दिल का दौरा, जिसे हम हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन भी कहते हैं, हृदय की एक आपातकालीन स्थिति होती है।
कई बार हम थकान, सीने में दर्द या ज्यादा गर्मी जैसे लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। अक्सर हमें लगता है कि यह एसिडिटी या अच्छी नींद न लेने की वजह से हो रहा है। लेकिन हमें यह जान लेना चाहिए कि यह लक्षण दिल के दौरे का संकेत भी हो सकता है। दिल की समस्याओं को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह सीधा आपकी जान से जुड़ा हुआ मामला है।
जैसे ही आपको हार्ट अटैक के लक्षण महसूस हो, तुरंत किसी अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। वह आपको इस स्थिति के बारे में सही जानकारी देकर आपकी जान बचाने में मदद कर सकते हैं।
दिल का दौरा, जिसे हम हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन भी कहते हैं, हृदय की एक आपातकालीन स्थिति होती है। इसमें हृदय तक जाने वाले रक्त प्रवाह में रुकावट आ जाती है, जिससे हृदय की मांसपेशियों को भारी नुकसान भी पहुंचता है। यह तब होता है, जब कोरोनरी आर्टरी में प्लाक बनने के कारण रक्त का थक्का जम जाता है। इस वजह से हृदय तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है और व्यक्ति की जान को गंभीर खतरा भी हो सकता है।
इस स्थिति में भी कई लोग हमसे पूछते हैं कि हार्ट अटैक से बचने के उपाय बताइए। हमारा सुझाव है कि ऐसा करने की बजाय, हार्ट अटैक की स्थिति में तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
हर व्यक्ति में हार्ट अटैक के लक्षण अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं, जो ज्यादातर मामलों में देखे जा सकते हैं -
इन लक्षणों में से कोई भी दिखे, तो तुरंत चिकित्सकीय मदद लें। सही समय पर इलाज से जीवन बचाया जा सकता है।
दिल के दौरे के कई कारण होते हैं, जिनमें मुख्य कारण हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी आर्टरी में रुकावट है। यह रुकावट अक्सर कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण होती है, जिससे हृदय की रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं। इस रुकावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि -
यह सभी कारण एथेरोस्क्लेरोसिस की स्थिति को जन्म देते हैं, जिसमें आर्टरी की दीवारें मोटी और संकुचित हो जाती हैं, जिससे हृदय में रक्त का प्रवाह भी कम हो जाता है।
हार्ट अटैक से पहले शरीर कुछ संकेत देता है, जिन्हें हमें गंभीरता से लेना चाहिए। इनमें शामिल हैं -
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज लें।
दिल का दौरा पड़ने से बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं जैसे कि -
यदि किसी को दिल का दौरा पड़ने का संदेह हो, तो तुरंत आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें और इन कदमों का पालन करें -
दिल का दौरा पड़ने पर प्राथमिक उपचार |
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Step 1 |
पेशेंट को एक आरामदायक स्थिति में बैठाएं और आराम करने को कहें। |
Step 2 |
टाइट कपड़ों को ढीला करें और उनसे दिल की दवा के बारे में पूछें। |
Step 3 |
अगर व्यक्ति बेहोश है और सांस नहीं ले रहा है, तो तुरंत सीपीआर देना शुरू करें। |
Step 4 |
यदि व्यक्ति होश में है और निगलने में सक्षम है, तो उसे एस्पिरिन दें। इससे रक्त के थक्कों के जोखिम को कम किया जा सकता है। |
Step 5 |
व्यक्ति को आश्वस्त करें और उन्हें शांत रखें, क्योंकि तनाव से दिल का दौरा पड़ सकता है और स्थिति गंभीर हो सकती है। |
Step 6 |
व्यक्ति की सांस और पल्स की निगरानी करें, और यदि आवश्यक हो तो सीपीआर देते रहें। |
ध्यान रखें, हार्ट अटैक एक गंभीर स्थिति है, और समय पर इलाज से जीवन बचाया जा सकता है।
दिल का दौरा किसी भी उम्र में पड़ सकता है, लेकिन 45 वर्ष से अधिक के पुरुषों और 55 वर्ष से अधिक की महिलाओं में इसका जोखिम अधिक होता है।
अगर आपको या किसी और को दिल का दौरा पड़ने के लक्षण दिखे, तो तुरंत आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें और प्राथमिक उपचार करें।
दिल का दौरा तब पड़ता है, जब हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली एक या अधिक कोरोनरी आर्टरी में रुकावट आ जाए, जिससे हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। इसके कारण दिल का दौरा पड़ता है।
Written and Verified by:
An MD in Anaesthesiology and having completed Observership in TEE at the University of Alabama at Birmingham, USA. Dr. Khanna in his 16 years of Experience in the field of Cardiac Anaesthesiology has worked in Manipal Hospital, Jaipur, EHCC and the Jaipur Heart Institute. His areas of special interest include Minimally Invasive Cardiac Surgery. Dr. Khanna is a member of the Indian Society of Anaesthesiology, Indian Association of Cardiovascular & Thoracic Anaesthesiologists.
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