण आपके हृदय की धड़कन को सामान्य बनाए रखने में मदद कर सकता है। यह आपके दिल की धड़कन की लय को नोट करता है और उसे समय-समय पर इस रीडिंग को आपके डॉक्टर को भेजता रहता है। 

पेसमेकर के प्रकार

पेसमेकर भी कई प्रकार के होते हैं, जो हर व्यक्ति के स्वास्थ्य के आधार पर इंप्लांट किया जाता है। निम्न विकल्पों में से एक का सुझाव हम भी आपको दे सकते हैं, जिसके लिए आपके कुछ टेस्ट किए जाते हैं - 

  1. सिंगल-चेम्बर पेसमेकर: यह पेसमेकर हृदय के एक चैम्बर (एट्रियम या वेंट्रिकुलर) से जुड़ा होता है, जिससे सर्जन हृदय की धड़कन को नियंत्रित कर सकते हैं।
  2. डुअल-चेम्बर पेसमेकर: यह पेसमेकर हृदय के दोनों चैम्बर (एट्रियम और वेंट्रिकुलर) से जुड़ा होता है, जो हृदय की धड़कन को एक साथ और संतुलित बनाए रखता है।
  3. बाई वेंट्रिकुलर पेसमेकर (CRT): यह विशेष रूप से हृदय की विफलता से पीड़ित रोगियों के लिए होता है और दोनों वेंट्रिकल्स को एक साथ लाने का प्रयासं करता है, जिससे हृदय की पंप करने की क्षमता बढ़ जाती है।
  4. बीना तार का पेसमेकर: यह एक एडवांस तकनीक है, जिसमें तारों (लीड्स) की आवश्यकता नहीं होती है और इसे सीधे हृदय में इम्प्लांट किया जाता है। हमने इस तकनीक का सफलता से उपयोग किया है, जिस मामले को हमने नीचे बताया है।

यदि किसी को भी पेसमेकर लगाया जाता है, तो इन चार में से किसी एक पेसमेकर को लगाया जाता है। 

पेसमेकर कब लगाया जाता है?

मुख्य रूप से पेसमेकर को लगाने की आवश्यकता तब होती है, जब हृदय की गति में असामान्य रूप से बदलाव देखने को मिलता है। हृदय गति में असामान्य रूप से बदलाव के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि थकान, चक्कर आना, बेहोशी या सांस लेने में तकलीफ। पेसमेकर की आवश्यकता निम्न स्थितियों में हो सकती है - 

  • ब्रैडीकार्डिया: जब हृदय की धड़कन बहुत धीमी हो जाती है।
  • हार्ट ब्लॉकेज: जब हृदय में कार्य करने वाली विद्युत गतिविधियां रुक जाती हैं।
  • एट्रियल फिब्रिलेशन: यह अनियमित हृदय की धड़कन है, जिसके कारण अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर: कुछ मामलों में, पेसमेकर हृदय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है। इसलिए कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर की स्थिति में भी पेसमेकर की भी आवश्यकता होती है।

पेसमेकर कैसे काम करता है?

पेसमेकर को कार्य करने के लिए विद्युत इम्पल्स का उपयोग किया जाता है। यदि हृदय की धड़कन में अनियमितता आती है, तो पेसमेकर एक्टिव हो जाता है, जिससे हृदय की गति को सामान्य करने के लिए विद्युत इम्पल्स का उपयोग किया जाता है। पेसमेकर का कार्य हमारे हृदय की गति की निगरानी करना भी है। यह उपकरण हृदय की धड़कन की निगरानी करता है और ज़रूरत के अनुसार इसे नियंत्रित भी कर सकता है। 

पेसमेकर लगाने के फायदे

पेसमेकर लगाने से पेशेंट को कई फायदे हो सकते हैं। चलिए पेशेंट को होने वाले फायदों के बारे में समझते हैं - 

  • हृदय की कार्यक्षमता में सुधार: यदि पेसमेकर समय पर लग जाता है, तो हृदय को नियमित रूप से धड़कने में मदद मिलती है, जिससे रक्त का प्रवाह को बहाल करने में मदद मिलती है।
  • लक्षणों का रोकथाम: हृदय में समस्या होने पर आपको कुछ लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कि थकान, चक्कर आना, और बेहोशी, जो पेसमेकर के इंप्लांटेशन के बाद कम होने लग जाते हैं।
  • जीवन की गुणवत्ता में सुधार: पेसमेकर लगाने से दिल की धड़कन में सुधार होता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है।

पेसमेकर लगाने के बाद की सावधानियां

पेसमेकर लगाने के बाद आपको कुछ आवश्यक बातों का ख्याल रखना होगा जैसे कि - 

  • सर्जरी के बाद आपको कुछ ही सप्ताह तक भारी सामान उठाने या ऐसे व्यायाम करने से बचें, जिसमें आपको अधिक जोर लगाना पड़े।
  • नियमित रूप से डॉक्टर के पास फॉलो-अप विजिट्स करना ज़रूरी है।
  • एमआरआई जैसे टेस्ट को कराने से बचें, क्योंकि इससे पेसमेकर की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
  • इम्प्लांट साइट पर किसी भी प्रकार के संक्रमण के लक्षणों की निगरानी करें, जैसे कि सूजन या लालिमा।

पेसमेकर लगवाने की प्रक्रिया एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे हृदय की अनियमित धड़कनों से पीड़ित व्यक्तियों का जीवन सफल और सुगम हो सकता है। इसलिए यदि हृदय की समस्या लगातार बनी रहती है, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और उनसे परामर्श लें। 

केस स्टडी: हार्ट ब्लॉक वाले मरीज में बिना तार वाले पेसमेकर का ट्रांसप्लांट

श्री सूर्यकांत गुप्ता की उम्र 65 वर्ष है, जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर (HTN),डायबिटीज (T2DM), क्रोनिक किडनी रोग (CKD), और 2016 में पोस्ट-PTCA का इतिहास भी था। जब वह हमारे पास आए थे, वह कंप्लीट हार्ट ब्लॉकेज का सामना कर रहे थे। इसके कारण उन्हें पेसमेकर की आवश्यकता थी।

चलिए इस प्रक्रिया को समझाते हैं। 10 जुलाई, 2022 को गुप्ता जी को मेडट्रोनिक द्वारा Micra VDD मॉडल का उपयोग करके एक बिना तार वाला पेसमेकर (Leadless Pacemaker) लगाया गया। प्रक्रिया के दौरान, पहले उन्हें लोकल एनेस्थीसिया दिया गया। एनेस्थीसिया देने के बाद उनके शरीर में एक फीमोरल कट लगाया जाता है और इसके बाद 8F शीथ डाला गया। 

इसी कट के माध्यम से सर्जरी को अंजाम दिया जाता है। आप पेसमेकर ट्रांस्पालांट सर्जरी की प्रक्रिया को हमारे वेबसाइट से भी पढ़ सकते हैं। सर्जरी के बाद सर्जन कट को बंद कर देते हैं और पेसमेकर की निगरानी शुरू कर देते हैं। यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई, और श्री गुप्ता का पोस्ट-सर्जरी रिकवरी का अनुभव भी अच्छा रहा था।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

पेसमेकर लगाने के बाद क्या खाना चाहिए?

पेसमेकर लगाने के बाद किसी विशेष आहार की जरूरत नहीं होती है, लेकिन एक हृदय-स्वस्थ आहार लेने की सलाह हम अपने पेशेंट को देते हैं। इसमें फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स और लीन प्रोटीन शामिल करें।

पेसमेकर की उम्र कितनी होती है?

आमतौर पर, पेसमेकर 5 से 15 साल तक चलता है, यह पेसमेकर के प्रकार, मरीज की स्थिति और इसके प्रयोग की आवृत्ति पर निर्भर करता है।

क्या पेसमेकर से दर्द या असुविधा होती है?

इंप्लांटेशन के बाद कुछ असुविधा महसूस हो सकती है, जैसे कि इम्प्लांट साइट पर हल्का दर्द। लेकिन अधिकांश मामलों में दर्द कम होता है और कुछ ही समय में यह ठीक हो सकता है।

क्या पेसमेकर दिल का दौरा रोक सकता है?

पेसमेकर हृदय की लय को नियंत्रित करने में मदद करता है, लेकिन यह सीधे दिल के दौरा रोकने में असमर्थ नहीं है। इस उपकरण की मदद से हृदय रोग की जटिलताओं के जोखिम कम किया जा सकता है।

क्या पेसमेकर कभी काम करना बंद कर सकता है?

हालांकि पेसमेकर बहुत विश्वसनीय होते हैं, फिर भी कुछ दुर्लभ मामलों में बैटरी खत्म होने, तारों की समस्या या बाहरी विद्युत हस्तक्षेप के कारण भी यह बंद हो सकता है, जिसके लिए नियमित जांच कराएं। 

Written and Verified by:

Dr. Shubham Kumar Sharma

Dr. Shubham Kumar Sharma

Consultant Exp: 5 Yr

Cardiology

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