मातृत्व और स्वास्थ्य: गर्भावस्था के दौरान आम स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का समाधान
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मातृत्व और स्वास्थ्य: गर्भावस्था के दौरान आम स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का समाधान

Summary

प्रेगनेंसी के दौरान थकान, नींद की समस्या होना, ब्लीडिंग और शारीरिक बदलाव जैसी आम समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें संतुलित आहार, हल्का व्यायाम और डॉक्टर की सलाह से मैनेज किया जा सकता है। नियमित जांच बच्चों के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मातृत्व (Motherhood) एक खूबसूरत लेकिन चुनौतीपूर्ण सफर है। जब कोई महिला गर्भ धारण करती है, तो उसके शरीर में कई बड़े बदलाव आते हैं जैसे कि पेट का आकार बढ़ना और व्यवहार में बदलाव। इन बदलावों को समझ कर और उन समस्याओं को समझकर मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को दुरुस्त किया जा सकता है। इस ब्लॉग में हम गर्भावस्था के दौरान होने वाली आम समस्याओं और उनसे बचने के लिए आसान, सुरक्षित एवं प्रभावी समाधान बताने वाले हैं। प्रेगनेंसी के संबंध में कोई भी समस्या दिखने पर तुरंत अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।

गर्भावस्था के दौरान होने वाली आम समस्याएं

प्रेगनेंसी में कुछ आम समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और उनके बारे में जानकारी आपको अवश्य होनी चाहिए, जैसे कि - 

  • थकान और कमजोरी: प्रेगनेंसी में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का निर्माण अच्छी मात्रा में होता है, जिसके कारण थकान और कमजोरी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। इस समय के दौरान शरीर बच्चे को ऊर्जा प्रदान करता है, जिसके कारण महिला की ऊर्जा कम होने लगती है। इससे बचने के लिए दिन में आराम और नींद का ध्यान रखें। इसके अतिरिक्त आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि हरी सब्जियां, दाल और मांस का सेवन को बढ़ाएं। 
  • नींद की समस्या: प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते हैं, जैसे कि बार-बार पेशाब लगना या बेचैनी के कारण नींद में परेशानी होना। इससे बचने के लिए सोने और उठने का एक समय बनाएं। बाईं तरफ सोने की आदत बनाएं। इसके कारण बच्चों का रक्त प्रवाह भी बेहतर होता है। इसके अतिरिक्त सोने से पहले अपने मोबाइल और टीवी से दूरी बनाएं। 
  • शारीरिक बदलाव: प्रेगनेंसी में वजन बढ़ना, त्वचा में खिंचाव, स्तन में भारीपन जैसे बदलाव होना आम है। अब सवाल उठता है कि प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक बदलाव को मैनेज करने के लिए क्या करें? प्रेगनेंसी के दौरान हल्की कसरत करें जैसे कि टहलना या प्रीनेटल योगा। त्वचा को मॉइस्चराइज रखें, जिससे खुजली और खिंचाव से राहत मिले।
  • सफेद तरल पदार्थ का निकलना (व्हाइट डिस्चार्ज): प्रेगनेंसी के दौरान हल्का सफेद, गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता है। यदि इसी तरल पदार्थ में रक्त और बदबू आए, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और इलाज लें। यह गंभीर स्थिति एक्टोपिक प्रेग्नेंसी या प्री-टर्म लेबर का संकेत हो सकता है।
  • ब्लीडिंग (रक्त आना): प्रेगनेंसी के शुरुआती समय में हल्की मात्रा में रक्त हानि एक सामान्य स्थिति है। लेकिन आपको डॉक्टर से तभी मिलना चाहिए, जब रक्त हानि अधिक हो। 

गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य के लिए जरूरी सावधानियां

गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के संबंध में कुछ आवश्यक सावधानियां होती हैं, जो सबको पता होनी चाहिए जैसे कि-

  • सभी जरूरी प्रेगनेंसी चेकअप समय पर कराएं।
  • डॉक्टर की सलाह से सभी जरूरी वैक्सीनेशन (जैसे टीडीएपी, टेटनस टॉक्सॉयड (टीटी), फ्लू वैक्सीन) लें।
  • सिगरेट, शराब और ड्रग्स से पूरी तरह दूरी बनाएं।
  • किसी भी दवा या सप्लीमेंट को लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

गर्भावस्था को आरामदायक बनाने के टिप्स

प्रेगनेंसी में हर प्रकार की समस्याओं को मैनेज करने और इस समय को आरामदायक बनाने के लिए निम्न टिप्स का पालन आप कर सकते हैं - 

  • संतुलित आहार लें, जिसमें फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स और प्रोटीन भरपूर हो।
  • रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।
  • रोज हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें जैसे कि वॉकिंग या प्रीनेटल योगा।
  • मेडिटेशन, गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज या हल्की मालिश से तनाव कम हो सकता है।

गर्भावस्था के पहले तिमाही और उसके बाद की जरूरी सावधानियां

प्रेगनेंसी को अक्सर तीन तिमाही में बांटा जाता है। इन तीनों तिमाही के दौरान अलग-अलग सावधानियों के पालन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि हर तिमाही में बच्चे और मां के स्वास्थ्य में बदलाव आते हैं। चलिए सभी तिमाही के दौरान आवश्यक टिप्स को जानते हैं-

  • पहली तिमाही (1-12 हफ्ते): इस दौरान रोजाना फोलिक एसिड लें ताकि बच्चे का दिमाग और रीढ़ की हड्डी का निर्माण सही हो। इस दौरान सिगरेट, शराब और नुकसानदायक दवाओं से दूर रहें। उल्टी या मतली होने पर प्रयास करें कि अपने पूरे मील को छोटे-छोटे भाग में बांटे, लेकिन खाली पेट न रहें।
  • दूसरी तिमाही (13-26 हफ्ते): इस समय के दौरान वजन पर नजर रखें ताकि जरूरत से ज्यादा या कम ना हो। इस संबंध में डॉक्टर से बात करते रहें और जरूरी टेस्ट और कंसल्टेशन को स्किप न करें। 
  • तीसरी तिमाही (27-40 हफ्ते): इस समय में सबसे आवश्यक होता है, मां को सभी आवश्यक जानकारी होना। अपने डिलीवरी से जुड़ी बातों पर डॉक्टर से चर्चा करें। बच्चे के लिए जरूरी सामान और घर की तैयारी पूरी रखें।

इसके अतिरिक्त प्रेगनेंसी में स्वस्थ आदतों को अपनाना एक स्वस्थ संतान को जन्म देने में मदद कर सकता है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मातृत्व का सफर बहुत खूबसूरत है। हालांकि इसमें कुछ उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन सही जानकारी और सजगता से इस सफर को और भी सुंदर बनाया जा सकता है। हर परिस्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लें, ताकि मां और बच्चे दोनों स्वस्थ रहें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

गर्भावस्था में तनाव कैसे कम करें?

रोजाना मेडिटेशन, योग और अनुलोम विलोम करें। इस स्थिति में आपके माता-पिता या परिवार के लोगों से लगातार बात करते रहें।

गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए?

हर दिन फल, सब्जियां, अनाज, दाल, दूध, दही और प्रोटीन की मात्रा को संतुलित रखें। फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों पर अपना ध्यान केंद्रित करें।

गर्भावस्था में उल्टी और मतली से कैसे बचें?

छोटे-छोटे अंतराल पर हल्का खाना खाएं, तली-भुनी और मसालेदार चीजों से परहेज करें। अदरक की चाय या अदरक वाले स्नैक्स भी मदद कर सकते हैं।

गर्भावस्था में पेट दर्द क्यों होता है?

अक्सर पेट के आसपास लिगामेंट खींचने या गैस बनने से दर्द होता है। लेकिन अगर दर्द तेज हो या खून के साथ आए तो डॉक्टर से मिलें।

Written and Verified by:

Dr. Tripti Dadhich

Dr. Tripti Dadhich

Additional Director Exp: 25 Yr

Obstetrics & Gynaecology

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