इंसुलिन रेजिस्टेंस से टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा, हृदय रोग, फैटी लिवर और हार्मोनल समस्याएं (जैसे PCOS) हो सकती हैं। थकान, भूख, वजन बढ़ना आदि लक्षण हैं; समय पर इलाज और जीवनशैली परिवर्तन से नियंत्रण संभव है।
इन्सुलिन रेजिस्टेंस एक अनदेखा खतरा है, जो आपकी सेहत का एक साइलेंट विलेन भी है। यदि आपको थकान, बार-बार भूख लगना, वजन बढ़ना या लगातार सुस्ती महसूस होती है, तो आपको यह समझना होगा कि यह हल्के में लेने वाली स्थिति नहीं है। लाखों भारतीय बिना जाने इन्सुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं और यही वजह है कि डायबिटीज, मोटापा और कई दूसरी बीमारियां उन्हें घेर रही है। यदि आप समय रहते जान लेते हैं कि आप इस समस्या के आस-पास हैं, तो यह आपकी सेहत, परिवार और भविष्य सब सुरक्षित रह सकता है।
अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले हर व्यक्ति के लिए इन्सुलिन रेजिस्टेंस को जानना बेहद जरूरी है। समस्या की सही पहचान, प्रभावी उपाय और सही समय पर सही निर्णय आपकी मदद कर सकते हैं। यदि आपको समझ न आए, तो कुछ लक्षणों के बारे में इस ब्लॉग में हम आपको बताने वाले हैं, उनकी पहचान करके तुरंत हमारे अनुभवी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से मिलें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें।
सबसे पहले समझते हैं कि इंसुलिन और इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या है। इंसुलिन शरीर में बनने वाला एक जरूरी हार्मोन है, जो ग्लूकोज (शुगर) को खून से निकालकर शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाता है। जब शरीर की कोशिकाएं इस हार्मोन के प्रति संवेदनशीलता खो बैठती हैं, यानी वह ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करतीं, तब इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति बनती है।
चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं। यदि खून में शुगर का स्तर लगातार बढ़ता रहता है, तो शरीर को इसे मैनेज करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा इंसुलिन का निर्माण करना पड़ता है, जिसे इंसुलिन रेसिस्टेंस कहा जाता है। एक वक्त ऐसा आता है, जब पैंक्रियास की कोशिकाएं इस हार्मोन को बनाते बनाते ‘थक’ जाती हैं और जितना इंसुलिन चाहिए, उतना नहीं बन पाता है। इसके कारण हमारे शरीर में कई बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं जैसे कि हाई ब्लड शुगर, मोटापा, गंभीर बीमारियां इत्यादि।
2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 52 करोड़ से अधिक लोग इन्सुलिन रेजिस्टेंस, प्री-डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं। भारत में हर दूसरा प्री-डायबिटिक व्यक्ति इन्सुलिन रेजिस्टेंस का शिकार है, इसलिए इस ब्लॉग की अहमियत और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
इन्सुलिन रेजिस्टेंस कोई अचानक होने वाली बीमारी नहीं है। इसके पीछे का कारण जेनेटिक्स (genetic) हो सकते हैं। इसके साथ-साथ जीवनशैली के कारण भी हो सकते है जैसे कि -
जीवनशैली बदलावों के बिना, यह स्थिति धीरे-धीरे बढ़ती जाती है, और इसके लक्षण तब तक सामने नहीं आते जब तक शरीर पर गंभीर असर न पड़ जाए।
इंसुलिन रेजिस्टेंस से होने वाली कई बीमारियां हैं, जिनमें से मुख्य 5 रोगों के बारे में हम इस ब्लॉग में बात करने वाले हैं -
शुरुआती चरण में यह आमतौर पर बिना लक्षणों के रहता है। लेकिन कुछ संभावित लक्षण है, जिनका सामना आप कर सकते हैं -
लक्षण दिखने पर डॉक्टर कुछ टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं जैसे कि -
इन उपायों का पालन करके आप इंसुलिन रेजिस्टेंस को कंट्रोल कर सकते हैं। चलिए सभी असरदार उपायों के बारे में विस्तार से बात करते हैं -
यदि लाइफस्टाइल पर्याप्त ना हो, तो डॉक्टर मेटफॉर्मिन (डायबिटीज के लिए), स्टैटिन (कोलेस्ट्रॉल के लिए) या अन्य दवाएं दे सकते हैं। लेकिन दवा अकेले काम नहीं कर सकता है, यहां दवा के साथ लाइफस्टाइल ज़रूरी है। यह दवाएं सबसे प्रभावी मानी जाती हैं, लेकिन यदि आप एक स्वस्थ जीवनशैली नहीं अपनाते हैं, तो इन्सुलिन रेजिस्टेंस का मैनेजमेंट और भी अधिक खतरनाक हो जाएगा।
काउंसलिंग और डायटिशियन से मिलने से आप एक साथ कई चीजों को मैनेज कर सकते हैं। वह आपको आपके दैनिक जीवन और खान-पान में बदलावों के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिससे इन्सुलिन रेजिस्टेंस को मैनेज करने औऱ अन्य समस्या को मैनेज करने में बहुत मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त नियमित जांच भी इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। फैमिली हिस्ट्री हो या लक्षण दिखाई दें, समय-समय पर ब्लड शुगर, लिपिड, और अन्य टेस्ट कराएं।
इंसुलिन रेजिस्टेंस से होने वाली 5 गंभीर बीमारियां हैं - डायबिटीज, मोटापा, दिल की बीमारी, फैटी लिवर, हार्मोन संबंधी समस्याएं। इन सभी में आपकी सेहत धीरे-धीरे खा जाती हैं, पर रोकथाम और सही इलाज से आप अपनी सेहत को बचा सकते हैं। हमारे डॉक्टरों की सलाह के अनुसार लाइफस्टाइल सही रखें और हेल्थ प्रॉब्लम्स को भूल जाएं।
यदि आपको या आपके परिवार में कोई ऐसे लक्षण, या डायबिटीज/मोटापा के मेडिकल हिस्ट्री है, तो बिना देर किए हमारे डॉक्टरों से मिलें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें।
इंसुलिन रेजिस्टेंस वह स्थिति है, जब कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करतीं हैं, लेकिन शुगर बढ़ती है, जिसके कारण डायबिटीज का खतरा रहता है। टाइप 2 डायबिटीज तब होती है, जब इंसुलिन या तो कम बनें, या बिल्कुल काम न करे।
समय रहते लाइफस्टाइल में बदलाव, वजन कम करना और सही डाइट से कई मामलों में इस समस्या को रिवर्स या कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन यहां आपको एक बात समझनी पड़ेगी कि बिना वक्त गवाएं निर्णय लें।
इंसुलिन रेजिस्टेंस वाले लोगों को निम्न खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है -
बिल्कुल! लगातार एक्सरसाइज से न सिर्फ इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है, बल्कि डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा भी घटता है।
फास्टिंग ग्लूकोज, HbA1c, HOMA इंडेक्स, लिपिड प्रोफाइल, Euglycemic clamp आदि जैसे टेस्ट इस स्थिति में आपके स्वास्थ्य की जांच कर सकते हैं।
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