इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग गर्भधारण का शुरुआती संकेत हो सकता है, जो आम तौर पर हल्के गुलाबी या भूरे स्पॉटिंग के रूप में दिखाई देती है। यह पीरियड्स से अलग होते हैं, 1-2 दिन रहती है और अधिकतर मामलों में चिंता का कारण नहीं होते। इस ब्लॉग से आप जानेंगे के अधिक समस्या होने पर आपको क्या करना चाहिए और दोनों में क्या अंतर है?
हर महिला के लिए मां बनने का एहसास बेहद खास होता है, लेकिन प्रेगनेंसी का शुरुआती दौर अक्सर भ्रम और सवालों से भरा होता है। कई बार महिलाओं को पीरियड्स की जगह हल्का रक्तस्राव दिखाई देता है, जिसे वे सामान्य माहवारी समझ बैठती हैं। लेकिन यह हल्का स्पॉटिंग, जिसे मेडिकल भाषा में इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है, असल में गर्भधारण के शुरुआती संकेतों में से एक हो सकते हैं। जानिए, इंप्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है, इसके लक्षण और समय कौन-सा होता है, ताकि आप गर्भवती होने के संकेतों को समय रहते पहचान सकें और सही फैसला ले सकें। लक्षण दिखने पर बिना देर किए एक अनुभवी डॉक्टर से सलाह बहुत ज्यादा आवश्यक होता है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग (Implantation bleeding) वह स्थिति है, जब फर्टिलाइज्ड एग (fertilized egg) बच्चेदानी की दीवार में चिपक जाते हैं। इस प्रक्रिया में बच्चेदानी की रक्त वाहिकाएं हल्की सी टूट जाती हैं, जिससे हल्की रक्त हानि या स्पॉटिंग हो सकती है। इसे आमतौर पर गर्भावस्था के शुरुआती संकेतों में गिना जाता है और यह हर 4 में से 1 गर्भवती महिला में देखने को मिलता है।
गर्भावस्था में इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग एक आम और सुरक्षित प्रक्रिया है, जिससे माँ और बच्चे दोनों को कोई नुकसान नहीं होता है। यह ब्लीडिंग आमतौर पर बहुत हल्की होती है और अधिकतर महिलाओं को इसका अनुभव भी नहीं होता है। इसलिए यदि आपको भी यह स्पॉटिंग दिखे तो घबराएं नहीं, बस जानिए कि यह एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है और यदि रक्त हानि हो रही है, तो वह भी कुछ ही दिन में ठीक हो जाएगी। यदि ब्लीडिंग ज्यादा है, तो एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें और उनसे स्थिति का आकलन कराएं।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कब होती है – यह सवाल लगभग हर महिला के मन में आता है। दरअसल, यह ब्लीडिंग आमतौर पर ओव्यूलेशन (ovulation) के 10 से 14 दिन बाद होती है, यानी आपकी अगली पीरियड्स के डेट के करीब। इसी वजह से कई महिलाएं इसे पीरियड्स की शुरुआत मान लेती हैं। लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस ब्लीडिंग की मात्रा और रंग, आम पीरियड्स से काफी अलग होते हैं, इसलिए आपको इन लक्षणों में भेद करना सीखना होगा।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का समय सामान्यतः एक से दो दिन का होता है। कभी-कभी यह सिर्फ कुछ घंटों के लिए भी हो सकती है और कई मामलों में महिलाओं को इसका बिल्कुल भी अनुभव नहीं होता। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग होने के पीछे का कारण स्पष्ट है। जब भ्रूण (embryo) गर्भाशय की भीतरी परत में प्रवेश करता है, तो रक्त वाहिकाओं में हल्की चोट लगती है, जिससे हल्के गुलाबी या भूरे रंग का स्पॉटिंग होती है। यह स्पॉटिंग बहुत हल्की होती है, तो सामान्यतः पीरियड से हल्के ही होते हैं और इसमें ऐंठन नहीं होती है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के सामान्य कारणों में से एक को ऊपर बताया है, जिसे हम थोड़ा विस्तार से समझंगे -
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण पहचानना जरूरी है, ताकि इसे पीरियड्स या किसी अन्य समस्या से अलग किया जा सके। इस स्थिति में निम्न मुख्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं -
कई महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि क्या बच्चेदानी के दौरान हर किसी को इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का अनुभव होता है। इसका जवाब है – नहीं।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हर महिला को नहीं होता है। यह प्रेगनेंसी की एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसका अनुभव केवल 15% से 30% महिलाओं को ही होता है। इसका मतलब है कि अधिकतर महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान ऐसी हल्की स्पॉटिंग या ब्लीडिंग दिखाई नहीं देती।
अगर ब्लीडिंग न हो तो क्या?
जो महिलाएं इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का अनुभव नहीं करतीं, उनके लिए भी गर्भावस्था स्वस्थ और सामान्य तरीके से आगे बढ़ सकती है। इसलिए केवल ब्लीडिंग होने या न होने के आधार पर गर्भधारण की स्थिति का आकलन करना गलत है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स के बीच अक्सर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इनके बीच मुख्य अंतर को समझना जरूरी है क्योंकि इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हल्का, गुलाबी या भूरे रंग का होता है और पीरियड्स की तुलना में कम समय तक रहता है। नीचे दी गई टेबल इन दोनों के बीच के महत्वपूर्ण अंतर को स्पष्ट करने में मदद कर सकती है -
पैरामीटर |
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग |
पीरियड्स |
रंग |
हल्का गुलाबी या भूरा |
गहरा लाल या भूरा |
मात्रा |
बहुत कम, स्पॉटिंग जैसी |
अधिक, फुल फ्लो |
अवधि |
1-2 दिन |
4-7 दिन |
दर्द |
हल्का या नहीं |
अधिक, क्रैम्प्स |
क्लॉट्स |
नहीं |
आम |
समय |
ओव्युलेशन के 10-14 दिन बाद |
हर 24-38 दिन |
अगर इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हल्की है और 1-2 दिन में बंद हो जाती है, तो इस स्थिति में चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन यदि ब्लीडिंग का प्रवाह तेज है, लंबे समय तक है, दर्द ज्यादा है, या खून में क्लॉट्स दिखे– तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हो सकता है कि इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के साथ-साथ अन्य समस्या भी दिखे।
हालांकि गर्भवती महिलाओं में वैसे भी शुरुआती दिनों में हल्की ब्लीडिंग सामान्य है, लेकिन सुरक्षा के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी होता है।
यदि आपको भी अपनी डेट के आसपास हल्का स्पॉटिंग नजर आए, तो घबराएं नहीं। यह इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हो सकती है, जो गर्भावस्था की पहली सीढ़ी है। सही जानकारी, धैर्य और डॉक्टर की सलाह से आप अपनी हेल्थ को बेहतर बना सकती हैं। तुरंत प्रेगनेंसी टेस्ट न करें, बल्कि ब्लीडिंग रुकने के बाद या मिस्ड पीरियड के बाद ही टेस्ट करें, जिससे आपको सबसे सही नतीजे मिलेंगे।
समय रहते डॉक्टर से संपर्क करें, जिससे गर्भावस्था की शुरुआत से ही आपको और आपके बच्चे को सही देखभाल मिल सकती है।
अधिकतर मामलों में इंप्लांटेशन ब्लीडिंग में 1 से 2 दिन के लिए हल्की स्पॉटिंग होती है। कई बार यह सिर्फ कुछ घंटों तक ही रह सकती है।
आम तौर पर इसमें कोई दर्द नहीं होता है, या फिर हल्का सा पेट दर्द या भारीपन महसूस हो सकता है, जो पीरियड्स वाले दर्द से बहुत कम होता है।
नहीं, लगभग 70-80% महिलाओं को इसका कोई अनुभव नहीं होता है। हालांकि इसका उत्तर हर महिला के शरीर पर भी निर्भर करता है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग गर्भधारण का पहला संकेत हो सकता है, लेकिन 100% निश्चितता के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट करना जरूरी है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हल्की गुलाबी या भूरे रंग की होती है। पीरियड्स का खून गहरा लाल या भूरा होता है।
Written and Verified by:
Dr. Namrata Gupta is a Senior Consultant of Obstetrician & Gynaecologist Dept. at CK Birla Hospital, Jaipur, with over 17 years of experience. She specializes in high-risk obstetrics, painless delivery, advanced laparoscopic surgeries, and infertility treatments.
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