बवासीर गुदा की नसों में सूजन से होने वाली समस्या है, जिसमें दर्द, खुजली और मल त्याग के समय रक्तस्राव होता है। इसके इलाज के लिए घरेलू उपाय जैसे गर्म सिट्ज़ बाथ, बर्फ से सेंक, विच हेज़ल, नारियल तेल और एलोवेरा उपयोगी हैं।
अस्वस्थ जीवनशैली और गलत खानपान के कारण अनेक तरह की बीमारियां होती हैं, बवासीर भी उन्हीं में से एक है। बवासीर को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जिसमें पाइल्स, हेमोरोइड्स, या बवासीर के मस्से आदि शामिल हैं। इस ब्लॉग में हम बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय या बवासीर के मस्से हटाने की विधि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। यदि आप भी बवासीर के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो कृपया कोलकाता में किसी गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट विशेषज्ञ से संपर्क करें।
बवासीर के मस्से गुदा के आस-पास की नसों में सूजन है, जिसके कारण व्यक्ति को असुविधा, खुजली और रक्त हानि की समस्या होती है। बवासीर के मस्से और गुदा के आस-पास मिलने वाले मस्से, दोनों अलग-अलग है। बवासीर के मस्सों के कारण असुविधा होती है, लेकिन गुदा के आस-पास मिलने वाले मस्सों से कोई खास असुविधा नहीं होती है।
बवासीर एक आम समस्या है, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं। “बवासीर के मस्से कैसे होते हैं,” इस प्रश्न का उत्तर भी हम इसी ब्लॉग से जानने वाले हैं। हालांकि इसके कारण कई लक्षण उत्पन्न होते हैं, जैसे कि गुदा क्षेत्र के आस-पास दर्द, सूजन और मल त्याग के बाद चमकदार लाल रक्त हानि, इत्यादि। हालांकि आमतौर पर यह गंभीर नहीं होते हैं, लेकिन इसके कारण व्यक्ति को कई असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस स्थिति के इलाज के लिए तुरंत एक अनुभवी गुदा रोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है।
बवासीर के मस्सों के बनने और बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि -
प्रेगनेंसी के दौरान बवासीर की समस्या बहुत आम है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ के कारण पेल्विक क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे बवासीर की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं है। हालांकि कुछ घरेलू उपायों की मदद से आप बवासीर की समस्या को आसानी से मैनेज कर सकते हैं। यदि इन बवासीर के घरेलू उपचारों से कोई फायदा नहीं होता है, तो ऐसे में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श करने के बाद कुछ दवाएं मिलेंगी, जिससे स्थिति में आराम मिलना निश्चित हो जाएगा।
बवासीर के घरेलू इलाज के तौर पर टब में हल्का गर्म पानी डालकर उसमें बैठने से सूजन को कम करने और बवासीर के कारण होने वाली जलन को कम करने में मदद मिल सकती है। इसे सिट्ज़ बाथ कहा जाता है। इसके अतिरिक्त गर्म पानी से स्नान करने से भी लाभ मिल सकता है। नहाने के पानी में एक कप एप्सम सॉल्ट या एप्पल साइडर विनेगर शामिल करने से भी लाभ मिल सकता है।
बवासीर पर बर्फ या ठंडे पैक लगाने से भी दर्द और सूजन से राहत मिलती है। बवासीर के इंफ्लामेटरी होने पर आइस पैक लगाने से दर्द वाले क्षेत्र को सुन्न करने और सूजन को अस्थायी रूप से कम करने में मदद मिल सकती है। त्वचा को नुकसान से बचाने के लिए बर्फ को एक छोटे तौलिये में लपेटें और फिर उसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। आइस पैक को 15 मिनट तक लगा रहने दें और इस प्रक्रिया को हर घंटे दोहराएं।
जर्नल ऑफ इन्फ्लेमेशन की रिसर्च के अनुसार इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। विच हेज़ल चोट लगने को कम करने के लिए जाना जाता है। एक कॉटन बॉल में शुद्ध विच हेज़ल की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर बवासीर के मस्से पर लगाने से राहत मिल सकती है।
नारियल एक प्राकृतिक मॉइस्चराइजर है, जो बवासीर के लक्षणों में भी मदद कर सकता है। नारियल का तेल लगाने से जलन और सूजन कम हो सकती है, और यह एनल क्षेत्र में खरोंच की संभावना को कम करने में भी मदद कर सकता है।
एलोवेरा का उपयोग कई प्रकार की समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है। बायोमेड रिसर्च इंटरनेशनल के रिसर्च के अनुसार, इसका शरीर पर एक विरोधी इंफ्लामेटरी प्रभाव होता है और यह घावों को ठीक करने में मदद कर सकता है। एलोवेरा को गुदा पर लगाने से बवासीर के कारण होने वाली जलन, खुजली और सूजन से राहत मिलती है।
ऐसे मामलों में जहां साधारण उपचार पर्याप्त नहीं होता है या दर्द बहुत अधिक होता है, तो ओवर-द-काउंटर दवाएं और क्रीम कुछ राहत प्रदान कर सकते हैं। नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी), जैसे एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन मदद कर सकते हैं। हाइड्रोकार्टिसोन जैसी क्रीम त्वचा पर लगाने से भी अस्थायी राहत मिल सकती है। गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद ही बवासीर की दवाएं का सेवन करें।
अगर बवासीर अपनी शुरुआती स्टेज में है, तो दवाओं ओर लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव लाकर इसे दूर किया जा सकता है। हालांकि, बवासीर गंभीर होने पर डॉक्टर लेजर सर्जरी का सुझाव देते हैं। लेजर सर्जरी की मदद से बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म किया जा सकता है। हालांकि यदि सही से इस स्थिति का प्रबंधन नहीं होता है, तो यह फिर से उत्पन्न हो सकते हैं।
उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ खाएं, अधिक फल, सब्जियां और होल ग्रेन्स खाएं, सामयिक उपचार का प्रयोग करें, हाइड्रोकार्टिसोन युक्त एक ओवर-द-काउंटर बवासीर क्रीम का इस्तेमाल करें, विच हेज़ल या सुन्न करने वाले एजेंट वाले पैड का उपयोग करें, गर्म स्नान या सिट्ज़ बाथ को आजमाएं और डॉक्टर से परामर्श करने के बाद मौखिक दर्द निवारक दवाएं लें।
फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थ खाने से मल नरम हो जाता है और बवासीर के इलाज और रोकथाम में मदद मिल सकती है। पीने का पानी और अन्य तरल पदार्थ, जैसे फलों के रस और साफ सूप, आपके आहार में फाइबर को बेहतर तरीके से काम करने में मदद कर सकते हैं। आहार में फाइबर की मात्रा को बढ़ाएं और खुद को हाइड्रेट रखें।
बवासीर होने पर डॉक्टर मरीज को कुछ चीजों को नहीं खाने का सुझाव देते हैं, जिसमें पनीर, चिप्स, फास्ट फूड, आइसक्रीम, मांस, फ्रोजन और स्नैक फूड, प्रोसेस्ड फूड, जैसे कि हॉट डॉग और कुछ माइक्रोवेवबल डिनर आदि। साथ ही, बवासीर होने पर सिगरेट, शराब और गुटखा आदि के सेवन से भी बचना चाहिए।
तीन दिनों में बवासीर की समस्या को पूरी तरह से ठीक करना असंभव है, लेकिन गर्म सिट्ज़ बाथ, फाइबर का सेवन, पर्याप्त पानी पीना और ओवर-द-काउंटर क्रीम या सपोसिटरी का उपयोग करके आप जल्द से जल्द बवासीर के मस्सों से राहत पा सकते हैं। गंभीर मामलों में डॉक्टरी सलाह आपको एक बेहतर गुणवत्ता वाला जीवन जीने में मदद कर सकता है।
नहीं, बवासीर कोई जानलेवा बीमारी नहीं है। हालांकि इस स्वास्थ्य समस्या से रोगी को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है, जिससे जीवनशैली में कई बदलाव भी देखने को मिलते हैं। लेकिन यदि इस स्थिति का सही समय पर उत्तम इलाज किया जाए, तो इससे बहुत लाभ मिलने की उम्मीद होती है।
बवासीर की पहचान के लिए आपको सबसे पहले अपने लक्षणों को समझना होगा, जैसे कि मलाशय से रक्त हानि, खुजली, दर्द, गुदा के पास सूजन और मल त्याग के दौरान असुविधा।
बवासीर को मुख्य रूप से आंतरिक और बाहरी बवासीर के प्रकारों में बांटा गया है। आंतरिक बवासीर में मलाशय के अंदर मस्से उत्पन्न होते हैं, जिनमें से अधिकतर मामलों में दर्द नहीं होता है, वहीं दूसरी तरफ बाहरी बवासीर में मस्सा गुदा की त्वचा के नीचे होते हैं, जिससे दर्द और असुविधा होती है। गंभीर मामलों में, प्रोलैप्स बवासीर (मस्से गुदा से बाहर निकलते हैं) और थ्रोम्बोस्ड बवासीर (बाहरी बवासीर में रक्त के थक्के बनने) हो सकते हैं।
Written and Verified by:
Consultant - GI & Hepato-Biliary Surgeon Exp: 10 Yr
Gastro Sciences
Dr. Ajay Mandal is one of the leading specialist in area of GI Oncology, Hepato-Biliary & Pancreatic Disease treatment. He is based primarily at The Calcutta Medical Research Institute, Kolkata with more than 10 years of rich experience in dealing with various aspects of digestive system specially in liver & Pancreatic Disorders.
Dr. Mandal has been trained in various parts of India and abroad( S. Korea) and is one of the few certified trained Gastro surgeon in Kolkata. He has performed hundreds of complicated GI & Hepato-Biliary cancer surgery. Apart from GI Oncosurgery, laparoscopic surgery is regular event for him and now even cancer surgery is being performed by him laparoscopically.
Dr. Mandal not only performs surgery for cancer patients but also provides holistic approach for further treatment once he /she gets recovered from surgery. His team includes Medical Oncologist, Medical Gastroenterologist and Intervention Radiologist, all of them work together in many occasions and as on required to provide the best available treatment for their patient.
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