पीसीओडी महिलाओं में हार्मोन असंतुलन से होने वाली समस्या है, जिसमें अंडाशय में सिस्ट बनते हैं। इसके कारण अनियमित पीरियड्स, बालों का बढ़ना, वजन बढ़ना और गर्भधारण में दिक्कत हो सकती है। सही इलाज से नियंत्रण संभव है।
हार्मोन में असंतुलन के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पीसीओडी उन्हीं कई समस्याएं में से एक है। पीसीओडी या पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर वह स्थिति है, जिसमें महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन यानी एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। इस बढ़े हुए हार्मोन के कारण अंडाशय यानी ओवरी में सिस्ट का निर्माण होने लगता है।
यदि आप पीसीओडी की समस्या के कारण, लक्षण, और घरेलू उपचार (Home remedies) के बारे में विस्तार से जानना चाहती हैं, तो इस ब्लॉग से आपको काफी मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त पीसीओडी के लक्षण दिखने पर तुरंत एक अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
महिलाओं को कई समस्याएं परेशान करती हैं, जिसमें से पीसीओडी एक मुख्य समस्या है। पीसीओडी एक ऐसी समस्या है, जिसका प्रमुख कारण हार्मोन में असंतुलन है। हार्मोन में असंतुलन के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि मोटापा, अत्यधिक तैलीय भोजन एवं मसालेदार चीजों का सेवन करना, शराब-सिगरेट का अधिक सेवन और अन्य स्वास्थ्य समस्या का होना।
पीसीओडी के कारण महिला को अनेक स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि पीरियड्स का अनियमित होना, पीरियड्स नहीं आना, चेहरे पर बाल और मुंहासे का होना, पेल्विक क्षेत्र में दर्द होना और कुछ मामलों में महिला को गर्भधारण करने में दिक्कत आना यानी निःसंतानता। इसके साथ-साथ पीसीओडी में प्रेगनेंसी की भी समस्या हो सकती है।
पीसीओडी (PCOD) और पीसीओएस में शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर बदलाव दिख सकता है, और हर महिला के अनुभव अलग हो सकते हैं। कुछ लक्षण हल्के होते हैं, तो कई महिलाओं में ये लक्षण सालों तक बने रह सकते हैं या बढ़ सकते हैं -
पीसीओडी के मुख्य लक्षणों में निम्न शामिल है -
इन सबके अतिरिक्त पीसीओडी से जूझ रही महिलाओं को ब्लड प्रेशर बढ़ने, नींद में समस्या और सिर में दर्द की समस्या आदि का भी सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, पीसीओडी से ग्रसित महिलाओं को गर्भधारण करने में भी दिक्कत आती है। यदि आपको पीडीओडी है और आप गर्भधारण करना चाहती हैं, तो आपको फर्टिलिटी एक्सपर्ट से मिलने की सलाह दी जाती है।
पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कई कारणों से एक महिला को परेशान करता है, जैसे कि मुख्य रूप से निष्क्रिय जीवन शैली, जेनेटिक फैक्टर, इंसुलिन रेजिस्टेंस, डाइट में पोषक तत्वों की कमी, अत्यधिक तनाव, अस्वस्थ्य होना, और खानपान में लापरवाही दिखाना आदि। पीसीओडी और पीसीओएस का कारण मुख्य रूप से हार्मोन असंतुलन है, लेकिन यह कई वजहों से हो सकता है जैसे कि -
पीसीओडी के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि रात में देर तक जगना और फिर देर तक सोना, तनाव में रहना या हार्मोन संबंधित किसी समस्या से पीड़ित होना आदि। ऊपर दिए गए कारणों को ध्यान में रखकर, अगर कुछ सावधानियां बरती जाए, तो पीसीओडी का खतरा भी कम हो सकता है।
पीसीओडी की पुष्टि करने के लिए निम्नलिखित जांच की आवश्यकता पड़ती है -
कई मामलों में डॉक्टर डायग्नोसिस "रूल आउट" मेथड से करते हैं यानी अन्य संभावित बीमारियों को बाहर निकाल कर सही रोग की पुष्टि की जाती है। सही समय पर यह जांचें न सिर्फ तत्काल इलाज बल्कि भविष्य की जटिलताओं से भी बचाव में मददगार होती हैं।
पीसीओडी कंट्रोल करने में लाइफस्टाइल व Diet सबसे प्रभावी उपायों में आता है। सही आहार से वजन और हार्मोन दोनों मैनेज रहते हैं। चलिए एक प्रॉपर डाइट चार्ट का एक उदाहरण आपको देते हैं -
समय |
भोजन विकल्प |
सुबह |
गर्म पानी, स्प्राउट्स, फल |
नाश्ता |
ओट्स/दलिया, अंडा, टोस्ट |
दोपहर |
रोटी/ब्राउन राइस, हरी सब्जी, दही, सलाद |
स्नैक |
भुना चना, फ्रूट, ग्रीन टी |
रात |
हल्की रोटी/दलिया, दाल-सब्जी, सलाद |
इस डाइट चार्ट को आप भी फॉलो कर सकते हैं, या फिर हमारे डाइटिशियन से मिल कर अपने स्वास्थ्य के आधार पर अपना डाइट प्लान बनवा सकते हैं। हालांकि कुछ पोषण संबंधी सलाह हैं, जिनका पालन आपको करना चाहिए जैसे कि -
लक्ष्य हेल्दी वेट और हार्मोन का संतुलन बनाकर लक्षणों को कम करने से आपको लाभ मिलेगा। डाइट का असर कई महिलाओं में कुछ महीनों में ही दिख सकता है ।
पीसीओडी के इलाज में कई प्रकार के विकल्पों का उपयोग हम करते हैं। चलिए सभी विकल्पों को एक-एक करके समझते हैं -
घरेलू नुस्खों से पीसीओडी का इलाज करने के लिए आपको सबसे पहले अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने का सुझाव दिया जाता है। घरेलू उपायों में निम्न शामिल हैं -
जीवनशैली में सुधार करने और घरेलू नुस्खों का प्रयोग करने के बाद भी जब कोई फायदा न हो तो डॉक्टर उपचार के दूसरे विकल्पों का सुझाव देते हैं, जिनके बारे में हमने आपको ऊपर बताया है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।
जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि पीसीओडी का इलाज करने के लिए शुरुआत में डॉक्टर महिला को अपनी जीवनशैली में कुछ ख़ास और सकारात्मक बदलाव लाने का सुझाव देते हैं। लेकिन जब इन सबसे कोई फायदा नहीं होता है, तो आवश्यक दवाएं निर्धारित की जाती हैं।
विशेषज्ञ का ऐसा मानना है कि पीसीओडी को जड़ से ख़त्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव, स्वस्थ डाइट, नियमित व्यायाम और मेडिटेशन तथा कुछ ख़ास दवाओं की मदद से इसके लक्षणों को मैनेज यानी कंट्रोल किया जा सकता है।
सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि पीसीओडी का प्रबंधन संभव है। इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन लक्षणों पर कार्य करके व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। स्वस्थ आहार, दवाएं और जीवनशैली में बदलाव इस स्थिति को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं।
पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इस स्थिति में अंडाशय पर कई छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं जो मुख्य रूप से हार्मोन के असंतुलन के कारण होते हैं। इसके कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि अनियमित पीरियड्स, मुंहासे, बालों का बढ़ना और मोटापा इत्यादि।
पीसीओडी के इलाज का कोई निश्चित समय नहीं है। हालांकि इस स्थिति का इलाज धीरे - धीरे ही होता है। इलाज के साथ-साथ लक्षण भी कम होने लगते हैं। पीसीओडी के लक्षण दिखने पर तुरंत एक अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें।
जी हाँ, लाइफस्टाइल और ट्रीटमेंट के साथ पीसीओडी में भी गर्भधारण संभव है। टाइम लगेगा, लेकिन फर्टिलिटी एक्सपर्ट इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) मुख्य रूप से ओवरी से जुड़ा डिसऑर्डर है जिसमें अंडाशय (Ovary) पर छोटे सिस्ट बनते हैं और एंड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जबकि पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) सिर्फ ओवरी तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक मेटाबोलिक सिंड्रोम है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन के साथ इंसुलिन रेजिस्टेंस, मोटापा, डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी ज्यादा होता है।
लंबे समय तक अनियमित पीरियड्स रहने पर एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
हां, ओवरी में मल्टीपल और सिंपल सिस्ट बन सकते हैं, निरीक्षण और इलाज जरूरी है।
नहीं, यह पतली महिलाओं में भी यह हो सकता है।
दिमाग में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ने से डायबिटीज का जोखिम अधिक रहता है।
हाँ, पीसीओडी के कारण लंबे समय में हृदय रोग, हाई बीपी का खतरा बढ़ जाता है।
Written and Verified by:
Dr. Namrata Gupta is a Senior Consultant of Obstetrician & Gynaecologist Dept. at CK Birla Hospital, Jaipur, with over 17 years of experience. She specializes in high-risk obstetrics, painless delivery, advanced laparoscopic surgeries, and infertility treatments.
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