प्रसव पीड़ा का दर्द मातृत्व के सुखद अनुभव के साथ जुड़ा होता है। यह दर्द बच्चेदानी के फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है। प्रसव पीड़ा हर महिला के लिए अलग होती है, क्योंकि इसका समय और तीव्रता सभी महिलाओं में अलग-अलग होती है।
प्रसव पीड़ा का दर्द मातृत्व के सुखद अनुभव के साथ जुड़ा होता है। यह दर्द बच्चेदानी के फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है। प्रसव पीड़ा हर महिला के लिए अलग होती है, क्योंकि इसका समय और तीव्रता सभी महिलाओं में अलग-अलग होती है।
इस ब्लॉग में महिलाओं को प्रसव पीड़ा को कम करने के प्रभावी उपाय मिल जाएंगे। चलिए प्रसव पीड़ा के लक्षण के साथ इसे कम करने के उपायों के बारे में भी जानते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के गर्भ में एमनियोटिक द्रव से भरी एक थैली होती है, जो प्रसव पीड़ा के शुरू होने पर फट जाती है। इस थैली के फटने के बाद तुरंत प्रसूति विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त निम्न लक्षणों का अनुभव होते ही आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -
प्रसव पीड़ा के अन्य लक्षण:
प्रसव पीड़ा से राहत पाने के कई उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों का चयन प्रसव पीड़ा के चरण, मां और बच्चे के स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करता है। प्रसव के लिए व्यक्ति को हमेशा मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए।
सबसे पहले तो आपको अपने बच्चे के जन्म से बिल्कुल नहीं डरना चाहिए। जितना आप शांत रहेंगे, उतना आपके और आपके बच्चे के लिए लाभकारी होगा। दर्द कम करने के लिए दवा आप डॉक्टर से दवा की मांग भी कर सकती हैं।
प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसके दर्द से निपटने के लिए दवाओं के अलावा भी कई तरीके हैं जिनको नीचे बताया गया है -
प्रसव का सही समय कभी भी निर्धारित नहीं होता है। 37 सप्ताह से पहले झिल्ली जितनी जल्दी फटती है, झिल्ली के फटने और प्रसव शुरू होने के बीच उतनी ही अधिक देरी होती है। यदि झिल्ली समय पर फट जाती है, लेकिन कुछ घंटों के भीतर प्रसव शुरू नहीं होता है, तो आमतौर पर संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए प्रसव को कराया जाता है। इस समय के भीतर प्रसव होना सुरक्षित माना जाता है। यदि ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई दें, तो यह संकेत है कि प्रसव का सही समय नजदीक है और आपको जयपुर में स्त्री रोग विशेषज्ञ या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
हर महिला में प्रसव पीड़ा का समय अलग-अलग होता है। इस प्रश्न का उत्तर कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे -
आमतौर पर, पहले प्रसव का समय लगभग 12-14 घंटे के बीच होती है, जबकि इसके बाद के प्रसवों की अवधि सात घंटे या उससे भी कम भी हो सकती है। कुछ महिलाएं 24 घंटे या उससे अधिक समय के लिए भी प्रसव की स्थिति में रह सकती हैं, जबकि कुछ को केवल एक या फिर दो घंटे ही मिलते हैं। हालांकि, यह दोनों ही स्थितियां असामान्य है।
प्रसव के दौरान महिलाओं को शारीरिक और मानसिक सहायता की आवश्यकता होती है। इससे काफी मदद मिलती है। प्रयास करें कि इस दौरान आप हल्की-हल्की मालिश कराएं या फिर हल्के व्यायाम को अपनी जीवनशैली में जोड़ें।
प्रसव पीड़ा के दौरान बच्चेदानी की मांसपेशियां आपके बच्चे को बाहर निकालने के लिए बार-बार सिकुड़ती है। इस प्रक्रिया को संकुचन कहा जाता है। संकुचन अपने आप शुरू और बंद होता है, और इन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता है।
प्रसव पीड़ा बच्चेदानी की एक प्रक्रिया होती है, जिसमें लगातार संकुचन होती है। प्रसव पीड़ा संकेत देता है कि अब संतान के जन्म लेने का समय नजदीक है।
Written and Verified by:
Dr. Tripti Dadhich is the Additional Director of Obstetrics & Gynaecology Dept. at CK Birla Hospital, Jaipur, with over 25 years of experience. She specializes in high-risk pregnancies, infertility treatments, and advanced gynecological surgeries.
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