महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण और उपचार
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महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण और उपचार

Summary

हार्मोन में असुंतलन को समझने से पहले समझते हैं कि हार्मोन क्या है। संक्षेप में कहा जाए तो हार्मोन शरीर का वह पदार्थ है, जिसका निर्माण शरीर में स्वाभाविक रूप से होता है। इस हार्मोन के कारण हमारे शरीर में विभिन्न कार्य सफलता से होते हैं। महिलाओं के शरीर में हार्मोन के संतुलन को बनाए रखने के लिए कई बातों का खास ख्याल रखना पड़ता है जैसे कि स्वस्थ आदत का पालन करना। 

कई बार महिलाएं अचानक मूड में बदलाव, नींद न आना या थकान जैसी स्थिति का सामना करती हैं, जो मुख्य रूप से महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण होती हैं। किशोरावस्था से वयस्कता तक एक महिला के जीवन में कई बदलाव आते हैं, जो मानसिक और शारीरिक दोनों होते हैं। यदि आप इन हार्मोन और इनमें होने वाले बदलावों के कारण और उपचार को समझ जाते हैं, तो आप एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

यदि आप या आपके परिवार में किसी भी महिला को हार्मोनल असंतुलन या इससे संबंधित कोई भी समस्या है, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर सलाह परामर्श करें।

हार्मोन क्या होते हैं?

हार्मोन में असुंतलन को समझने से पहले समझते हैं कि हार्मोन क्या है। संक्षेप में कहा जाए तो हार्मोन शरीर का वह पदार्थ है, जिसका निर्माण शरीर में स्वाभाविक रूप से होता है। इस हार्मोन के कारण हमारे शरीर में विभिन्न कार्य सफलता से होते हैं। महिलाओं के शरीर में हार्मोन के संतुलन को बनाए रखने के लिए कई बातों का खास ख्याल रखना पड़ता है जैसे कि स्वस्थ आदत का पालन करना। 

महिलाओं में हार्मोन के प्रकार

महिलाओं में 5 प्रकार के हार्मोन होते हैं, जिनमें बदलाव होने पर पूरे शरीर पर बदलाव देखने को मिलते हैं जैसे कि - 

  • टेस्टोस्टेरोन: यह हार्मोन पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही पाया जाता है। हालांकि महिलाओं में यह हार्मोन कम होता है, जिसके कारण इसे पुरुष हार्मोन कहा जाता है। टेस्टोस्टेरोन का कार्य सेक्स ड्राइव, मांसपेशियों और हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखना है। 
  • एस्ट्रोजन: इसे फीमेल हार्मोन भी कहा जाता है, जिसका कार्य पीरियड्स साइकिल, प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था की स्थिति को बैलेंस करना है। इसकी मदद से महिलाओं की हड्डियों का और हृदय का स्वास्थ्य दुरुस्त रहता है। 
  • प्रोजेस्टेरोन: यह एक ऐसा हार्मोन है, जो बच्चेदानी को प्रेगनेंसी के लिए तैयार करता है। इसका कार्य पीरियड्स साइकिल को बनाए रखना भी है। 
  • कोर्टिसोल: यह एक ऐसा हार्मोन है, जिसका उत्पादन तनाव के दौरान होता है। इसकी मदद से शरीर खतरों को जवाब देने के लिए खुद को तैयार रखता है, लेकिन हाई कोर्टिसोल का स्तर समय के साथ स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • थायराइड हार्मोन: इसका सीधा संबंध आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म, हृदय गति और शरीर के तापमान से है। इस हार्मोन की मदद से यह सारे कार्य अच्छे से हो सकते हैं। थायराइड का कम स्तर थकान, वजन बढ़ना और बालों के झड़ने जैसी समस्याओं को दावत दे सकता है। 

हार्मोन असंतुलन क्या है?

हार्मोन असंतुलन वह स्थिति है, जिसमें शरीर में एक या उससे अधिक हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। हार्मोन एक कम्युनिकेटिंग एजेंट होता है, जो रक्त के प्रवाह के माध्यम से शरीर की सभी कोशिकाओं को संदेश भेजता है। इसके कारण शरीर में ग्रोथ, मेटाबॉलिज्म, और फर्टिलिटी से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के लक्षण

चलिए अब समझते हैं कि महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के लक्षण क्या है और इसे आप कैसे पहचान सकते हैं - 

  • मूड स्विंग: एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के व्यवहार में बदलाव के कारण जाना जाता है। एस्ट्रोजन में उतार-चढ़ाव को प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहा जाता है, जिसके कारण डिप्रेशन की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। 
  • भारी, दर्दनाक पीरियड्स: किसी भी कारणवश एस्ट्रोजन में उतार चढ़ाव के कारण पेट में दर्द, पीठ के निचले भाग में दर्द, बार-बार पेशाब आना, कब्ज, संभोग के दौरान दर्द और पीरियड्स के दौरान भारी रक्त हानि जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • कम सेक्स ड्राइव: शरीर में हार्मोन में बदलाव के कारण मेनोपॉज की स्थिति भी शुरू हो सकती है, लेकिन इसके कारण सेक्स ड्राइव में कमी भी देखी जाती है। इसके साथ चिंता, थकान, मूड स्विंग और बहुत ज्यादा पसीना आने जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • अनिद्रा: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों ही ऐसे हार्मोन है, जिसका संबंध आपकी नींद से है। यही कारण है कि हार्मोन के गिरते स्तर के कारण नींद में भी खलल पड़ता है।
  • वजन बढ़ना: शरीर में हार्मोन का कार्य सटीक वजन को बनाए रखना भी है। यदि इनमें किसी भी प्रकार का अंसुतलन होता है, तो वजन बढ़ने लगता है और पेट के आस-पास फैट भी जमा होने लगता है। 

महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के कारण

महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के कई कारण है, जिसमें से कुछ मुख्य कारणों को हमने नीचे बताया है - 

  • क्रोनिक या अत्यधिक तनाव और डायबिटीज (टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह) महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के मुख्य कारणों की सूची में सबसे ऊपर हैं।
  • इसके बाद कुशिंग सिंड्रोम, एडिसन रोग और हाइपोथायरायडिज्म सहित थायरॉयड और एड्रेनल ग्रंथि संबंधी समस्याएं हार्मोनल असंतुलन का मुख्य कारण है।
  • खराब आहार, मोटापा और जीवनशैली संबंधी कारकों से हार्मोन में असंतुलन देखने को मिलता है।
  • कुछ दवाएं जैसे कि जन्म नियंत्रण और एनाबॉलिक स्टेरॉयड के साथ हार्मोन थेरेपी इसका मुख्य कारण है। 
  • टर्नर सिंड्रोम और प्रेडर-विली सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक और वंशानुगत स्थितियां।
  • एंडोक्राइन सिस्टम में ट्यूमर या सिस्ट, चाहे कैंसरयुक्त हों या नॉन-कैंसरयुक्त।
  • एंडोक्राइन -डिसरप्टिव केमिकल, प्रदूषकों और विषाक्त पदार्थों (जैसे, कीटनाशक, शाकनाशी) के संपर्क में आना।
  • ग्लैंड के कार्य को प्रभावित करने वाली कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी जैसे कैंसर उपचार।
  • फर्टिलिटी संबंधी विकार, जैसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) और समय से पहले मेनोपॉज का आ जाना।

महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के उपचार

महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के इलाज के लिए विभिन्न उपचार के विकल्प का सहयोग लिया जाता है जैसे कि - 

  • आहार में बदलाव: प्रयास करें कि आप ऐसे आहार का चुनाव करें, जो पोषक तत्वों से भरपूर हो। इसके अतिरिक्त स्वस्थ वसा को आहार में शामिल करें और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स से दूरी बनाएं। फल और सब्जियों की मात्रा को बढ़ाएं और स्वयं का हाइड्रेट रखें।
  • तनाव प्रबंधन: अपने तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन, योग और अनुलोम-विलोम का साथ लें। इससे तनाव का स्तर तो कम होता ही है, इसके साथ बीपी भी कम होता है।
  • सप्लीमेंट्स: कुछ सप्लीमेंट जैसे कि ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन डी और हर्बल दवाएं इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। लेकिन इन सप्लीमेंट को बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के नहीं खानी चाहिए। 
  • दवा: कभी-कभी डॉक्टर महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन के गंभीर मामलों को ठीक करने के लिए डॉक्टर के द्वारा लिखी गई दवाएं और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का सुझाव देते हैं। हालांकि यह सभी पेशेंट के लिए नहीं है, इसलिए पूरी जांच के बाद ही दवा को दिया जाता है।
  • जीवन शैली बदलाव: स्वस्थ आदतों का पालन करना और अस्वस्थ आदतों को खत्म करने से इस स्थिति में बहुत मदद मिल सकती है। सही समय पर खाना, सोना और सभी काम करने से आपकी आधी समस्या हल हो जाएगी। 

निष्कर्ष

महिलाओं में हार्मोन असंतुलन की समस्या कई कारणों से उत्पन्न होती है, जिसमें तनाव और आहार में बदलाव मुख्य कारण है। इसके इलाज के लिए सबसे पहले अपने आहार में बदलाव करें और तनाव का प्रबंधन करें। इसके अतिरिक्त एक अनुभवी और सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें और उनकी बातों का विशेष ध्यान रखें।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

महिलाओं में हार्मोन की कमी से क्या होता है?

महिलाओं में हार्मोन की कमी के कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न होती हैं जैसे कि मूड में बदलाव, वजन बढ़ना, नींद में समस्या, डिप्रेशन इत्यादि।

ऑक्सीटोसिन हार्मोन की कमी से होने वाले रोग कौन से हैं?

ऑक्सीटोसिन की कमी के कारण महिलाओं में कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। कुछ मामलों की मदद से यह समझ आया है कि यह ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार, डिप्रेशन और स्ट्रेस से भी जुड़ा हुआ है। प्रेगनेंसी के दौरान यदि यह स्थिति उत्पन्न होती है, तो मातृ-शिशु संबंध और कंसेप्शन के बाद रिकवरी के संबंध में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। 

कौन सा हार्मोन केवल महिला में स्रावित होता है?

प्रोजेस्टेरोन हार्मोन मुख्य रूप से महिलाओं में उत्पन्न होता है, जो प्रेगनेंसी और पीरियड साइकिल को भी प्रभावित कर सकता है। 

हार्मोन में बदलाव हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

हार्मोन में बदलाव के कारण महिलाओं को अचानक मूड स्विंग, नींद न आना या थकान जैसी समस्या का अनुभव होता है। इसके कारण हमारे शरीर में कई मानसिक एवं शारीरिक बदलाव देखने को मिलते हैं। हार्मोन को समझने से आपको अपनी सेहत बनाए रखने और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है।

Written and Verified by:

Dr. Tripti Dadhich

Dr. Tripti Dadhich

Additional Director Exp: 25 Yr

Obstetrics & Gynaecology

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