फेफड़ों में पानी भरना (पल्मोनरी एडिमा) से सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके कारणों में दिल की बीमारी, फेफड़ों का संक्रमण, किडनी व लिवर की समस्या शामिल हैं। समय पर इलाज जरूरी है, अन्यथा जानलेवा हो सकता है।
जब सांस लेना कठिन हो जाए, तब जीवन की गुणवत्ता और आत्मविश्वास पर गहरा असर पड़ता है। फेफड़ों में पानी भरना (पल्मोनरी एडिमा) सांस लेने में बाधा बनता है और यदि समय पर इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
यह समस्या बच्चों, बुजुर्गों, और कामकाजी सभी लोगों के लिए गंभीर होती है। कई बार लक्षण पहचानने में देरी से स्थिति और बिगड़ जाती है, जिससे इलाज में लगने वाला खर्च बढ़ जाता है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों में पल्मोनरी एडिमा या फेफड़ों में पानी भरना के मामले 12% है। यदि सांस फूलना, दम घुटना या छाती में भारीपन महसूस हो, तो तुरंत एक अनुभवी पल्मोनोलॉजिस्ट से संपर्क करना आपके लिए लाभकारी होगा।
पल्मोनरी एडिमा या फेफड़ों में पानी भरना एक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें फेफड़ों की वायु थैलियों (एल्योलाई) में तरल (Fluid) जमा हो जाता है। इसे बोलचाल की भाषा में “लंग्स में पानी भरना”, “फेफड़ों में पानी बनना” भी कहते हैं। जब फेफड़ों में पानी भरने लगता है, तो ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान बाधित होने लगता है, जिससे सांस फूलना, भारीपन, और कई बार चक्कर आने जैसी समस्या से उत्पन्न हो सकती है।
यह स्थिति धीरे-धीरे या अचानक विकसित हो सकती है। मरीजों में जल्द डायग्नोसिस और सही एवं सटीक ट्रीटमेंट न होने की वजह से इसका खतरा तेजी से बढ़ जाता है। खासतौर पर बुजुर्गों और दिल की बीमारी वाले लोगों में इसका खतरा सबसे अधिक होता है।
फेफड़ों में पानी जमा होने के कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनमें से अधिकतर को नीचे बताया गए है -
इस बीमारी के शुरुआती और गंभीर दोनों तरह के लक्षण देखने को मिल सकते हैं। निम्न लक्षणों की मदद से कोई भी इस स्थिति को आसानी से पहचान सकता है -
फेफड़ों में पानी भरना जब तीव्रता से बढ़ता है, तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है। इस स्थिति में इमेर्जेंसी ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है।
डॉक्टर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, क्लिनिकल लक्षणों और कुछ प्रमुख जांचों के जरिए बीमारी की पुष्टि करते हैं जैसे कि -
यदि मरीज में हाई रिस्क है जैसे कि वह बुजुर्ग है, दिल या किडनी के मरीज है, तो डॉक्टर फेफड़ों का इलाज शुरू करने से पहले पूरी जांच करते हैं। वह जांच के परिणाम के आधार पर ही इलाज की योजना बनाते हैं।
इलाज का उद्देश्य फेफड़ों से पानी हटाना, ऑक्सीजन सप्लाई बहाल करना और इस स्थिति के प्राथमिक कारणों को सुधारना है। उपचार की पद्धति में निम्न प्रक्रियाएं शामिल हैं -
यदि मरीज का इलाज सही समय पर हो जाए तो वह सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन लापरवाही या देर इलाज से दिक्कत बढ़ सकती हैं।
फेफड़ों में पानी की समस्या में देर करना जानलेवा हो सकता है। निम्न स्थितियों में तुरंत अस्पताल या डॉक्टर से संपर्क करें -
फेफड़ों में पानी भरना एक गंभीर समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यदि दर्द, सांस फूलना, या छाती में बेचैनी जैसे लक्षण हों तो तुरंत हमारे अनुभवी विशेषज्ञों से सलाह लें। सही समय पर निदान, हॉस्पिटल में देखभाल और लाइफस्टाइल में सुधार से फेफड़ों की बीमारी को हराया जा सकता है। अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, परिवार को जागरूक करें और हर दम स्वस्थ रहा जा सकता है।
हाँ, यदि सही समय पर इलाज न मिले तो पल्मोनरी एडिमा जानलेवा हो सकता है, खासकर हाई-रिस्क मरीजों में यह समस्या अधिक परेशान कर सकती है।
इलाज की अवधि वजह और गंभीरता पर निर्भर करती है। कुछ मामले एक दिन या दो दिन में सुधार हो सकते हैं, अन्य मरीजों को हफ्ते तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है।
अधिकांश मामलों में दिल की कमजोरी, हार्ट फेलियर या ब्लड प्रेशर के बढ़ने के कारण फेफड़ों में पानी भरता है।
बुजुर्गों में दिल और किडनी कमजोर होते हैं, जिससे शरीर पानी निकालने में अक्षम हो जाता है। साथ ही इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है।
तीव्र या गंभीर मामलों में मरीज को सांस बार-बार लेने में दिक्कत महसूस होती है, जो इलाज के बाद ठीक हो सकती है।
Written and Verified by:
Dr Arup Halder is a consultant Pulmonologist in the department of Pulmonary Medicine at CMRI Hospital. He has more than 15 years of experience in Pulmonary Medicine. He started his carrier at Columbia Asia Hospital and was attached there for 12 years.
© 2024 CMRI Kolkata. All Rights Reserved.