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प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण के बारे में जाने। (Pregnancy ke shuruaati lakshan)

Obstetrics and Gynaecology | Posted on 02/03/2023 by RBH


हल्की स्पॉटिंग प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक माना जाता है। इसे प्रत्यारोपण के बाद होने वाला रक्तस्राव यानी इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के रूप में भी जाना जाता है। यह तब होता है जब निषेचित अंडा यानी फर्टिलाइज्ड अंडा गर्भाशय की परत से जुड़ जाता है। प्रत्यारोपण रक्तस्राव उस समय के आसपास होता है जब महिला मासिक धर्म की अवधि होने की उम्मीद कर रही होती है।

निषेचित अंडा गर्भाधान (conception) के लगभग 10 से 14 दिन बाद गर्भाशय की परत से जुड़ता है। इसके अलावा, अन्य भी लक्षण हैं जो एक महिला अपनी प्रेगनेंसी की शुरुआत में अनुभव कर सकती है। विशेषज्ञ डॉक्टर का कहना है कि ओवुलेशन के दौरान असुरक्षित यौन संबंध बनाने से महिला के गर्भधारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है।

ओवुलेशन (Ovulation) को ओव्यूलेशन भी लिखा जाता है। आमतौर पर यह प्रत्येक महीने में एक बार और महिला के अगले पीरियड से लगभग दो सप्ताह पहले होता है। ओवुलेशन 16 से 32 घंटे तक रह सकता है। अगर एक महिला ओवुलेशन के दौरान असुरक्षित यौन संबंध बनाती है तो उसको गर्भ ठहरने की संभावना सबसे अधिक होती है। 

अगर आप प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों (early symptoms of pregnancy) के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए ख़ास है। इस ब्लॉग में हम प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षणों के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।

प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण क्‍या होते हैं? (Early symptoms of pregnancy)

किसी भी महिला के लिए दुनिया की सभी खूबसूरत पलों में से एक प्रेगनेंसी यानी गर्भधारण करना है। प्रेगनेंसी नौ महीने की एक लंबी प्रक्रिया है जिसके दौरान महिला को अनेक बातों का ध्यान रखता होता है।

गर्भधारण करने के लगभग एक सप्ताह बाद से महिला खुद में कुछ लक्षणों को अनुभव करना शुरू करती है जिसमें निम्न शामिल हैं:

  • पीरियड्स मिस होना या समय पर नहीं आना

जब एक महिला गर्भधारण करती है तो उसका पीरियड मिस हो जाता है यानी समय पर नहीं आता है। हालाँकि, समय पर पीरियड नहीं आने के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि महिला को तनाव होना या उसके शरीर में हार्मोनल असंतुलन होना आदि।

  • स्तनों में संवेदनशीलता होना

गर्भावस्था के शुरूआती लक्षणों में स्तनों में संवेदनशीलता आना, निप्पल्स का रंग बदलना और उनमें हल्का दर्द होना शामिल है। ये समस्याएं कुछ सप्ताह के अंदर आपने आप धीरे-धीरे कम होने लगती हैं, क्योंकि समय के साथ महिला के शरीर हार्मोनल संतुलन हो जाता है। 

  • बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता होना

प्रेगनेंसी (Pregnancy) के शुरूआती लक्षणों में बार-बार टॉयलेट जाने की आवश्यकता होना भी शामिल है। गर्भधारण करने के बाद महिला के शरीर में खून का निर्माण बढ़ने लगता है जिसके कारण ब्लैडर में फ्लूइड यानी द्रव जमा होने लगता है। इस स्थिति में महिला को बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होती है।

  • स्तन में भारीपन और दर्द होना

गर्भधारण करने के बाद महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके कारण स्तनों में भारीपन और हल्का दर्द होता है। हालाँकि, कुछ सप्ताह के अंदर हार्मोन में संतुलन होने पर ये समस्याएं दूर हो जाती हैं।

  • जी मिचलाना और उलटी होना

प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षणों में पुरे दिन और खासकर सुबह के समय जी मिचलाना और उलटी होना शामिल है। आमतौर पर ये लक्षण गर्भावस्था के पहले महीने में दिखाई देते हैं। हालाँकि, इनकी स्थिति गंभीर होने पर महिला को जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है।

  • बुखार होना

गर्भाधान के बाद महिला के शरीर में भारी मात्रा में हार्मोनल बदलाव होने के कारण उसे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें कमजोरी, थकान और बुखार शामिल हैं। गर्भधारण करने के बाद महिला की इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक शक्ति घट जाती है। बुखार तेज होने पर महिला को जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए।

  • पेट में हल्का दर्द होना

गर्भधारण करने के बाद कुछ महिलाओं को गर्भाशय में हल्का दर्द भी हो सकता है। साथ ही, हार्मोन में बदलाव होने पर दस्त और कब्ज की शिकायत भी हो सकती है। दस्त और कब्ज के कारण महिला का शरीर कमजोर हो सकता है। इसलिए इस स्थिति में विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।

  • मूड में अचानक बदलाव आना 

गर्भावस्था की शुरुआत में महिला के शरीर में बड़ी मात्रा में हार्मोन्स में उचार-चढ़ाव होते हैं जिसका महिला के मूड पर असर पड़ता है। यही कारण है कि गर्भधारण की शरुआत में महिला छोटी से छोटी बात पर खुश या दुखी महसूस कर सकती है। साथ ही, यह भी हो सकता है कि महिला सामान्य से अधिक चिंतित या डिप्रेस महसूस करे।

  • स्वाद में बदलाव आना

कंसीव करने के बाद महिला के शरीर में हार्मोनल अंसुतलन होने कारण उसके स्वाद में भी बदलाव आता है। परिणामस्वरूप, खान-पान की किसी ख़ास चीज के प्रति उसकी लालसा बढ़ या ख़त्म हो सकती है। हालाँकि, महिला के शरीर अन्य कारणों से भी खान-पान की चीजों के प्रति लालसा अधिक या कम हो सकती है।

अगर महिला स्वाद में बदलाव के साथ-साथ अन्य लक्षणों को भी अनुभव करती है तो यह संभव है कि वह गर्भवती है। स्वाद में बदलाव आने के साथ-साथ महिला के सूंघने की अनुभूति में भी बदलाव आ सकता है। क्योंकि स्वाद और गंध एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। 

अधिकतर मामलों में गर्भाधान यानी कंसेप्शन के कुछ दिनों के बाद महिला खुद में प्रेगनेंसी के लक्षणों को देखने लगती है। लेकिन कुछ महिलाओं को इसके लक्षण देर से अनुभव होने शुरू होते हैं। गर्भावस्था के अधिकतर लक्षण पीरियड के समय के आसपास या फिर उसके 1-2 हफ्तों पहले या बाद में दिखाई देते हैं।

अगर एक महिला गर्भधारण करने की कोशिश कर रही है और खुद में ऊपर दिए गए लक्षणों को देखती है तो उसे प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। ऐसा करने से विशेषज्ञ लक्षण के सटीक कारण की पुष्टि कर सकते हैं। साथ ही, गर्भावस्था होने पर उचित सलाह देते हैं ताकि गर्भावस्था सफलतापूर्वक पूरी हो सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पीरियड मिस होने के कितने दिनों बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करें?

अगर आपका पीरियड साईकिल नियमित है तो पीरियड मिस होने के पहले दिन भी आप प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकती हैं। हलाकि, अगर आपका पीरियड साईकिल नियमित नहीं है तो आप 7-10 दिनों तक इंतज़ार कर सकती हैं। वैसे तो 6-7 दिनों के बाद भी टेस्ट करने से सही रिजल्ट मिल सकता है।

गर्भावस्‍था के लक्षण कब शुरु होते हैं?

आमतौर पर गर्भाधान के 6-41 दिनों के अंदर गर्भावस्था के शुरूआती लक्षण अनुभव होने लगते हैं।