रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याएं और उनका समाधान
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रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याएं और उनका समाधान

Summary

रजोनिवृत्ति एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसका सामना हर महिला करती है। सही समय पर सही इलाज से इस स्थिति में होने वाली असुविधा को आसानी सो रोका जा सकता है। स्वस्थ जीवन का पालन करें और निरोग रहें।

 रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज हर महिला के जीवन का एक ऐसा भाग है, जिसे कभी भी टाला नहीं जा सकता है। यह अक्सर कई शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं के साथ आता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो रजोनिवृत्ति महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का अंत का संकेत है। इसके साथ रजोनिवृत्ति कई स्वास्थ्य चुनौतियों के साथ आता है, जिस पर आप सभी का ध्यान ज़रूर देना चाहिए। 

इन सभी चुनौतियों को समझने, लक्षणों को पहचानने और प्रभावी समाधान खोजने से रजोनिवृत्ति के बाद का जीवन सुगम हो सकता है। यदि आप मेनोपॉज के संबंध में कोई भी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं, तो हम आपको भी सलाह देंगे कि आप तुरंत एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

रजोनिवृत्ति क्या है?

रजोनिवृत्ति को प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो एक महिला के मासिक पीरियड साइकिल और प्रजनन क्षमता के अंत का संकेत देता है। इसका निदान होता है, जब एक महिला को अगले 12 महीने तक पीरियड्स नहीं आते हैं। रजोनिवृत्ति आमतौर पर 45 और 55 वर्ष की आयु के बीच होती है, लेकिन यह विभिन्न कारकों के आधार पर पहले या बाद में भी हो सकती है।

रजोनिवृत्ति की शुरुआत प्रजनन हार्मोन, विशेष रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में गिरावट के कारण होती है, जो अंडाशय द्वारा बनाए जाते हैं। यह हार्मोनल बदलाव शरीर में विभिन्न परिवर्तनों की ओर ले जाते हैं, जिसे प्रत्येक महिला द्वारा अलग-अलग तरीके से अनुभव किया जा सकता है।

रजोनिवृत्ति के बाद शरीर में होने वाले बदलाव

मेनोपॉज के बाद महिलाएं कई शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन का सामना करती हैं। चलिए इन सभी में से कुछ सामान्य परिवर्तन को समझते हैं - 

  • अचानक गर्मी लगना और रात में पसीना आना: यह रजोनिवृत्ति का सबसे प्रमुख लक्षण है, जिसमें महिलाओं को अचानक गर्मी लगती हैं। कई मामलों में महिलाएं रात में पसीना आने जैसे लक्षण का सामना करती हैं, जो उनके नींद में बाधा डाल सकते हैं। 
  • योनि में सूखापन और बेचैनी:मेनोपॉज के समय के दौरान अक्सर देखा जाता है कि योनि में सूखापन आ जाता है। इसके साथ-साथ योनि में बहुत ज्यादा समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती हैं जैसे कि खुजली होना या नमी का कम हो जाना।
  • बोन मैरो में कमी: रजोनिवृत्ति के कारण शरीर में एस्ट्रोजन में कमी आती है, जिससे बोन मैरो में कमी आती है, जो अंत में ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का कारण बन सकता है।
  • वजन बढ़ना और मेटाबॉलिज्म में बदलाव: कई महिलाओं का मेनोपॉज के बाद वजन अचानक बढ़ जाता है। यह वजन विशेष रूप से पेट के आसपास बढ़ता है, जिसका कारण धीमा मेटाबॉलिज्म है। 
  • भावनात्मक परिवर्तन: हार्मोनल परिवर्तनों के कारण रजोनिवृत्ति के दौरान और बाद में मूड स्विंग, चिंता और डिप्रेशन होना आम है। इस दौरान महिलाओं को खुद नहीं समझ आता है कि उनका स्वास्थ्य क्यों बिगड़ रहा है, जो डिप्रेशन का एक मुख्य कारण साबित हो सकता है। 

महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं

रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि - 

  • किडनी से संबंधित समस्याएं: मेनोपॉज के बाद प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन के स्तर में गिरावट आती है, जिसका कार्य हमारे ब्लैडर के ऊतकों को मोटा रखना है। इसके कारण यूरिनरी इनकंटीनेंस (मूत्र को नियंत्रित करने में समस्या) जैसी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। इसके अतिरिक्त योनि में भी सूखापन आ जाता है, जिसकी वजह से संभोग के दौरान बहुत ज्यादा असहजता होती है। 
  • वजन बढ़ना: एस्ट्रोजन स्तर में आई अचानक कमी के कारण आपका वजन कम हो सकता है। यह वजन बिना कारण बढ़ता है, जो आपके शरीर के मध्य क्षेत्र के आसपास ही फैलता है। 
  • स्लीप एपनिया: नींद में कमी एक सामान्य लेकिन कम प्रमुख रजोनिवृत्ति का साइड इफेक्ट है। यदि आपको दिन में थकान, अनिद्रा, पैनिक अटैक, और उदास व्यवहार जैसी समस्या होती है, तो हो सकता है कि आप स्लीप एपनिया की समस्या का सामना कर रहे हैं। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें और इलाज लें। 
  • मधुमेह का खतरा: इस दौरान महिलाओं को डायबिटीज का खतरा बहुत ज्यादा होता है। जिन महिलाओं की उम्र 55 के बाद या फिर 46 से पहले आ जाते हैं, तो उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा सबसे अधिक होता है। इसके पीछे का कारण है एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी है, जो इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधक के लिए जिम्मेदार होते हैं। 
  • हृदय रोग: मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। इस दौरान शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने लगता है, जिसकी वजह से रक्त वाहिकाएं कमजोर होने लगती हैं। इसके कारण ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जिससे दिल की समस्याएं हो सकती हैं।
  • कमजोर हड्डियां (ऑस्टियोपोरोसिस): शरीर में एस्ट्रोजन की कमी के कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, जिससे उनमें फ्रैक्चर होने का खतरा भी अधिक हो जाता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। 
  • त्वचा और बालों में परिवर्तन: मेनोपॉज के बाद महिलाओं को अपनी त्वचा में ढीलापन महसूस होने लगता है। इसके अतिरिक्त बालों में पतलापन और टूट-फूट की समस्या भी होती है, जो एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट का कारण भी बन सकता है।
  • मूड स्विंग्स और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल परिवर्तनों के कारण महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे चिंता, डिप्रेशन और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। यह होना आम है।
  • बच्चेदानी संबंधित समस्याएं: मेनोपॉज के बाद कुछ महिलाओं को बच्चेदानी या अंडाशय में गांठ, कैंसर, या अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ रक्त हानि या योनि से असामान्य डिस्चार्ज होता है, तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। 
  • सामान्य रोग और संक्रमण: मेनोपॉज के बाद अक्सर महिलाओं को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTIs) और योनि संक्रमणों का सामना करना पड़ता है। 

यह तो कुछ सामान्य समस्याएं हैं। इसके अतिरिक्त कुछ और समस्याएं हैं, जो आपको मेनोपॉज के दौरान परेशान कर सकती हैं। इसलिए किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से मिलें और इलाज से सभी विकल्पों पर विचार करें। 

रजोनिवृत्ति के बाद स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज

रजोनिवृत्ति के बाद उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं दूर हो सकती हैं, लेकिन इसके लिए भी आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान देना होगा जैसे कि - 

  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT): HRT का उपयोग उन मामलों में होता है, जिनमें यह लक्षण उत्पन्न होते हैं - हॉट फ्लैश, योनि में सूखापन और हड्डियों के घनत्व में कमी। इस थेरेपी से शरीर के सभी हार्मोन में बैलेंस बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। 
  • नॉन-हार्मोनल दवाएं: जो महिलाएं HRT नहीं ले सकती हैं या नॉन-हार्मोनल विकल्प की तलाश मे होती हैं। इस स्थिति में एंटीडिप्रेसेंट, गबापेंटिन या क्लोनिडाइन जैसी दवाओं का उपयोग होता है। 
  • हड्डी के स्वास्थ्य का प्रबंधन: इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते हैं। सबसे प्रमुख हैं शरीर में कैल्शियम की कमी। इस दौरान कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक दी जाती है, जिसके साथ-साथ वजन उठाने वाले व्यायाम भी सुझाए जा सकते हैं। इनकी मदद से ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद मिल सकती है।
  • जीवनशैली में बदलाव: नियमित शारीरिक गतिविधि, संतुलित आहार और धूम्रपान एवं अत्यधिक शराब जैसे ट्रिगर से खुद को बचाएं। 
  • पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज: मूत्र में अनियमितता के लिए, पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज (कीगल एक्सरसाइज) मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।

इनके अतिरिक्त भी आपको या आपके घर में किसी भी महिला को समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो बिना झिझक आप हमसे मिलें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

क्या रजोनिवृत्ति के बाद गर्भधारण संभव है? 

मेनोपॉज वह स्थिति है, जिसके बाद फर्टिलिटी साइकिल का अंत हो जाता है, तो रजोनिवृत्ति के बाद गर्भधारण संभव नहीं है। यदि मेनोपॉज के पहले 12 महीनों में पीरियड आ जाते हैं तो गर्भधारण संभव रहता है।

रजोनिवृत्ति में क्या खाना चाहिए? 

रजोनिवृत्ति के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए कैल्शियम, विटामिन डी, लीन प्रोटीन और होल ग्रेन्स से भरपूर स्वस्थ आहार आवश्यक है। इसके साथ-साथ सोया उत्पाद, नट्स, बीज और पत्तेदार साग जैसे खाद्य पदार्थ हार्मोन संतुलन बनाए रखने और हड्डियों के स्वास्थ्य रखने में मदद कर सकते हैं। 

रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव के कारण? 

मेनोपॉज के बाद रक्त हानि कई कारणों से हो सकता है जैसे कि हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, पॉलीप्स, फाइब्रॉएड या एंडोमेट्रियल कैंसर।

रजोनिवृत्ति के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? 

महिलाओं को नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार, नियमित जांच (स्तन और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए) और तनाव प्रबंधन जैसे कारकों का खास ख्याल रखना होता है। धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।

क्या रजोनिवृत्ति के बाद कैल्शियम आवश्यक है? 

हां, हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कैल्शियम आवश्यक है। महिलाओं को प्रतिदिन 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए, जिसके लिए सप्लीमेंट्स के तौर पर विटामिन डी दिए जा सकते हैं। 

रजोनिवृत्ति के लक्षण कितने समय तक रहते हैं?

लक्षण कुछ महीनों से लेकर कई वर्षों तक रह सकते हैं। औसतन, महिलाओं को लगभग 4-5 वर्षों तक लक्षणों का अनुभव होता है, लेकिन कुछ को कम या अधिक समय के लिए भी हो सकता है।

क्या रजोनिवृत्ति के कारण स्तन में दर्द होता है?

रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव स्तन कोमलता या दर्द का कारण बन सकता है। हालांकि, अगर दर्द लगातार या गंभीर है, तो मूल्यांकन के लिए स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

Written and Verified by:

Dr. Archana Sinha

Dr. Archana Sinha

Consultant - Obstetrics and Gynaecology Exp: 23 Yr

Obstetrics & Gynaecology

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