प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण के बारे में जाने।

प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण के बारे में जाने।

Obstetrics and Gynaecology |by Dr. C. P. Dadhich| Published on 06/02/2025

Table of Contents
  1. आपको प्रेगनेंसी टेस्ट कब करवाना चाहिए?
  2. प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण क्या है?
  3. प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण
  4. गर्भावस्था के मासिक लक्षण
  5. आपको कब सावधान रहना चाहिए: मिसकैरेज के लक्षण
  6. निष्कर्ष
  7. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
    1. पीरियड मिस होने के कितने दिनों बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करें?
    2. प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कब दिखते है?
    3. प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण क्या है?
    4. प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है?
    5. प्रेग्नेंट होने के बाद भी पीरियड आता है क्या?
    6. पीरियड आने के बाद भी क्या कोई प्रेग्नेंट हो सकता है?
    7. प्रेग्नेंट कब और कैसे होता है?
    8. क्या गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण दिखने पर भी महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं होती हैं?
    9. प्रेग्नेंसी के लक्षणों को देखते हुए प्रेगनेंसी को कैसे कंफर्म करें?
    10. प्रेगनेंसी के पहले महीने में कैसे ध्यान रखें?
    11. गर्भावस्था की जांच कैसे करें?
    12. गर्भावस्था के दौरान किसी को कैसे बैठना चाहिए?
    13. क्या गर्भावस्था के दौरान किसी को सेक्स करना चाहिए?
    14. गर्भावस्था के दौरान किसी को कौन सा फल खाना चाहिए?
    15. प्रेगनेंसी के दौरान कितना पानी पीना चाहिए?

मां बनने का सुख इस संसार का सबसे बड़ा सुख है। प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला के शरीर में अनेक शारीरिक एवं मानसिक बदलाव आते हैं। आप इन्ही बदलावों को प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण के नाम से जानते हैं, जिनके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए। गर्भधारण के संबंध में किसी भी प्रकार की समस्या के लिए हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और हर प्रकार की जटिलताओं को दूर भगाएं।

यदि आप प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों (early symptoms of pregnancy) के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए ख़ास है।

आपको प्रेगनेंसी टेस्ट कब करवाना चाहिए?

प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए सबसे अच्छा समय कम से कम एक बार पीरियड का मिस हो जाने के 7 दिन बाद है। आप घर पर ही होम प्रेगनेंसी टेस्ट किट से hCG के स्तर का पता लगा सकते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इस हार्मोन के स्तर में अच्छी खासी वृद्धि देखी जाती है। यहां आपको एक बात का ध्यान रखना होगा कि बहुत जल्दी टेस्ट करने से भी गलत परिणाम आ सकते हैं, इसलिए यदि आपके पीरियड देर से आ रहे हैं और टेस्ट नेगेटिव आता है, तो आपको सलाह दी जाती है कि कम से कम 3 दिन और रुकें और फिर से टेस्ट करें।

इसे करने का भी एक सही तरीका होता है, जो आप टेस्ट किट के निर्देशन वाली पर्ची पर भी देख सकते हैं। सटीक परिणामों के लिए आपको सुबह के सबसे पहले पेशाब का इस्तेमाल करना होता है, क्योंकि इसी दौरान hCG हार्मोन के सही स्तर को मापा जा सकता है। इसके अतिरिक्त यदि आपको प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों का अनुभव होता है, और टेस्ट का परिणाम भी नेगेटिव आ रहा है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर ब्लड टेस्ट कराएं। किसी भी प्रकार के कन्फ्यूजन की स्थिति में डॉक्टरी सलाह बहुत ज्यादा अनिवार्य है।

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण क्या है?

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं। प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में जी मचलना, उल्टी आना, बार-बार पेशाब आना, और थकान जैसे लक्षण शामिल है, जिसके बारे में हम इस ब्लॉग में बात भी करने वाले हैं।

प्रेगनेंसी के पहले कुछ दिनों में अंडा स्पर्म से फर्टिलाइज होता है, जिसके कारण ब्लीडिंग और पेट में ऐंठन जैसे लक्षण दिखते हैं। इस दौरान स्वस्थ प्रेगनेंसी के लिए महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वह एंटीबायोटिक दवा लेने से बचें, क्योंकि इससे मां और बच्चे दोनों को ही खतरा हो सकता है। 

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण

हमेशा पीरियड का मिस होना या उल्टी होना गर्भधारण के शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिन पर ध्यान देना बहुत ज्यादा जरूरी होता है जैसे कि - 

  • पीरियड का मिस होना: यह प्रेगनेंसी का सबसे पहला और सामान्य लक्षण है। सिर्फ इस लक्षण के आधार पर प्रेगनेंसी की पुष्टि करना बिल्कुल भी सही नहीं होता है। हालांकि जब पीरियड एक हफ्ते या उससे अधिक समय तक नहीं आते हैं, तो इसके बाद प्रेगनेंसी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।
  • स्तनों में बदलाव आना: प्रेगनेंसी में स्तन में सूजन, कोमलता या इसके रंग में बदलाव आ जाता है। मुख्य रूप से निप्पल (एरिओला) के आकार और रंग में बदलाव देखने को मिलता है।
  • थकान और कमजोरी: इस दौरान शरीर के हार्मोन में बदलाव भी आते हैं, जिससे महिलाओं को थकान और कमजोरी का अनुभव होता है। 
  • जी मिचलाना और उल्टी आना (मॉर्निंग सिकनेस): आमतौर पर प्रेगनेंसी के पहले महीने में सुबह उठते ही जी मिचलाना या उल्टी आने जैसे लक्षण दिखते हैं। इसे अंग्रेजी में मॉर्निंग सिकनेस के नाम से जाना जाता है, जो कई अन्य स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है।
  • बार-बार पेशाब आना: इस दौरान ब्लैडर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और शरीर में तरल पदार्थ भी बढ़ जाता है, जिसके कारण बार-बार पेशाब करने की इच्छा महसूस होती है।
  • पेट में ऐंठन या सूजन: कई महिलाओं को सूजन या ब्लोटिंग का अनुभव होता है, जो प्रेगनेंसी का एक मुख्य लक्षण भी है। हार्मोन के स्तर के बदलाव के कारण ब्लोटिंग की समस्या होती है। 
  • मूड में बदलाव होना: आमतौर पर यह हार्मोन में बदलाव के कारण होता है। इसमें महिलाओं के मूड में अचानक से बदलाव आते हैं। यह अक्सर पीरियड्स के दौरान भी देखने को मिलता है।

इन सबके अतिरिक्त कुछ अन्य भी लक्षणों का अनुभव महिलाएं कर सकती हैं जैसे कि - 

  • स्पॉटिंग, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहा जाता है।
  • सिरदर्द और चक्कर आना।
  • प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में नाक बंद होना।
  • त्वचा में बदलाव होना।

इनमें से अधिकतर लक्षण प्रेगनेंसी के साथ-साथ अन्य समस्याओं की तरफ भी संकेत करते हैं, इसलिए लक्षण दिखने पर प्रेगनेंसी टेस्ट किट से टेस्ट करें या फिर हमारे स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।

गर्भावस्था के मासिक लक्षण

जैसे-जैसे प्रेगनेंसी का समय बीतता है, इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। जैसे प्रेगनेंसी के पहले माह में स्तन में सूजन, दर्द, और निप्पल के रंग में बदलाव जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं, वहीं दूसरे माह में भूख में बदलाव और खाने-पीने की पसंद और आदतों में बदलाव देखा जा सकता है। चलिए हर महीने में दिखने वाले लक्षणों को एक टेबल की सहायता से समझने का प्रयास करते हैं - 

महीना

लक्षण

पहला महीना

स्तन में सूजन एवं दर्द के साथ थकान, अस्वस्थ महसूस होना और उल्टी आना।

दूसरा महीना

बदलता आहार और मूड स्विंग।

तीसरा महीना

बढ़ता वजन और बढ़ता पेट।

चौथा महीना

पेट में बच्चे की हलचल महसूस होना और चेहरे में चमक आना।

पांचवा महीना

बच्चे की हलचल अधिक स्पष्ट होना और अधिक थकान का अनुभव होना।

छठा महीना

गुर्दे या उसके आस-पास दर्द होना और सांस फूलना।

सातवां महीना

पेट के निचले भाग में लेबर पेन जैसा दर्द होना। शरीर के अन्य भाग जैसे कि पैर, हाथ और चेहरे पर सूजन होना।

आठवां महीना

अस्वस्थ और शरीर में हलचल महसूस होना।

नौवां महीना

नियमित लेबर पेन होना, जिसमें कमर दर्द और पेट में दर्द होता है।

प्रेगनेंसी की स्थिति में सीने में जलन, कब्ज, और सूंघने की क्षमता में वृद्धि जैसे लक्षण भी दिखते हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार की समस्या होती है, तो उसके लिए डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें। 

आपको कब सावधान रहना चाहिए: मिसकैरेज के लक्षण

समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श आपके गर्भ में पल रहे बच्चे और आपको स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। प्रेगनेंसी में मिसकैरेज होने की संभावना भी होती है। मिसकैरेज होना, महिला के शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान अधिकांश मामलों में पहली तिमाही के दौरान ही मिसकैरेज की संभावना होती है। इसलिए यह ध्यान रखना बहुत ज्यादा आवश्यक है कि पहले तीन महीने के दौरान आप अपना ख्याल अच्छे से रखें। यदि प्रेगनेंसी के दौरान भारी रक्त हानि के साथ गंभीर ऐंठन और पीठ के निचले भाग में दर्द हो रहा है, तो यह आपके लिए एक चेतावनी का संकेत हो सकता है। हल्की स्पॉटिंग होना प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक है, लेकिन अत्यधिक रक्त हानि की स्थिति में तुरंत सहायता लेना बहुत ज्यादा जरूरी है। 

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य गर्भपात के लक्षण होते हैं जैसे कि अधिक तरल पदार्थ का रिसाव, अधिक दर्द होना, अधिक गाढ़ा रक्त हानि होना, इत्यादि। ऐसा होने पर हम आपको सलाह देंगे कि तुरंत डॉक्टरी सलाह लें। मिसकैरेज की स्थिति में डॉक्टर के साथ-साथ घर परिवार का साथ भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। डॉक्टर गर्भपात के बाद की स्थिति का इलाज कर सकते हैं, लेकिन इससे होने वाले भावनात्मक बदलावों से बचने में महिला के घर-परिवार के लोग ही मदद कर सकते हैं।

निष्कर्ष

अधिकतर मामलों में गर्भाधान यानी कंसेप्शन के कुछ दिनों के बाद महिला खुद में प्रेगनेंसी के लक्षणों को देखने लगती है। लेकिन कुछ महिलाओं को इसके लक्षण देर से अनुभव होने शुरू होते हैं। गर्भावस्था के अधिकतर लक्षण पीरियड के समय के आसपास या फिर उसके 1-2 हफ्ते पहले या बाद में दिखाई देते हैं।

अगर एक महिला गर्भधारण करने की कोशिश कर रही है और खुद में ऊपर दिए गए लक्षणों को देखती हैं, तो उसे प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। ऐसा करने से विशेषज्ञ लक्षण के सटीक कारण की पुष्टि कर सकते हैं। साथ ही, गर्भावस्था होने पर उचित सलाह देते हैं, ताकि गर्भावस्था सफलतापूर्वक पूरी हो सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

पीरियड मिस होने के कितने दिनों बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करें?

अगर आपका पीरियड साइकिल नियमित है, तो पीरियड मिस होने के पहले दिन भी आप प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकती हैं। अगर आपका पीरियड साईकिल नियमित नहीं है, तो आप 7-10 दिनों तक इंतज़ार कर सकती हैं। वैसे तो 6-7 दिनों के बाद भी टेस्ट करने से सही रिजल्ट मिल सकता है।

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कब दिखते है?

आमतौर पर गर्भाधान के 6-41 दिनों के अंदर गर्भधारण के शुरुआती लक्षणों का अनुभव होने लगता है। हालांकि, कुछ महिलाओं को गर्भधारण के 2 से 3 सप्ताह के बाद ही लक्षण दिखाई देते हैं।

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण क्या है?

गर्भधारण के शुरुआती लक्षणों में निम्नलिखित शामिल है - 

  • जी मिचलाना और उल्टी आना
  • स्तन में दर्द और संवेदनशीलता
  • कब्ज और पेट फूलना
  • थकान और कमजोरी का बना रहना
  • बार-बार पेशाब आना
  • सिरदर्द और चक्कर आना

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है?

प्रेगनेंसी के पहले महीने में बच्चेदानी में भ्रूण का विकास शुरू होता है। भ्रूण का आकार एक बीन के दाने के समान होता है। प्रेगनेंसी के पहले महीने में भ्रूण के अंग और ऊतक का निर्माण होने लगता है। प्रेगनेंसी के अलग-अलग महीने में महिला के अलग-अलग लक्षणों का अनुभव होता है। 

प्रेग्नेंट होने के बाद भी पीरियड आता है क्या?

नहीं, प्रेग्नेंट होने के बाद पीरियड नहीं आता है। पीरियड्स का अर्थ है गर्भाशय की परत का टूटकर बाहर निकल जाना। प्रेगनेंसी के दौरान, बच्चेदानी की परत में भ्रूण का विकास होता है, इसलिए पीरियड नहीं आते हैं।

पीरियड आने के बाद भी क्या कोई प्रेग्नेंट हो सकता है?

हां, पीरियड के आने के बाद कोई भी व्यक्ति प्रेग्नेंट हो सकता है। यदि पीरियड के दौरान या पीरियड के बाद तुरंत असुरक्षित यौन संबंध बनाया जाता है, तो भी व्यक्ति प्रेग्नेंट हो सकता है। 

प्रेग्नेंट कब और कैसे होता है?

प्रेग्नेंसी तब होती है, जब एक पुरुष का शुक्राणु महिला के अंडाणु के साथ फर्टिलाइज होता है। यह तब होता है, जब पुरुष का वीर्य महिला के योनि में प्रवेश करता है। वीर्य में शुक्राणु होते हैं, जो महिला के बच्चेदानी में तैरते हुए अंडाणु तक पहुंचते हैं। अगर शुक्राणु अंडाणु को फर्टिलाइज कर देते हैं, तो भ्रूण का निर्माण होता है, जो बच्चेदानी में बढ़ता है और अंत में नौ महीने के बाद महिलाएं एक बच्चे को जन्म देते हैं। 

क्या गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण दिखने पर भी महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं होती हैं?

गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण कई स्वास्थ्य समस्या की तरफ भी संकेत कर सकते हैं। प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण पीरियड्स के साइकल के समान ही होते हैं। इनके बीच अंतर बता पाना बहुत मुश्किल है। कई बार तो हार्मोनल परिवर्तन के कारण भी पीरियड मिस हो जाते हैं। ऐसा हो तो घबराएं नहीं और सबसे पहले प्रेगनेंसी टेस्ट कराएं और डॉक्टर से परामर्श करें।

प्रेग्नेंसी के लक्षणों को देखते हुए प्रेगनेंसी को कैसे कंफर्म करें?

प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए सबसे पहले होम प्रेगनेंसी टेस्ट करें। इसे करने के लिए आपको पीरियड मिस होने का इंतजार करना होता है। यदि टेस्ट पॉजिटिव है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। 

प्रेगनेंसी के पहले महीने में कैसे ध्यान रखें?

प्रेग्नेंसी की पुष्टि होते ही, संतुलित आहार लें और स्वयं को हाइड्रेटेड रखें। ऐसा काम न करें, जिसमें ज्यादा सामान उठाना पड़े या ज्यादा जोर लगाना पड़े। हालांकि, आप हल्के व्यायाम कर सकते हैं जैसे कि योग या वॉकिंग।

मासिक धर्म या पीरियड के कितने दिन बाद गर्भधारण होता है?

गर्भ तभी ठहरता है तब ओव्यूलेशन के दौरान अंडे और शुक्राणु फर्टिलाइज होते हैं। यह प्रक्रिया अंतिम पीरियड्स के शुरू होने के 10-14 दिन के बाद शुरू होते हैं। इस दौरान शारीरिक संबंध स्थापित करने से प्रेगनेंसी हो सकती है। 

गर्भावस्था की जांच कैसे करें?

प्रेगनेंसी की जांच के लिए hCG के स्तर की जांच होती है। आप इसे दो तरीकों से माप सकते हैं। आप घर पर ही प्रेगनेंसी टेस्ट किट से ही प्रेगनेंसी की जांच कर सकते हैं। दूसरे तरीका क्लीनिक में ब्लड टेस्ट है। ब्लड टेस्ट की मदद से सटीक परिणाम मिल सकता है। 

गर्भावस्था के दौरान किसी को कैसे बैठना चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान बैठने का सही तरीका है पीठ को सीधा रखना होता है। इस दौरान आप अपने कंधों को आराम दें और पैरों को जमीन पर सपाट तरीके से रखें। इस दौरान आप अपने पीठ को सहारा देने के लिए कुशन का उपयोग कर सकते हैं। 

क्या गर्भावस्था के दौरान किसी को सेक्स करना चाहिए?

हां, यदि प्रेगनेंसी के दौरान कोई समस्या नहीं है, तो आप यौन संबंध बना सकते हैं। हालांकि डॉक्टर स्वयं बताते हैं कि आपको कब-कब संबंध स्थापित करना चाहिए और कब-कब नहीं करना चाहिए। इसलिए उनकी बातों का खास ख्याल रखें।

गर्भावस्था के दौरान किसी को कौन सा फल खाना चाहिए?

केले, संतरे, सेब और जामुन जैसे फल आवश्यक विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं। बिना धुले या कच्चे फलों से बचें और पपीता और अनानास का सेवन सीमित करें।

प्रेगनेंसी के दौरान कितना पानी पीना चाहिए?

हाइड्रेटेड रहना, एमनियोटिक द्रव का समर्थन करने और कब्ज को रोकने के लिए प्रतिदिन कम से कम 8-12 गिलास (2-3 लीटर) पानी पिएं। गर्म मौसम में या शारीरिक गतिविधि के साथ सेवन बढ़ाएं।

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