ब्रॉन्कोस्कोपी: प्रक्रिया, फायदे और तैयारी
Home >Blogs >ब्रॉन्कोस्कोपी: प्रक्रिया, फायदे और तैयारी

ब्रॉन्कोस्कोपी: प्रक्रिया, फायदे और तैयारी

Table of Contents
  1. ब्रोंकोस्कोपी क्या है?
  2. ब्रोंकोस्कोपी कितने तरह की होती है?
    1. फ्लैक्सिबल ब्रोंकोस्कोपी (Flexible Bronchoscopy)
    2. कठोर ब्रोंकोस्कोपी (Rigid Bronchoscopy)
    3. एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (EBUS)
    4. वर्चुअल ब्रोंकोस्कोपी / सीटी ब्रोंकोस्कोपी
    5. फ्लोरोसेंस ब्रोंकोस्कोपी
  3. ब्रोंकोस्कोपी कब करानी पड़ती है?
    1. लंबे समय से खांसी या खून वाली खांसी
    2. सांस लेने में दिक्कत या घरघराहट
    3. एक्स-रे या सीटी स्कैन में कुछ अजीब दिखना
    4. फेफड़ों के इन्फेक्शन की जांच
    5. सांस की नली में फँसी कोई चीज निकालना
    6. कैंसर की जांच या इलाज के लिए
  4. ब्रोंकोस्कोपी कराने से पहले की तैयारी
  5. ब्रोंकोस्कोपी की प्रक्रिया
  6. ब्रोंकोस्कोपी के फायदे
  7. ब्रोंकोस्कोपी के संभावित जोखिम
  8. डॉक्टर से तुरंत संपर्क कब करें?
  9. ब्रोंकोस्कोपी के बाद देखभाल
  10. निष्कर्ष
  11. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर
    1. ब्रोंकोस्कोपी कितनी देर चलती है?
    2. ब्रोंकोस्कोपी से कौन-कौन सी बीमारियां पता चलती हैं?
    3. क्या ब्रोंकोस्कोपी में दर्द होता है?
    4. क्या ब्रोंकोस्कोपी सुरक्षित है?
    5. क्या ब्रोंकोस्कोपी के दौरान एनेस्थीसिया दिया जाता है?

Summary

अगर आपको लंबे समय से खांसी, सांस लेने में दिक्कत, बलगम में खून या सीने में दर्द की समस्या है, तो आपको फेफड़ों और सांस की नली की जांच के लिए ब्रोंकोस्कोपी करानी चाहिए। आमतौर पर डॉक्टर्स फेफड़ों की सही जांच और इलाज के लिए ब्रोंकोस्कोपी की सलाह देते हैं। इससे फेफड़ों के इन्फेक्शन, सूजन, ट्यूमर या कैंसर की जांच, सांस की नली में फंसी हुई चीजों को बाहर निकालने और बीमारी का सही पता लगाने में मदद मिलती है।

हमारे शरीर में फेफड़े और श्वसन तंत्र(सांस लेने का सिस्टम) बहुत जरूरी अंग हैं। ये हर सांस के साथ हमारे पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करते हैं। लेकिन, कई बार कुछ लोगों को लंबे समय तक खांसी, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द या बलगम में खून आने जैसी परेशानियां हो जाती हैं। ऐसी समस्याओं को हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। फेफड़ों के डॉक्टर आपके फेफड़ों की जांच करके बीमारी का पता लगाएंगे और सही समय पर इलाज शुरू कर पाएंगे।

फेफड़ों की जांच के लिए ब्रोंकोस्कोपी नाम का एक खास टेस्ट किया जाता है। इसमें डॉक्टर एक पतली, कैमरे वाली नली (जिसे ब्रोंकोस्कोप कहते हैं) को नाक या मुंह के जरिए फेफड़ों और सांस की नली के अंदर डालकर सीधे देख पाते हैं और बीमारी को पहचान पाते हैं। आइए जानते हैं कि ब्रोंकोस्कोपी क्या होती है, इसके क्या फायदे हैं, यह कैसे की जाती है और इसके बाद क्या देखभाल करनी होती है।

ब्रोंकोस्कोपी क्या है?

ब्रोंकोस्कोपी एक खास तरह का मेडिकल टेस्ट है, जिसकी मदद से डॉक्टर आपके गले, सांस की नली और फेफड़ों के अंदर की चीजों को देखकर पता लगाते हैं कि वहां सब ठीक है या नहीं। इस टेस्ट के लिए एक पतली, लचीली नली का इस्तेमाल होता है, जिसे ब्रोंकोस्कोप कहते हैं। इस नली के सिरे पर एक छोटा-सा कैमरा और लाइट लगी होती है, जिससे फेफड़ों के अंदर देखा जाता है।

इस प्रक्रिया में डॉक्टर ब्रोंकोस्कोप को नाक या मुंह से धीरे-धीरे गले और फेफड़ों तक ले जाते हैं। कैमरे की मदद से वे देखते हैं कि कहीं कोई इन्फेक्शन, सूजन, ट्यूमर, खून बहना या सांस की नली में रुकावट तो नहीं है। अगर डॉक्टर को लगता है कि बीमारी का सही से पता नहीं चल पा रहा है, तो वे फेफड़े के अंदर से टिशू (ऊतक) का एक छोटा-सा टुकड़ा निकालकर जांच के लिए भेजते हैं। इसे लंग बायोप्सी कहते हैं, जिससे बीमारी की एकदम सही जानकारी मिल सके।

ब्रोंकोस्कोपी कितने तरह की होती है?

आपको बता दें कि ब्रोंकोस्कोपी जाँच के भी कई प्रकार होते हैं। हर प्रकार का इस्तेमाल अलग-अलग स्थिति और जरूरत के हिसाब से किया जाता है। आइए जानते हैं ब्रोंकोस्कोपी के प्रकारों के बारे में-

फ्लैक्सिबल ब्रोंकोस्कोपी (Flexible Bronchoscopy)

यह सबसे आम और हल्की ब्रोंकोस्कोपी होती है। इसमें एक पतली और मुड़ने वाली नली का इस्तेमाल किया जाता है। इस टेस्ट के दौरान मरीज को हल्का बेहोश किया जाता है ताकि उसे दर्द न हो। लचीली ब्रोंकोस्कोपी में डॉक्टर फेफड़ों के अंदर से टिशू का एक छोटा-सा टुकड़ा बायोप्सी के लिए ले सकते हैं या फेफड़ों से बलगम बाहर निकाल सकते हैं। यह जाँच आमतौर पर सांस से जुड़ी समस्याओं के लिए की जाती है।

कठोर ब्रोंकोस्कोपी (Rigid Bronchoscopy)

इस जांच में एक सीधी और मजबूत नली का इस्तेमाल किया जाता है और इसके लिए डॉक्टर पूरा एनेस्थीसिया देते हैं। डॉक्टर यह जांच तब करते हैं जब उन्हें लगता है कि किसी की सांस की नली में कुछ फंस गया है, कोई बड़ा ट्यूमर या रुकावट है, या फेफड़ों से ज्यादा खून बह रहा है।

एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (EBUS)

इस जांच में ब्रोंकोस्कोपी और अल्ट्रासाउंड दोनों का इस्तेमाल एक साथ किया जाता है। इसकी मदद से डॉक्टर फेफड़ों के गहरे हिस्सों और लिम्फ नोड्स को साफ-साफ देख पाते हैं। आमतौर पर यह जांच टीबी या कैंसर जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए की जाती है।

वर्चुअल ब्रोंकोस्कोपी / सीटी ब्रोंकोस्कोपी

यह एक ऐसा तरीका है जिसमें शरीर के अंदर नली नहीं डाली जाती। इसमें डॉक्टर सीटी स्कैन की मदद से फेफड़ों और सांस की नली की 3डी इमेज निकालते हैं।

फ्लोरोसेंस ब्रोंकोस्कोपी

यह सबसे आधुनिक ब्रोंकोस्कोपी होती है, जिसमें फेफड़ों के कैंसर को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है।

ब्रोंकोस्कोपी कब करानी पड़ती है?

ब्रोंकोस्कोपी एक खास तरह की जांच है और इसकी मदद से डॉक्टर पता लगाते हैं कि आपके फेफड़ों या सांस की नली में कोई परेशानी तो नहीं है। इस जांच की मदद से डॉक्टर सही बीमारी का पता लगा पाते हैं और फिर सही इलाज शुरू करते हैं। आमतौर पर डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी की सलाह कुछ खास स्थितियों में देते हैं, जैसे कि-

लंबे समय से खांसी या खून वाली खांसी

अगर किसी को हफ्तों से लगातार खांसी आ रही है और उसके साथ खून आता है, तो डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।

सांस लेने में दिक्कत या घरघराहट

अगर किसी को सांस लेने में दिक्कत होती है या सांस लेते समय अजीब आवाज आती है, तो डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी करने की सलाह दे सकते हैं।

एक्स-रे या सीटी स्कैन में कुछ अजीब दिखना

अगर किसी के फेफड़ों के एक्स-रे और सीटी स्कैन में चीजें साफ नजर नहीं आती हैं, तो डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी करके ज्यादा साफ जानकारी हासिल करते हैं।

फेफड़ों के इन्फेक्शन की जांच

अगर किसी को टीबीनिमोनिया या फंगल इन्फेक्शन होता है, तो इन मामलों में ब्रोंकोस्कोपी की जाती है।

सांस की नली में फँसी कोई चीज निकालना

अगर सांस की नली में कोई चीज चली जाती है या गाढ़ा बलगम जमा हो जाता है, जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो ब्रोंकोस्कोपी के जरिए उसे निकाला जा सकता है।

कैंसर की जांच या इलाज के लिए

यदि डॉक्टर को फेफड़ों के अंदर ट्यूमर या कैंसर का शक होता है, तो वे ब्रोंकोस्कोपी करवाते हैं। उसके बाद बायोप्सी जांच की जाती है।

ब्रोंकोस्कोपी कराने से पहले की तैयारी

अगर डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी कराने की सलाह देते हैं, तो इससे पहले आपको कुछ जरूरी तैयारी कर लेनी चाहिए। ब्रोंकोस्कोपी टेस्ट से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • ब्रोंकोस्कोपी से पहले डॉक्टर 6 से 12 घंटे तक कुछ भी न खाने या पीने की सलाह देते हैं, क्योंकि जांच के दौरान गले से नली डाली जाती है। अगर पेट खाली नहीं होगा तो घबराहट महसूस हो सकती है।
  • अगर आप खून पतला करने वाली दवाएँ, शुगर की दवाएं या कोई सप्लीमेंट, आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक दवाएं लेते हैं, तो डॉक्टर आपसे इन्हें कुछ दिन के लिए बंद करने की सलाह दे सकते हैं।
  • ब्रोंकोस्कोपी के दौरान आपको हल्का एनेस्थीसिया दिया जाता है। इसका असर कुछ घंटों तक बना रह सकता है और आपको चक्कर, कमजोरी या नींद भी आ सकती है। इसलिए डॉक्टर इस जांच के बाद गाड़ी चलाने से मना करते हैं और अपने साथ किसी को लाने की सलाह देते हैं।

ब्रोंकोस्कोपी की प्रक्रिया

आमतौर पर ब्रोंकोस्कोपी की प्रक्रिया बहुत आसान और दर्द रहित होती है। इस जाँच को करने के लिए डॉक्टर कुछ चरणों का पालन करते हैं-

  • सबसे पहले डॉक्टर की मेडिकल टीम आपके दिल की धड़कन (ECG), ब्लड प्रेशर (BP) और ऑक्सीजन लेवल की जांच करती है।
  • फिर आपको हल्का एनेस्थीसिया दिया जाता है। इसके बाद गले में एक स्प्रे या जेल लगाया जाता है ताकि गला सुन्न हो जाए।
  • फिर एक पतली और मुड़ने वाली नली डाली जाती है जिसे ब्रोंकोस्कोप कहते हैं।
  • इस नली को नाक या मुंह के जरिए गले से होते हुए फेफड़ों और सांस की नली तक पहुंचाया जाता है।
  • जब एक बार स्कोप अंदर चला जाता है, तो डॉक्टर फेफड़ों और सांस की नली को कैमरे की मदद से स्क्रीन पर देखते हैं।
  • स्क्रीन पर देखकर वे जांच करते हैं कि कोई ट्यूमर, इन्फेक्शन या सूजन तो नहीं है। जरूरत पड़ने पर टिशू का सैंपल लेते हैं।
  • कुछ स्थितियों में डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी की मदद से फेफड़े के अंदर फंसे बलगम या बाहरी किसी चीज को निकालते हैं।
  • इस दौरान आपको थोड़ा अजीब महसूस हो सकता है, लेकिन दर्द महसूस नहीं होता है। 
  • जांच के बाद डॉक्टर स्कोप को धीरे-धीरे बाहर निकालते हैं।
  • फिर आपको रिकवरी एरिया में ले जाया जाता है और जब तक आपको होश नहीं आता है, तब तक आप डॉक्टर की निगरानी में रहते हैं।
  • ब्रोंकोस्कोपी की प्रक्रिया में लगभग 20 से 60 मिनट तक लगते हैं।

ब्रोंकोस्कोपी के फायदे

ब्रोंकोस्कोपी केवल एक जांच नहीं है, बल्कि कई मामलों में यह इलाज करने के काम भी आती है। इसके फायदे भी कई हैं। 

  • ब्रोंकोस्कोपी की मदद से डॉक्टर जान पाते हैं कि आपको टीबी, फंगल या वायरल इन्फेक्शन तो नहीं है, फेफड़ों में सूजन या जलन तो नहीं हो रही है, कोई ट्यूमर या कैंसर की आशंका तो नहीं है और सांस लेने में दिक्कत तो नहीं है।
  • ब्रोंकोस्कोपी की मदद से डॉक्टर फेफड़ों में जमे बलगम या गंदी चीजों को बाहर निकालते हैं। अगर सांस की नली में कुछ फंस गया है, तो उसे हटाते हैं। फेफड़ों से अगर खून बह रहा है, तो उसे रोकते हैं।
  • अगर आपकी सांस की नली ब्लॉक हो गई है, तो स्टेंट डालना या निकालना ब्रोंकोस्कोपी की मदद से किया जा सकता है।
  • ब्रोंकोस्कोपी एक लचीली जांच है और इसमें कोई चीरा या टांका नहीं लगता है। इसमें मरीज़ को हॉस्पिटल में कई दिनों तक भर्ती नहीं होना पड़ता है। यह जांच सुरक्षित और सुविधाजनक होती है।
  • आज के समय में ब्रोंकोस्कोपी पहले से कहीं ज्यादा आधुनिक हो चुकी है। 
  • एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड की मदद से लिम्फ नोड्स या गहरे टिशू की जांच और बायोप्सी आसान हो जाती है। 
  • वर्चुअल ब्रोंकोस्कोपी से बिना नली डाले सीटी स्कैन की मदद से फेफड़ों की 3डी इमेज मिल जाती है। 
  • रोबोटिक ब्रोंकोस्कोपी की मदद से छोटी से छोटी चीज तक का पता लगाया जा सकता है।

ब्रोंकोस्कोपी के संभावित जोखिम

वैसे तो ब्रोंकोस्कोपी एक सुरक्षित जांच होती है, लेकिन कभी-कभी कुछ गंभीर जोखिम किसी-किसी को हो सकते हैं। ब्रोंकोस्कोपी के बाद कुछ लोगों को थोड़ी असुविधा हो सकती है, जो अक्सर 1–2 दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है। अगर प्रक्रिया के बाद गले में खराश होना, आवाज बैठना, हल्की खांसी आना, बुखार आना शामिल है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

डॉक्टर से तुरंत संपर्क कब करें?

अगर ब्रोंकोस्कोपी के बाद आपको सांस लेने में तकलीफ़ होती है, सीने में दर्द होता है, खून की खांसी आती है, तेज बुखार आता है, आवाज बैठ जाती है, निगलने में परेशानी होती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

ब्रोंकोस्कोपी के बाद देखभाल

ब्रोंकोस्कोपी के बाद आपको थोड़ी देखभाल की जरूरत होती है। हॉस्पिटल से बाहर निकलकर आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि-

  • ब्रोंकोस्कोपी के बाद आपको 1-2 घंटे तक हॉस्पिटल में रहना चाहिए ताकि देख सकें कि एनेस्थीसिया का असर धीरे-धीरे कम हो रहा है या नहीं।
  • जांच के बाद तुरंत कोई दवा न खाएँ, खुद गाड़ी न चलाएं।
  • जब तक आपके गले से सुन्नता खत्म न हो जाए, तब तक कुछ न खाएं और न पीएं।
  • घर पहुंचकर आराम करें और ज्यादा बोलने से बचें।
  • अगर गले में खराश हो रही है, तो गुनगुने पानी से गरारे करें।
  • गले की सुन्नता जब खत्म हो जाए, तो ज्यादा गर्म या ठंडा न खाएं।

निष्कर्ष

आमतौर पर फेफड़ों या सांस की नली से जुड़ी किसी भी समस्या की जांच के लिए डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी करने की सलाह देते हैं। यह जांच बिना कट या टांके के होती है। इस सुरक्षित और जल्दी होने वाली जांच के दौरान डॉक्टर को बीमारी का पता चल जाता है और वे सही समय पर सही इलाज शुरू कर देते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर

ब्रोंकोस्कोपी कितनी देर चलती है?

ब्रोंकोस्कोपी 30 से 60 मिनट तक चलती है। 

ब्रोंकोस्कोपी से कौन-कौन सी बीमारियां पता चलती हैं?

ब्रोंकोस्कोपी से फेफड़ों के इन्फेक्शन, ट्यूमर, सूजन, सांस नली में रुकावट, फेफड़ों में बलगम या फंसी हुई किसी चीज का पता लगाया जाता है। 

क्या ब्रोंकोस्कोपी में दर्द होता है?

यह एक दर्दरहित जांच है, लेकिन आपको कुछ असहजता महसूस हो सकती है। 

क्या ब्रोंकोस्कोपी सुरक्षित है?

यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी शामिल हैं। कुछ लोगों को जांच के बाद ब्लीडिंग, इन्फेक्शन, बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 

क्या ब्रोंकोस्कोपी के दौरान एनेस्थीसिया दिया जाता है?

हां, ब्रोंकोस्कोपी के दौरान एनेस्थीसिया दिया जाता है, लेकिन यह मरीज की स्थिति और ब्रोंकोस्कोपी के प्रकार पर निर्भर करता है। 

Written and Verified by:

Dr. Aditya Satpati

Dr. Aditya Satpati

Consultant Exp: 15 Yr

Pulmonology

Book an Appointment

Similar Blogs

पोस्ट-कोविड फेफड़ों की समस्याओं का इलाज

पोस्ट-कोविड फेफड़ों की समस्याओं का इलाज

read more
Rising COVID Cases in India: Essential Facts About the JN.1 Variant

Rising COVID Cases in India: Essential Facts About the JN.1 Variant

read more
विश्व अस्थमा दिवस: अस्थमा को समझें और स्वस्थ जीवन जिएं

विश्व अस्थमा दिवस: अस्थमा को समझें और स्वस्थ जीवन जिएं

read more
Understand COPD and Its Impact

Understand COPD and Its Impact

read more

View more

Book Your Appointment TODAY

Related Diseases & Treatments

Treatments in Kolkata

Pulmonology Doctors in Kolkata

NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now