पीसीओडी क्या है – कारण, लक्षण और उपचार
Home >Blogs >पीसीओडी क्या है – कारण, लक्षण और उपचार

पीसीओडी क्या है – कारण, लक्षण और उपचार

Table of Contents
  1. पीसीओडी क्या होता है?
  2. पीसीओडी के क्या लक्षण हैं?
  3. पीसीओडी के कारण
  4. पीसीओडी (PCOD) की जांच कैसे करें?
  5. पीसीओडी में आहार (Diet for PCOD)
  6. पीसीओडी समस्या का उपचार विकल्प
    1. मेडिकल और सर्जिकल विकल्प
    2. घरेलू उपचार और लाइफस्टाइल
    3. पीसीओडी का घरेलू उपचार 
  7. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
    1. पीसीओडी का इलाज क्या है?
    2. पीसीओडी को जड़ से खत्म कैसे करें?
    3. क्या पीसीओडी का इलाज संभव है?
    4. पीसीओडी किसे कहते हैं?
    5. पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?
    6. क्या पीसीओडी के साथ गर्भावस्था संभव है?
    7. पीसीओडी और पीसीओएस के बीच क्या अंतर है?
    8. क्या पीसीओडी से एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ता है?
    9. क्या PCOD वाली महिला को Ovarian Cyst भी हो सकता है?
    10. क्या पीसीओडी केवल अधिक वजन वाली महिलाओं को होता है?
    11. क्या पीसीओडी से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है?
    12. क्या पीसीओडी हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ाता है?

Summary

पीसीओडी महिलाओं में हार्मोन असंतुलन से होने वाली समस्या है, जिसमें अंडाशय में सिस्ट बनते हैं। इसके कारण अनियमित पीरियड्स, बालों का बढ़ना, वजन बढ़ना और गर्भधारण में दिक्कत हो सकती है। सही इलाज से नियंत्रण संभव है।

हार्मोन में असंतुलन के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पीसीओडी उन्हीं कई समस्याएं में से एक है। पीसीओडी या पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर वह स्थिति है, जिसमें महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन यानी एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। इस बढ़े हुए हार्मोन के कारण अंडाशय यानी ओवरी में सिस्ट का निर्माण होने लगता है। 

यदि आप पीसीओडी की समस्या के कारण, लक्षण, और घरेलू उपचार (Home remedies) के बारे में विस्तार से जानना चाहती हैं, तो इस ब्लॉग से आपको काफी मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त पीसीओडी के लक्षण दिखने पर तुरंत एक अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। 

पीसीओडी क्या होता है?

महिलाओं को कई समस्याएं परेशान करती हैं, जिसमें से पीसीओडी एक मुख्य समस्या है। पीसीओडी एक ऐसी समस्या है, जिसका प्रमुख कारण हार्मोन में असंतुलन है। हार्मोन में असंतुलन के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि मोटापा, अत्यधिक तैलीय भोजन एवं मसालेदार चीजों का सेवन करना, शराब-सिगरेट का अधिक सेवन और अन्य स्वास्थ्य समस्या का होना।

पीसीओडी के कारण महिला को अनेक स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि पीरियड्स का अनियमित होना, पीरियड्स नहीं आना, चेहरे पर बाल और मुंहासे का होना, पेल्विक क्षेत्र में दर्द होना और कुछ मामलों में महिला को गर्भधारण करने में दिक्कत आना यानी निःसंतानता। इसके साथ-साथ पीसीओडी में प्रेगनेंसी की भी समस्या हो सकती है। 

पीसीओडी के क्या लक्षण हैं?

पीसीओडी (PCOD) और पीसीओएस में शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर बदलाव दिख सकता है, और हर महिला के अनुभव अलग हो सकते हैं। कुछ लक्षण हल्के होते हैं, तो कई महिलाओं में ये लक्षण सालों तक बने रह सकते हैं या बढ़ सकते हैं - 

पीसीओडी के मुख्य लक्षणों में निम्न शामिल है - 

  • पीरियड्स का अनियमित होना: कभी बहुत कम, कभी बहुत अधिक, या पीरियड्स का न आना।
  • शरीर पर अतिरिक्त बाल आना: विशेषकर चेहरे, ठोड़ी, छाती, पेट और पीठ पर (हिर्सुटिज़्म)।
  • मुंहासे और त्वचा संबंधी समस्याएं: जिद्दी मुंहासे, खासकर मुंह, ठोड़ी और छाती पर त्वचा समस्या होना। त्वचा पर तेल भी अधिक आने लगता है।
  • बाल पतला होना और झड़ना: सिर के बाल पतले होते जाना या किसी बीमारी की तरह झड़ना।
  • वजन बढ़ाने या घटाने में मुश्किल: अधिकतर महिलाएं अचानक वजन बढ़ने या मोटापा कम करने में कठिनाई महसूस करती हैं।
  • पेल्विक क्षेत्र में दर्द: पीरियड्स के दौरान या कभी–कभी लगातार लोअर एब्डोमिन में पेन होना।
  • त्वचा का रंग बदलना: कंधों, गर्दन, ब्रेस्ट के नीचे या कमर पर काले या मोटे धब्बे (acanthosis nigricans) आना।
  • थकान, मूड बदलना और डिप्रेशन: ताज़ा रहने की क्षमता में कमी, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, चिंता, नींद में समस्या।
  • नपुंसकता/बांझपन: ओवुलेशन न होना या अनियमित ओव्यूलेशन से गर्भधारण में कठिनाई होना।
  • ब्लड प्रेशर में वृद्धि, सिरदर्द, नींद संबंधी समस्या, हाई कोलेस्ट्रॉल। यह अक्सर साथ दिखाई देते हैं।

इन सबके अतिरिक्त पीसीओडी से जूझ रही महिलाओं को ब्लड प्रेशर बढ़ने, नींद में समस्या और सिर में दर्द की समस्या आदि का भी सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, पीसीओडी से ग्रसित महिलाओं को गर्भधारण करने में भी दिक्कत आती है। यदि आपको पीडीओडी है और आप गर्भधारण करना चाहती हैं, तो आपको फर्टिलिटी एक्सपर्ट से मिलने की सलाह दी जाती है।

पीसीओडी के कारण

पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कई कारणों से एक महिला को परेशान करता है, जैसे कि मुख्य रूप से निष्क्रिय जीवन शैली, जेनेटिक फैक्टर, इंसुलिन रेजिस्टेंस, डाइट में पोषक तत्वों की कमी, अत्यधिक तनाव, अस्वस्थ्य होना, और खानपान में लापरवाही दिखाना आदि। पीसीओडी और पीसीओएस का कारण मुख्य रूप से हार्मोन असंतुलन है, लेकिन यह कई वजहों से हो सकता है जैसे कि - 

  • वजन बढ़ना यानी मोटापा होना।
  • किसी कारण पीरियड्स के समय में असंतुलन का होना।
  • कुछ मामलों में जेनेटिक कारण होना।
  • महिला की शरीर में इंसुलिन का स्तर अधिक होना।
  • सिगरेट, शराब या नशीली पदार्थों का सेवन करना।
  • डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर चीजें शामिल नहीं होना।

पीसीओडी के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि रात में देर तक जगना और फिर देर तक सोना, तनाव में रहना या हार्मोन संबंधित किसी समस्या से पीड़ित होना आदि। ऊपर दिए गए कारणों को ध्यान में रखकर, अगर कुछ सावधानियां बरती जाए, तो पीसीओडी का खतरा भी कम हो सकता है।

पीसीओडी (PCOD) की जांच कैसे करें?

पीसीओडी की पुष्टि करने के लिए निम्नलिखित जांच की आवश्यकता पड़ती है - 

  • सोनोग्राफी (Pelvic Ultrasound): ओवरी के भीतर छोटे-छोटे सिस्ट (फॉलिकल्स) की जांच करने के लिए और ओवरी के आकार को आसानी से देखने के लिए इस टेस्ट का सुझाव दिया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त कुछ हार्मोनल ब्लड टेस्ट भी होते हैं जिसमें निम्न तत्वों की जांच की जाती है - 
    • LH (ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन),
    • FSH (फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन),
    • एंड्रोजन/टेस्टोस्टेरोन लेवल,
    • इंसुलिन लेवल
    • थायराइड फंक्शन टेस्ट,
    • प्रोलैक्टिन।
  • ब्लड शुगर प्रोफाइल: डायबिटीज़ का जोखिम परखने के लिए खाना खाने से पहले और बाद में यह टेस्ट होता है। इसके अतिरिक्त HbA1c इस टेस्ट का सटीक परिणाम दे सकता है।
  • लिपिड प्रोफाइल: इस टेस्ट से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के सही स्तर की पुष्टि की जा सकती है।
  • शारीरिक जांच (Physical Examination): डॉक्टर द्वारा थायराइड, बाल, मुंहासे, वजन और त्वचा संबंधी बदलावों की जांच की जाती है।

कई मामलों में डॉक्टर डायग्नोसिस "रूल आउट" मेथड से करते हैं यानी अन्य संभावित बीमारियों को बाहर निकाल कर सही रोग की पुष्टि की जाती है। सही समय पर यह जांचें न सिर्फ तत्काल इलाज बल्कि भविष्य की जटिलताओं से भी बचाव में मददगार होती हैं।

पीसीओडी में आहार (Diet for PCOD)

पीसीओडी कंट्रोल करने में लाइफस्टाइल व Diet सबसे प्रभावी उपायों में आता है। सही आहार से वजन और हार्मोन दोनों मैनेज रहते हैं। चलिए एक प्रॉपर डाइट चार्ट का एक उदाहरण आपको देते हैं - 

समय

भोजन विकल्प

सुबह

गर्म पानी, स्प्राउट्स, फल

नाश्ता

ओट्स/दलिया, अंडा, टोस्ट

दोपहर

रोटी/ब्राउन राइस, हरी सब्जी, दही, सलाद

स्नैक

भुना चना, फ्रूट, ग्रीन टी

रात

हल्की रोटी/दलिया, दाल-सब्जी, सलाद

इस डाइट चार्ट को आप भी फॉलो कर सकते हैं, या फिर हमारे डाइटिशियन से मिल कर अपने स्वास्थ्य के आधार पर अपना डाइट प्लान बनवा सकते हैं। हालांकि कुछ पोषण संबंधी सलाह हैं, जिनका पालन आपको करना चाहिए जैसे कि - 

  • फाइबर/होल ग्रेन्स, प्रोटीन व पौधों से मिलने वाले प्रोटीन (legumes, pulses) को अपने आहार में शामिल करें।
  • मीठा, और बेवजह के कार्ब्स जैसे कि पोटैटो, सफेद ब्रेड आदि के सेवन से बचें।
  • डीप फ्राइड, प्रोसेस्ड फूड व बेकरी आइटम्स लिमिट या अवॉयड करें।
  • नियमित योग, हल्की वॉकिंग, और स्ट्रेचिंग करें।
  • कैफीन, सॉफ्ट ड्रिंक्स, धूम्रपान व शराब से पूर्ण परहेज़।
  • दवाओं के सेवन, डाइट व फिजिकल एक्टिविटी का तालमेल आपकी मदद कर सकता है। 
  • दिनभर खूब पानी पिएं।

लक्ष्य हेल्दी वेट और हार्मोन का संतुलन बनाकर लक्षणों को कम करने से आपको लाभ मिलेगा। डाइट का असर कई महिलाओं में कुछ महीनों में ही दिख सकता है ।

पीसीओडी समस्या का उपचार विकल्प

पीसीओडी के इलाज में कई प्रकार के विकल्पों का उपयोग हम करते हैं। चलिए सभी विकल्पों को एक-एक करके समझते हैं - 

मेडिकल और सर्जिकल विकल्प

  • हार्मोनल मेडिकेशन: पीरियड नियमित करने या ओव्यूलेशन सुधारने के लिए मेडिसिन जैसे कि जन्म नियंत्रण गोलियां, प्रोजेस्टेरौन, मेटफॉर्मिन आदि।
  • ओवुलेशन लाने वाली दवाएं: गर्भधारण के लिए क्लोमिफेन साइट्रेट, लेट्रोज़ोल जैसी दवाएं।
  • इंसुलिन सेंसेटाइजर: जैसे मेटफोर्मिन, अगर इंसुलिन रेजिस्टेंस समस्या हो।
  • सर्जरी: लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग जैसी प्रक्रियाएं तब जब अन्य विकल्प काम न करें।
  • फर्टिलिटी ट्रीटमेंट: PCOD के गंभीर मामलों में IVF, IUI आदि विकल्प भी आजमाए जाते हैं।

घरेलू उपचार और लाइफस्टाइल

  • नियमित व्यायाम/योग: फिटनेस व फैट लॉस के लिए, PCOD लक्षणों में राहत देता है।
  • डाइट कंट्रोल: पीसीओडी आहार को अपनाकर डाइट में सकारात्मक बदलाव करना।
  • तनाव प्रबंधन: मेडिटेशन, काउंसलिंग, रेगुलर स्लीप।
  • वजन नियंत्रित रखना: हेल्दी BMI लक्षणों को ठीक करता है और स्वस्थ वजन बनाए रखने से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न नहीं होती हैं।
  • धूम्रपान और शराब से बिल्कुल बचें: स्वास्थ्य और हार्मोन बैलेंस के लिए यह बहुत आवश्यक है।

पीसीओडी का घरेलू उपचार 

घरेलू नुस्खों से पीसीओडी का इलाज करने के लिए आपको सबसे पहले अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने का सुझाव दिया जाता है। घरेलू उपायों में निम्न शामिल हैं - 

  • समय पर सोना और जगना।
  • उन कामों में खुद को शामिल करना, जिससे आपको ख़ुशी मिले।
  • अत्याधिक तैलीय और मसालेदार चीजों के सेवन से बचना।
  • अपनी डाइट में अंडा, दही और पनीर को शामिल करना।
  • मीठी चीजों को अपनी डाइट में कम करना।
  • हरी पत्तेदार सब्जियों, गाजर, मूली, चुकंदर और ताजे फलों का सेवन करना।

जीवनशैली में सुधार करने और घरेलू नुस्खों का प्रयोग करने के बाद भी जब कोई फायदा न हो तो डॉक्टर उपचार के दूसरे विकल्पों का सुझाव देते हैं, जिनके बारे में हमने आपको ऊपर बताया है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पीसीओडी का इलाज क्या है?

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि पीसीओडी का इलाज करने के लिए शुरुआत में डॉक्टर महिला को अपनी जीवनशैली में कुछ ख़ास और सकारात्मक बदलाव लाने का सुझाव देते हैं। लेकिन जब इन सबसे कोई फायदा नहीं होता है, तो आवश्यक दवाएं निर्धारित की जाती हैं।

पीसीओडी को जड़ से खत्म कैसे करें?

विशेषज्ञ का ऐसा मानना है कि पीसीओडी को जड़ से ख़त्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव, स्वस्थ डाइट, नियमित व्यायाम और मेडिटेशन तथा कुछ ख़ास दवाओं की मदद से इसके लक्षणों को मैनेज यानी कंट्रोल किया जा सकता है।

क्या पीसीओडी का इलाज संभव है?

सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि पीसीओडी का प्रबंधन संभव है। इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन लक्षणों पर कार्य करके व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। स्वस्थ आहार, दवाएं और जीवनशैली में बदलाव इस स्थिति को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं। 

पीसीओडी किसे कहते हैं?

पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इस स्थिति में अंडाशय पर कई छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं जो मुख्य रूप से हार्मोन के असंतुलन के कारण होते हैं। इसके कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि अनियमित पीरियड्स, मुंहासे, बालों का बढ़ना और मोटापा इत्यादि।

पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?

पीसीओडी के इलाज का कोई निश्चित समय नहीं है। हालांकि इस स्थिति का इलाज धीरे - धीरे ही होता है। इलाज के साथ-साथ लक्षण भी कम होने लगते हैं। पीसीओडी के लक्षण दिखने पर तुरंत एक अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें।

क्या पीसीओडी के साथ गर्भावस्था संभव है?

जी हाँ, लाइफस्टाइल और ट्रीटमेंट के साथ पीसीओडी में भी गर्भधारण संभव है। टाइम लगेगा, लेकिन फर्टिलिटी एक्सपर्ट इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।

पीसीओडी और पीसीओएस के बीच क्या अंतर है?

पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) मुख्य रूप से ओवरी से जुड़ा डिसऑर्डर है जिसमें अंडाशय (Ovary) पर छोटे सिस्ट बनते हैं और एंड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जबकि पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) सिर्फ ओवरी तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक मेटाबोलिक सिंड्रोम है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन के साथ इंसुलिन रेजिस्टेंस, मोटापा, डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी ज्यादा होता है।

क्या पीसीओडी से एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ता है?

लंबे समय तक अनियमित पीरियड्स रहने पर एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

क्या PCOD वाली महिला को Ovarian Cyst भी हो सकता है?

हां, ओवरी में मल्टीपल और सिंपल सिस्ट बन सकते हैं, निरीक्षण और इलाज जरूरी है।

क्या पीसीओडी केवल अधिक वजन वाली महिलाओं को होता है?

नहीं, यह पतली महिलाओं में भी यह हो सकता है।

क्या पीसीओडी से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है?

दिमाग में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ने से डायबिटीज का जोखिम अधिक रहता है।

क्या पीसीओडी हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ाता है?

हाँ, पीसीओडी के कारण लंबे समय में हृदय रोग, हाई बीपी का खतरा बढ़ जाता है।

Written and Verified by:

Dr. Namrata Gupta

Dr. Namrata Gupta

Senior Consultant Exp: 17 Yr

Obstetrics & Gynaecology

Book an Appointment

MS in Obstetrics & Gynecology, Dr. Namrata Gupta has a decade long exhaustive clinical experience in the subject. She is a dedicated specialist proficient in managing high risk obstetrics, medical disorders in pregnancy, conducting operative as well painless deliveries. Her areas of interest include advanced laparoscopic gynaecological surgeries, preconceptional counseling, management of recurrent pregnancy loss and guidance to adolescent and post-menopausal women regarding health issues. She has been awarded prestigious fellow of Association of Minimal Access Surgeon of India FMAS and has taken special training in Critical Care in obstetrics from Safdarjung Hospital Delhi. She has presented several papers in national and international conferences and is member of prestigious medical associations. She has part in FOGSI National Guidelines for labour Induction and Management. Her objective as medical professional is delivering latest technology, highest skill and humble services to obstetric and gynaecology patients. 

Related Diseases & Treatments

Treatments in Jaipur

Obstetrics and Gynaecology Doctors in Jaipur

NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now