पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के अंडाशय में कई छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, जो अनियमित पीरियड्स, अंडाशय के आकार में वृद्धि और हार्मोनल विकार का कारण बनते हैं।
पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) और पीसीओडी (Polycystic Ovary Disease) दो ऐसे शब्द हैं, जो अक्सर एक दूसरे के समानार्थक रूप से प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन दोनों में कुछ अंतर है।
पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के अंडाशय में कई छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, जो अनियमित पीरियड्स, अंडाशय के आकार में वृद्धि और हार्मोनल विकार का कारण बनते हैं। वहीं दूसरी तरफ, पीसीओएस एक व्यापक शब्द है, जो प्रायः महिलाओं के हार्मोनल विकार को दर्शाते हैं। पीसीओएस में कई लक्षण उत्पन्न होते हैं, जैसे कि - अनियमित पीरियड्स, एंड्रोजेन के उच्च स्तर और अंडाशयों का बढ़ा हुआ आकार, वजन बढ़ना, मुंहासे, अत्यधिक बालों का बढ़ना और इंसुलिन प्रतिरोध। इस संबंध में किसी भी प्रकार की सहायता के लिए तुरंत एक अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के अंडाशय में अनेक सिस्ट का निर्माण होता है। यह एक आम समस्या है, जिसके कारण दर्द, अनियमित पीरियड्स, बालों की अधिक वृद्धि और गर्भाधान में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। लक्षणों के दिखते ही पीसीओडी की जांच करानी चाहिए और डॉक्टर से इलाज के बारे में अधिक जानकारी लेनी चाहिए। कोलकाता के सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेने के लिए अभी अपॉइंटमेंट बुक करें।
पीसीओडी समस्या के कई कारण हो सकते हैं। आइए यहां पीसीओडी के कुछ प्रमुख कारणों के बारे में जानते हैं -
पीसीओडी के समय के दौरान महिलाओं में अलग-अलग प्रकार के लक्षणों का अनुभव होता है। नीचे पीसीओडी के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण दिए गए हैं -
पीसीओडी की जांच की शुरुआत परामर्श से ही होती है। प्रारंभिक जांच में, डॉक्टर समस्या के लक्षणों और पीसीओडी की फैमिली हिस्ट्री के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। नीचे कुछ आवश्यक जांच की विधियां के बारे में बताया गया है, जिसकी मदद से पीसीओडी की जांच हो सकती है जैसे कि -
घरेलू उपचार भी कई बार पीसीओडी के इलाज में लाभदायक साबित हो सकते हैं। पीसीओडी के कुछ प्रभावी घरेलू उपचारों को नीचे बताया गया है -
इस स्थिति के इलाज के लिए सबसे पहले जीवनशैली में बदलाव जरूरी है, जिसके बारे में हमने आपको ऊपर भी बताया है। इसके साथ-साथ व्यायाम करें, संतुलित आहार लें, वज़न पर नियंत्रण रखें और डॉक्टर से नियमित जांच कराएं। यदि इन सबके बाद भी पीरियड्स नियमित न हो तो दवाओं के रूप में हॉर्मोन की दवाएं भी दी जा सकती हैं।
पीसीओडी एक सामान्य हार्मोनल विकार है, जो दुनिया भर की महिलाओं को प्रभावित करती हैं। इसके लक्षण अलग-अलग हो सकती हैं, और समय रहते उपचार से इस स्थिति को नियंत्रित भी किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार भी पीसीओडी के लक्षणों को नियंत्रित करने और स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं। जैसे ही पीसीओडी की समस्या में सुधार होगा, पीरियड आ जाएंगे।
पीसीओडी में जिन चीजों से बचना चाहिए वह है कॉफीन युक्त पेय पदार्थ, तला हुआ भोजन, ज्यादा मात्रा में शक्कर और मीठा, आदि।
हां, पीसीओडी का इलाज संभव है। इसके लिए कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं, जो इस रोग के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
पीसीओडी से पेट में दर्द और तकलीफ होती है, जो पीरियड्स के दौरान रोजाना की गतिविधियों में बाधा डाल सकते हैं।
पीसीओडी हॉर्मोनल असंतुलन के कारण होता है, जिसमें एक विशेष हॉर्मोन नामक प्रदर्शक अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है।
पीसीओडी आमतौर पर 3 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं को इससे अधिक समय लगता है, जो असामान्य नहीं होता है।
जी हां, पीसीओडी में प्रेगनेंसी संभव है। यदि पीसीओडी के दौरान पीरियड्स साइकिल सामान्य है, और सोनोग्राफी में ओव्यूलेशन के संकेत दिखते हैं, तो प्रेगनेंसी संभव है। इसके लिए डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।
Written and Verified by:
Similar Obstetrics and Gynaecology Blogs
Book Your Appointment TODAY
© 2024 CMRI Kolkata. All Rights Reserved.