एनल फिशर - जानें क्यों होती है गुदा में जलन और खुजली!
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एनल फिशर - जानें क्यों होती है गुदा में जलन और खुजली!

Summary

एनल फिशर को गुदा विदर के नाम से जाना जाता है। जब गुदा में छोटे-छोटे कट या दरार उत्पन्न होते हैं, और उनमें दर्द होता है, तो उस स्थिति को फिशर कहा जाता है। मुख्य रूप से फिशर गुदा के बाहर होते हैं और इसके उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं।

फिशर एक ऐसी समस्या है, जिसका इलाज बहुत ज्यादा अनिवार्य है। इस रोग के कारण व्यक्ति का जीवन शैली गंभीर रूप से प्रभावित होता है। फिशर के इलाज के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं और इस ब्लॉग के द्वारा हम उन्हीं कुछ विकल्पों के साथ फिशर के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में बात करेंगे। यहां एक बात का ध्यान रखना होगा कि इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी सामान्य जानकारी है। यदि आप फिशर के लक्षण या फिर एनल फिशर के कारण और जोखिम कारक एवं जटिलताओं के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमारे गैस्ट्रोनोलॉग्सिट विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।

फिशर क्या होता है

एनल फिशर को गुदा विदर के नाम से जाना जाता है। जब गुदा में छोटे-छोटे कट या दरार उत्पन्न होते हैं, और उनमें दर्द होता है, तो उस स्थिति को फिशर कहा जाता है। मुख्य रूप से फिशर गुदा के बाहर होते हैं और इसके उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं। कुछ मुख्य कारण है जैसे - सख्त स्टूल पास होना, लम्बे समय तक डायरिया होना, बहुत ज्यादा कब्ज या प्रेगनेंसी

एनल फिशर के कारण रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। यह दर्द गुदे के आसपास के क्षेत्र में होता है, और ज्यादातर यह दर्द मल त्याग करने के समय रोगी को परेशान करता है। कई मामलों में देखा गया है कि उन दरारों में जख्म बन जाते हैं और उन जख्मों से खून भी बहने लगते हैं। कई बार देखा गया है कि लोग फिशर के लक्षणों को बवासीर के लक्षण समझ लेते हैं, जिसके कारण इलाज में बहुत देर हो जाती है और स्थिति गंभीर हो जाती है।

फिशर के लक्षण व संकेत

एनल फिशर के लक्षण कभी-कभी बवासीर के लक्षण के समान ही होते हैं। फिशर के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार है - 

  • मल त्याग के दौरान दर्द होना। यह दर्द कभी-कभी बहुत ज्यादा गंभीर हो सकता है।
  • इस दर्द का कई घंटों तक बना रहना।
  • कुछ मामलों में मल त्याग में रक्त की मौजूदगी भी परेशान कर सकती है।
  • गुदा के आस-पास दरार या कट।
  • गुदा के आसपास जलन या खुजली होना। 
  • गुदा के आस-पास स्किन टैग का मौजूद होना।

एनल फिशर के कारण और जोखिम कारक 

गुदा विदर या एनल फिशर के कारण बहुत सारे हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने वाले हैं। अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि जिनको बवासीर की समस्या होती है, वह एनल फिशर की समस्या से परेशान होते हैं। इसके अतिरिक्त कब्ज भी एक मुख्य कारक साबित हो सकता है। एनल फिशर के लक्षणों में से मुख्य लक्षण इस प्रकार है - 

  • डायरिया या दस्त की समस्या का लंबे समय तक बने रहना।
  • क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज 
  • लंबे समय से कब्ज की शिकायत होना।
  • सिफलिस या हर्पीस जैसे यौन संचारित रोग भी गुदा के आसपास की त्वचा को संक्रमित कर सकते हैं। 
  • जब गुदा के आस-पास की मांसपेशियां सख्त होने लगती है, तो उन पर दबाव बढ़ता है, जिससे एलन फिशर की समस्या उत्पन्न होती है। 

वहीं कुछ एनल फिशर के जोखिम कारक भी होते हैं, जो कारणों से भिन्न होते हैं जैसे -

  • बचपन: छोटे बच्चों में एनल फिशर की समस्या बहुत ज्यादा आम है।
  • अधिक समय तक शौचालय में बैठना: अधिक समय तक शौच में बैठे रहना भी एनल फिशर का एक जोखिम कारक साबित होता है।
  • बढ़ती उम्र: बढ़ती उम्र रक्त संचार में कमी लाता है, जिससे आंशिक रूप से फिशर के उत्पन्न होने की संभावना प्रबल हो जाती है।
  • गर्भावस्था और प्रसव: इस दौरान पेट और गुदा की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिसके कारण बवासीर और एनल फिशर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • फाइबर युक्त आहार का न खाना: यदि आप फाइबर युक्त आहार का सेवन बहुत कम करते हैं या बिल्कुल नहीं करते हैं, तो इसके कारण आपको बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे - बवासीर, एनल फिशर, एनल फिस्टुला, कब्ज इत्यादि। इन सभी बीमारियां का संबंध आपस में है। 
  • गुदा में समस्या: गुदा के आस-पास के क्षेत्र पर खरोंच लगना या फिर मलाशय में सूजन होना भी फिशर का एक मुख्य जोखिम कारक है। 
  • मलाशय में कैंसर: कुछ मामलों में देखा गया है कि मलाशय में कैंसर की समस्या हो जाती है। इसके कारण भी व्यक्ति को एनल फिशर की समस्या परेशान कर सकती है।

एनल फिशर से बचाव

एनल फिशर से बचाव कोई मुश्किल कार्य नहीं है। सामान्यतः कब्ज की रोकथाम से एनल फिशर के विकसित होने की संभावना को रोका जा सकता है। यदि आपको फिशर की समस्या बार-बार परेशान कर रही है, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप जल्द से जल्द बचाव या रोकथाम पर विचार करें। निम्न स्थितियों का पालन कर एनल फिशर से बचाव संभव है - 

  • फाइबर, फल और सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार लें।
  • स्वयं को हाइड्रेट रखने के लिए तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाएं। 
  • व्यायाम आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
  • शराब व कैफीन युक्त पदार्थों के सेवन से दूरी बनाएं। 

कुल मिलाकर यदि आप कब्ज की समस्या से बच जाते हैं और अपनी आंत के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं, तो आप फिशर की समस्या से परेशान नहीं होंगे।

फिशर का परीक्षण कैसे किया जाता है?

फिशर के इलाज से पहले गुदा के आस-पास के क्षेत्र की जांच बहुत ज्यादा आवश्यक होती है। आमतौर पर डॉक्टर शारीरिक परीक्षण की सहायता से फिशर की जांच करते हैं। स्थिति की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर अन्य परीक्षणों का सहारा ले सकते हैं जैसे - 

  • एंडोस्कोपी: इस परीक्षण की सहायता से डॉक्टर गुदा, गुदा नलिका और निचले मलाशय की जांच करते हैं। 
  • सिग्मोइडोस्कोपी: इस परीक्षण के द्वारा बड़ी आंत के निचले भाग की जांच की जाती है।
  • बायोप्सी: इस परीक्षण में स्थिति की जांच के लिए गुदा के ऊतक का सैंपल लिया जाता है। 
  • कोलनोस्कोपी: इस जांच से कॉलन यानी बृहदान्त्र की जांच की जाती है। इस टेस्ट से कैंसर की संभावनाओं को भी जांचा जाता है। 

एनल फिशर का इलाज 

एनल फिशर के इलाज से पहले डॉक्टर कुछ परीक्षण करवाते है और परिणाम के आधार पर ही इलाज की योजना बनाते हैं। इलाज के लिए सबसे पहले डॉक्टर कुछ दवाओं का सुझाव देते हैं जैसे -

  • दर्द निवारक दवाएं
  • लैक्सेटिव या मल को मुलायम करने की दवा
  • एनेस्थेटिक क्रीम जिससे दर्द से आराम मिलता है।

यदि इन दवाओं से आराम नहीं मिलता है, तो एनल फिशर के इलाज के लिए डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं। यदि घरेलू उपाय और बचाव के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता है, तो उपचार में निम्न तरीकों को शामिल किया जा सकता है - 

  • बोटॉक्स इंजेक्शन: गुदा की मांसपेशियां या फिर एनल स्फिंक्टर मांसपेशियों में बोटॉक्स इंजेक्शन लगाया जाता है। इस इंजेक्शन की मदद से गुदा के आस-पास की मांसपेशियों को पैरालाइज कर दिया जाता है जिससे दर्द कम हो जाता है और रोगी जल्द रिकवर होने लगता है। 
  • प्रिसक्राइब्ड दवाएं: नाइट्रेट्स या कैल्शियम चैनल ब्लॉकर जैसी क्रीम फिशर की स्थिति में बहुत ज्यादा लाभकारी साबित हो सकते हैं। किस दवा का प्रयोग आपके लिए सुरक्षित है यह आपको डॉक्टर ही बताएंगे।

सर्जरी –

सर्जरी से पहले डॉक्टर सभी पहलुओं की जांच करते हैं। सर्जरी से पहले कुछ टेस्ट डॉक्टर करवा सकते हैं, जिससे संभावित जोखिम और जटिलताओं से बचने में मदद मिलती है। 

फिशर ट्रीटमेंट में सर्जरी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस सर्जरी में आंतरिक स्फिंक्टर की मांसपेशियों में एक छोटा सा कट लगाया जाता है। इसके कारण दर्द व ऐंठन से आराम मिल जाता है। इस सर्जरी की जटिलताएं बहुत कम हैं, लेकिन कुछ मामलों में आंत्र कार्यों को नियंत्रित करने में समस्या आ सकती है। 

कुछ मामलों में सर्जरी के दौरान गुदा की प्रभावित मांसपेशियों को एक यंत्र के द्वारा निकाला भी जा सकता है। ऐसा करने से स्थिति में सुधार की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। चिकित्सा भाषा में इस स्थिति को लेटरल इंटरनल स्फिंक्टरोटॉमी भी कहा जाता है, जिसमें प्रक्रिया के दौरान लोकल एनेस्थिया का प्रयोग होता है।

सर्जरी के बाद डॉक्टर की सलाह का पालन करें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और बिना डर के उनके निर्देशों का पालन करें। इससे बहुत मदद मिलेगी।

एनल फिशर से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

फिशर को कैसे ठीक करें?

फिशर को ठीक करने के लिए डॉक्टर के निर्देशों का कड़ाई से पालन करें। वह हल्के गंभीर मामलों में कुछ दवाओं के साथ घरेलू उपायों का सुझाव देते हैं। यदि 1-2 सप्ताह के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों रहती है तो डॉक्टर सर्जरी और अन्य विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।

एनल फिशर में क्या खाना चाहिए?

एनल फिशर की स्थिति में निम्नलिखित खाद्य पदार्थ के सेवन से आपको बहुत लाभ मिलेगा - 

  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ: फाइबर मल को नरम बनाकर फिशर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में फल, सब्जियां, होल ग्रेन, और दालें शामिल है।
  • पानी: हाइड्रोजन शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। इसके लिए अपने आहार में तरल पदार्थ के सेवन को बढ़ाएं। 
  • प्रोबायोटिक्स: प्रोबायोटिक्स पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स वाले खाद्य पदार्थों में दही, टोफू, इत्यादि शामिल है।

फिशर में क्या नहीं खाना चाहिए?

एनल फिशर की स्थिति में खानपान का बहुत ज्यादा महत्व है। निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने से फिशर की स्थिति में बहुत सहायता मिलेगी -

  • कब्ज बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ: कब्ज फिशर के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। कब्ज बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों में रेड मीट, डेयरी प्रोडक्ट, और प्रोसेस्ड फूड शामिल है।
  • मसालेदार खाद्य पदार्थ: मसालेदार खाद्य पदार्थ फिशर के दर्द और जलन को बढ़ा सकते हैं।
  • शराब और कैफीन: शराब और कैफीन मल को कठोर बना सकते हैं, जिससे कब्ज की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

बवासीर और फिशर में अंतर क्या है?

बवासीर और फिशर दो अलग-अलग रोग है। दोनों रोग का इलाज गुदा रोग विशेषज्ञ ही करते हैं, लेकिन दोनों ही रोग में कुछ अंतर होता है जैसे - 

  • बवासीर: बवासीर गुदा के अंदर या बाहर सूजन वाली नसें होती हैं। बवासीर के कारण मल त्याग के दौरान दर्द, रक्त हानि, और खुजली की समस्या होती है।
  • फिशर: फिशर गुदा में एक छोटी सी दरार होती है। फिशर के कारण मल त्याग के दौरान दर्द, रक्तहानि, और जलन होती है।

दोनों के लक्षण एक समान ही होते हैं इसलिए लोगों को अक्सर गलतफहमी होती है।

फिशर में दही खाना चाहिए या नहीं?

फिशर में दही खाने से मल को नरम बनाने और कब्ज को रोकने में मदद मिलती है। दही में प्रोबायोटिक्स भी होते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। हालांकि, यदि आपको दही से एलर्जी है या आपको दही खाने से पेट खराब होता है, तो आपको दही से बचना चाहिए।

Written and Verified by:

Dr. Ajay Mandal

Dr. Ajay Mandal

Consultant - GI & Hepato-Biliary Surgeon Exp: 10 Yr

Gastro Sciences

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Dr. Ajay Mandal is one of the leading specialist in area of GI Oncology, Hepato-Biliary & Pancreatic Disease treatment. He is based primarily at The Calcutta Medical Research Institute, Kolkata with more than 10 years of rich experience in dealing with various aspects of digestive system specially in liver & Pancreatic Disorders.

Dr. Mandal has been trained in various parts of India and abroad( S. Korea) and is one of the few certified trained Gastro surgeon in Kolkata. He has performed hundreds of complicated GI & Hepato-Biliary cancer surgery. Apart from GI Oncosurgery, laparoscopic surgery is regular event for him and now even cancer surgery is being performed by him laparoscopically.

Dr. Mandal not only performs surgery for cancer patients but also provides holistic approach for further treatment once he /she gets recovered from surgery. His team includes Medical Oncologist, Medical Gastroenterologist and Intervention Radiologist, all of them work together in many occasions and as on required to provide the best available treatment for their patient.

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