प्रसव पीड़ा को कम करने के उपाय

प्रसव पीड़ा को कम करने के उपाय

Obstetrics and Gynaecology |by Dr. Tripti Dadhich| Published on 16/07/2024

प्रसव पीड़ा का दर्द मातृत्व के सुखद अनुभव के साथ जुड़ा होता है। यह दर्द बच्चेदानी के फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है। प्रसव पीड़ा हर महिला के लिए अलग होती है, क्योंकि इसका समय और तीव्रता सभी महिलाओं में अलग-अलग होती है। 

इस ब्लॉग में महिलाओं को प्रसव पीड़ा को कम करने के प्रभावी उपाय मिल जाएंगे। चलिए प्रसव पीड़ा के लक्षण के साथ इसे कम करने के उपायों के बारे में भी जानते हैं। 

प्रसव पीड़ा के लक्षण

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के गर्भ में एमनियोटिक द्रव से भरी एक थैली होती है, जो प्रसव पीड़ा के शुरू होने पर फट जाती है। इस थैली के फटने के बाद तुरंत प्रसूति विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त निम्न लक्षणों का अनुभव होते ही आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए - 

  • नियमित और तेज संकुचन होना: प्रसव के दौरान होने वाली संकुचन पेट के निचले भाग में शुरू होती है, जो धीरे-धीरे शुरू होती है और लगातार होती रहती है। कुछ मामलों में यह संकुचन पीठ तक भी फैल सकती है, जो कभी-कभी असहनीय भी हो सकती है। 
  • पेट के निचले हिस्से और पीठ में लगातार दर्द: प्रसव पीड़ा शुरु होने से पहले पेट के निचले भाग में लगातार और गंभीर दर्द होता है, जो शरीर को कहता है कि प्रसव का समय नजदीक है। 
  • एमनियोटिक थैली का फटना ("पानी का टूटना"): इस लक्षण के बारे में हमने पहले आपको बताया है। इसमें योनि से अचानक से तरल पदार्थ निकलने लगता है या ऐसा प्रतीत होता है कि यह निकल रहा है। ऐसी स्थिति में बिना डरे और तनाव में आए महिला को अस्पताल ले जाएं। 
  • योनि स्राव या रक्त (ब्लडी शो): कुछ मामलों में देखा गया है कि बच्चेदानी के फैलने से रक्त के जैसा बलगम निकलता है। यह दर्शाता है कि शरीर प्रसव के लिए स्वयं को तैयार कर रहा है। 
  • बढ़ा हुआ दबाव और शिशु का नीचे की ओर बढ़ना: इसमें जब बच्चा बर्थ कैनाल की तरफ आता है, तो महिलाओं को दबाव की एक स्पष्ट अनुभूति होती है। वहीं कुछ लोगों में प्रसव के दौरान जोर लगाने की इच्छा भी होती है।

प्रसव पीड़ा के अन्य लक्षण:

  • अचानक दस्त आना या दस्त जैसा महसूस होना
  • थकान और बेचैनी की भावना का लगातार बने रहना
  • प्रसव शुरू होने पर बेचैनी या बढ़ी हुई चिंता जैसे भावनात्मक बदलाव का आना

प्रसव पीड़ा कम करने के उपाय

प्रसव पीड़ा से राहत पाने के कई उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों का चयन प्रसव पीड़ा के चरण, मां और बच्चे के स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करता है। प्रसव के लिए व्यक्ति को हमेशा मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए। 

सबसे पहले तो आपको अपने बच्चे के जन्म से बिल्कुल नहीं डरना चाहिए। जितना आप शांत रहेंगे, उतना आपके और आपके बच्चे के लिए लाभकारी होगा। दर्द कम करने के लिए दवा आप डॉक्टर से दवा की मांग भी कर सकती हैं।

प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसके दर्द से निपटने के लिए दवाओं के अलावा भी कई तरीके हैं जिनको नीचे बताया गया है - 

  • स्ट्रेस से दूरी बनाएं।
  • जब भी ऐंठन हो, थोड़ा बहुत टहलने का प्रयास करें।
  • अपनी पेल्विक क्षेत्र को मजबूत रखने के लिए हिलने-डुलने वाले काम करती रहें।
  • बाथटब, स्विमिंग पूल या शावर में स्नान करके भी आराम पा सकते हैं।
  • अपने पति या किसी और से मालिश करवाएं।
  • अधिक बार मूत्र त्याग के लिए जाएं।
  • संगीत, टेलीविजन या ध्यान के माध्यम से अपने मन को दर्द और बाकी चीजों से भटकाने का प्रयास करें। 

प्रसव का सही समय

प्रसव का सही समय कभी भी निर्धारित नहीं होता है। 37 सप्ताह से पहले झिल्ली जितनी जल्दी फटती है, झिल्ली के फटने और प्रसव शुरू होने के बीच उतनी ही अधिक देरी होती है। यदि झिल्ली समय पर फट जाती है, लेकिन कुछ घंटों के भीतर प्रसव शुरू नहीं होता है, तो आमतौर पर संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए प्रसव को कराया जाता है। इस समय के भीतर प्रसव होना सुरक्षित माना जाता है। यदि ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई दें, तो यह संकेत है कि प्रसव का सही समय नजदीक है और आपको जयपुर में स्त्री रोग विशेषज्ञ या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

प्रसव पीड़ा की अवधि

हर महिला में प्रसव पीड़ा का समय अलग-अलग होता है। इस प्रश्न का उत्तर कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे - 

  • क्या यह आपका पहला बच्चा है?
  • क्या आपने पहले कंसीव किया है?
  • प्रेगनेंसी में कोई जोखिम या जटिलता तो उत्पन्न नहीं हुई?

आमतौर पर, पहले प्रसव का समय लगभग 12-14 घंटे के बीच होती है, जबकि इसके बाद के प्रसवों की अवधि सात घंटे या उससे भी कम भी हो सकती है। कुछ महिलाएं 24 घंटे या उससे अधिक समय के लिए भी प्रसव की स्थिति में रह सकती हैं, जबकि कुछ को केवल एक या फिर दो घंटे ही मिलते हैं। हालांकि, यह दोनों ही स्थितियां असामान्य है।

प्रसव के दौरान महिलाओं को शारीरिक और मानसिक सहायता की आवश्यकता होती है। इससे काफी मदद मिलती है। प्रयास करें कि इस दौरान आप हल्की-हल्की मालिश कराएं या फिर हल्के व्यायाम को अपनी जीवनशैली में जोड़ें। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न


प्रसव पीड़ा कैसे होती है?

प्रसव पीड़ा के दौरान बच्चेदानी की मांसपेशियां आपके बच्चे को बाहर निकालने के लिए बार-बार सिकुड़ती है। इस प्रक्रिया को संकुचन कहा जाता है। संकुचन अपने आप शुरू और बंद होता है, और इन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता है।

प्रसव पीड़ा क्या होती है?

प्रसव पीड़ा बच्चेदानी की एक प्रक्रिया होती है, जिसमें लगातार संकुचन होती है। प्रसव पीड़ा संकेत देता है कि अब संतान के जन्म लेने का समय नजदीक है।

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