क्रोनिक किडनी डिजीज वह स्थिति है, जिसमें दोनों किडनी को खराब होने में बहुत समय लगता है। इस स्थिति में किडनी की कार्यक्षमता को अपरिवर्तनीय नुकसान हो जाता है। हालांकि किडनी डिजीज के शुरुआती चरणों में कोई भी लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन जैसे-जैसे किडनी की कार्यक्षमता को नुकसान होना शुरू होता है, स्थिति बिगड़ने लगती है और लक्षण दिखने लग जाते हैं।
चलिए इस ब्लॉग की मदद से क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण और बचाव के उपायों के बारे में जानते हैं, जिससे आप अपनी किडनी की कार्यक्षमता को नुकसान होने से बचा सकते हैं।
क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण इनके चरण के आधार पर भिन्न होते हैं। हालांकि फिर भी कुछ सामान्य लक्षण हैं, जिनका सामना आप कर सकते हैं जैसे -
क्रोनिक किडनी डिजीज वह स्थिति है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि कुछ लोगों में गुर्दे की समस्या अधिक प्रभावशाली होती है। निम्न स्थितियों में गुर्दे की बीमारी का जोखिम कई गुणा बढ़ जाता है -
जैसे ही ऊपर बताए लक्षण उत्पन्न हो या फिर आप गुर्दे के रोग के जोखिम के दायरे में आते हों, तो तुरंत हमारे किडनी रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
जैसा कि हमने पहले आपको बताया है कि क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण स्थिति की गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। मुख्य रूप से क्रोनिक किडनी रोग को पांच चरणों में बांटा गया है। इसके विभाजन का मूल किडनी की कार्यक्षमता के दर या eGFR का स्तर है। सरल भाषा में कहा जाए तो eGFR हमारे रक्त में मौजूद क्रिएटिनिन की मात्रा है। सामान्यतः eGFR 90 ml/min या इससे ज्यादा होना चाहिए।
क्रोनिक किडनी रोग से बचाव का सबसे मुख्य तरीका है निरंतर परामर्श। यदि आप हर कुछ समय में अपनी किडनी की जांच कराते हैं, तो आप एक स्वस्थ किडनी की तरफ अग्रसर हो सकते हैं। जो लोग क्रोनिक किडनी रोग के खतरे के दायरे में आते हैं, खास तौर पर उन्हें क्रोनिक किडनी रोग के लिए नियमित जांच करानी चाहिए। जितनी जल्दी इस स्थिति की पुष्टि होगी, उतनी जल्दी इसका इलाज संभव हो पाएगा। क्रोनिक किडनी रोग से बचाव के लिए आप निम्न उपायों का पालन कर सकते हैं -
इन सबके अतिरिक्त बिना किडनी रोग स्पेशलिस्ट के प्रिस्क्रिप्शन के कोई भी दवा न लें, क्योंकि इससे कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और किडनी को अपरिवर्तनीय नुकसान हो सकता है।
क्रोनिक किडनी रोग वह स्थिति है, जिसमें पिछले कई समस्या से किडनी अपना सामान्य काम नहीं कर पाती है। इस स्थिति के अंतिम चरण में किडनी की कार्यक्षमता को लगभग 90% का नुकसान हो जाता है और डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की आश्यकता भी पड़ सकती है।
क्रोनिक किडनी रोग को रोकने के लिए सबसे पहले डॉक्टर के पास जाएं और उनसे इसके प्रबंधन के लिए इलाज लें। वह भी सबसे पहले आपको अपने ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल करने की सलाह देंगे। इसके साथ-साथ संतुलित आहार का भी सुझाव एक व्यक्ति को दिया जा सकता है।
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