फिशर एक ऐसी समस्या है, जिसका इलाज बहुत ज्यादा अनिवार्य है। इस रोग के कारण व्यक्ति का जीवन शैली गंभीर रूप से प्रभावित होता है। फिशर के इलाज के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं और इस ब्लॉग के द्वारा हम उन्हीं कुछ विकल्पों के साथ फिशर के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में बात करेंगे। यहां एक बात का ध्यान रखना होगा कि इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी सामान्य जानकारी है। यदि आप फिशर के लक्षण या फिर एनल फिशर के कारण और जोखिम कारक एवं जटिलताओं के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमारे गैस्ट्रोनोलॉग्सिट विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।
एनल फिशर को गुदा विदर के नाम से जाना जाता है। जब गुदा में छोटे-छोटे कट या दरार उत्पन्न होते हैं, और उनमें दर्द होता है, तो उस स्थिति को फिशर कहा जाता है। मुख्य रूप से फिशर गुदा के बाहर होते हैं और इसके उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं। कुछ मुख्य कारण है जैसे - सख्त स्टूल पास होना, लम्बे समय तक डायरिया होना, बहुत ज्यादा कब्ज या प्रेगनेंसी।
एनल फिशर के कारण रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। यह दर्द गुदे के आसपास के क्षेत्र में होता है, और ज्यादातर यह दर्द मल त्याग करने के समय रोगी को परेशान करता है। कई मामलों में देखा गया है कि उन दरारों में जख्म बन जाते हैं और उन जख्मों से खून भी बहने लगते हैं। कई बार देखा गया है कि लोग फिशर के लक्षणों को बवासीर के लक्षण समझ लेते हैं, जिसके कारण इलाज में बहुत देर हो जाती है और स्थिति गंभीर हो जाती है।
एनल फिशर के लक्षण कभी-कभी बवासीर के लक्षण के समान ही होते हैं। फिशर के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार है -
गुदा विदर या एनल फिशर के कारण बहुत सारे हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने वाले हैं। अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि जिनको बवासीर की समस्या होती है, वह एनल फिशर की समस्या से परेशान होते हैं। इसके अतिरिक्त कब्ज भी एक मुख्य कारक साबित हो सकता है। एनल फिशर के लक्षणों में से मुख्य लक्षण इस प्रकार है -
वहीं कुछ एनल फिशर के जोखिम कारक भी होते हैं, जो कारणों से भिन्न होते हैं जैसे -
एनल फिशर से बचाव कोई मुश्किल कार्य नहीं है। सामान्यतः कब्ज की रोकथाम से एनल फिशर के विकसित होने की संभावना को रोका जा सकता है। यदि आपको फिशर की समस्या बार-बार परेशान कर रही है, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप जल्द से जल्द बचाव या रोकथाम पर विचार करें। निम्न स्थितियों का पालन कर एनल फिशर से बचाव संभव है -
कुल मिलाकर यदि आप कब्ज की समस्या से बच जाते हैं और अपनी आंत के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं, तो आप फिशर की समस्या से परेशान नहीं होंगे।
फिशर के इलाज से पहले गुदा के आस-पास के क्षेत्र की जांच बहुत ज्यादा आवश्यक होती है। आमतौर पर डॉक्टर शारीरिक परीक्षण की सहायता से फिशर की जांच करते हैं। स्थिति की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर अन्य परीक्षणों का सहारा ले सकते हैं जैसे -
एनल फिशर के इलाज से पहले डॉक्टर कुछ परीक्षण करवाते है और परिणाम के आधार पर ही इलाज की योजना बनाते हैं। इलाज के लिए सबसे पहले डॉक्टर कुछ दवाओं का सुझाव देते हैं जैसे -
यदि इन दवाओं से आराम नहीं मिलता है, तो एनल फिशर के इलाज के लिए डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं। यदि घरेलू उपाय और बचाव के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता है, तो उपचार में निम्न तरीकों को शामिल किया जा सकता है -
सर्जरी से पहले डॉक्टर सभी पहलुओं की जांच करते हैं। सर्जरी से पहले कुछ टेस्ट डॉक्टर करवा सकते हैं, जिससे संभावित जोखिम और जटिलताओं से बचने में मदद मिलती है।
फिशर ट्रीटमेंट में सर्जरी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस सर्जरी में आंतरिक स्फिंक्टर की मांसपेशियों में एक छोटा सा कट लगाया जाता है। इसके कारण दर्द व ऐंठन से आराम मिल जाता है। इस सर्जरी की जटिलताएं बहुत कम हैं, लेकिन कुछ मामलों में आंत्र कार्यों को नियंत्रित करने में समस्या आ सकती है।
कुछ मामलों में सर्जरी के दौरान गुदा की प्रभावित मांसपेशियों को एक यंत्र के द्वारा निकाला भी जा सकता है। ऐसा करने से स्थिति में सुधार की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। चिकित्सा भाषा में इस स्थिति को लेटरल इंटरनल स्फिंक्टरोटॉमी भी कहा जाता है, जिसमें प्रक्रिया के दौरान लोकल एनेस्थिया का प्रयोग होता है।
सर्जरी के बाद डॉक्टर की सलाह का पालन करें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और बिना डर के उनके निर्देशों का पालन करें। इससे बहुत मदद मिलेगी।
फिशर को ठीक करने के लिए डॉक्टर के निर्देशों का कड़ाई से पालन करें। वह हल्के गंभीर मामलों में कुछ दवाओं के साथ घरेलू उपायों का सुझाव देते हैं। यदि 1-2 सप्ताह के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों रहती है तो डॉक्टर सर्जरी और अन्य विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
एनल फिशर की स्थिति में निम्नलिखित खाद्य पदार्थ के सेवन से आपको बहुत लाभ मिलेगा -
एनल फिशर की स्थिति में खानपान का बहुत ज्यादा महत्व है। निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने से फिशर की स्थिति में बहुत सहायता मिलेगी -
बवासीर और फिशर दो अलग-अलग रोग है। दोनों रोग का इलाज गुदा रोग विशेषज्ञ ही करते हैं, लेकिन दोनों ही रोग में कुछ अंतर होता है जैसे -
दोनों के लक्षण एक समान ही होते हैं इसलिए लोगों को अक्सर गलतफहमी होती है।
फिशर में दही खाने से मल को नरम बनाने और कब्ज को रोकने में मदद मिलती है। दही में प्रोबायोटिक्स भी होते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। हालांकि, यदि आपको दही से एलर्जी है या आपको दही खाने से पेट खराब होता है, तो आपको दही से बचना चाहिए।
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