लीवर का कार्य कोलेस्ट्रॉल के निर्माण और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाना है। लीवर शरीर में अधिकांश कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है और शरीर में मौजूद अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को तोड़कर शरीर से बाहर निकाल देता है। स्वस्थ लीवर का कार्य HDL या गुड़ कोलेस्ट्रॉल और LDL या बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बैलेंस करना है। यदि लीवर में किसी भी प्रकार की समस्या दिखती है, तो कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी असामान्यता देखने को मिल सकती है।
लीवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए जाना जाता है। कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन और उसे साफ करना हमारे लीवर का एक प्रमुख कार्य है। यदि लीवर में कोई भी समस्या उत्पन्न होती है, तो इसके कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल का निर्माण कम होता है और अस्वस्थ कोलेस्ट्रॉल शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है। चलिए इस ब्लॉग की सहायता से कोलेस्ट्रॉल और लीवर के स्वास्थ्य के बीच संबंध और इसमें उत्पन्न होने वाले समस्या और इसके समाधान के बारे में जानते हैं। लीवर से संबंधित बीमारी के लिए अभी हेपेटोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
लीवर का कार्य कोलेस्ट्रॉल के निर्माण और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाना है। लीवर शरीर में अधिकांश कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है और शरीर में मौजूद अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को तोड़कर शरीर से बाहर निकाल देता है। स्वस्थ लीवर का कार्य HDL या गुड़ कोलेस्ट्रॉल और LDL या बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बैलेंस करना है। यदि लीवर में किसी भी प्रकार की समस्या दिखती है, तो कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी असामान्यता देखने को मिल सकती है।
हाई कोलेस्ट्रॉल हमारे लीवर के साथ-साथ पूरे शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (NAFLD) का कारण भी बन सकता है, जिसके कारण लीवर पर अधिक फैट जम जाता है।
यदि यह स्थिति अनुपचारित रह जाए और स्थिति में कोई भी सुधार न हो, तो इसके कारण लीवर में सूजन या फिर लीवर फेल्योर जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (Familial Hypercholesterolemia) एक जेनेटिक स्थिति है, जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल का निर्माण बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसकी वजह से लीवर अपना सामान्य काम भी नहीं कर पाता है।
लीवर में समस्या होने के कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।हेपेटाइटिस, सिरोसिस या NAFLD जैसी लीवर की बीमारियां शरीर के मेटाबॉलिज्म की क्षमता को कमजोर कर देते हैं, जिसकी वजह से LDL या बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ सकता है और गुड़ कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है।
इस असंतुलन से हृदय की बीमारियां भी हो सकती हैं। यदि किसी को एल्कोहॉलिक लीवर सिंड्रोम है, तो इससे होने वाली क्षति बहुत ज्यादा होती है। लीवर डिजीज का त्वरित निदान और इलाज कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रबंधित करने और जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल और लीवर रोग को रोकने के लिए आपको एक सकारात्मक एप्रोच रखने की आवश्यकता होती है। आपको इलाज के दौरान निम्न बातों का खास ख्याल रखना चाहिए -
इन रोकथाम के उपायों से लाभ अवश्य मिलेगा। इन उपायों से न सिर्फ आप अपने लीवर को दुरुस्त कर पाएंगे, इसके साथ-साथ आप अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल अच्छे से रख पाएंगे।
हां, उच्च कोलेस्ट्रॉल फैटी लीवर, विशेष रूप से नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर रोग (NAFLD) में योगदान कर सकता है। अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लीवर कोशिकाओं में जमा हो सकते हैं, जिससे सूजन और लीवर की कार्यक्षमता में गिरावट देखने को मिलती है।
हाई कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए, ऐसे आहार को अपनाएं जिसमें हेल्दी फैट हो और इसके साथ-साथ फल, सब्जियां और होल ग्रेन्स जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों शामिल हो। इसके अतिरिक्त शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने और स्वस्थ वजन बनाए रखने से भी बहुत लाभ मिलेगा।
नहीं, फैटी लीवर और हाई कोलेस्ट्रॉल अलग-अलग समस्याएं हैं, लेकिन कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए भी है। फैटी लीवर में लीवर पर फैट जम जाता है और हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में हृदय की कार्यक्षमता पर भारी नुकसान होता है।
उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (NAFLD) हो सकता है और गंभीर मामलों में, नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) हो सकता है। इसके कारण फाइब्रोसिस, सिरोसिस या लीवर फेलियर की समस्या भी हो सकती है।
हां, हाई कोलेस्ट्रॉल और लीवर रोग, जैसे कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (NAFLD), बच्चों में एक साथ हो सकते है, खासकर उन बच्चों में जो अधिक वजन वाले या मोटे हैं।
Written and Verified by:
Consultant - GI & Hepato-Biliary Surgeon Exp: 10 Yr
Gastro Sciences
Dr. Ajay Mandal is one of the leading specialist in area of GI Oncology, Hepato-Biliary & Pancreatic Disease treatment. He is based primarily at The Calcutta Medical Research Institute, Kolkata with more than 10 years of rich experience in dealing with various aspects of digestive system specially in liver & Pancreatic Disorders.
Dr. Mandal has been trained in various parts of India and abroad( S. Korea) and is one of the few certified trained Gastro surgeon in Kolkata. He has performed hundreds of complicated GI & Hepato-Biliary cancer surgery. Apart from GI Oncosurgery, laparoscopic surgery is regular event for him and now even cancer surgery is being performed by him laparoscopically.
Dr. Mandal not only performs surgery for cancer patients but also provides holistic approach for further treatment once he /she gets recovered from surgery. His team includes Medical Oncologist, Medical Gastroenterologist and Intervention Radiologist, all of them work together in many occasions and as on required to provide the best available treatment for their patient.
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