कोलोरेक्टल कैंसर के लिए शल्य तकनीकों में प्रगति

कोलोरेक्टल कैंसर के लिए शल्य तकनीकों में प्रगति

Gastro Sciences |by Dr. Sanjay De Bakshi| Published on 06/08/2024

सबसे पहले यह समझ लें कि कोलोरेक्टल कैंसर एक सामान्य प्रकार का कैंसर है, जिसका इलाज तभी संभव है जब इसका समय पर निदान हो जाए। कोलोरेक्टल कैंसर को कोलन कैंसर, आंत्र कैंसर या रेक्टल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है, जो मुख्य रूप से बड़ी आंत में कोलन को प्रभावित करता है। इस स्थिति की शुरुआत में कैंसर की पुष्टि नहीं होती है, लेकिन धीरे-धीरे यह गांठ पॉलीप्स का रूप ले लेती है, जो कोलन कैंसर में विकसित हो जाती है।

अगर शुरुआत में ही इसका निदान हो जाए, तो कैंसर की समस्या विकसित नहीं होती है और इसका इलाज भी संभव है। इसलिए, यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसे रोकने के लिए नियमित जांच और सही समय पर नवीनतम उपचार की आवश्यकता होती है, जिसके लिए आपको अनुभवी गेस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है।

कोलोरेक्टल कैंसर क्या है?

कोलोरेक्टल कैंसर दो अंगों के कैंसर का समूह है। जब कैंसर आंत (Colon) और मलाशय (rectal) को एक साथ प्रभावित करता है, तो उसे कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है। यह कैंसर मलाशय से शुरू होता है और बड़ी आंत कर फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कोलोरेक्टल कैंसर फेफड़ों के कैंसर के बाद दुनिया भर होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। 

अधिकतर मामलों में कोलोरेक्टल कैंसर के होने का कारण एडिनोमेटस पॉलिप्स (adenomatous polyps) है जो कि छोटे और कैंसर युक्त गांठ होती हैं। समय के साथ इनमें से कुछ पॉलिप्स कोलोरेक्टल कैंसर का कारण बन जाते हैं। यह कैंसर धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरुआती चरणों में इसके कोई भी लक्षण नहीं दिखते हैं। यही कारण है कि नियमित स्क्रीनिंग बहुत महत्वपूर्ण है।

कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण

कोलोरेक्टल कैंसर की स्थिति में रोगी को निम्न लक्षणों का अनुभव हो सकता है - 

  • मल में रक्त आना।
  • मल में बदलाव होना। 
  • पेट में दर्द या ऐंठन।
  • कब्ज या दस्त की समस्या जो लगातार बनी रहे।
  • थकान महसूस होना।
  • बिना कारण वजन कम होना। 

इन लक्षणों के दिखाने के बाद तुरंत एक अच्छे ऐनल रोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है। वह स्थिति का आकलन कर तुरंत सर्वश्रेष्ठ इलाज प्रदान करने में माहिर होते हैं।

कोलोरेक्टल कैंसर के कारण

वर्तमान में अभी भी रिसर्च चल रही है कि कोलोरेक्टल कैंसर किस समस्या के कारण एक व्यक्ति को परेशान करता है। हालांकि कुछ जोखिम कारक है, जिसके बारे में विशेषज्ञ पुष्टि करते हैं कि उनकी वजह से स्थिति विकराल रूप ले सकती है जैसे कि - 

  • 50 साल से अधिक उम्र होना।
  • कोलोरेक्टल कैंसर या पॉलीप्स की फैमिली हिस्ट्री होना।
  • सूजन से संबंधित आंत रोग।
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग जैसे क्रोनिक रोग।
  • कैंसर की फैमिली हिस्ट्री।
  • शरीर में कम फाइबर की मात्रा होना। 
  • अस्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करना।
  • मधुमेह या मोटापा
  • अत्यधिक धूम्रपान करना या मादक पदार्थ का अधिक सेवन।
  • पहले से कैंसर के लिए रेडिएशन थेरेपी करवाने वाले व्यक्ति।

कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार

कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसी प्रक्रियाएं शामिल है। जिनके बारे में हम आपको बताएंगे। सर्जरी कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार का सबसे आम तरीका है और वर्तमान समय में कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार के लिए बहुत सारी आधुनिक तकनीक का प्रयोग होने लगा है। 

पिछले कुछ वर्षों में कोलोरेक्टल कैंसर की सर्जरी में कई महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इन प्रगतियां ने सर्जरी को कम आक्रामक, अधिक सटीक और अधिक प्रभावी बना दिया है। चलिए कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार में उपयोग होने वाली सभी आधुनिक सर्जरी के बारे में जानते हैं - 

  • लैपरोस्कोपिक सर्जरी: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक आधुनिक सर्जरी है, जिसमें छोटे चीरों के माध्यम से सर्जिकल उपकरणों और एक कैमरे को डालकर सर्जरी को अंजाम दिया जाता है। यह एक मिनिमल इनवेसिव सर्जरी है, जिसमें ओपन सर्जरी की तुलना में कम दर्द होता है और रोगी रिकवर भी जल्दी होता है। 
  • रोबोटिक सर्जरी: यह सबसे आधुनिक तकनीक है, जो अभी भी कुछ ही अस्पतालों में की जा रही है। इसमें सर्जन एक कंसोल के माध्यम से रोबोट को नियंत्रित करके सर्जरी करते हैं। यह सर्जरी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में अधिक सटीक होती है और सर्जन को एक बेहतर दृश्य प्रदान करती है। यह अधिक स्पष्ट और सटीक सर्जरी है, जिसमें गलती होने की संभावना बहुत कम होती है। 

इन दोनों सर्जरी के अतिरिक्त अन्य इलाज के विकल्प भी मौजूद हैं, जैसे - 

  • कीमोथेरेपी: इस प्रक्रिया का प्रयोग कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर के मामले में सर्जरी के बाद भी कैंसर की कुछ कोशिकाएं पूर्ण रूप से नष्ट नहीं होती है। ऐसे में कीमोथेरेपी से उन कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। इसके पूरे सेशन के बाद कैंसर के अंतिम चरण के लक्षणों से भी राहत मिल सकती है। 
  • रेडिएशन थेरेपी:यह प्रक्रिया में सर्जरी से पहले और बाद में एक्स-रे की मदद से कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर नष्ट किया जाता है। इसमें एक शक्तिशाली ऊर्जा का प्रयोग होता है। इस थेरेपी को सामान्य तौर पर कीमोथेरेपी के साथ ही किया जाता है।
  • दवाएं: कैंसर के इलाज के लिए फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कुछ दवाओं की मंजूरी दी है, लेकिन यह दवाएं पूर्ण रूप से कारगर साबित नहीं हो सकती। स्टीवर्गा नाम की दवा को मेटास्टेटिक कैंसर या अंतिम चरण के कोलोरेक्टल कैंसर के लिए सुझाया जा सकता है। यह एक गंभीर स्थिति है, इसलिए इस दवा का उपयोग बिना डॉक्टरी के सलाह के वर्जित है। 

निष्कर्ष

कोलोरेक्टल कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन नवीनतम तकनीकों के साथ, इसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। इलाज से किसी भी रोगी को निम्न लाभ हो सकते हैं - 

  • कैंसर कोशिकाओं का नष्ट होना।
  • दर्द का कम होना।
  • जीवन की गुणवत्ता में सुधार होना।
  • लंबे समय तक जीवित रहने की संभावना में वृद्धि।

यदि आपको भी कोलोरेक्टल कैंसर के कोई भी लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें। आप हमारे विशेषज्ञों से भी परामर्श कर सकते हैं।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न


कोलोरेक्टल कैंसर क्या होता है?

कोलोरेक्टल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो बड़ी आंत (कोलन) या मलाशय (रेक्टम) में शुरू होता है। यह तब होता है जब आंत की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक ट्यूमर बनाती हैं।

कोलोरेक्टल कैंसर क्यों होता है?

कोलोरेक्टल कैंसर होने के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि, आनुवंशिक कारक, उम्र, आहार, धूम्रपान और कुछ स्वास्थ्य स्थितियां जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं।




 

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