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पीसीओडी के कारण, लक्षण और उपचार

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पीसीओडी के कारण, लक्षण और उपचार

Obstetrics and Gynaecology | by Dr. Parnamita Bhattacharya | Published on 09/05/2023



PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) और PCOD (Polycystic Ovary Disease) दो शब्द हैं जो अक्सर एक दूसरे के समानार्थक रूप से प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन वे बिल्कुल एक जैसे नहीं हैं। 

पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के अंडाशय में कई छोटी सिस्ट होते हैं, जो अनियमित मासिक धर्म, अंडाशय की आकार में वृद्धि और हार्मोनल विकार का कारण बनते हैं। यह एक पुरानी शब्दावली है जो आजकल ज्यादा प्रयोग नहीं होता है। दूसरी तरफ, PCOS एक व्यापक शब्द है जो प्रायः महिलाओं के हार्मोनल विकारों को बताता है। PCOS में कई लक्षण होते हैं, जैसे अनियमित मासिक धर्म, एंड्रोजेन के उच्च स्तर और अंडाशयों का बढ़ा हुआ आकार, वजन बढ़ना, मुँहासे, अत्यधिक बालों का बढ़ना और इंसुलिन प्रतिरोध शामिल हैं।

पीसीओडी को नियंत्रित करने के लिए बहुत से उपाय होते हैं। परन्तु इससे पहले, यह महत्वपूर्ण है कि हम पीसीओडी के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में अधिक जानें।

पीसीओडी क्या है?(What is PCOD?)

पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं के अंडाशय में अनेक सिस्ट बन जाते हैं। यह एक आम समस्या है जो दर्द, अनियमित मासिक धर्म, बालों की अधिक वृद्धि और गर्भाधान में समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। समय रहते इस समस्या का पता चलते ही उसका इलाज कराना जरूरी होता है। पीसीओडी की जांच करवानी चाहिए और डॉक्टर से उपचार की अधिक जानकारी लेनी चाहिए।

पीसीओडी के कारण / पीसीओडी क्यों होता है?

पीसीओडी समस्या के कई कारण हो सकतें हैं। आइए यहां पीसीओडी के कुछ प्रमुख कारणों के बारे में जानें।

  1. हार्मोनल असंतुलन: प्राकृतिक रूप से महिलाओं के शरीर में उत्तेजक और निरोधक हार्मोन होते हैं जो मासिक धर्म नियंत्रित करते हैं। पीसीओडी में इन हार्मोनों में असंतुलन होता है, जिससे अंडाशय में गोलियां बनती हैं और मासिक धर्म अनियमित हो जाते हैं। 
  2. जीवन शैली: अनियमित खान-पान, नियमित व्यायाम न करना, रोजमर्रा की तनावपूर्ण जिंदगी, अत्यधिक तनाव और नींद की कमी जैसी विभिन्न जीवन शैली से संबंधित तत्व पीसीओडी में असंतुलन को बढ़ावा देते हैं। वजन का बढ़ जाना भी पीसीओडी को बढ़ावा दे सकता है।
  3. गलत खान-पान: असंतुलित खान-पान और खुराक के कारण पीसीओडी होने की संभावना बढ़ जाती है। जब आप बेहतर खान-पान करते हैं, तो इससे हार्मोन्स पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  4. अत्यधिक तनाव: अत्यधिक तनाव भी इस समस्या का मुख्य कारण हो सकता है।

       5.अन्य समस्याएं: थायराइड रोग और डायबिटीज जैसी समस्याएं भी पीसीओडी को बढ़ावा देती हैं।

पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD)

पीसीओडी के समय महिलाओं में अलग-अलग तरह के लक्षण होते हैं। इन लक्षणों की संख्या और भारतीय महिलाओं में इनकी संभावना अलग-अलग होती है।

नीचे पीसीओडी के कुछ महत्वपूर्ण लक्षणों का उल्लेख किया गया है:

  1. ब्लीडिंग - पीसीओडी के दौरान महिला के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं जिसके कारण उन्हें अत्याधिक या कम मात्रा में ब्लीडिंग होती है। इसके कारण उन्हें अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  2. पेट में दर्द - पीसीओडी(PCOD) के समय महिलाओं में असहनीय पेट दर्द होता है। यह दर्द कभी-कभी इतना तीव्र होता है कि महिलाओं को सामान्य गतिविधियों को भी संभालने में मुश्किल हो सकती हैं। इसके अलावा, बुखार, मतली, उल्टी और दस्त जैसी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
  3. अनियमित मासिक धर्म - महिलाओं में पीसीओडी के लक्षणों में से एक अनियमित मासिक धर्म भी होता है।
  4. अधिक वजन - पीसीओडी में महिलाओं का वज़न बढ़ सकता है। यह अधिक खुराक खाने, आलसी रहने, असंतुलित भोजन और शारीरिक गतिविधियां कम करने के कारण हो सकता है। 

पीसीओडी का निदान कैसे किया जाता है?

पीसीओडी का निदान एक पूर्ण चिकित्सा जांच के द्वारा किया जा सकता है। प्रारंभिक जांच में, एक चिकित्सक समस्या के लक्षणों, रोग के इतिहास और फैमिली के रोग इतिहास के आधार पर मरीज का पूरा मापदंड अधिकारिक रूप से निर्धारित करता है।

नीचे उल्लिखित कुछ आवश्यक जांच की विधियां हैं जो पीसीओडी का निदान करने में मदद करती है:

  • सामान्य जांच - चिकित्सक महिला के मासिक धर्म के बारे में पूछता है, जिसमें उन्हें अनियमित मासिक धर्म के बारे में बताना हो सकता है।
  • सोनोग्राफी जांच - यह एक संभव तरीका है जिसके द्वारा पीसीओडी का निदान किया जा सकता है। सोनोग्राफी के द्वारा, चिकित्सक उनके ओवरीज की स्थिति और समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
  • हॉर्मोन परीक्षण - चिकित्सक रक्त या मूत्र के एक नमूने का अध्ययन करते हुए, महिलाओं के शरीर में हार्मोन के स्तर की जांच करते हैं।
  • लैब टेस्ट - चिकित्सक पीसीओडी के निदान के लिए विभिन्न लैब टेस्ट करवाते हैं। ये सभी टेस्ट मासिक धर्म से संबंधित मुद्दों को पता लगाने में मदद करते हैं।

पीसीओडी का घरेलू उपचार

घरेलू उपचार भी कई बार पीसीओडी के इलाज में लाभदायक साबित होते हैं। पीसीओडी के कुछ घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं:

  1. सुबह उठकर व्यायाम करें: योग या दौड़ने जैसे अभ्यास आपके शरीर को तंदुरुस्त और सक्रिय रखने में मदद कर सकते हैं। इससे पीसीओडी के लक्षणों में भी सुधार हो सकता है।
  2. अदरक का उपयोग करें: अदरक एक अच्छी गुणवत्ता वाली औषधि है जो पीसीओडी के दर्द को कम करने में मदद करती है। इसे ताजा अदरक के रस या अदरक की चाय के रूप में ले सकते हैं।
  3. ताजगी देने वाले फल और सब्जियां खाएं: प्रतिदिन फल और सब्जियां खाना पीसीओडी में सहायक हो सकता है। वे आपके शरीर को पोषण प्रदान करते हैं और पीसीओडी के लक्षणों से राहत दिलाते हैं।
  4. घरेलू उपचार: पानी में नींबू का रस या गुड़हल की चाय पीसीओडी के लक्षणों से राहत दिला सकती है।
  5. अंजीर खाएं: अंजीर में विटामिन बी6, फोलिक एसिड और एक्सपेक्टोरंट होते हैं जो पीसीओडी के लक्षणों से निजात प्रदान कर सकते हैं।

पीसीओडी एक सामान्य हार्मोनल विकार है जो दुनिया भर में कई महिलाओं को प्रभावित करता है। इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं और समय रहते उपचार से इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार भी पीसीओडी के लक्षणों को नियंत्रित करने और स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं।

सामान्य प्रश्नोत्तर

 

 पीसीओडी में क्या नहीं खाना चाहिए?

पीसीओडी में जिन चीजों से बचना चाहिए वे हैं कॉफीन युक्त पेय, तला हुआ खाना, तल्ख खाद्य पदार्थ, ज्यादा मात्रा में शक्कर और मीठा, आदि।

 क्या पीसीओडी का इलाज संभव है?

हां, पीसीओडी का इलाज संभव है। इसके लिए कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं जो इस रोग के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

 पीसीओडी से क्या प्रॉब्लम होती है?

पीसीओडी से पेट में दर्द और तकलीफ होती है, जो मासिक धर्म के दौरान रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा डालती है।

 पीसीओडी कैसे होता है?

पीसीओडी हॉर्मोनल असंतुलन के कारण होता है, जिसमें एक विशेष हॉर्मोन नामक प्रदर्शक अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है।

 क्या पीसीओडी में प्रेग्नेंट हो सकते हैं?

हां यह संभव है। पीसीओडी के दौरान भी गर्भधारण हो सकता है। 

 पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?

पीसीओडी आमतौर पर 3 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं को इससे अधिक समय लगता है जो असामान्य नहीं होता है।