टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर
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टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर

Summary

वैश्विक स्तर पर बढ़ने वाली सभी समस्याओं में डायबिटीज एक मुख्य रोग है, जो लगभग सभी उम्र के लोगों के लिए एक खतरे की घंटी है। मुख्य रूप से डायबिटीज को चार भाग में बंटा हुआ है - प्री डायबिटीज, टाइप-1, टाइप-2 और जेस्टेशनल डायबिटीज और गर्भकालीन डायबिटीज।

वैश्विक स्तर पर बढ़ने वाली सभी समस्याओं में डायबिटीज एक मुख्य रोग है, जो लगभग सभी उम्र के लोगों के लिए एक खतरे की घंटी है। मुख्य रूप से डायबिटीज को चार भाग में बंटा हुआ है - प्री डायबिटीज, टाइप-1, टाइप-2 और जेस्टेशनल डायबिटीज और गर्भकालीन डायबिटीज। 

हालांकि इनमें से टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज एक गंभीर स्थिति है, जिसके बारे में सभी को जानकारी होनी चाहिए। पूरे विश्व में लगभग 46.2 करोड़ से अधिक लोग टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हैं और यह आंकड़ा हर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। 

चलिए इस ब्लॉग की मदद से टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के बीच के अंतर और इससे उत्पन्न होने वाले लक्षण को जानते हैं।

यदि आप मधुमेह से संबंधित किसी भी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं या मधुमेह के कोई भी लक्षण देखते हैं, तो कृपया किसी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट विशेषज्ञ से संपर्क अवश्य करें।

टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज क्या है?

टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून रोग है, जो किसी भी व्यक्ति को अचानक प्रभावित करता है। हालांकि फैमिली हिस्ट्री वाले मामले टाइप-1 डायबिटीज के ज्यादा है। वहीं दूसरी तरफ टाइप-2 डायबिटीज अक्सर समय के साथ विकसित होती है। बात करें टाइप-2 डायबिटीज के कारण की तो निष्क्रिय जीवन शैली और मोटापा इसके मुख्य कारण माने गए हैं। इसके अतिरिक्त कई अन्य जोखिम कारक होते हैं, जिनके बारे में हम आपको इस ब्लॉग में बताने वाले हैं। 

कौन होता है डायबिटीज के खतरे के दायरे में?

बहुत सारे जोखिम कारक हैं, जो संकेत देते हैं कि एक विशिष्ट व्यक्ति डायबिटीज के खतरे के दायरे में है। टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम टाइप-1 डायबिटीज के जोखिम के दायरे में कम है। चलिए दोनों के जोखिम कारकों को एक-एक करके समझते हैं - 

  • टाइप-1 डायबिटीज का खतरा: यह डायबिटीज का टाइप एक जेनेटिक रोग है। आप यह कह सकते हैं कि जिन लोगों की फैमिली मेडिकल हिस्ट्री में टाइप-1 डायबिटीज रही है, वह इस रोग के जोखिम के दायरे में आते हैं। छोटे बच्चे इस प्रकार के डायबिटीज के खतरे के दायरे में आते हैं। 
  • टाइप-2 डायबिटीज का खतरा: वहीं दूसरी तरफ टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम कारकों में निष्क्रिय जीवनशैली और आहार में गड़बड़ी शामिल है। इसके अतिरिक्त यदि आप मोटापे और अतिरिक्त बीएमआई की स्थिति में है, तो भी आप इस रोग के जोखिम कारक के सूची में आते हैं। प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन भी आपके डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है।

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण

दोनों ही स्थिति में एक समान ही लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे - 

  • बार-बार पेशाब आना। सामान्य तौर पर यह स्थिति रात में अधिक उत्पन्न होती है। 
  • अधिक प्यास लगना।
  • ज्यादा थका हुआ महसूस करना। 
  • बिना कारण शरीर पतला होना। 
  • जननांग में खुजली।
  • घाव ठीक होने में अधिक समय लगना।
  • देखने में समस्या।
  • भूख में वृद्धि।

आमतौर पर बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण अधिक स्पष्ट होते हैं। हालांकि व्यस्क लोगों में टाइप 1 डायबिटीज जल्दी पता नहीं चलते हैं। समय पर लक्षणों की पहचान बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि जल्द इलाज आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। 

वहीं टाइप 2 डायबिटीज की स्थिति को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं क्योंकि यह स्थिति समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होती है। इसलिए टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारकों को समझकर अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। 

टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के बीच का अंतर

टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के बीच लक्षणों के संबंध में कोई खास अंतर देखने को नहीं मिलता है। चलिए इस टेबल की मदद से दोनों के बीच अंतर को जानने का प्रयास करते हैं - 

Type 1

Type 2

कारण

इस डायबिटीज में हमारा शरीर हमारे पैनिक्रयाज पर हमला कर देता है, जिससे इंसुलिन का निर्माण नहीं हो पाता है।

इस प्रकार के डायबिटीज में आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है या ठीक से कार्य नहीं कर पाता है।

प्रबंधन

इंसुलिन टाइप 1 के इलाज में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त बैलेंस्ड डाइट और समय पर दवा लेना भी बहुत आवश्यक होता है। 

 

इसके साथ-साथ जितना संभव हो उतना सक्रिय रहें और स्वस्थ भोजन का सेवन करें। 

टाइप 2 डायबिटीज का इलाज इंसुलिन या अन्य दवा लेने के बिना भी संभव है। इसमें शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने की आवश्यकता होती है। डाइटिशियन इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।

इलाज और बचाव

फ़िलहाल टाइप 1 का कोई स्थाई इलाज नहीं है, लेकिन अभी भी इस पर रिसर्च जारी है।

टाइप 2 का इलाज संभव नहीं है लेकिन कुछ उपायों का पालन कर इस स्थिति को रोका जा सकता है। 

निष्कर्ष

दोनों प्रकार के डायबिटीज के कारण दिल के रोग का खतरा होता है। इसके अतिरिक्त किडनी की बीमारी, दृष्टि से संबंधित समस्या, तंत्रिका और रक्त वाहिकाओं की कमजोरी जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। दोनों ही प्रकार के डायबिटीज का इलाज अनिवार्य है, जिसके लिए हम आपको जयपुर के एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट विशेषज्ञ से मिलने की सलाह देंगे। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या टाइप 1 मधुमेह ठीक हो सकता है?

वर्तमान में टाइप 1 डायबिटीज का कोई निश्चित इलाज नहीं है। हालांकि समय-समय पर इंसुलिन का प्रयोग आपको डायबिटीज के साथ जीने में मदद कर सकता है। 

टाइप 1 मधुमेह क्या है?

यह एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पैंक्रियाज की इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।

क्या टाइप 2 मधुमेह ठीक हो सकता है?

कुछ मामलों में आप यह कह सकते हैं कि जीवनशैली में बदलाव, जैसे स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम टाइप 2 डायबिटीज में मदद कर सकता है, जिससे रक्त शर्करा स्तर बिना दवा के सामान्य सीमा में रहता है।

टाइप 2 मधुमेह क्या है?

इसे आप एक क्रोनिक रोग कह सकते हैं, जिससे हमारा शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग या उत्पादन नहीं कर पाता है, जिसके कारण शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। 

Written and Verified by:

Dr. Ankur Gahlot

Dr. Ankur Gahlot

Additional Director Exp: 16 Yr

Diabetes & Endocrinology

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