फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण, कारण और इलाज क्या है?
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फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण, कारण और इलाज क्या है?

Pulmonology | by Dr. Arup Halder on 06/09/2025

Summary

फेफड़ों में पानी भरना (पल्मोनरी एडिमा) से सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके कारणों में दिल की बीमारी, फेफड़ों का संक्रमण, किडनी व लिवर की समस्या शामिल हैं। समय पर इलाज जरूरी है, अन्यथा जानलेवा हो सकता है।

जब सांस लेना कठिन हो जाए, तब जीवन की गुणवत्ता और आत्मविश्वास पर गहरा असर पड़ता है। फेफड़ों में पानी भरना (पल्मोनरी एडिमा) सांस लेने में बाधा बनता है और यदि समय पर इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। 

यह समस्या बच्चों, बुजुर्गों, और कामकाजी सभी लोगों के लिए गंभीर होती है। कई बार लक्षण पहचानने में देरी से स्थिति और बिगड़ जाती है, जिससे इलाज में लगने वाला खर्च बढ़ जाता है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों में पल्मोनरी एडिमा या फेफड़ों में पानी भरना के मामले 12% है। यदि सांस फूलना, दम घुटना या छाती में भारीपन महसूस हो, तो तुरंत एक अनुभवी पल्मोनोलॉजिस्ट से संपर्क करना आपके लिए लाभकारी होगा।

फेफड़ों में पानी भरना क्या है?

पल्मोनरी एडिमा या फेफड़ों में पानी भरना एक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें फेफड़ों की वायु थैलियों (एल्योलाई) में तरल (Fluid) जमा हो जाता है। इसे बोलचाल की भाषा में “लंग्स में पानी भरना”, “फेफड़ों में पानी बनना” भी कहते हैं। जब फेफड़ों में पानी भरने लगता है, तो ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान बाधित होने लगता है, जिससे सांस फूलना, भारीपन, और कई बार चक्कर आने जैसी समस्या से उत्पन्न हो सकती है।

यह स्थिति धीरे-धीरे या अचानक विकसित हो सकती है। मरीजों में जल्द डायग्नोसिस और सही एवं सटीक ट्रीटमेंट न होने की वजह से इसका खतरा तेजी से बढ़ जाता है। खासतौर पर बुजुर्गों और दिल की बीमारी वाले लोगों में इसका खतरा सबसे अधिक होता है।

फेफड़ों में पानी भरने के कारण

फेफड़ों में पानी जमा होने के कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनमें से अधिकतर को नीचे बताया गए है - 

  • दिल की बीमारी (हार्ट फेलियर): सबसे ज्यादा मामलों में दिल की कमजोरी या हार्ट फेलियर की वजह से फेफड़ों में पानी भर जाता है।
  • फेफड़ों की बीमारी: निमोनियाटीबी, फेफड़ों का संक्रमण, और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी बीमारियां इसका प्रमुख कारण हो सकते हैं।
  • फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण: वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन; जिसमें बुखार, खांसी, रात को अधिक पसीना, वजन कम होना आदि लक्षण हो सकते हैं।
  • ब्लड प्रेशर: हाइपरटेंशन या असामान्य ब्लड प्रेशर के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • किडनी की बीमारी या लिवर फेलियर: शरीर में पानी का संतुलन बिगड़ने से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • विशेष दवाओं का साइड इफेक्ट, जहरीला रिसाव या चोट भी कारण बन सकते हैं।
  • कुछ मामलों में हार्ट अटैक के बाद भी लंग्स में पानी भरना शुरू हो जाता है।

फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण

इस बीमारी के शुरुआती और गंभीर दोनों तरह के लक्षण देखने को मिल सकते हैं। निम्न लक्षणों की मदद से कोई भी इस स्थिति को आसानी से पहचान सकता है - 

  • धीमी सांस या बार-बार सांस फूलना। चलते-फिरते या आराम करने पर भी इस समस्या का उत्पन्न होना।
  • छाती में भारीपन, दर्द या दबाव महसूस होना।
  • थकान, कमजोरी, और चक्कर आना।
  • खांसी, खासतौर पर सफेद या गुलाबी रंग के झागदार बलगम के साथ आना।
  • पैरों, टखनों या पेट में सूजन होना।
  • दिल की धड़कन तेज या अनियमित होना।
  • एसिडिटी, बेचैनी या रात को ज्यादा लक्षण बढ़ जाना।
  • त्वचा या होंठ नीले पड़ना (ब्लूइंग)।
  • अचानक बेहोशी या सांस लेने में कठिनाई होना। यह संकेत बेहद गंभीर स्थिति के हैं, इसलिए इस पर अधिक ध्यान दें।

फेफड़ों में पानी भरना जब तीव्रता से बढ़ता है, तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है। इस स्थिति में इमेर्जेंसी ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है।

फेफड़ों में पानी भरने की जांच कैसे होती है?

डॉक्टर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, क्लिनिकल लक्षणों और कुछ प्रमुख जांचों के जरिए बीमारी की पुष्टि करते हैं जैसे कि - 

  • फिजिकल जांच: डॉक्टर स्टेथोस्कोप से छाती की जांच करते है। यदि आवाज में गड़बड़ी लगती है या ‘क्रैक्लिंग साउंड’ आ रही है, तो दूसरे टेस्ट का सुझाव दिया जाता है।
  • एक्स-रे या CT स्कैन: फेफड़ों में तरल जमा है या नहीं इसका स्पष्ट चित्र इससे बनाई जाती है।
  • ब्लड टेस्ट: शरीर में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, इलेक्ट्रोलाइट्स का स्तर मापने के लिए इस टेस्ट का सुझाव दिया जाता है।
  • ECG एवं इकोकार्डियोग्राफी: दिल की स्थिति पता करने के लिए यह टेस्ट कराया जाता है।
  • पल्स ऑक्सीमीटर: मरीज को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल रही है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए इस उपकरण का उपयोग होता है।

यदि मरीज में हाई रिस्क है जैसे कि वह बुजुर्ग है, दिल या किडनी के मरीज है, तो डॉक्टर फेफड़ों का इलाज शुरू करने से पहले पूरी जांच करते हैं। वह जांच के परिणाम के आधार पर ही इलाज की योजना बनाते हैं। 

फेफड़ों में पानी भरने का इलाज

इलाज का उद्देश्य फेफड़ों से पानी हटाना, ऑक्सीजन सप्लाई बहाल करना और इस स्थिति के प्राथमिक कारणों को सुधारना है। उपचार की पद्धति में निम्न प्रक्रियाएं शामिल हैं - 

  • डायूरेटिक्स (पानी निकालने वाली दवा): शरीर में जमा अतिरिक्त तरल को बाहर निकालने के लिए इस दवा का उपयोग होता है।
  • ऑक्सीजन सपोर्ट: सांस की दिक्कत में मरीज को ऑक्सीजन दी जाती है।
  • हार्ट संबधी दवाएं: यदि कारण हार्ट फेलियर है, तो डॉक्टर सबसे पहले मरीज को कार्डियोलॉजी विभाग में भेजते हैं, जिसके बाद उनकी हृदय की दवाएं चलाई जाती है।
  • संक्रमण का इलाज: यदि फेफड़ों का इंफेक्शन या बीमारी ही वजह हो तो सबसे पहले संक्रमण का इलाज किया जाता है।
  • सर्जरी या अन्य प्रोसीजर: गंभीर मामले में फेफड़ों या दिल के ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है।
  • फिजियोथेरेपी एवं नियमित जांच: रिकवरी और दोबारा समस्या न हो इसके लिए फिजियोथेरेपी एवं नियमित जांच की आवश्यकता होती है।

यदि मरीज का इलाज सही समय पर हो जाए तो वह सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन लापरवाही या देर इलाज से दिक्कत बढ़ सकती हैं।

कब डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए?

फेफड़ों में पानी की समस्या में देर करना जानलेवा हो सकता है। निम्न स्थितियों में तुरंत अस्पताल या डॉक्टर से संपर्क करें - 

  • तेज सांस फूलना या दम घुटना
  • सीने में दर्द या दबाव
  • खून या गुलाबी झाग के साथ खांसी
  • ठंडक या कमजोरी इतनी कि चलना-सोचना मुश्किल हो जाए
  • बेहोशी आना या अचानक शरीर नीला पड़ना
  • मरीज की उम्र ज्यादा है, दिल या किडनी बीमारी है, या पहले भी ऐसा अटैक हुआ है

निष्कर्ष

फेफड़ों में पानी भरना एक गंभीर समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यदि दर्द, सांस फूलना, या छाती में बेचैनी जैसे लक्षण हों तो तुरंत हमारे अनुभवी विशेषज्ञों से सलाह लें। सही समय पर निदान, हॉस्पिटल में देखभाल और लाइफस्टाइल में सुधार से फेफड़ों की बीमारी को हराया जा सकता है। अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, परिवार को जागरूक करें और हर दम स्वस्थ रहा जा सकता है। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या फेफड़ों में पानी भरना जानलेवा हो सकता है?

हाँ, यदि सही समय पर इलाज न मिले तो पल्मोनरी एडिमा जानलेवा हो सकता है, खासकर हाई-रिस्क मरीजों में यह समस्या अधिक परेशान कर सकती है।

फेफड़ों में पानी भरने पर कितने दिन तक इलाज चलता है?

इलाज की अवधि वजह और गंभीरता पर निर्भर करती है। कुछ मामले एक दिन या दो दिन में सुधार हो सकते हैं, अन्य मरीजों को हफ्ते तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है।

क्या फेफड़ों में पानी भरना दिल की बीमारी से जुड़ा होता है?

अधिकांश मामलों में दिल की कमजोरी, हार्ट फेलियर या ब्लड प्रेशर के बढ़ने के कारण फेफड़ों में पानी भरता है।

बुजुर्गों में फेफड़ों में पानी भरने का खतरा क्यों अधिक होता है?

बुजुर्गों में दिल और किडनी कमजोर होते हैं, जिससे शरीर पानी निकालने में अक्षम हो जाता है। साथ ही इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है।

क्या फेफड़ों में पानी भरने से सांस लेने में हमेशा दिक्कत रहती है?

तीव्र या गंभीर मामलों में मरीज को सांस बार-बार लेने में दिक्कत महसूस होती है, जो इलाज के बाद ठीक हो सकती है।

Written and Verified by:

Dr. Arup Halder

Dr. Arup Halder

Consultant Pulmonologist Exp: 23 Yr

Pulmonary Medicine

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Dr Arup Halder is a consultant Pulmonologist in the department of Pulmonary Medicine at CMRI Hospital. He has more than 15 years of experience in Pulmonary Medicine. He started his carrier at Columbia Asia Hospital and was attached there for 12 years.

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