इन्सुलिन रेजिस्टेंस के कारण होने वाली 5 गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं
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इन्सुलिन रेजिस्टेंस के कारण होने वाली 5 गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं

Table of Contents
  1. इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या होता है?
  2. इंसुलिन रेजिस्टेंस के मुख्य कारण
  3. इंसुलिन रेजिस्टेंस से होने वाली 5 गंभीर बीमारियां
  4. कैसे पहचानें कि आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस है?
    1. इंसुलिन रेजिस्टेंस के लिए टेस्ट
  5. इंसुलिन रेजिस्टेंस को कंट्रोल करने के असरदार उपाय
    1. लाइफस्टाइल बदलाव सबसे असरदार हैं
    2. दवाओं के बिना कंट्रोल है मुश्किल
    3. काउंसलिंग/डायटिशियन से परामर्श लें
  6. निष्कर्ष
  7. अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
    1. इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप 2 डायबिटीज में क्या फर्क होता है?
    2. क्या इंसुलिन रेजिस्टेंस को रिवर्स किया जा सकता है?
    3. इंसुलिन रेजिस्टेंस वाले लोग कौन-कौन से फूड्स से बचें?
    4. क्या नियमित व्यायाम से इंसुलिन रेजिस्टेंस कम हो सकता है?
    5. इंसुलिन रेजिस्टेंस की जांच कौन-कौन से टेस्ट से की जाती है?

Summary

इंसुलिन रेजिस्टेंस से टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा, हृदय रोग, फैटी लिवर और हार्मोनल समस्याएं (जैसे PCOS) हो सकती हैं। थकान, भूख, वजन बढ़ना आदि लक्षण हैं; समय पर इलाज और जीवनशैली परिवर्तन से नियंत्रण संभव है।

इन्सुलिन रेजिस्टेंस एक अनदेखा खतरा है, जो आपकी सेहत का एक साइलेंट विलेन भी है। यदि आपको थकान, बार-बार भूख लगना, वजन बढ़ना या लगातार सुस्ती महसूस होती है, तो आपको यह समझना होगा कि यह हल्के में लेने वाली स्थिति नहीं है। लाखों भारतीय बिना जाने इन्सुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं और यही वजह है कि डायबिटीज, मोटापा और कई दूसरी बीमारियां उन्हें घेर रही है। यदि आप समय रहते जान लेते हैं कि आप इस समस्या के आस-पास हैं, तो यह आपकी सेहत, परिवार और भविष्य सब सुरक्षित रह सकता है। 

अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले हर व्यक्ति के लिए इन्सुलिन रेजिस्टेंस को जानना बेहद जरूरी है। समस्या की सही पहचान, प्रभावी उपाय और सही समय पर सही निर्णय आपकी मदद कर सकते हैं। यदि आपको समझ न आए, तो कुछ लक्षणों के बारे में इस ब्लॉग में हम आपको बताने वाले हैं, उनकी पहचान करके तुरंत हमारे अनुभवी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से मिलें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें। 

इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या होता है?

सबसे पहले समझते हैं कि इंसुलिन और इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या है। इंसुलिन शरीर में बनने वाला एक जरूरी हार्मोन है, जो ग्लूकोज (शुगर) को खून से निकालकर शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाता है। जब शरीर की कोशिकाएं इस हार्मोन के प्रति संवेदनशीलता खो बैठती हैं, यानी वह ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करतीं, तब इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति बनती है।

चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं। यदि खून में शुगर का स्तर लगातार बढ़ता रहता है, तो शरीर को इसे मैनेज करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा इंसुलिन का निर्माण करना पड़ता है, जिसे इंसुलिन रेसिस्टेंस कहा जाता है। एक वक्त ऐसा आता है, जब पैंक्रियास की कोशिकाएं इस हार्मोन को बनाते बनाते ‘थक’ जाती हैं और जितना इंसुलिन चाहिए, उतना नहीं बन पाता है। इसके कारण हमारे शरीर में कई बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं जैसे कि हाई ब्लड शुगर, मोटापा, गंभीर बीमारियां इत्यादि।

2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 52 करोड़ से अधिक लोग इन्सुलिन रेजिस्टेंस, प्री-डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं। भारत में हर दूसरा प्री-डायबिटिक व्यक्ति इन्सुलिन रेजिस्टेंस का शिकार है, इसलिए इस ब्लॉग की अहमियत और भी ज्यादा बढ़ जाती है। 

इंसुलिन रेजिस्टेंस के मुख्य कारण

इन्सुलिन रेजिस्टेंस कोई अचानक होने वाली बीमारी नहीं है। इसके पीछे का कारण जेनेटिक्स (genetic) हो सकते हैं। इसके साथ-साथ जीवनशैली के कारण भी हो सकते है जैसे कि - 

  • शरीर में अधिक फैट खासकर पेट के आसपास (मोटापा) जमा होना।
  • शारीरिक गतिविधि की कमी (Sedentary lifestyle) या पूरे दिन में कोई भी शारीरिक गतिविधि न करना।
  • असंतुलित, प्रोसेस्ड या हाई कैलोरी फूड्स का सेवन करना।
  • परिवार में डायबिटीज या प्री-डायबिटीज की मेडिकल फैमिली हिस्ट्री होना।
  • अत्यधिक तनाव, धूम्रपान, व कुछ दवाइयों (जैसे स्टेरॉयड) का सेवन।
  • हार्मोनल असंतुलन (जैसे,थायरॉयडPCOS) होना।
  • जेनेटिक प्रेडिस्पोजिशन, यानी यदि माता-पिता या भाई-बहन को डायबिटीज है, तो आपके लिए डायबिटीज का रिस्क दोगुना हो जाएगा।

जीवनशैली बदलावों के बिना, यह स्थिति धीरे-धीरे बढ़ती जाती है, और इसके लक्षण तब तक सामने नहीं आते जब तक शरीर पर गंभीर असर न पड़ जाए।

इंसुलिन रेजिस्टेंस से होने वाली 5 गंभीर बीमारियां

इंसुलिन रेजिस्टेंस से होने वाली कई बीमारियां हैं, जिनमें से मुख्य 5 रोगों के बारे में हम इस ब्लॉग में बात करने वाले हैं - 

  • टाइप 2 डायबिटीज: इंसुलिन रेजिस्टेंस का सबसे सामान्य और बड़ा खतरा टाइप 2 डायबिटीज है। जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता, तो ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं होता है। भारत में टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में 68% लोग इन्सुलिन रेजिस्टेंस से प्रभावित हैं।
  • मोटापा (Obesity): इन्सुलिन रेजिस्टेंस खुद मोटापे को जन्म देता है। यदि मोटापा खासकर पेट और अंगों के आस-पास फैट जमना शुरू हो जाती है। आपको यह समझना पड़ेगा कि मोटापा इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण और परिणाम दोनों ही है। 
  • हृदय रोग (Cardiovascular Diseases): इन्सुलिन रेजिस्टेंस ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है और कोलेस्ट्रॉल को असंतुलित करता है (कम HDL, अधिक ट्राइग्लिसराइड्स, अधिक LDL)। इससे दिल की धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे मिलकर हार्ट अटैकस्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
  • गैर-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD): जब इंन्सुलिन ठीक से काम नहीं करता, तो लीवर में फैट (वसा) जमा होने लगता है। इससे लिवर डैमेज और लीवर सिरोसिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। अक्सर यह समस्या उनको होती है, जो फैटी लिवर की समस्या का सामना करते हैं, लेकिन उनके लिवर में फैट शराब के सेवन से नहीं होता है। 
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और हार्मोन संबंधी बीमारियाँ (महिलाओं में): PCOS में इन्सुलिन रेजिस्टेंस हार्मोन असंतुलन को बढ़ाता है, जिससे अनियमित पीरियड्स, फर्टिलिटी समस्याएं, स्किन प्रॉब्लम्स और मोटापा बढ़ता है।

कैसे पहचानें कि आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस है?

शुरुआती चरण में यह आमतौर पर बिना लक्षणों के रहता है। लेकिन कुछ संभावित लक्षण है, जिनका सामना आप कर सकते हैं - 

  • पेट, गर्दन या बगल में त्वचा में कालापन (Acanthosis Nigricans)
  • स्किन टैग्स या मस्से बनना (Skin warts)
  • थकान व कमजोरी
  • जल्दी-जल्दी भूख लगना या बार-बार पेशाब आना
  • वजन कम करना, खासकर पेट के आसपास
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस की फैमिली मेडिकल हिस्ट्री

इंसुलिन रेजिस्टेंस के लिए टेस्ट

लक्षण दिखने पर डॉक्टर कुछ टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं जैसे कि - 

  • फास्टिंग ब्लड शुगर, HbA1c
  • HOMA Index (ग्लूकोज × इंसुलिन)
  • लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रॉल)
  • यूग्लाइसेमिक क्लैंप (इंसुलिन रेजिस्टेंस के लिए स्पेशलाइज्ड टेस्ट)
  • प्रॉइंसुलिन लेवल (खास मामलों में)

इंसुलिन रेजिस्टेंस को कंट्रोल करने के असरदार उपाय

इन उपायों का पालन करके आप इंसुलिन रेजिस्टेंस को कंट्रोल कर सकते हैं। चलिए सभी असरदार उपायों के बारे में विस्तार से बात करते हैं - 

लाइफस्टाइल बदलाव सबसे असरदार हैं

  • वजन घटाएं: विशेषकर पेट की चर्बी कम करें क्योंकि यही हमारे शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
  • एक्सरसाइज करें: हफ्ते में कम-से-कम 150 मिनट का व्यायाम करें या तेज वॉकिंग करें। इससे स्केलेटल मसल्स में शुगर टूटता है और शरीर शुगर को मैनेज करने में सफल होता है।
  • संतुलित डाइट लें: अपने आहार में होल ग्रेन्स, फल, हरी सब्जियां, मछली, अंडा, चिकन, नट्स को शामिल करें। इससे लाभ मिलना निश्चित माना जा सकता है।
  • प्रोसेसड और हाई GI फूड्स से बचें: वाइट ब्रेड, आलू, मीठी चीजें, कोल्ड ड्रिंक/सोडा आदि आपके लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। कृपया इनसे बचें।
  • तनाव प्रबंधन करें: तनाव एक ऐसी चीज है, जिसे मैनेज करना बहुत मुश्किल भी है और आसान भी। सबसे पहला कार्य करें कि पर्याप्त नींद लें और ऐसी गतिविधि करें, जिससे आपको अधिक तनाव न हो और आपका मन खुश हो।

दवाओं के बिना कंट्रोल है मुश्किल

यदि लाइफस्टाइल पर्याप्त ना हो, तो डॉक्टर मेटफॉर्मिन (डायबिटीज के लिए), स्टैटिन (कोलेस्ट्रॉल के लिए) या अन्य दवाएं दे सकते हैं। लेकिन दवा अकेले काम नहीं कर सकता है, यहां दवा के साथ लाइफस्टाइल ज़रूरी है। यह दवाएं सबसे प्रभावी मानी जाती हैं, लेकिन यदि आप एक स्वस्थ जीवनशैली नहीं अपनाते हैं, तो इन्सुलिन रेजिस्टेंस का मैनेजमेंट और भी अधिक खतरनाक हो जाएगा।

काउंसलिंग/डायटिशियन से परामर्श लें

काउंसलिंग और डायटिशियन से मिलने से आप एक साथ कई चीजों को मैनेज कर सकते हैं। वह आपको आपके दैनिक जीवन और खान-पान में बदलावों के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिससे इन्सुलिन रेजिस्टेंस को मैनेज करने औऱ अन्य समस्या को मैनेज करने में बहुत मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त नियमित जांच भी इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। फैमिली हिस्ट्री हो या लक्षण दिखाई दें, समय-समय पर ब्लड शुगर, लिपिड, और अन्य टेस्ट कराएं।

निष्कर्ष

इंसुलिन रेजिस्टेंस से होने वाली 5 गंभीर बीमारियां हैं - डायबिटीज, मोटापा, दिल की बीमारी, फैटी लिवर, हार्मोन संबंधी समस्याएं। इन सभी में आपकी सेहत धीरे-धीरे खा जाती हैं, पर रोकथाम और सही इलाज से आप अपनी सेहत को बचा सकते हैं। हमारे डॉक्टरों की सलाह के अनुसार लाइफस्टाइल सही रखें और हेल्थ प्रॉब्लम्स को भूल जाएं।

यदि आपको या आपके परिवार में कोई ऐसे लक्षण, या डायबिटीज/मोटापा के मेडिकल हिस्ट्री है, तो बिना देर किए हमारे डॉक्टरों से मिलें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप 2 डायबिटीज में क्या फर्क होता है?

इंसुलिन रेजिस्टेंस वह स्थिति है, जब कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करतीं हैं, लेकिन शुगर बढ़ती है, जिसके कारण डायबिटीज का खतरा रहता है। टाइप 2 डायबिटीज तब होती है, जब इंसुलिन या तो कम बनें, या बिल्कुल काम न करे।

क्या इंसुलिन रेजिस्टेंस को रिवर्स किया जा सकता है?

समय रहते लाइफस्टाइल में बदलाव, वजन कम करना और सही डाइट से कई मामलों में इस समस्या को रिवर्स या कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन यहां आपको एक बात समझनी पड़ेगी कि बिना वक्त गवाएं निर्णय लें।

इंसुलिन रेजिस्टेंस वाले लोग कौन-कौन से फूड्स से बचें?

इंसुलिन रेजिस्टेंस वाले लोगों को निम्न खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है - 

  • वाइट ब्रेड, आलू, मीठी चीजें
  • शुगर ड्रिंक्स, रेड मीट और प्रोसेस्ड स्नैक्स
  • हाई GI वाली चीजें जिसमें ज्यादा तेल या फैटी खाना हो 

क्या नियमित व्यायाम से इंसुलिन रेजिस्टेंस कम हो सकता है?

बिल्कुल! लगातार एक्सरसाइज से न सिर्फ इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है, बल्कि डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा भी घटता है।

इंसुलिन रेजिस्टेंस की जांच कौन-कौन से टेस्ट से की जाती है?

फास्टिंग ग्लूकोज, HbA1c, HOMA इंडेक्स, लिपिड प्रोफाइल, Euglycemic clamp आदि जैसे टेस्ट इस स्थिति में आपके स्वास्थ्य की जांच कर सकते हैं।

Written and Verified by:

Dr. Ankur Gahlot

Dr. Ankur Gahlot

Additional Director Exp: 16 Yr

Diabetes & Endocrinology

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